भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर: जाने कौन है- जोहरान ममदानी

अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में इतिहास रचते हुए 34 वर्षीय जोहरान ममदानी ने मेयर चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। वे न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम और पहले भारतीय-अमेरिकी मेयर बने हैं। जोहरान ममदानी को 50.4% वोट मिले, जबकि पूर्व गवर्नर और निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो 41% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वहीं, रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा 7.1% वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे।

Indian-origin Zohran Mamdani becomes New York first Muslim mayor

Image credit: The New York Times

 

इस चुनाव में 2 मिलियन (20 लाख से ज्यादा) लोगों ने मतदान किया, जो पिछले चुनाव की तुलना में लगभग दोगुना है। ममदानी को 10 लाख से अधिक वोट मिले, जो 1969 के बाद किसी भी न्यूयॉर्क मेयर उम्मीदवार को नहीं मिले थे।

 

जोहरान ममदानी ने कहा: “यह हर न्यूयॉर्कर की जीत है”

अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद न्यूयॉर्क सिटी के नए मेयर जोहरान ममदानी ने कहा कि यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर न्यूयॉर्कर की जीत है, “टैक्सी ड्राइवरों से लेकर खाने बनाने वाले कर्मचारियों तक, यह सबकी जीत है।”

ममदानी ने अपने प्रतिद्वंद्वी एंड्रयू कुओमो पर तंज कसते हुए कहा, “हमने एक राजनीतिक वंश को हरा दिया है। मैं उन्हें निजी जीवन के लिए शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन आज उनका नाम आखिरी बार ले रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा कि न्यूयॉर्क की जनता ने इस चुनाव में बदलाव के लिए जनमत दिया है। अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- “न्यूयॉर्क ने आज रात एक नए दौर की शुरुआत की है। यह ऐसी राजनीति का जनमत है जो सबको साथ लेकर चलेगी, ऐसा शहर बनाने का जनमत है जहाँ हर कोई रह सके, और ऐसी सरकार का जनमत है जो अपने वादे पूरे करे।”

 

ट्रंप बोले: रिपब्लिकन की हार इसलिए हुई क्योंकि बैलेट पर मेरा नाम नहीं था-

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को हुए चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी की हार पर प्रतिक्रिया दी। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ट्रंप ने लिखा कि रिपब्लिकन उम्मीदवार इसलिए हारे क्योंकि बैलेट पर उनका (ट्रंप का) नाम नहीं था और देश में शटडाउन लगा हुआ था।

ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में न्यू जर्सी के गवर्नर उम्मीदवार जैक सियाटरेल्ली का समर्थन किया था और न्यू जर्सी व वर्जीनिया के चुनावों से पहले कई वर्चुअल रैलियां भी की थीं। हालांकि, उन्होंने वर्जीनिया की रिपब्लिकन उम्मीदवार विंसम अर्ल-सीअर्स को खुलकर समर्थन नहीं दिया।

चुनाव से एक दिन पहले, सोमवार रात, ट्रंप ने अपने समर्थकों से अपील की थी कि वे न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार जोहरान मामदानी या रिपब्लिकन कर्टिस स्लिवा के बजाय पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्यूमो को समर्थन दें।

 

ममदानी को हराने में ट्रंप ने झोंक दी थी पूरी ताकत, फिर भी जनता ने दिया साथ:

न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद की दौड़ के अंतिम चरण में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो का खुलकर समर्थन किया। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर ट्रंप ने पोस्ट करते हुए लिखा- “चाहे आप व्यक्तिगत रूप से एंड्रयू कुओमो को पसंद करते हों या नहीं, आपके पास कोई विकल्प नहीं है। आपको उन्हें वोट देना चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि वे शानदार काम करेंगे क्योंकि ममदानी नहीं कर पाएंगे।”

 

ट्रंप की चेतावनियों के बावजूद ममदानी की ऐतिहासिक जीत:

मतदान शुरू होने से पहले ट्रंप ने मतदाताओं को चेताया था कि यदि जोहरान ममदानी जीतते हैं, तो न्यूयॉर्क एक “पूर्ण आर्थिक और सामाजिक आपदा” बन जाएगा, जिसे कोई नहीं बचा पाएगा। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि ममदानी मेयर बने, तो वे न्यूयॉर्क को संघीय फंडिंग में केवल न्यूनतम मदद ही देंगे।

