इजराइल ने यमन की राजधानी सना में एयरस्ट्राइक कर हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी और कई वरिष्ठ नेताओं को मार गिराया। यह कार्रवाई गाजा युद्ध के दौरान इजराइल पर हूती लड़ाकों द्वारा किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में की गई।
28 अगस्त को हुई इस कार्रवाई में इजराइली आर्मी (IDF) ने हूती मिलिट्री ठिकानों और राष्ट्रपति भवन को निशाना बनाया। इससे पहले भी इजराइल ने हूती रक्षा मंत्री समेत 10 मंत्रियों की बैठक पर हमला किया था।
हूथी हमलों के जवाब में इजराइल का सना पर एयरस्ट्राइक
हूथी विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले के तुरंत बाद इजरायली सेना (IDF) ने यमन की राजधानी सना पर जवाबी बमबारी की। IDF ने बयान में कहा कि इस ऑपरेशन में हूथी लड़ाकों के सैन्य ठिकानों और राष्ट्रपति भवन को निशाना बनाया गया। यह कार्रवाई हूथी हमलों के जवाब में की गई, ताकि विद्रोहियों की सैन्य क्षमता को कमजोर किया जा सके।
यमन में भारी तबाही:
यमन के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इन हमलों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 90 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। घायलों में कई की हालत नाजुक है। राजधानी सना में चारों तरफ अफरा-तफरी और तबाही का मंजर है। राहत-बचाव दल मलबा हटाने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगातार जुटे हुए हैं, यह अब तक का सना पर सबसे बड़ा इजराइली हमला माना जा रहा है।
अहमद अल-रहावी कौन था?
अहमद अल-रहावी अगस्त 2024 से हूथी नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री था। वे जनरल पीपुल्स कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और यमन के खानफर के मूल निवासी था। उनके पिता, गालिब नासिर अल-रहावी, एक राजनेता थे, जिनकी 1970 के दशक में हत्या कर दी गई थी। अहमद अल-रहावी पर कई बार हत्या के प्रयास भी हुए।
2015 में अल-कायदा ने उनके बा टैयस स्थित आवास पर हमला किया, जिसके बाद वह सना चले गए। 2019 में उन्होंने सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल में सदस्यता ली। अगस्त 2024 में इस काउंसिल ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया, और उन्होंने अब्देल-अज़ीज़ बिन हाबतूर का स्थान लिया, जिन्होंने अक्टूबर 2016 से अगस्त 2024 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
हूथी विद्रोहियों का इतिहास और उनका यमन पर नियंत्रण:
हूथी आंदोलन की शुरुआत 1990 के दशक के अंत में यमन के दूर उत्तर में हुई। हूथी परिवार ने जैदी (Zaydi) शाखा के लिए एक धार्मिक पुनर्जागरण आंदोलन की स्थापना की, जो कभी यमन पर शासन करती थी, लेकिन उत्तर के क्षेत्रीय इलाके समय के साथ गरीबी और हाशिए पर चले गए।
राजधानी सना के साथ बढ़ते टकराव के कारण, हूथियों ने राष्ट्रीय सेना के खिलाफ कई गोरिल्ला युद्ध लड़े और सऊदी अरब के साथ एक संक्षिप्त सीमा संघर्ष भी किया।
हूथी नेता कौन हैं?
अब्दुल मलिक अल-हुथी ने पहाड़ी योद्धाओं के छोटे समूह से हूथी आंदोलन की स्थापना की और उन्हें दुनिया की शक्तियों के सामने चुनौती देने वाला बल बनाया। अल-हुथी ने भयंकर युद्धक क्षमता के लिए नाम कमाया और बाद में हूथी आंदोलन के प्रमुख बने।
अल-हुथी के नेतृत्व में आंदोलन अब दसियों हजारों लड़ाकों और बड़े हथियारों, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों के भंडार के साथ एक मजबूत सेना बन गया है।
यमन में हूथियों का कब्जा:
2014 के अंत में यमन में गृहयुद्ध शुरू हुआ, जब हूथियों ने सना पर कब्ज़ा कर लिया। उत्तर में शियाई ईरान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, सऊदी अरब ने मार्च 2015 में पश्चिम समर्थित गठबंधन का नेतृत्व किया और अपने समर्थित सरकार का समर्थन किया।
इसके बाद, हूथियों ने उत्तर और अन्य बड़े जनसंख्या केंद्रों पर नियंत्रण स्थापित किया, जबकि अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त सरकार अदन में केंद्रित रही।
हूथियों को कौन देता है समर्थन और हथियार?
