भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 18 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित AI इम्पैक्ट समिट 2026 के लोगो और प्रमुख गतिविधियों का शुभारंभ करते हुए कहा कि सरकार “इंडियाAI मिशन” के तहत देश का अपना वृहद भाषा मॉडल (LLM) विकसित करेगी। इसके लिए आठ प्रमुख संगठनों को चुना गया है। फरवरी 2026 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में होने वाला यह समिट भारत के लिए AI की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर बनेगा।

सरकार ने जिन संस्थाओं को इस मिशन के लिए चुना है, उनकी सूची इस प्रकार है:
- Avatar AI – भारतीय भाषाओं और डोमेनों जैसे कृषि, स्वास्थ्य और शासन के लिए 70B पैरामीटर्स तक के विशेष “AI Avatars” विकसित कर रहा है।
- IIT Bombay Consortium – Bharat Gen – मल्टीलिंगुअल और मल्टीमॉडल मॉडल विकसित कर रहा है (2B–1T पैरामीटर्स) और इसे ओपन-सोर्स के रूप में उपलब्ध कराकर कृषि, वित्त, कानूनी, स्वास्थ्य और शिक्षा में अनुप्रयोगों का समर्थन करता है।
- Fractal Analytics Ltd. – भारत का पहला बड़ा रीजनिंग मॉडल (70B पैरामीटर्स) बना रहा है, जो संरचित तर्क, STEM और चिकित्सा समस्या-समाधान में सक्षम होगा।
- Tech Mahindra Maker’s Lab – हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के लिए 8B पैरामीटर्स वाला प्रभावी मॉडल डिज़ाइन कर रहा है, साथ ही सरकारी अनुप्रयोगों के लिए एजेंटिक AI प्लेटफ़ॉर्म Orion तैयार कर रहा है।
- Zenteiq – BrahmAI – 8B–80B पैरामीटर्स का मल्टीमॉडल फाउंडेशन मॉडल विकसित कर रहा है, जो इंजीनियरिंग इंटेलिजेंस, वैज्ञानिक कंप्यूटिंग और औद्योगिक नवाचार को बढ़ावा देगा।
- GenLoop – छोटे भाषा मॉडल (2B पैरामीटर्स) बना रहा है – Yukti (Base), Varta (Instruction), और Kavach (Guard) – जो भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में मूल तर्क और कंटेंट मॉडरेशन का समर्थन करेंगे।
- Intellihealth – EEG सिग्नल विश्लेषण के लिए 20B पैरामीटर्स का मॉडल प्रस्तावित है, जिससे न्यूरोलॉजिकल रोगों के शीघ्र स्क्रीनिंग और ब्रेन–कंप्यूटर इंटरफेस शोध को बढ़ावा मिलेगा।
- Shodh AI – 7B पैरामीटर्स का मॉडल विकसित कर रहा है, जो सामग्री विज्ञान में नवाचार को तेज करने के लिए AI को प्रयोगात्मक कार्यप्रवाह में एकीकृत करेगा
अश्विनी वैष्णव का ब्यान:
यह प्रतिष्ठित सम्मेलन पहले ब्रिटेन, कोरिया और फ्रांस जैसे देशों में हो चुका है। अब इसकी मेजबानी भारत करेगा, जिसमें दुनिया भर की सरकारें और AI विशेषज्ञ शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह भारत की वैश्विक प्रौद्योगिकी मंच पर बढ़ती ताकत और प्रतिष्ठा को दिखाता है।
इसका मकसद क्या है?
इसका मकसद है कि AI तकनीक इंसान और समाज के हित में इस्तेमाल हो। यह केवल बड़े उद्योगों तक सीमित न रहे, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती, रोजगार और समाज के अन्य क्षेत्रों तक पहुँचे। साथ ही, इस समिट में ऐसा गवर्नेंस फ्रेमवर्क बनाने पर जोर है, जो पूरी दुनिया के लिए कारगर हो और AI के फायदे सभी देशों और लोगों तक न्यायपूर्ण तरीके से पहुँच सकें।
सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना का नेतृत्व कर रहा IIT बॉम्बे:
भारत की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी AI परियोजना का नेतृत्व IIT बॉम्बे कर रहा है। अपने भारतजेन कंसोर्टियम के जरिए संस्थान एक ऐसा AI भाषा मॉडल (LLM) बना रहा है, जिसमें 1 ट्रिलियन पैरामीटर्स होंगे। यह दुनिया के सबसे बड़े AI मॉडलों में से एक होगा। अभी तक का सबसे बड़ा मॉडल लगभग 120 बिलियन पैरामीटर्स का है।
एक ट्रिलियन पैरामीटर क्यों?