ट्रंप ने कहा- “अगर वामपंथी उम्मीदवार ममदानी जीतते हैं, तो इस महान शहर की सफलता या अस्तित्व की कोई संभावना नहीं रहेगी। एक वामपंथी के सत्ता में आने से हालात और बदतर हो जाएंगे।” इतना ही नहीं, ट्रंप ने ममदानी को निर्वासित करने की धमकी भी दी थी। बावजूद इसके, जनता ने ममदानी पर भरोसा जताया और उन्हें ऐतिहासिक जीत दिलाई।

 

लिंडा सरसूर का दावा: CAIR ने जोहरान ममदानी की मुहिम को दी फंडिंग

फलस्तीनी-अमेरिकी कार्यकर्ता लिंडा सरसूर ने न्यूयॉर्क सिटी मेयर चुनाव में उम्मीदवार जोहरान ममदानी के अभियान को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR)  जिस पर इस समय हमास से कथित संबंधों के आरोपों की वजह से अमेरिकी कांग्रेस में जांच चल रही है, ने ममदानी की चुनावी मुहिम के लिए 1,20,000 डॉलर (लगभग ₹1 करोड़) की फंडिंग दी।

सरसूर, जिन्हें ममदानी की राजनीतिक मेंटर माना जाता है, का कहना है कि यह राशि CAIR को ममदानी की मुहिम का सबसे बड़ा दाता बनाती है।

हालांकि, अब तक न तो CAIR और न ही ममदानी की चुनावी टीम ने इस फंडिंग दावे की पुष्टि या खंडन किया है। इस दावे ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि आलोचकों का कहना है कि ममदानी की चुनावी फंडिंग को लेकर पारदर्शिता और राजनीतिक प्रभाव पर अब सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब, जब CAIR पर कांग्रेस में जांच चल रही है।

 

कौन हैं जोहरान ममदानी?

34 वर्षीय जोहरान ममदानी का जन्म युगांडा में हुआ और वे न्यूयॉर्क सिटी में पले-बढ़े हैं। वे न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के सदस्य हैं और खुद को डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट के रूप में पहचानते हैं।

जोहरान मशहूर भारतीय फिल्ममेकर मीरा नायर और युगांडा के भारतीय मूल के लेखक महमूद ममदानी के बेटे हैं। मीरा नायर ने “मानसून वेडिंग”, “द नेमसेक” और “मिसिसिपी मसाला” जैसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों का निर्देशन किया है, जबकि उनके पिता महमूद ममदानी कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान के प्रोफेसर हैं।

सात वर्ष की उम्र में जोहरान अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क आ गए थे। उन्होंने 2014 में बोउडिन कॉलेज, मेन से अफ्रीकाना स्टडीज में डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने क्वींस में रहकर स्थानीय लोगों के लिए सामाजिक कार्य किए और यहीं से राजनीति में आने का निर्णय लिया।

दिलचस्प बात यह है कि राजनीति में आने से पहले जोहरान एक हिप-हॉप सिंगर भी रहे हैं। वे “यंग कार्डेमम” और बाद में “मिस्टर कार्डेमम” के नाम से रैप किया करते थे। उनका एक गाना नानी’, जो उन्होंने अपनी दादी के सम्मान में बनाया था, हाल ही में फिर से वायरल हुआ है।

 

2020 में शुरू हुआ जोहरान ममदानी का राजनीतिक सफर:

राजनीति में कदम रखने से पहले जोहरान ममदानी एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे। उन्होंने न्यूयॉर्क में फॉरक्लोज़र काउंसलर के रूप में सेवा दी, जहाँ वे कम आय वाले परिवारों की आर्थिक और कानूनी मदद करते थे। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि समस्याएँ सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि नीतिगत खामियों के कारण भी हैं।

इसी अनुभव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। साल 2020 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और न्यूयॉर्क असेंबली के 36वें डिस्ट्रिक्ट से डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। अब 2025 में, न्यूयॉर्क मेयर प्राइमरी चुनाव में उन्होंने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को मात देकर इतिहास रच दिया, और यह जीत उनके राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा मुकाम साबित हुई।

