भारत जब ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के बीच ऊर्जा व्यापार बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, ऐसे समय में देश की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिकी LPG आयात के लिए एक साल की महत्वपूर्ण डील की है। यह पहली बार है जब भारतीय बाजार के लिए अमेरिकी LPG का कोई स्ट्रक्चर्ड कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसे “ऐतिहासिक पहली” करार दिया। उन्होंने कहा: “भारत दुनिया के सबसे बड़े और तेज़ी से बढ़ते LPG बाजारों में से एक है। सुरक्षित और किफायती LPG सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए हम लगातार स्रोतों में विविधता ला रहे हैं। इसी दिशा में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने 2026 के लिए करीब 2.2 मिलियन टन LPG जो हमारे वार्षिक आयात का लगभग 10% है अमेरिकी गल्फ कोस्ट से आयात करने की सफल 1-वर्षीय डील की है।”
सूत्रों के मुताबिक, इंडियन ऑयल (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) ने संयुक्त टेंडर के तहत अमेरिका से LPG आयात का कॉन्ट्रैक्ट Chevron, Phillips 66 और TotalEnergies Trading को दिया है। हालांकि, वाणिज्यिक शर्तें सार्वजनिक नहीं की गई हैं।
महंगाई के दौर में सरकार ने दी राहत: 40,000 करोड़ की
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि बीते वर्ष वैश्विक LPG कीमतों में 60% से अधिक की वृद्धि के बावजूद केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी।
पुरी ने बताया कि “जब वैश्विक बाजार में LPG की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही थीं और सिलिंडर की वास्तविक लागत ₹1100 से ऊपर पहुंच गई थी, तब भी प्रधानमंत्री मोदी ने सुनिश्चित किया कि उज्ज्वला उपभोक्ताओं को सिलिंडर केवल ₹500-550 में मिलता रहे।”
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं पर भार न पड़े, इसके लिए केंद्र ने मूल्य वृद्धि का बड़ा हिस्सा स्वयं वहन किया और पिछले वर्ष ₹40,000 करोड़ से अधिक राशि सब्सिडी के रूप में खर्च की।
पश्चिम एशिया पर निर्भरता कम करने की तैयारी
भारत में LPG का मुख्य उपयोग घरेलू खाना पकाने के ईंधन के रूप में होता है। अभी तक भारत का अधिकांश आयात सऊदी अरब, UAE, क़तर और कुवैत जैसे पश्चिम एशियाई देशों से होता रहा है।
नई डील से:
- पारंपरिक सप्लायर देशों पर निर्भरता कम होगी
- कीमतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से भारत को लाभ मिल सकता है
- गरीब और ग्रामीण परिवारों के लिए LPG को सस्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी
बीते कुछ वर्षों में सरकार ने Pradhan Mantri Ujjwala Yojana जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से देश में LPG की पहुंच को काफी बढ़ाया है।
भारत-अमेरिका व्यापार बातचीत के बीच ऊर्जा आयात पर जोर
यह डील ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। अमेरिका ने पहले भारत पर कई वस्तुओं पर कुल 50% तक टैरिफ लगाया था। अब दोनों देश व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयास में हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ऊर्जा आयात बढ़ाकर अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन सुधारने की कोशिश कर रही है। हाल के महीनों में भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद में भी बढ़ोतरी की है।
फरवरी में PM मोदी और तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान, ट्रंप ने कहा था कि भारत और अमेरिका ऊर्जा व्यापार को बढ़ाने के लिए “महत्वपूर्ण कदम” उठाएंगे और अमेरिका “भारत का प्रमुख तेल और गैस सप्लायर” बनने की दिशा में काम करेगा।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा में आने वाले समय में US की भूमिका बड़ी होगी।
ऊर्जा खपत में भारत की वैश्विक स्थिति
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, जिसकी करीब 88% मांग आयात से पूरी होती है।
- LNG की जरूरत का लगभग 50% हिस्सा आयात किया जाता है।
- अमेरिका पिछले कुछ वर्षों से भारत का पांचवां सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर है।
- LNG के मामले में अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है।
- LPG की 60% जरूरत भी आयात पर निर्भर है।
अमेरिकी LPG के साथ नई डील भारत की ऊर्जा रणनीति में एक बड़ा बदलाव मानी जा रही हैजहां वह न सिर्फ अपने स्रोतों को विविध बना रहा है, बल्कि व्यापारिक रिश्तों को भी नए रूप में ढाल रहा है।
