भारत में इनफर्टिलिटी: एक गंभीर समस्या और हमारे भविष्य पर इसका प्रभाव

infirtility by ankit avasthi sir

नमस्कार साथियों! स्वागत है आपका “Ankit Inspires India” पर। आज का विषय एक गंभीर समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए है – इनफर्टिलिटी (बांझपन)। यह मुद्दा जितना संवेदनशील है, उतना ही महत्वपूर्ण भी है क्योंकि यह हमारे समाज और देश के भविष्य से सीधा जुड़ा हुआ है।

इनफर्टिलिटी क्यों बढ़ रही है?

कुछ समय पहले मैंने एक सेशन किया था जिसमें बताया था कि हमारे देश में वाई क्रोमोसोम लगातार घट रहा है। यह क्रोमोसोम पुरुषों के लिंग निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है। इसी के साथ, आज के दौर में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना कठिन होता जा रहा है।

फिल्में जैसे विकी डोनर, शुभ मंगल सावधान, और गुड न्यूज इस मुद्दे को हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इनफर्टिलिटी एक बढ़ती हुई समस्या है। यदि यह कोई गंभीर समस्या नहीं होती, तो हर जगह दीवारों पर इनफर्टिलिटी के इलाज के विज्ञापन क्यों लगे होते?

इनफर्टिलिटी और बढ़ते आईवीएफ क्लीनिक

आज कई शहरों में 500 मीटर की दूरी पर एक आईवीएफ क्लीनिक खुल गया है। यह दिखाता है कि अब बच्चे पैदा करने के लिए सहायक प्रजनन तकनीकों (ART) की जरूरत पड़ रही है। यदि नेचुरल तरीके से संतान उत्पत्ति संभव होती, तो इतनी बड़ी संख्या में ये क्लीनिक क्यों खुल रहे होते?

इनफर्टिलिटी के पीछे के मुख्य कारण:

    1. पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट
    2. महिलाओं में अंडाणु निर्माण की कमी
    3. गलत खान-पान और जीवनशैली
    4. मानसिक तनाव और बढ़ता प्रदूषण
    5. शादी और बच्चे पैदा करने की बढ़ती उम्र

चौंकाने वाले आंकड़े

  1. विश्व स्तर पर 15% जोड़े इनफर्टिलिटी का शिकार हैं।

  2. 60-80 मिलियन (6-8 करोड़) कपल्स दुनिया में इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं।

  3. भारत में 2 करोड़ से अधिक जोड़े इनफर्टिलिटी से प्रभावित हैं।

  4. शहरों में हर छठा जोड़ा इनफर्टिलिटी का शिकार है।

  5. सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (पहला बच्चा आसानी से होना, लेकिन दूसरा बच्चा न होना) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

भारत की घटती फर्टिलिटी रेट

भारत में टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.1 से घटकर 1.9 हो गई है, जो एक चिंता का विषय है। दक्षिण भारत के कई विकसित राज्यों में यह 1.6 के आसपास पहुंच चुकी है, और 2050 तक इसके 1.29 तक गिरने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ, तो हमारी आबादी कम होने लगेगी और आने वाले समय में बुजुर्गों की देखभाल के लिए युवा आबादी की कमी हो जाएगी।

भविष्य में क्या होगा?

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में भारत को एशिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली देश बताया गया, लेकिन जापान और रूस जैसे देशों को पीछे छोड़ने का मुख्य कारण था – भारत की युवा जनसंख्या। यदि हमारी युवा आबादी तेजी से घटने लगी, तो हम भी जापान जैसी समस्या का सामना कर सकते हैं, जहां बुजुर्गों को संभालने के लिए लोग ही नहीं हैं।

इनफर्टिलिटी से बचाव और समाधान:

  1. स्वस्थ खान-पान और नियमित व्यायाम

  2. तनाव कम करने के उपाय अपनाना

  3. नशे से दूरी बनाए रखना

  4. जल्दी शादी और बच्चे की प्लानिंग पर ध्यान देना

  5. मेडिकल हेल्प लेने में संकोच न करें

निष्कर्ष

इनफर्टिलिटी सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज, अर्थव्यवस्था और देश के भविष्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है। यदि हमने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले वर्षों में हमें जनसंख्या की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। समय रहते इस पर चर्चा और समाधान ढूंढना बेहद जरूरी है।

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