भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को संकेत दिया कि दोनों देशों के बीच अधिकांश व्यापारिक मतभेद सुलझ चुके हैं। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 तक दोनों राष्ट्रों के मध्य व्यापार समझौता संपन्न हो सकता है।
आर्थिक सलाहकार का आशावादी रुख
ब्लूमबर्ग टीवी से बातचीत के दौरान नागेश्वरन ने वित्त वर्ष 2027 में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को मजबूत बताया। उन्होंने रुपये के मूल्यांकन को लेकर स्पष्ट किया कि मुद्रा की कमजोरी आर्थिक बुनियादी ढांचे से जुड़े कारकों के चलते है। यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देश परस्पर व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहे हैं।
वार्ता की रफ्तार तेज, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए राजधानी दिल्ली में मौजूद है। उनका कहना था कि बातचीत निरंतर आगे बढ़ रही है और दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार समझौते की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इस दौरान भारत ने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रस्ताव पेश किए हैं।
अमेरिका को मिले भारत के बेहतरीन प्रस्ताव
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने हाल ही में कहा था कि भारत की ओर से अभी तक मिले प्रस्ताव सबसे उत्कृष्ट रहे हैं। वार्ता का केंद्र अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारतीय बाजार में अधिक पहुंच देने पर है। विशेष रूप से ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए घरेलू बाजार खोलने पर चर्चा जारी है।
ग्रीर ने बताया कि अमेरिकी वार्ता टीम कृषि से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए नई दिल्ली में उपस्थित थी। उन्होंने कहा कि भारत पहले कुछ फसलों के संदर्भ में सतर्क था, लेकिन इस बार उसने अपने बाजार को खोलने में रुचि दिखाई है।
कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति
ग्रीर ने स्पष्ट किया कि कृषि के अतिरिक्त कई अन्य विषयों पर भी दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। 1979 के विमान समझौते के तहत विमान पुर्जों पर शून्य शुल्क लागू करने की दिशा में चर्चा काफी आगे बढ़ चुकी है। इसका अर्थ यह है कि यदि भारत अमेरिकी वस्तुओं को कम करने साथ अपने बाजार में प्रवेश की अनुमति देता है, तो अमेरिका भी भारत के लिए समान रियायतें देगा।
सीनेट समिति के अध्यक्ष जेरी मोरन ने इस दौरान कहा कि भारत अमेरिकी मक्का और सोयाबीन से निर्मित इथेनॉल का भी बड़ा खरीदार बन सकता है। ग्रीर ने इस बारे में अधिक विवरण नहीं दिया, परंतु उन्होंने बताया कि यूरोपीय संघ सहित अनेक देशों ने अमेरिकी इथेनॉल और ऊर्जा उत्पादों के लिए अपने बाजार खोले हैं तथा आगामी वर्ष में लगभग 750 अरब डॉलर मूल्य की खरीद का वादा किया है।
उच्च स्तरीय अमेरिकी दल की भारत यात्रा
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल का यह बयान उस समय आया है जब एक उच्च स्तरीय अमेरिकी व्यापार दल भारत की यात्रा पर है। इस यात्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर कर रहे हैं।
इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच नए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के प्रथम चरण को अंतिम रूप देने का प्रयास करना है। यानी उस समझौते को पूर्ण करने की दिशा में कदम उठाना जिस पर भारत और अमेरिका लंबे समय से चर्चा कर रहे हैं।
हाल के महीनों में बढ़ा था तनाव
हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में काफी खिंचाव रहा। भारत के उच्च शुल्क और व्यापार घाटे के कारण अमेरिका ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इससे दोनों देशों के निर्यात और आयात में समस्याएं उत्पन्न हुईं।
अमेरिका का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलित है। भारत अमेरिका को अधिक वस्तुएं बेचता है जबकि अमेरिका भारत को उतनी वस्तुएं नहीं बेच पाता। इस अंतर को कम करने के लिए भी यह शुल्क लगाया गया था।
2030 तक 500 अरब डॉलर का लक्ष्य
भारत और अमेरिका का लक्ष्य वर्तमान 191 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई 2025 में अमेरिका को भारत का निर्यात 21.64 प्रतिशत बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17.41 अरब डॉलर रहा।
इस अवधि के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा, जिसके साथ 12.56 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार हुआ। अप्रैल से ही अमेरिका को भारत का निर्यात निरंतर बढ़ता रहा है।
निष्कर्ष:
व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों देश इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो निर्धारित समय सीमा में समझौता संभव है। यह समझौता न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी मजबूती प्रदान करेगा।
