भारत और ओमान 18 दिसंबर 2025 को मस्कट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते का उद्देश्य व्यापार के अवसरों का विस्तार करना और दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक वाणिज्यिक संबंधों के लिए एक अधिक स्थिर ढांचा तैयार करना है।
भारत–ओमान मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
- समझौते की पृष्ठभूमि: भारत और ओमान ने 18 दिसंबर 2025 को मस्कट में हुए राजकीय दौरे के दौरान मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरे से पहले भारत सरकार ओमान के साथ सभी औपचारिक वार्ताएँ नवंबर 2023 में शुरू की थीं, को अगस्त 2025 में पूरी हुईं और इसके बाद समझौते को आज अंतिम रूप दिया गया। ओमान के लिए यह समझौता खास है, क्योंकि उसने करीब 20 वर्षों बाद किसी देश के साथ ऐसा करार किया है।
- प्राथमिक क्षेत्र और आर्थिक फोकस: यह समझौता वस्तुओं और सेवाओं दोनों को कवर करता है। इसमें वस्त्र, ऑटोमोबाइल, खाद्य प्रसंस्करण, रत्न एवं आभूषण, कृषि-रसायन, नवीकरणीय ऊर्जा और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इन क्षेत्रों में सहयोग से दोनों देशों के उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे।
- टैरिफ छूट और निर्यात लाभ: इस करार का बड़ा लाभ यह है कि 3 अरब डॉलर से अधिक के भारतीय निर्यात को शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। वर्तमान में भारत से ओमान जाने वाले 83.5% निर्यात पर 5% शुल्क लगता है। शुल्क हटने से भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। इससे छोटे और मध्यम निर्यातकों को भी सीधा फायदा होगा।
- द्विपक्षीय व्यापार की मौजूदा स्थिति: समझौते से पहले भी दोनों देशों के बीच व्यापार मजबूत था। वित्त वर्ष 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार 10.61 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारत ने ओमान को विनिर्मित वस्तुएँ और सेवाएँ निर्यात कीं। वहीं, ओमान से भारत को तेल और औद्योगिक इनपुट्स प्राप्त हुए। ये आँकड़े बताते हैं कि आर्थिक संबंध पहले से ही गहरे हैं, जिन्हें यह समझौता और मजबूत करेगा।
- समझौते के प्रमुख प्रावधान: FTA में टैरिफ उदारीकरण, सेवाओं में व्यापार, और सीमा-पार सेवाओं के स्पष्ट नियम शामिल हैं। इसमें रूल्स ऑफ ओरिजिन तय किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किन वस्तुओं को प्राथमिक दरों का लाभ मिलेगा। इसके अलावा निवेश सुविधा और विवाद निपटान तंत्र के प्रावधान भी रखे गए हैं, जिससे व्यापारिक विश्वास बढ़ेगा।
भारत–ओमान आर्थिक संबंध
- ऐतिहासिक आर्थिक जुड़ाव: भारत और ओमान के बीच पाँच हजार वर्षों से अधिक पुराना व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान रहा है। आधुनिक काल में दोनों देशों के बीच 1955 में कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए। इसके बाद यह रिश्ता धीरे-धीरे मजबूत आर्थिक सहयोग में बदला।
- द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि: पिछले कुछ वर्षों में भारत–ओमान व्यापार में तेज बढ़ोतरी दिखी है। वित्त वर्ष 2023–24 में कुल व्यापार लगभग 8.947 अरब अमेरिकी डॉलर था। वित्त वर्ष 2024–25 में यह बढ़कर 10.613 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यह बढ़त ऊर्जा, मशीनरी, रसायन और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग को दर्शाती है।
- रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी: ओमान भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। भारत यहां से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस आयात करता है। ओमान की स्थिति हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का महत्वपूर्ण मार्ग है। यह भौगोलिक लाभ भारत को आपूर्ति जोखिम कम करने में मदद करता है।
- निवेश और संयुक्त उपक्रम: ओमान के फ्री ज़ोन और औद्योगिक क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की सक्रिय मौजूदगी है। विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में 6,000 से अधिक भारत–ओमान संयुक्त उपक्रम कार्यरत हैं। अब तक भारतीय निवेश से ओमानी अर्थव्यवस्था में 7.5 अरब डॉलर से अधिक का योगदान हुआ है। वहीं, ओमान का FDI निवेश भारत में 600 मिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है।
- क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क: ओमान भारत के लिए मध्य-पूर्व और अफ्रीका का प्रवेश द्वार माना जाता है। उसके बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क भारतीय निर्यात को खाड़ी बाजारों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। इस कारण ओमान GCC देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन चुका है।
- व्यापारिक संरचना और विविधता: भारत ओमान को मशीनरी, वस्त्र, खाद्य उत्पाद और औद्योगिक कलपुर्जे निर्यात करता है। बदले में ओमान से कच्चा तेल, LNG और उर्वरक आते हैं। यह विविध व्यापार संरचना दोनों देशों को किसी एक क्षेत्र पर निर्भर होने से बचाती है।
- रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व: ओमान के साथ आर्थिक मजबूती भारत की हिंद-प्रशांत नीति को भी समर्थन देती है। क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दों पर दोनों देशों की सोच मिलती है। आर्थिक सहयोग के साथ नौसैनिक पहुंच और संयुक्त अभ्यास जैसे रक्षा पहलू भारत की पश्चिमी हिंद महासागर में रणनीतिक मौजूदगी को मजबूत करते हैं।
मुक्त व्यापार समझौता (FTA) क्या होता है?
