इजराइल की महिला ने पार्टनर की मौत के डेढ़ साल बाद दिया बच्चे को जन्म

इजराइल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल साइंस, कानून और समाज-तीनों को नई बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है। यहां एक महिला ने अपने पार्टनर की मौत के 1.5 साल बाद उसके बच्चे को जन्म दिया है। यह संभव हुआ पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल (PSR) तकनीक की मदद से।

Israeli woman gives birth to a child a year and a half after her partner death

मौत के बाद मां बनीं डॉ. हदास लेवी

35 वर्षीय डॉ. हदास लेवी ने 11 जून 2025 को एक बेटे को जन्म दिया।
उनके पार्टनर और बच्चे के पिता कैप्टन नेतनेल सिल्बर्ग की 18 दिसंबर 2023 को गाजा में मौत हो गई थी।

 

लेवी ने बताया- जब मुझे उनके निधन की खबर मिली, पहला ख्याल था कि यह सच नहीं हो सकता। दूसरा-मैं उनका बच्चा चाहती हूं।”

 

बच्चे के जन्म के बाद उन्होंने कहा- अब मैं सुबह उठकर खुशी महसूस करती हूं। यह बच्चा दुश्मन को जवाब है… मैंने अपने परिवार की शाखा टूटने नहीं दी।”

 

क्या है PSR तकनीक?

PSR यानी पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल में मौत के बाद पुरुष के शरीर से स्पर्म निकाला जाता है। यह तकनीक तब उपयोग होती है जब-

  • मृतक ने जीवनकाल में स्पर्म बैंक में स्पर्म फ्रीज नहीं कराया हो
  • पत्नी या पार्टनर भविष्य में बच्चा चाहती हों

 

यह ART (आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी) का हिस्सा है और IVF के साथ मिलकर काम करती है।

 

लेवी को कोर्ट से लड़कर मिली अनुमति

लेवी और सिल्बर्ग शादीशुदा नहीं थे। इसलिए 2024 में लेवी ने येरुशलम फैमिली कोर्ट में दो मांगें रखीं-

  1. उन्हें सिल्बर्ग की कॉमन-लॉ पार्टनर माना जाए
  2. उनके स्पर्म को उपयोग करने की अनुमति दी जाए

 

कोर्ट ने दोनों अनुरोध स्वीकार किए। इसके बाद IVF प्रक्रिया शुरू की गई।

 

PSR कैसे किया जाता है?

  • डॉक्टर टेस्टिकल्स से सुई के जरिए लिक्विड निकालते हैं, जिसमें स्पर्म मौजूद हो सकते हैं
  • यदि स्पर्म जीवित मिले, तो उन्हें फ्रीज किया जाता है
  • फ्रीज-थॉ प्रक्रिया के बाद स्पर्म की क्षमता लगभग 39% कम हो जाती है
  • फ्रीज स्पर्म सालों तक सुरक्षित रह सकता है

 

इजराइल में क्यों बढ़ी PSR की मांग?

हमास हमलों के बाद PSR की मांग अचानक बढ़ गई।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े-

  • 250 सैनिकों से मौत के बाद स्पर्म कलेक्ट किया गया
  • 193 मामलों में अनुरोध माता-पिता ने किया
  • 21 नागरिकों के सैंपल भी लिए गए

 

क्योंकि-
मौत के बाद स्पर्म 24–36 घंटे तक ही जीवित रह सकता है। हर घंटे इसकी क्षमता करीब 2% घटती है। इसलिए प्रक्रिया तुरंत करनी पड़ती है। पहले यह अनुमति अदालत से ही मिलती थी, लेकिन युद्ध के बाद सरकार ने नियम अस्थायी रूप से आसान कर दिए ताकि कीमती समय बच सके।

70 घंटे की देर और असफल PSR

एपिडेमियोलॉजिस्ट प्रो. बेला सावित्स्की ने 600 पुरुषों से इस विषय पर शोध किया। उन्होंने बताया कि-

  • 70% इजराइली पुरुष चाहते हैं कि सेना में भर्ती होते समय उनसे पूछा जाए कि क्या वे PSR की अनुमति देना चाहते हैं

 

सावित्स्की खुद भी इस दर्द से गुजरी हैं। उनका बेटा जोनाथन, 7 अक्टूबर हमलों में मारा गया था।

  • शरीर मिलने में देरी
  • पहचान और प्रक्रियाओं में और समय

जब तक PSR हुआ-70 घंटे बीत चुके थे और स्पर्म जीवित नहीं बचे।

 

सरोगेसी की अनुमति का भी मामला

जुलाई 2024 में एक ऐतिहासिक फैसला आया- एक मां को अपने मारे गए बेटे के स्पर्म से सरोगेसी के जरिए पोता/पोती पाने की मंजूरी दी गई। स्वास्थ्य

मंत्रालय ने माना कि यह मुद्दा- कानून, चिकित्सा, धर्म, दर्शन और नैतिकता से जुड़े कई जटिल प्रश्न उठाता है।

 

निष्कर्ष:

हदास लेवी का मामला सिर्फ एक भावनात्मक कहानी नहीं है, बल्कि यह आधुनिक विज्ञान की संभावनाओं, युद्धकाल की सामाजिक चुनौतियों और परिवार के अधिकारों को लेकर खुली बहस का प्रतीक है। एक तरफ यह विज्ञान की जीत है- दूसरी तरफ यह सवाल भी उठाता है कि मृत व्यक्ति की इच्छाओं और परिवार के अधिकारों के बीच सही संतुलन क्या है?