पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 11 नवम्बर 2025 दोपहर हुए आत्मघाती बम धमाके के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयानों ने देश की सियासत में नई बहस छेड़ दी है। दोनों नेताओं ने इस हमले के पीछे अलग-अलग देशों को जिम्मेदार ठहराया है।
शहबाज शरीफ बोले – हमला भारत की साजिश
हमले के बाद एक बयान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा –
“ये हमले भारत के समर्थन से होने वाले आतंकवाद का हिस्सा हैं, जिनका मकसद पाकिस्तान को अस्थिर करना है। अफगान जमीन से भारत की सरपरस्ती में किए जा रहे इन हमलों की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है।”
रक्षा मंत्री का दावा – अफगानिस्तान से आया खतरा
वहीं, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एकदम विपरीत बयान देते हुए कहा कि यह हमला अफगानिस्तान से आया है।
“हम जंग की हालत में हैं। अब धमाके सीमा या बलूचिस्तान में नहीं बल्कि राजधानी में हो रहे हैं। तालिबानी शासक पाकिस्तान में आतंकवाद को रोक सकते हैं, लेकिन इस्लामाबाद तक यह जंग लाना काबुल की तरफ से एक संदेश है।”
शरीफ ने बिना सबूत लगाए भारत पर आरोप
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बिना कोई ठोस सबूत पेश किए भारत पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अफगानिस्तान की जमीन से संचालित नेटवर्क ने हाल ही में वाना (खैबर पख्तूनख्वा) में बच्चों पर हुए हमले की भी साजिश रची थी।
शरीफ सोमवार (10 नवंबर 2025) को अफगान सीमा से लगे वाना इलाके में कैडेट कॉलेज के बाहर हुए धमाके का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने इस हमले के साथ-साथ उसी दिन अफगान सीमा के पास हुए दूसरे आतंकी हमले के लिए भी भारत को जिम्मेदार बताया।
हालांकि, अब तक पाकिस्तान सरकार ने इन दावों के समर्थन में कोई सबूत या खुफिया जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
भारत ने कहा – पाकिस्तान अपनी नाकामियां छिपा रहा
भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा –
“यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति है। वह झूठे नैरेटिव बनाकर अपने नागरिकों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाता है। पाकिस्तानी नेता अपने देश की राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष से ध्यान हटाने के लिए भारत पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।”
हमले में 12 की मौत, 36 घायल
पुलिस के अनुसार, यह आत्मघाती विस्फोट इस्लामाबाद के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट परिसर के पास हुआ। धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 36 घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि हमलावर का सिर घटनास्थल पर मिला, जिससे आत्मघाती हमले की पुष्टि हुई। धमाके के वक्त इलाके में भारी ट्रैफिक था, जिससे कई राहगीर भी इसकी चपेट में आ गए।
इलाके को सील किया गया, अदालत खाली कराई गई
धमाके के तुरंत बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी और अदालत परिसर को खाली कराया। वकीलों, न्यायाधीशों और नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए और धमाके की प्रकृति की जांच शुरू की।
एक दिन पहले सेना ने नाकाम की थी बड़ी आतंकी साजिश
धमाके से एक दिन पहले पाकिस्तानी सेना ने खैबर पख्तूनख्वा के वाना शहर में एक आर्मी कॉलेज पर आतंकी हमले की साजिश को नाकाम किया था। सेना की कार्रवाई में दो आतंकवादी मारे गए और तीन को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, इसमें 16 नागरिकों और कुछ सैनिकों के घायल होने की खबर है।
7 दिन पहले कोर्ट में हुआ था गैस सिलेंडर विस्फोट
सिर्फ सात दिन पहले, 4 नवंबर को इस्लामाबाद सुप्रीम कोर्ट की कैंटीन में गैस सिलेंडर फटने से 12 लोग घायल हुए थे। पुलिस ने पुष्टि की थी कि उस घटना में कोई विस्फोटक सामग्री नहीं थी, केवल गैस लीक के कारण धमाका हुआ था।
आतंकवादी समूह का बयान
हालिया घटनाक्रम में पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) जैसे उग्रवादी स्वरूपों का बयान भी सामने आया। समाचार एजेंसी AFP के हवाले से जारी उस बयान में समूह ने कहा कि उनके लड़ाकों ने “यहाँ के न्यायिक आयोग” पर हमला किया और उन्होंने जजों, वकीलों और अधिकारियों को निशाना बनाने की बात कही। बयान में धमकी दी गई कि “इस्लामी शरिया लागू होने तक ऐसे हमले किए जाएंगे।” (नोट: यह बयान समूह के तर्क का पुनर्प्रकाशन है; सरकार/पुलिस द्वारा इसकी स्वतंत्र पुष्टि पर अभी रिपोर्ट नहीं है।)
पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर पुराना आरोप
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद के गढ़ के रूप में आलोचना झेलता रहा है। कई देशों और सुरक्षा एजेंसियों ने उसे आतंकी संगठनों के पनाहगाह के रूप में चिन्हित किया है। विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसी (ISI) ने अतीत में आतंकवादी गुटों का उपयोग अपने रणनीतिक और राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए किया।
अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर, और तालिबान व टीटीपी जैसे संगठनों के कई कुख्यात आतंकियों के भी पाकिस्तान से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध रहे हैं।
निष्कर्ष:
इस्लामाबाद में हाल के लगातार धमाकों ने राजधानी की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सरकार के शीर्ष नेताओं के विरोधाभासी बयानों से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान के भीतर इस हमले की जिम्मेदारी को लेकर नीतिगत भ्रम और राजनीतिक तनाव गहराता जा रहा है।