- मुक्त व्यापार समझौता दो या अधिक देशों के बीच किया गया एक औपचारिक समझौता होता है। इसका उद्देश्य आपसी व्यापार को आसान और सस्ता बनाना होता है।
- ऐसे समझौते के तहत भागीदार देश एक-दूसरे के साथ वस्तुओं और सेवाओं का लेन-देन कम लागत पर कर पाते हैं। इससे कारोबारियों को नए बाजार के अवसर मिलते हैं और उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प।
- FTA के अंतर्गत देश आपसी सहमति से कस्टम ड्यूटी, आयात शुल्क और अन्य व्यापारिक रुकावटों को घटाते या समाप्त करते हैं। इससे सीमाओं के पार माल की आवाजाही तेज होती है। निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी कीमतें तय करने में मदद मिलती है और आयातकों की लागत भी कम होती है।
- किसी भी FTA का मुख्य लक्ष्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना होता है। यह समझौते छोटे और मध्यम उद्यमों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ने का अवसर देते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर बनते हैं और आर्थिक गतिविधि बढ़ती है।
- आधुनिक FTA केवल वस्तुओं तक सीमित नहीं हैं। इनमें सेवाओं और निवेश को भी शामिल किया जाता है। बैंकिंग, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी और परिवहन जैसे क्षेत्र इन समझौतों का अहम हिस्सा होते हैं।
- FTA में दिए गए टैरिफ लाभ विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत मान्य होते हैं। खास शर्तों के साथ ये समझौते WTO ढांचे के भीतर रहकर किए जाते हैं। इससे वैश्विक व्यापार प्रणाली में संतुलन बना रहता है।
- WTO के आंकड़ों के अनुसार भारत ने अब तक लगभग 20 FTA और PTA किए हैं। इनमें भारत-यूएई CEPA, भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA और भारत-यूके CETA जैसे महत्वपूर्ण समझौते शामिल हैं। इन समझौतों से भारत के निर्यात को नया बल मिला है।
- भारत ने 10 मार्च 2024 को भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता किया। यह समझौता 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ। इसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं।
- भारत अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा और SACU जैसे साझेदारों के साथ नए FTA पर बातचीत कर रहा है। यह पहल भारत को वैश्विक व्यापार में मजबूत भूमिका दिलाने की दिशा में अहम कदम है।
ओमान : भौगोलिक स्थिति, शासन और आर्थिक स्वरूप
- भौगोलिक पहचान: ओमान पश्चिमी एशिया में अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी सिरे पर स्थित एक महत्वपूर्ण देश है। इसके उत्तर-पश्चिम में संयुक्त अरब अमीरात, पश्चिम में सऊदी अरब और दक्षिण-पश्चिम में यमन स्थित हैं। देश की समुद्री सीमाएँ अरब सागर और ओमान की खाड़ी से लगती हैं।
- क्षेत्रफल और भौतिक स्वरूप: ओमान का कुल क्षेत्रफल लगभग 3,09,500 वर्ग किलोमीटर है। भूमि क्षेत्र के आधार पर यह अरब प्रायद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ पहाड़ी इलाके, रेगिस्तान और लंबा समुद्री तट मिलता है। यह विविध भौगोलिक संरचना देश की सुरक्षा और व्यापार दोनों के लिए उपयोगी है।
- राजधानी और प्रशासनिक केंद्र: मस्कट ओमान की राजधानी है। यही शहर देश का सबसे बड़ा नगर भी है। मस्कट राजनीतिक निर्णयों, आर्थिक गतिविधियों और प्रशासन का मुख्य केंद्र है। बंदरगाह और आधुनिक बुनियादी ढांचे ने इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अहम केंद्र बनाया है।
- भाषा: ओमान की आधिकारिक भाषा अरबी है। इसके साथ ही अंग्रेजी का व्यापक प्रयोग होता है। व्यापार, शिक्षा और सरकारी संवाद में अंग्रेजी सामान्य रूप से उपयोग की जाती है। इससे विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय संपर्क आसान हुए हैं।
- राजनीतिक व्यवस्था: ओमान एक पूर्ण राजशाही वाला देश है। इसका आधिकारिक नाम सल्तनत ए ओमान है। यहाँ सुल्तान ही राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख होते हैं। शासन प्रणाली स्थिर मानी जाती है और निर्णय प्रक्रिया केंद्रीकृत है।
- मुद्रा और आर्थिक स्थिति: ओमान की मुद्रा ओमानी रियाल (OMR) है। यह विश्व की सबसे मजबूत मुद्राओं में गिनी जाती है। ओमान एक उच्च आय वाला देश है। 2024–25 में देश का नाममात्र GDP लगभग 110 अरब डॉलर रहा जबकि प्रति व्यक्ति आय 20,000 डॉलर से अधिक दर्ज की गई। यह आंकड़े मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष:
भारत-ओमान मुक्त व्यापार समझौता (FTA), दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता व्यापार बाधाओं और लागतों को घटाने पर केंद्रित है, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए ओमान के बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी। यह पहल भारत की “लुक वेस्ट” नीति के अनुरूप है और खाड़ी क्षेत्र में भारत की आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने में सहायक होगी।