ट्रिलियन-पैरामीटर मॉडल खुद सीधे आम लोगों के काम नहीं आता, बल्कि यह एक बेस (आधार) का काम करता है। बड़े मॉडल को ट्रेन करने के बाद उससे छोटे और सरल मॉडल बनाए जा सकते हैं, जो तेज़ हों और खास ज़रूरतों के लिए आसानी से इस्तेमाल किए जा सकें। उदाहरण के लिए, वकील या किसान को इतने बड़े मॉडल की ज़रूरत नहीं होती, उन्हें हल्के और सही डेटा पर आधारित मॉडल चाहिए। यही काम मॉडल डिस्टिलेशन से संभव होता है।
भारतजेन कहां से काम करता है?
भारतजेन हब-एंड-स्पोक मॉडल पर काम करता है, यानी इसकी टीमें भारत के कई अलग-अलग शहरों में फैली हुई हैं। इस तरीके से इंजीनियर, डेटा वैज्ञानिक और डोमेन विशेषज्ञ एक साथ जुड़कर काम कर सकते हैं और संचालन भी आसान बना रहता है। इस वितरित मॉडल से भारतजेन को अलग-अलग क्षेत्रों की विशेषज्ञता का फायदा मिलता है।
UPI की तरह AI भी बने वैश्विक उदाहरण:
जैसे यूपीआई (UPI) भारत में शुरू हुआ, जिसे दुनिया भर में मान्यता मिली है और विकसित से लेकर विकासशील राष्ट्रों तक सभी अपना रहे हैं. वैसे ही भारत चाहता है कि AI भी एक ग्लोबल उदाहरण बने। इसके लिए भारत ने संतुलित रणनीति अपनाई है—कुछ टीमें बड़े और उन्नत AI मॉडल बना रही हैं, जबकि अन्य टीमें छोटे और क्षेत्र-विशेष पर केंद्रित मॉडल विकसित कर रही हैं, ताकि सीधे लोगों की रोज़मर्रा की समस्याओं का हल निकाला जा सके।
परियोजना का वित्तपोषण कैसे किया जा रहा है?
इस परियोजना को इंडियाAI मिशन से मिले 900 करोड़ रुपये के अनुदान से वित्तपोषित किया जा रहा है। साथ ही, भारतजेन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर भी काम कर रहा है और छोटे मॉडलों के लाइसेंस जैसे राजस्व स्रोत तलाश रहा है। असली मूल्य सिर्फ भारतजेन के काम से नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा इस आधार पर बनाई जाने वाली नई क्षमताओं से आएगा।
इसकी क्षमता को लगातार बढ़ाना भारत का लक्ष्य:
भारत का लक्ष्य है कि छात्रों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को बड़ी कम्प्यूटिंग सुविधाएँ मिलें। अभी देश में 38,000 GPU काम कर रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। आने वाले समय में एआई की मांग और तेज़ होगी, इसलिए क्षमता को लगातार बढ़ाना बहुत ज़रूरी है।
छोटे शहरों तक हो AI की पहुंच:
AI और कम्प्यूटिंग सुविधाएँ सिर्फ बेंगलुरु या पुणे जैसे बड़े टेक्नोलॉजी शहरों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों तक भी पहुँचेंगी। प्रधानमंत्री के विज़न के अनुसार यह ‘टेक्नोलॉजी का लोकतंत्रीकरण’ है, जिससे छोटे शहरों के छात्र और इनोवेटर भी बराबरी का मौका पाकर एआई क्रांति में हिस्सा ले सकें। सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश में 500 से अधिक डेटा सेंटर बनाए जाएँ, ताकि इसकी पहुँच और मजबूत हो सके।
डोमेन विशेष AI मॉडल्स पर भी फोकस:
ध्यान सिर्फ बड़े AI मॉडल पर नहीं, बल्कि डोमेन विशेष AI मॉडल्स पर भी दिया जा रहा है। जैसे: स्वास्थ्य सेवा और मटेरियल साइंस पर केंद्रित मॉडल्स तैयार किए जा रहे हैं। यह तरीका आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेज़ी लाएगा, क्योंकि इससे भारत अपनी खास ज़रूरतों वाले क्षेत्रों में खुद के AI समाधान विकसित कर सकेगा।
IndiaAI मिशन का हिस्सा बनना गर्व की बात: टेक महिंद्रा:
टेक महिंद्रा ने कहा कि उसे IndiaAI मिशन का हिस्सा बनकर गर्व है। कंपनी ने बताया कि वह पहले से ही अपने इंडिक LLM “प्रोजेक्ट इंडस” पर काम कर रही है, जिसे पूरी तरह इन-हाउस और कम लागत पर बनाया गया है। टेक महिंद्रा के मुताबिक, ओपन सोर्स मॉडल बनाने से लेकर एक सॉवरेन LLM विकसित करने तक का सफर उनके लिए सीखने वाला और संतोषजनक अनुभव रहा है।
मिशन के पहले चरणों पर आधारित हैं यह कदम:
यह कदम मिशन के पहले चरणों पर आधारित है। मई 2025 में तीन स्टार्टअप्स – सोकेटAI, ज्ञानी.AI और गण AI – को भारत का पहला स्वदेशी आधारभूत मॉडल बनाने के लिए चुना गया था। इससे एक महीने पहले, सर्वम AI समेत चार और स्टार्टअप्स को विशेष AI प्रणालियों पर काम करने के लिए चुना गया था। इन टीमों को ज़रूरी संसाधन मिलें, इसके लिए सरकार ने क्लाउड और डेटा प्रदाताओं के साथ मिलकर GPU तक आसान पहुँच उपलब्ध कराई है, जो बड़े AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
वृहद भाषा मॉडल (LLM) क्या है?
