भारत ने जीता ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप का खिताब: फाइनल में नेपाल को हराकर टूर्नामेंट में अपराजित रही भारतीय टीम, जानिए इस जीत के मायने..

कोलंबो के पी. सरवनमुट्टू स्टेडियम में खेले गए फाइनल में भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर पहला महिला टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक खिताब नहीं, बल्कि इस बात का मजबूत संदेश है कि दृष्टि की कमी कभी भी प्रतिभा, हौसले और मेहनत के आगे बाधा नहीं बन सकती। पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही भारतीय टीम ने हर मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए गौरव का नया अध्याय लिखा।

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फाइनल मैच में क्या हुआ ?

दीपिका टीसी की कप्तानी में भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी और शुरुआत से ही नेपाल पर दबाव बनाया। नतीजा यह रहा कि नेपाल 20 ओवर में सिर्फ 114 रन ही बना पाया। पूरी पारी में नेपाल केवल एक चौका लगा सका। सरिता घिमिरे ने 38 गेंदों पर 35 रन बनाकर टीम को संभालने की कोशिश की, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें खुलकर खेलने नहीं दिया।

लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने बेहद आक्रामक और आत्मविश्वास भरा खेल दिखाया। फुला सरेन ने 27 गेंदों पर 44 रन की शानदार पारी खेली, जिसमें चार चौके शामिल थे। उनकी तेज बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने 12.1 ओवर में ही 3 विकेट खोकर 117 रन बना लिए और मैच आसानी से जीत लिया।

इस तरह भारत ने पहला महिला टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद टीम की सभी खिलाड़ियों को 1-1 लाख रुपए मिलने वाले हैं। जिसका ऐलान चिंटल्स ग्रुप ने किया। हालाँकि क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया (CABI) की ओर से अभी तक कोई ऐलान नहीं किया गया है।

 

गृह मंत्री अमित शाह ने दी बधाई:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दृष्टिबाधित महिला टी20 क्रिकेट विश्व कप 2025 में टीम इंडिया की “शानदार जीत” पर बधाई दी। उन्होंने एक्स पर लिखा “आज आपकी उपलब्धि पर हमारा तिरंगा और ऊँचा लहराया है। आपकी जीत देश के लिए सम्मान जीतने के आपके संकल्प और समर्पण को दर्शाती है।”

भारतीय टीम के बारे में:

भारत की 16 सदस्यीय महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम देश के नौ राज्यों; कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, दिल्ली, असम और बिहार से चुनी गई है। टीम की कई खिलाड़ी स्कूलों के शिक्षकों, विकलांग संगठनों या स्थानीय सामुदायिक शिविरों के माध्यम से इस खेल से जुड़ीं।

टीम मैनेजर शिखा शेट्टी के अनुसार, “ज़्यादातर खिलाड़ी ग्रामीण इलाकों से आती हैं। भाषा और संस्कृति की दिक्कतें थीं, परिवार और शिक्षक भी शुरुआत में इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं होते थे। ब्लाइंड क्रिकेट के नियम समझने और अपनाने में भी समय लगा। लेकिन आज यही खिलाड़ी गर्व के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए खेल रही हैं।”

 

11 नवंबर को शुरू हुआ टूर्नामेंट:

यह विश्व कप भारत और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में 11 नवंबर को शुरू हुआ। टूर्नामेंट के मैच नई दिल्ली, बेंगलुरु और कोलंबो इन तीन शहरों में खेले गए। कुल छह टीमें; भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस टी20 टूर्नामेंट में शामिल थीं। शुरुआत 11 नवंबर को दिल्ली में हुई, फिर कुछ मैच बेंगलुरु में खेले गए। इसके बाद नॉकआउट चरण के सभी मुकाबलों को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित किया गया।

 

टूर्नामेंट में रहा भारत का दबदबा:

टूर्नामेंट में भारत का दबदबा शुरुआत से ही दिखा। लीग चरण में भारतीय टीम ने श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, अमेरिका और पाकिस्तान, इन सभी टीमों को हराकर अपनी ताकत साबित की। सेमीफाइनल में भी भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट से मात दी।

यह खिताबी जीत भारतीय महिला क्रिकेट की बढ़ती सफलता में एक और चमकदार जोड़ है। खास बात यह है कि यह उपलब्धि देश में ब्लाइंड क्रिकेट के लिए भी एक बड़ा मील का पत्थर है। इस जीत ने न सिर्फ खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है, बल्कि आने वाले समय में इस खेल को और अधिक पहचान, समर्थन और विकास के नए अवसर भी मिलेंगे।

