अफ्रीका में भारत की पहली विदेशी रक्षा फैक्ट्री: टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने मोरक्को में शुरू की इकाई, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया उद्घाटन..

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने मोरक्को के बेरेचिड में अपनी पहली विदेशी रक्षा निर्माण इकाई की शुरुआत की है। यह भारत की रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में पहली ओवरसीज फैक्ट्री है, जो वैश्विक स्तर पर भारतीय तकनीक और क्षमताओं का प्रतीक बन रही है। इसे भारत द्वारा रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

इसका उद्घाटन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मोरक्को के राष्ट्रीय रक्षा प्रशासन के प्रभारी अब्देलतीफ लौदी की उपस्थिति में की गई। इस फैक्ट्री में भारत में विकसित आधुनिक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (WhAP 8×8) का निर्माण होगा।

India's first overseas defence factory in Africa

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड का बयान,

 

यह उपलब्धि किसी निजी भारतीय कंपनी द्वारा स्थापित पहली विदेशी रक्षा विनिर्माण सुविधा है, जो DRDO के साथ साझेदारी में उन्नत लड़ाकू वाहन प्लेटफार्मों को डिजाइन करने और वितरित करने की भारत की क्षमता को रेखांकित करती है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को आगे बढाती है।

 

राजनाथ सिंह ने उद्घाटन समारोह में क्या कहा?

भारत अब सिर्फ मेक इन इंडिया तक सीमित नहीं है। अब हमारा लक्ष्य मेक विद फ्रेंड्स और मेक फॉर द वर्ल्ड है। इसका मतलब है कि हम विश्वसनीय साझेदारों के साथ मिलकर आधुनिक तकनीक विकसित करेंगे और दुनिया में शांति और क्षमता निर्माण में योगदान देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों की संप्रभुता का सम्मान करती है और स्थानीय कौशल व क्षमता को मजबूत करती है।

 

WhAP 8×8: भारत का उन्नत लड़ाकू वाहन:

DRDO के सहयोग से टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा डिज़ाइन किया गया WhAP 8×8 कई उन्नत तकनीकों से लैस है, जैसे स्वचालित ट्रांसमिशन, फ्लोटेशन और प्रोपल्शन, और एकीकृत पावर पैक। यह भारत का पहला उभयचर पहिएदार पैदल सेना लड़ाकू वाहन है, जिसे विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन और अधिक मारक क्षमता के लिए बनाया गया है। इस फैक्ट्री में सालाना 100 लड़ाकू वाहनों का उत्पादन संभव होगा, और पहला वाहन लगभग 18 महीनों में तैयार होने की उम्मीद है।

 

WhAP 8×8: मुख्य विशेषताएँ:

  • DRDO और टाटा ने मिलकर विकसित किया है।
  • मजबूत मोनोकोक हुल (Monocoque Hull): गोलियों और भाटा/माइन के प्रभाव से सुरक्षा देता है।
  • हाई‑पावर इंजन, स्वतंत्र सस्पेंशन और सेंट्रल टायर इन्फ्लेशन सिस्टम: कठिन रास्तों और ऑफ‑रोड पर बेहतर प्रदर्शन।
  • कई भूमिकाओं के लिए उपयुक्त: इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल, आर्मर्ड पर्सनल कैरियर, रिकॉनिसेंस, कमांड व्हीकल, मोर्टार कैरियर, और एंबुलेंस।
  • उन्नत हथियार और क्षमताएँ: रिमोट वेपन स्टेशन, एंटी‑टैंक गाइडेड मिसाइल और पानी में चलने (अभ्र्यचर) क्षमता।

 

परियोजना का आर्थिक प्रभाव:

इस परियोजना से अहम आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है। इससे लगभग 90 सीधे रोजगार और 250 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। इसके साथ ही स्थानीय सोर्सिंग बढ़ेगी और मोरक्को के औद्योगिक इकोसिस्टम में बेहतर एकीकरण होगा। शुरुआत में स्थानीय हिस्सेदारी 35% होगी, जो परियोजना के पूरी तरह विकसित होने पर 50% तक बढ़ जाएगी। 20,000 वर्ग मीटर में बनी यह मोरक्को की सबसे बड़ी रक्षा उत्पादन इकाई है।

 

रक्षा निर्यात में भारत के मजबूत होते कदम:

भारत लंबे समय से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की यह नई फैक्ट्री इसी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह केंद्र स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उन्नत प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा।

 

वैश्विक रणनीति का अहम् हिस्सा:

विश्लेषकों के अनुसार, भारत का यह कदम सिर्फ उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है। क्योंकि भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और साथ ही सैन्य प्लेटफार्मों व उपकरणों का बड़ा निर्यातक बनने का लक्ष्य भी रखता है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स का विदेशी बाजार में प्रवेश भारत की दोहरी रणनीति को दिखाता है.

 

भविष्य की योजनाएं क्या है ?

शुरुआत में यह फैक्ट्री रॉयल मोरक्कन आर्मी की जरूरतें पूरी करेगी. बाद में यह अफ्रीका के दोस्त देशों को निर्यात करेगी. इससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता बढ़ेगी. मोरक्को में स्थानीय उद्योग को मजबूती मिलेगी. टाटा जैसी कंपनियां अब न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर में रक्षा तकनीक साझा कर रही हैं. 

 

भारत-मोरक्को संबंध:

भारत और मोरक्को के रिश्ते बहुत पुराने हैं। 14वीं सदी में टांगीयर के मशहूर यात्री और लेखक इब्न बतूता भारत आए थे, जिससे दोनों देशों के बीच शुरुआती जुड़ाव हुआ। आधुनिक इतिहास में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मोरक्को की आजादी की लड़ाई का समर्थन किया और 20 जून 1956 को उसकी आजादी के तुरंत बाद उसे मान्यता दी। 1957 में दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए। तब से अब तक भारत और मोरक्को के बीच मित्रतापूर्ण और घनिष्ठ संबंध बने हुए हैं।

 

भारत-मोरक्को व्यापारीक संबंध(जुलाई 2025 का आँकड़ा):

  • कुल व्यापार: भारत ने मोरक्को को $76.9 मिलियन का निर्यात किया और मोरक्को से $472 मिलियन का आयात किया। इस तरह भारत का व्यापार घाटा $395 मिलियन रहा।
  • पिछले साल की तुलना: जुलाई 2024 की तुलना में, भारत का मोरक्को को निर्यात $10.9 मिलियन (16.6%) बढ़ा, जबकि आयात में जबरदस्त बढ़त हुई — $409 मिलियन (651%)।

 

  • भारत से मोरक्को को प्रमुख निर्यात:
  • मोटर गाड़ियाँ/कारें: $10.7 मिलियन
  • दवाएँ व बायोलॉजिकल उत्पाद: $6.44 मिलियन
  • मैनमेड यार्न, फैब्रिक और रेडीमेड सामान: $6.06 मिलियन

 

  • मोरक्को से भारत को प्रमुख आयात:
  • उर्वरक (निर्मित): $406 मिलियन
  • अकार्बनिक रसायन: $36.9 मिलियन
  • कच्चे उर्वरक: $23 मिलियन

 

निष्कर्ष:

मोरक्को में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की पहली विदेशी रक्षा इकाई भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक भूमिका का प्रतीक है। WhAP 8×8 के निर्माण से भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा निर्यात दोनों को नई मजबूती मिलेगी।

latest posts