large language model (वृहद भाषा मॉडल) एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम है जिसे बहुत बड़ी मात्रा में डेटा, खासकर टेक्स्ट, पढ़ाकर प्रशिक्षित किया जाता है ताकि यह मानव भाषा को समझ सके और उसका सही उपयोग कर सके। यह इंटरनेट और अन्य स्रोतों से जुटाई गई जानकारी पर आधारित होता है और जितना बेहतर व सटीक डेटा मिलेगा, यह उतनी ही प्राकृतिक और समझदारी से जवाब देगा। सरल शब्दों में, LLM एक “स्मार्ट दिमाग” की तरह है जो ढेर सारी किताबें और लेख पढ़कर इंसानों की तरह भाषा बोलना और समझना सीखता है।
LLM का उपयोग:
LLM (वृहद भाषा मॉडल) का उपयोग टेक्स्ट बनाने, कोडिंग में मदद करने, भावना विश्लेषण, डीएनए रिसर्च, ग्राहक सेवा, चैटबॉट्स और ऑनलाइन खोज जैसे कामों में होता है। इसके उदाहरण हैं—चैटजीपीटी, बार्ड, लामा, बिंग चैट और गिटहब कोपायलट।
भारत-AI प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026:
यह शिखर सम्मेलन एक वैश्विक मंच है, जिसका उद्देश्य समावेशी विकास, स्थिरता और सामाजिक भलाई में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका को प्रदर्शित करना है। इसकी विशेषता यह है कि इसे किसी वैश्विक दक्षिण राष्ट्र द्वारा पहली बार आयोजित किया जा रहा है। यह पहल भारत को जिम्मेदार AI अपनाने में एक विचार नेता के रूप में स्थापित करती है। इस आयोजन का नेतृत्व भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया जा रहा है।
उद्देश्य:
- AI के लिए एक साझा वैश्विक दृष्टिकोण का निर्माण करें जो नैतिक, समावेशी और न्यायसंगत हो।
- डेटा, कंप्यूट, मॉडल तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना और सुरक्षित, विश्वसनीय एआई पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना ।
- आर्थिक विकास, शासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु लचीलेपन के लिए एआई को बढ़ावा देना।
आइये जानते है इंडियाAI मिशन के बारे में:
- उद्देश्य: भारत में मज़बूत एआई ढाँचा बनाना, स्वदेशी तकनीक विकसित करना, उच्च गुणवत्ता वाला डेटा तैयार करना, स्टार्टअप्स व उद्योग को बढ़ावा देना और नैतिक एआई प्रथाओं को प्रोत्साहित करना।
- वित्तीय सहायता: सरकार ने इसके लिए 10,372 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इसमें 10,000+ GPU क्षमता और भारतीय भाषाओं पर आधारित बड़े एआई मॉडल विकसित किए जाएँगे।
- GPU का महत्व: GPU बड़े एआई मॉडल को ट्रेन करने और मशीन लर्निंग, 3D रेंडरिंग व क्लाउड गेमिंग जैसे कामों के लिए ज़रूरी हैं।
- लाभ: भारतीय स्टार्टअप्स को बेहतर कंप्यूटिंग क्षमता मिलेगी और वे एआई क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ सकेंगे।
निष्कर्ष:
इंडियाAI मिशन(India AI Mission) के तहत वृहद भाषा मॉडल का विकास और आठ प्रमुख संगठनों की सक्रिय भागीदारी भारत की तकनीकी क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी। फरवरी 2026 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में होने वाला “एआई इम्पैक्ट समिट” इस यात्रा का ऐतिहासिक क्षण होगा, जो भारत को न केवल एआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि वैश्विक मंच पर एक सशक्त और मार्गदर्शक भूमिका निभाने का अवसर भी प्रदान करेगा।