दुबई एयर शो जैसे दुनिया के सबसे बड़े रक्षा मंच पर तेजस LCA Mk-1 का दुर्घटनाग्रस्त होना न केवल एक प्रतिभाशाली पायलट की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की दुखद खबर लाया, बल्कि उस समय हुआ जब भारत अपनी स्वदेशी तकनीक की क्षमता दुनिया को दिखा रहा था। भारी भीड़ के सामने हुआ यह हादसा सभी को स्तब्ध कर गया और देश की विमानन महत्वाकांक्षाओं पर गहरी छाप छोड़ गया। यह हादसा भारत की उभरती एयरोस्पेस ताकत के लिए एक बेहद झकझोर देने वाला पल है।
दुर्घटना पर भारतीय वायुसेना ने कहा:
वायुसेना के बयान के मुताबिक, “दुबई एयर शो में हवाई प्रदर्शन के दौरान एक तेजस विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट को गंभीर चोटें आईं। वायुसेना इस दुखद घटना से बेहद व्यथित है और शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ी है। दुर्घटना के असली कारण जानने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी बनाई जा रही है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा ?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि दुबई एयर शो के दौरान एक बहादुर भारतीय वायुसेना पायलट की जान जाना बेहद दुखद है। अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी हार्दिक श्रद्धांजलि और संवेदनाएँ शोक संतप्त परिवार के साथ हैं, और इस कठिन समय में पूरा राष्ट्र उनके साथ खड़ा है।
दुर्घटना में विंग कमांडर नमांश स्याल की मौत:
तेजस लड़ाकू विमान हादसे में भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल शहीद हो गए। 34 वर्षीय स्याल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पटियालकर गाँव के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, जो खुद भी भारतीय वायुसेना में अधिकारी हैं और उनकी छह साल की बेटी और माता-पिता हैं। विंग कमांडर स्याल ने अपनी स्कूली शिक्षा हमीरपुर के सैनिक स्कूल, सुजानपुर टीरा से पूरी की थी।
निगेटिव G-फोर्स हो सकता है दुर्घटना का कारण:
रिपोर्ट्स के अनुसार, हादसा संभवतः निगेटिव G-फोर्स टर्न के कारण हुआ। जब तेजस अचानक सीधा नीचे गिरने लगा और उसके ग्लाइड करने या संभलने का कोई संकेत नहीं दिखा। यानी रिकवरी नहीं हो पाई और विमान फ्री-फॉल में चला गया, जिससे यह दुखद दुर्घटना हुई। माना जा रहा है कि पायलट इस तेज़ टर्न से समय पर रिकवर नहीं कर पाए, जिसके कारण विमान का नियंत्रण पूरी तरह खो गया।
निगेटिव G-फोर्स के बारे में:
जब कोई विमान अचानक नीचे की ओर तेज़ी से गोता लगाता है, तो पायलट के शरीर पर गुरुत्वाकर्षण के उलटी दिशा में दबाव पड़ता है। इसे ही निगेटिव G-फोर्स कहा जाता है। इस स्थिति में पायलट को ऐसा महसूस होता है जैसे वह अपनी सीट से ऊपर उठ रहा हो। अगर पायलट इसे सही तरीके से संभाल न पाए, तो सिर में ज़्यादा खून जमा होने से भटकाव (disorientation) या कुछ पलों के लिए चेतना खोना भी हो सकता है। यही कारण है कि पायलटों को निगेटिव G-फोर्स से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि ऐसी स्थितियों में भी वे विमान का नियंत्रण बनाए रख सकें।
निगेटिव G-फोर्स का असर:
- खून तेजी से सिर की तरफ चढ़ जाता है
- चक्कर, धुंधलापन और कंफ्यूजन हो सकता है
- विमान तेज़ गोता लगाता है या हवाई कलाबाज़ी के दौरान असामान्य चाल चलता है।
- कुछ ही सेकंड में विमान का नियंत्रण संभालना मुश्किल हो जाता है
20 महीनों के भीतर दूसरी दुर्घटना:
20 महीनों में यह दूसरी दुर्घटना तेजस के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है। मार्च 2024 में भी एक IAF तेजस Mk1 जैसलमेर के पास प्रशिक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था—हालाँकि तब कोई जान नहीं गई थी। अब दुबई एयर शो में हुई यह दूसरी घटना, जहां तेजस अपनी पहली उड़ान (2001) से लेकर अब तक 12,000 से ज्यादा सुरक्षित उड़ान घंटे दर्ज कर चुका है, एक गंभीर सवाल खड़ा करती है।