 

विश्व दृष्टिबाधित क्रिकेट परिषद (WBCC) के बारे में:

विश्व दृष्टिबाधित क्रिकेट परिषद (WBCC) दुनिया भर में होने वाले दृष्टिबाधित क्रिकेट का संचालन और प्रबंधन करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था है। इसकी स्थापना सितंबर 1996 में दिल्ली , भारत में आयोजित एक बैठक में हुई थी, जहाँ इसका उद्देश्य इस खेल को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना और इसे संगठित रूप देना था। इसके संस्थापक अध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम हैं। वर्तमान में इसका मुख्यालय लंदन में है। पुरुषों का दृष्टिबाधित क्रिकेट काफी पहले से खेला जा रहा है; 1998 में पहला 50 ओवर का विश्व कप और 2012 में पहला टी-20 विश्व कप आयोजित हुआ। लेकिन महिलाओं के लिए यह साल खास है, क्योंकि पहली बार महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट विश्व कप का आयोजन किया गया।

 

भारत में महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट:

भारत में महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट अभी भी नया है। भारतीय दृष्टिबाधित क्रिकेट संघ (CABI), जो देश में इस खेल को संचालित करता है, 2011 में बना था। महिला टीम की खोज और प्रशिक्षण की शुरुआत 2019 में की गई। इसके बाद 2023 में टीम ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला और उसी साल बर्मिंघम में हुए IBSA विश्व खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी ताकत साबित कर दी और अभी पहला महिला टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप जीत कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

 

ब्लाइंड-क्रिकेट के नियम:

ब्लाइंड क्रिकेट के नियम सामान्य क्रिकेट जैसे ही होते हैं, लेकिन खिलाड़ियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं। ये नियम WBCC द्वारा बनाए गए हैं और 25 खंडों में शामिल हैं।

 

टीम की संरचना:

  • कम से कम 4 खिलाड़ी पूरी तरह दृष्टिहीन (B1)
  • कम से कम 3 खिलाड़ी आंशिक दृष्टिबाधित (B2)
  • अधिकतम 4 खिलाड़ी आंशिक दृष्टिबाधित (B3) शामिल होते हैं।

 

उपकरणों में बदलाव:

  • गेंद सामान्य क्रिकेट गेंद से बड़ी होती है और इसमें बॉल बेयरिंग लगे होते हैं, जिससे गेंद चलने पर आवाज करती है। इससे आंशिक रूप से देखने वाले खिलाड़ी गेंद को देख पाते हैं और पूरी तरह दृष्टिहीन खिलाड़ी आवाज से दिशा समझते हैं।
  • विकेट (स्टंप) भी बड़े और चमकीले (फ्लोरोसेंट रंग) धातु के पाइप से बने होते हैं, ताकि आंशिक रूप से दृष्टिबाधित खिलाड़ी उन्हें देख सकें और पूरी तरह से दृष्टिहीन खिलाड़ी छूकर दिशा समझ सकें।

 

खेल के नियमों में संशोधन:

  • गेंदबाज़ को गेंद फेंकते समय ‘प्ले!’ बोलना जरूरी होता है, ताकि बल्लेबाज़ तैयार हो जाए।
  • पूरी तरह दृष्टिहीन बल्लेबाज़ (B1) को गेंद कम से कम दो बार पिच करनी चाहिए।
  • आंशिक रूप से दृष्टिबाधित बल्लेबाज़ (B2/B3) के लिए गेंद एक बार पिच होना जरूरी है।
  • गेंद लुढ़कती हुई नहीं फेंकी जा सकती।
  • B1 बल्लेबाज़ स्टंप आउट नहीं हो सकते।
  • B1 बल्लेबाज़ LBW आउट होने के लिए दो बार अपील पर ही आउट माने जाते हैं।
  • पूरी तरह दृष्टिहीन क्षेत्ररक्षक गेंद के उछलने पर भी कैच पकड़ सकते हैं, यह वैध माना जाता है।

 

निष्कर्ष:

कोलंबो में मिली यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि हौसले और समर्पण की एक प्रेरक मिसाल है। पहला महिला टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप जीतकर भारत ने साबित कर दिया कि दृढ़ इच्छा और मेहनत किसी भी बाधा को पीछे छोड़ सकती है। पूरे टूर्नामेंट में अजेय रहकर टीम ने देश के गौरव में नया अध्याय जोड़ा और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई।