अमेरिका में भारतीय मूल के शख्स को दो नौकरियां एक साथ करने और सरकारी फंड से 50,000 डॉलर चुराने के आरोप में किया गया गिरफ्तार, जाने क्या होती है- ‘मूनलाइटिंग’

न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के मेहुल गोस्वामी को सरकारी नौकरी के दौरान प्राइवेट नौकरी करने और इससे अतिरिक्त पैसा कमाने के आरोप में 15 साल तक की जेल हो सकती है। 15 अक्टूबर को साराटोगा काउंटी शेरिफ ऑफिस ने उन्हें सेकेंड डिग्री ग्रैंड लार्सेनी (बड़ी चोरी) के मामले में गिरफ्तार किया।

मामले का विवरण:

 

न्यूयॉर्क में 39 वर्षीय मेहुल गोस्वामी स्टेट के सरकारी IT विभाग (Office of Information Technology Services) में प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत थे। इस नौकरी से उन्होंने 2024 में लगभग 1 करोड़ 18 लाख रुपए की आय अर्जित की।

 

मार्च 2022 में, मेहुल ने न्यूयॉर्क के पास माल्टा की सेमीकंडक्टर कंपनी ग्लोबल फाउंड्रीज में भी नौकरी शुरू कर दी, जबकि वे पहले से सरकारी पद पर कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने सरकारी नौकरी में सैलरी लेने का दिखावा किया, लेकिन अपना पूरा ध्यान निजी नौकरी पर केंद्रित रखा। परिणामस्वरूप, उन्होंने अतिरिक्त 50,000 डॉलर (करीब 42 लाख रुपए) कमाए।

 

यह स्थिति उन्हें न्यूयॉर्क की कानूनी दृष्टि से गंभीर अपराध, यानी मून-लाइटिंग और सेकेंड डिग्री ग्रैंड लार्सेनी के दायरे में लाती है।

गोस्वामी पर शक और गिरफ्तारी:

2024 में एक गुमनाम ईमेल के आधार पर मेहुल गोस्वामी के खिलाफ जांच शुरू हुई। ईमेल में आरोप था कि गोस्वामी स्टेट की नौकरी के दौरान प्राइवेट कंपनी के लिए भी काम कर रहे थे।

 

मामले की जांच कर रही इंस्पेक्टर जनरल लूसी लैंग ने कहा कि:

  • पब्लिक सेक्टर कर्मचारियों पर ईमानदारी से काम करने की जिम्मेदारी होती है।
  • गोस्वामी का व्यवहार जनता के विश्वास का बड़ा उल्लंघन है।
  • सरकारी संसाधनों और टैक्सपेयर्स के पैसे का दुरुपयोग करने के लिए दूसरी फुल-टाइम नौकरी करना गंभीर अपराध है।
  • इस अपराध के तहत अधिकतम 15 साल तक की जेल हो सकती है।

 

जमानत नहीं मिलेगी:

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोस्वामी का अपराध गैर-जमानती है, अधिकारियों ने कहा कि यह मामला सहयोग से सुलझाया जाएगा और न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी,  अमेरिका में एक साथ दो नौकरियां करना, जिसे ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है, पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है।

यूएस जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 1996 से 2018 के बीच दो नौकरियां करने वालों की संख्या में करीब 10% की वृद्धि हुई। 2022 में चार मिलियन से अधिक अमेरिकी कर्मचारी दो नौकरियां कर रहे थे, जिनमें से कई दो फुल-टाइम जॉब्स संभाल रहे थे।

 

50,000 डॉलर से ज्यादा की चोरी करने का गंभीर आरोप:

अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, न्यूयॉर्क राज्य महानिरीक्षक कार्यालय और साराटोगा काउंटी शेरिफ कार्यालय ने एक संयुक्त जांच में पाया कि गोस्वामी ने दो-दो नौकरियां करके राज्य सरकार को धोखा देने और 50,000 डॉलर से ज्यादा की चोरी करने का गंभीर आरोप है।

 

मूनलाइटिंग क्या है?

मूनलाइटिंग का तात्पर्य है अपनी मुख्य नौकरी के अलावा किसी अन्य काम या प्रोजेक्ट में समय देना, जैसे फ्रीलांसिंग, ट्यूशन, कंसल्टिंग या पार्ट-टाइम जॉब, ताकि अतिरिक्त आय अर्जित की जा सके।

इस शब्द का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पहले लोग रात के समय या चांदनी में अतिरिक्त काम करते थे। आधुनिक संदर्भ में, यह अतिरिक्त कमाई, कौशल विकास या व्यक्तिगत शौक पूरा करने के लिए किया जाता है। लेकिन ध्यान रहे, कुछ मामलों में यह कानूनी या नीतिगत रूप से प्रतिबंधित भी हो सकता है, खासकर जब व्यक्ति सरकारी नौकरी में रहते हुए इसके लिए अनुमति नहीं लेता।

 

मूनलाइटिंग के कुछ मुख्य पहलू:

  • अतिरिक्त आय: ज्यादातर लोग अपनी आय बढ़ाने के लिए मूनलाइटिंग करते हैं।
  • फ्रीलांस या साइड प्रोजेक्ट: इसमें फ्रीलांसिंग, कंसल्टिंग, या किसी अलग क्षेत्र में पार्ट-टाइम काम करना शामिल हो सकता है।
  • नियोक्ता की जानकारी के बिना: कई मामलों में, कर्मचारी अपने मुख्य नियोक्ता को इस दूसरी नौकरी के बारे में नहीं बताते हैं।
  • नैतिकता और कानूनी मुद्दे: मूनलाइटिंग को लेकर अक्सर नैतिक और कानूनी सवाल खड़े होते हैं. कई कंपनियों के रोजगार अनुबंधों में एक खंड होता है जो कर्मचारियों को दूसरी नौकरी करने से रोकता है, खासकर अगर वह किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के लिए हो।
  • संघर्ष का जोखिम: मूनलाइटिंग से हितों का टकराव हो सकता है, जैसे कि कंपनी की गोपनीय जानकारी लीक होना या कर्मचारी की उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना।
  • बढ़ता चलन: विशेष रूप से वर्क फ्रॉम होम और गिग इकोनॉमी के बढ़ने के बाद से मूनलाइटिंग का चलन बढ़ा है।
  • नियोक्ताओं की प्रतिक्रिया: भारत में कई बड़ी आईटी कंपनियों ने मूनलाइटिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया है और कुछ ने तो ऐसे कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया है।

 

कंपनियां क्यों हैं मूनलाइटिंग के खिलाफ?

कंपनियां आमतौर पर मूनलाइटिंग के सख्त खिलाफ होती हैं, खासकर जब कर्मचारी फुल-टाइम एम्प्लॉई हों. कंपनियों का मानना है कि दो जगह काम करने से मुख्य नौकरी की क्वालिटी और उत्पादकता पर असर पड़ता है. इसके साथ ही सबसे बड़ा खतरा यह है कि कर्मचारी कंपनी की गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल प्रतिद्वंद्वी के लिए कर सकते हैं।

 

भारत में भी बढ़ रहा है मूनलाइटिंग का ट्रेंड:

भारत में भी ‘मूनलाइटिंग’ का चलन बढ़ रहा है, खासकर आईटी सेक्टर में. कम वेतन वृद्धि और महंगाई के कारण कई कर्मचारी अतिरिक्त आमदनी के लिए दूसरी नौकरी करने लगे हैं. हालांकि, अब कई कंपनियां कड़े नियम बना रही हैं और कर्मचारियों के पिछले रिकॉर्ड की जांच कर रही हैं ताकि ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।

 

भारत में मूनलाइटिंग के नियम:

  • भारत में कोई विशेष कानून नहीं है जो मूनलाइटिंग को पूरी तरह अवैध घोषित करता हो।
  • नियम कंपनियों और सेक्टर के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं।
  • ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां कर्मचारियों को किसी दूसरी कंपनी में काम करने या व्यवसाय करने की अनुमति नहीं देती।
  • सेंट्रल सिविल सर्विसेज कॉन्ट्रैक्ट, 1964 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के लिए मूनलाइटिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  • यदि दूसरा काम आपके मुख्य नौकरी के कर्तव्यों को प्रभावित करता है, तो इसे अनुचित और गैरकानूनी माना जाएगा।

निष्कर्ष:

मूनलाइटिंग केवल अतिरिक्त कमाई का साधन नहीं है, बल्कि यह नौकरीदाता और जनता के प्रति विश्वास का उल्लंघन भी है। सरकारी कर्मचारियों या संवेदनशील पदों पर काम करने वालों के लिए यह जोखिम भरा कदम माना जाता है, क्योंकि इससे संसाधनों का दुरुपयोग, नैतिकता का हनन और कानूनी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए मूनलाइटिंग को भरोसे और पेशेवर जिम्मेदारी के दृष्टिकोण से सावधानीपूर्वक देखा जाना चाहिए।

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