 

फलस्तीन मुद्दे पर जोहरान ममदानी का रुख और उससे जुड़ा विवाद:

जोहरान ममदानी फलस्तीन के अधिकारों के प्रबल समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने खुले तौर पर इस्राइल की गाजा में की गई सैन्य कार्रवाई को “नरसंहार” बताया और वहां समान अधिकारों वाले एक संयुक्त राष्ट्र की वकालत की है।

उनके इस बयान को लेकर काफी विवाद भी हुआ। विरोधियों ने उन्हें एंटी-सेमिटिक कहा, यानी यहूदी-विरोधी भावना रखने वाला व्यक्ति बताया। हालांकि, न्यूयॉर्क के लगभग 8 लाख मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनका यह रुख काफी लोकप्रिय रहा।

जोहरान खुद मानते हैं कि उनके पास पारंपरिक प्रशासनिक अनुभव नहीं है, लेकिन वे इसे अपनी ताकत मानते हैं। उनका कहना है कि वे पुरानी भ्रष्ट और विवादित राजनीति से अलग एक ईमानदार और पारदर्शी प्रशासन देना चाहते हैं।

 

भारत और अन्य देशों की दक्षिणपंथी राजनीति के मुखर आलोचक हैं ममदानी

जोहरान ममदानी विदेशों में दक्षिणपंथी राजनीति के खुलकर आलोचक रहे हैं, खासकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी राजनीति के। उन्होंने मोदी को “युद्ध अपराधी” कहा है, 2002 के गुजरात दंगों में मुसलमानों की मौत के लिए उनकी कथित भूमिका का हवाला देते हुए। ममदानी का कहना है कि मोदी ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जो कुछ समुदायों को बाहर रखता है, जबकि वे ऐसे बहुलतावादी भारत के पक्षधर हैं जहाँ सभी धर्मों और समुदायों का समान स्थान हो।

हिंदू राष्ट्रवाद पर उनकी कड़ी आलोचना ने मोदी समर्थकों को नाराज़ किया है, लेकिन साथ ही मोदी और नेतन्याहू जैसे नेताओं के विरोध ने उन्हें एक मजबूत प्रगतिशील आवाज़ के रूप में उभारा है।

 

जोहरान ममदानी के सामने नई जिम्मेदारियां और बड़ी चुनौतियां:

  1. जनता से किए वादों को निभाना सबसे कठिन काम: नए मेयर ममदानी ने न्यूयॉर्क में कई जनकल्याणकारी वादे किए हैं- जैसे हर बच्चे के लिएफ्री केयर, पब्लिक बसों में मुफ्त यात्रा, सस्ती हाउसिंग का किराया फ्रीज, और नगर निगम द्वारा संचालित किराने की दुकानें खोलना।
    उन्होंने दावा किया है कि इन योजनाओं के लिए वे अमीरों और बड़ी कंपनियों पर टैक्स बढ़ाकर करीब 9 अरब डॉलर जुटाएंगे। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े वादों को आर्थिक रूप से लागू करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा और शहर के बजट पर दबाव बढ़ सकता है।
  2. ट्रम्प सरकार से संभावित टकराव: अमेरिकी राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रम्प पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर ममदानी अपने वामपंथी एजेंडे पर आगे बढ़े, तो न्यूयॉर्क की फेडरल फंडिंग सीमित की जा सकती है। ऐसे में ममदानी को अपने फैसलों में संतुलन और कूटनीतिक समझदारी दिखानी होगी ताकि शहर की योजनाएं प्रभावित न हों।
  3. अपनी ही पार्टी में एकता बनाए रखना: ममदानीडेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी गुट से आते हैं, जबकि पार्टी के भीतर एक बड़ा हिस्सा मध्यमार्गी नेताओं का है। उनके लिए पार्टी में आंतरिक तालमेल बनाना और सभी धड़ों का भरोसा जीतना एक बड़ी चुनौती होगी।
    अगर वे इसमें असफल रहे, तो उनके नीतिगत फैसले पार्टी राजनीति में फंस सकते हैं।