निर्यात बाजार में जगह बनाने की कोशिश कर रहे इस नए लड़ाकू विमान के लिए लगातार दो दुर्घटनाएँ उसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा पर शक पैदा करती हैं। जबकि असली तकनीकी कारणों का पता तो विस्तृत जांच के बाद ही चलेगा, लेकिन अभी से ही इसका असर तेजस की अंतरराष्ट्रीय छवि पर साफ दिखने लगा है।
इस घटना के मायने:
इस दुर्घटना का असर सिर्फ एक हादसे तक सीमित नहीं है। इसे दुनिया भर ने लाइव देखा, इसलिए यह तेजस के लिए एक बड़ा रणनीतिक और वाणिज्यिक झटका बन गया है। इससे उसकी गुणवत्ता, सुरक्षा और वैश्विक बाजार में तैयारियों पर गंभीर सवाल उठे हैं।
HAL जिन देशों को तेजस बेचना चाहता है उनमे एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की छोटी वायु सेनाएँ है जो सीमित बजट में काम करती हैं और सबसे ज्यादा दुर्घटना इतिहास, विश्वसनीयता और रखरखाव लागत को महत्व देती हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर तेजस का गिरना उसकी छवि पर सीधा असर डालता है। खरीदार तकनीकी स्पष्टीकरणों से ज्यादा सुरक्षा और भरोसे को देखते हैं। इसलिए यह घटना तेजस के लिए भरोसा खोने का खतरा है, जिसे HAL को अब और मेहनत करके वापस पाना होगा।
तेजस क्या है?
तेजस भारत का पूरी तरह स्वदेशी, हल्का और आधुनिक 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे HAL(Hindustan Aeronautics Limited) ने बनाया है। इसे हवाई हमला, नज़दीकी युद्ध, ज़मीनी लक्ष्य भेदन और समुद्री अभियानों के लिए खास तौर पर डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- सिंगल-इंजन वाला आधुनिक फाइटर
- दुश्मन को दूर से मार गिराने की क्षमता (BVR मिसाइल)
- दुश्मन के रडार को चकमा देने वाले सिस्टम
- मैक 6–1.8 की रफ्तार और 52,000 फीट तक उड़ान
- 8–9 टन तक हथियार ले जाने की क्षमता
उन्नत तकनीकें:
- AESA रडार: दुश्मन को दूर से पकड़ने और लक्ष्य साधने की क्षमता
- इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट: दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम को भ्रमित करने वाला सिस्टम
- BVR मिसाइल क्षमता: नज़र से दूर दुश्मन पर हमला
- एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग: उड़ान के दौरान ईंधन भरने की सुविधा
- स्मार्ट मल्टीफंक्शन डिस्प्ले
- डिजिटल मैप और आधुनिक ट्रांसपोंडर सिस्टम
तेजस के इंजन:
तेजस Mk1 और Mk1A में F404-GE-IN20 इंजन लगा है। आने वाले तेजस Mk2 में इससे भी ज्यादा शक्तिशाली GE F414 INS6 इंजन लगाया जाएगा।
तेजस खरीद पर भारत सरकार के सौदे:
- सितंबर 2024 में भारत ने 97 तेजस Mk1A खरीदने का बड़ा सौदा किया है। इनकी डिलीवरी 2027 से शुरू होगी।
- 2021 में 83 तेजस की एक और डील साइन हुई थी, जिसकी डिलीवरी अमेरिकी इंजनों की कमी के कारण थोड़ी देरी से हो रही है।
दुबई एयर शो के बारे में:
दुबई एयर शो दुनिया के सबसे बड़े एयरोस्पेस प्रदर्शनों में से एक है। यहां अंतरराष्ट्रीय विमान, हेलिकॉप्टर, हथियार सिस्टम और नई एरोस्पेस टेक्नोलॉजी दुनिया के सामने पेश की जाती है। बड़ी एयरोस्पेस कंपनियां, एयरलाइंस और कई देशों की वायु सेनाएँ इसमें हिस्सा लेती हैं। यह पाँच दिन का कार्यक्रम होता है, और शुक्रवार उसका आखिरी दिन था।
दुबई एयर शो की शुरुआत 1989 में हुई थी। इसे हर दो साल में दुबई के अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आयोजित किया जाता है। तेजस लगातार तीसरी बार इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा था।
निष्कर्ष:
यह हादसा भारत की एयरोस्पेस आकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। दुबई जैसे वैश्विक मंच पर तेजस का गिरना न केवल एक बहादुर पायलट की शहादत लेकर आया, बल्कि विमान की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा गया। अब आवश्यक है कि जांच निष्पक्ष हो, गलतियों से सबक लिया जाए और सुधार किए जाएँ, तभी भारत अपने स्वदेशी विमानों पर भरोसा मज़बूत कर पाएगा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकेगा।
