दिल्ली में दो सप्ताह पहले हुए घातक आतंकी हमले के बाद सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा एक बार फिर टाल दी है। इस हमले में कम से कम 15 लोगों की मौत और कई घायल हुए थे। हालांकि घटना के बाद नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता के प्रति एकजुटता जताते हुए कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ इज़राइल हमेशा भारत के साथ खड़ा है।
लेकिन नेतन्याहू की भारत यात्रा का रद्द होना अब एक बड़ी खबर के तौर पर देखा जा रहा है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के संबंध मजबूत हो रहे थे और यात्रा से महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद की जा रही थी।
क्या है दिल्ली विस्फोट की घटना ?
10 नवंबर 2025 की शाम करीब 6:52 बजे दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी एक सफ़ेद हुंडई i20 कार में जोरदार विस्फोट हुआ। पुलिस का मानना है कि यह एक आत्मघाती बम धमाका हो सकता है। इस धमाके में छह कारें, दो ई-रिक्शा और एक ऑटो-रिक्शा पूरी तरह जल गए। कई लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए।
जाँच में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर शक जताया गया है। एनआईए इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले डॉ. उमर उन्न नबी को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है। इसके अलावा एक महिला समेत कई अन्य संदिग्धों की भी गिरफ्तारी हुई है।
नेतन्याहू की इस यात्रा के क्या थे मायने ?
नेतन्याहू की प्रस्तावित भारत यात्रा को इज़राइल में उनकी वैश्विक छवि मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा था। जुलाई में उनकी पार्टी ने मोदी, ट्रंप और पुतिन जैसे विश्व नेताओं के साथ नेतन्याहू की तस्वीरों वाले बड़े पोस्टर लगाए थे, ताकि उन्हें एक “अलग लीग” के मजबूत अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप में दिखाया जा सके।
उनका चुनाव अभियान भी इसी पर केंद्रित रहा है यानी यह दिखाने पर कि उनके दुनिया भर के नेताओं से गहरे रिश्ते हैं और वे इज़राइल की सुरक्षा के लिए बेहद अहम माने जाते हैं। वैश्विक स्तर पर उनकी पहुँच और बड़ी शक्तियों के नेताओं के साथ उनकी नज़दीकी को इज़रायल की राजनीति में अक्सर उनकी मुख्य ताकत बताया जाता है।
पहले भी रद्द हो चुकी हैं नेतन्याहू की यात्राएँ:
नेतन्याहू पहले भी कई बार अपनी भारत यात्रा टाल चुके हैं। पहले खबर थी कि वे साल के अंत से पहले भारत आने वाले हैं, लेकिन 2025 में यह तीसरी बार है जब उन्होंने अपनी तय यात्रा स्थगित की है। सितंबर में भी नेतन्याहू ने 9 सितंबर की एक दिन की प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी थी, क्योंकि उसी महीने 17 सितंबर को इज़राइल में होने वाले अभूतपूर्व चुनावों की तैयारी चल रही थी। इससे पहले, इसी साल अप्रैल में होने वाले चुनावों से पहले भी उनकी यात्रा रद्द की गई थी।
नेतन्याहू आखिरी बार 2018 में भारत आए थे और पीएम मोदी से मुलाक़ात के लिए फिर आने वाले थे, लेकिन अब माना जा रहा है कि सुरक्षा आकलन के बाद वे अगले साल नई तारीख तय कर सकते हैं।
मोदी–नेतन्याहू की पिछली द्विपक्षीय यात्रा:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में इज़रायल का दौरा किया था। वे इस यहूदी राष्ट्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। तब से दोनों नेताओं के घनिष्ठ संबंधों की चर्चा भारतीय और इज़रायली मीडिया में लगातार होती रही है।
इज़रायल के प्रधानमंत्री की भारत की आखिरी आधिकारिक यात्रा जनवरी 2018 में हुई थी, जब नेतन्याहू 14 से 19 जनवरी तक छह दिनों के लिए भारत आए थे। यह किसी इज़रायली प्रधानमंत्री की भारत की दूसरी यात्रा थी और मोदी की ऐतिहासिक इज़रायल यात्रा के लगभग छह महीने बाद हुई थी। नेतन्याहू की 2018 की यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव मानी गई।
कुछ दिन पहले हुई थी पीयूष गोयल की इजराइल यात्रा:
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने तीन दिवसीय इज़राइल दौरा किया, जहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने नेतन्याहू को प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाएँ दीं और बिज़नेस फ़ोरम व CEO फ़ोरम की चर्चाओं के नतीजों से अवगत कराया।
आगे गोयल ने बताया कि भारत और इज़राइल ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू करने के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे व्यापार और तकनीकी सहयोग बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने इज़राइल की हाई-टेक क्षमताओं को भारत की प्रतिभा के साथ जोड़कर नवाचार को मजबूत करने पर भी चर्चा की। यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भारत–इज़राइल द्विपक्षीय संबंधों की अहमियत:
- राजनीतिक सहयोग: भारत और इज़राइल कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। भारत इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को मानता है, जबकि इज़राइल सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन करता है।
- रक्षा और सुरक्षा: इज़राइल भारत के बड़े रक्षा साझेदारों में से है। वह ड्रोन, मिसाइल, वायु रक्षा और खुफिया तकनीक जैसे आधुनिक हथियार देता है। दोनों देश कई रक्षा परियोजनाओं पर संयुक्त रूप से काम भी करते हैं, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
- खुफिया और आतंकवाद-रोधी सहयोग: दोनों देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने और सुरक्षा सहयोग से भारत को आतंकवाद से लड़ने में बड़ी मदद मिलती है।
- व्यापार और निवेश: भारत–इज़राइल का व्यापार 7-8 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है। कृषि, हाई-टेक, फार्मा और रक्षा क्षेत्रों में निवेश बढ़ रहा है, और भविष्य में FTA से यह साझेदारी और मजबूत हो सकती है।
- कृषि और जल प्रबंधन: ड्रिप सिंचाई, जल संरक्षण और आधुनिक खेती में इज़राइल की तकनीक से भारत के किसानों को सीधा फायदा मिला है और पानी की बचत भी हुई है।
- नवाचार और तकनीक: स्टार्ट-अप, साइबर सुरक्षा, AI और स्मार्ट सिटी तकनीक में इज़राइल की विशेषज्ञता भारत के नवाचार क्षेत्र को मजबूत करती है। I4F फंड से दोनों देश मिलकर नई तकनीकों पर शोध और विकास करते हैं।
निष्कर्ष:
दिल्ली धमाके के बाद सुरक्षा चिंताओं के कारण नेतन्याहू की भारत यात्रा का स्थगित होना दोनों देशों के बढ़ते सहयोग के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है। हालांकि, भारत और इज़राइल के मजबूत संबंधों को देखते हुए यह साफ है कि यात्रा केवल टली है, खत्म नहीं हुई। हालात सुधरते ही दोनों देश नई तारीख तय कर साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