यमन के गृहयुद्ध में हूथियों की ताकत का सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्हें इतना भारी हथियार और तकनीक कहां से मिलती है, सऊदी अरब और पश्चिम का कहना है कि यह हथियार ईरान से आते हैं
ईरान पर आरोप:
- अमेरिका और सऊदी अरबका कहना है कि ईरान ने संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है और हूथियों को ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों की तस्करी की है।
- इन हथियारों का इस्तेमालसऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात पर हमलों में किया गया।
- गठबंधन का यह भी कहना है कि लेबनान का हिज़बुल्लाह, जो ईरान समर्थित है, हूथियों की मदद करता है।
हूथियों के ईरान से संबंध क्या हैं?
हूथी आंदोलन को अक्सर “एक्सिस ऑफ रेज़िस्टेंस (Axis of Resistance)” का हिस्सा माना जाता है। यह ईरान समर्थित गठजोड़ है, जिसमें हमास, हिज़बुल्लाह और हूथी विद्रोही शामिल हैं। इस गठबंधन को इस्राइल और पश्चिम विरोधी माना जाता है।
यमन में हूथियों का नियंत्रण कितना है?
हूथी आंदोलन इस समय उत्तर-पश्चिम यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण बनाए हुए है, जिसमें राजधानी सना और लाल सागर के तटीय क्षेत्र शामिल हैं। हूथी इन इलाकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार से अलग एक समानांतर शासन चलाते हैं।

यह नियंत्रण वर्ष 2014 में शुरू हुए विद्रोह के बाद स्थापित हुआ, जब हूथियों ने यमनी सरकार के खिलाफ बगावत की। इसी ने देश में एक गृहयुद्ध को जन्म दिया, जिसने यमन को तबाह कर दिया और इसे दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकटों में से एक बना दिया।
लाल सागर में हूथियों के हमले:
ईरान समर्थित हूथी विद्रोही लाल सागर में समय-समय पर जहाज़ों पर हमले करते रहते हैं। उनका कहना है कि ये हमले इज़राइल के खिलाफ विरोध और गाज़ा में चल रहे सैन्य अभियान के जवाब में किए जाते हैं। हूथियों ने साफ कर दिया है कि इज़राइल से जुड़ी कंपनियों के जहाज़ उनके लिए वैध निशाना हैं और वे तब तक इस तरह की कार्रवाई जारी रखेंगे जब तक गाज़ा में संघर्ष खत्म नहीं होता। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की गतिविधियाँ बताती हैं कि हूथी केवल यमन की घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ईरान के “Axis of Resistance” नेटवर्क का हिस्सा बनकर क्षेत्रीय स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन हमलों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्ग और ऊर्जा आपूर्ति भी गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
क्यों इज़रायल के निशाने पर रहते हैं हूती विद्रोही?
हूती समूह को मध्य पूर्व के एंटी-इज़राइल गठबंधन का हिस्सा माना जाता है, जिसमें हमास और हिज़बुल्लाह जैसे संगठन भी शामिल हैं, और इन सभी को ईरान का समर्थन प्राप्त है। हालिया संघर्षों और हामास-इज़राइल युद्ध के दौरान हूतियों ने इज़राइल के खिलाफ ड्रोन और मिसाइल हमलों का दावा किया था। ऐसे में इजरायल के हवाई हमले सीधे तौर पर हूती नेतृत्व को कमजोर करने और एक संदेश देने के उद्देश्य से किए गए हैं, जैसा कि वह हिज़बुल्लाह के खिलाफ करता रहा है।
इजराइल की चेतावनी:
इजराइल के विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि जो भी देश या समूह इजराइल के खिलाफ हथियार उठाएगा, उसे इसका परिणाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि हूतियों को पहले ही चेतावनी दी गई थी कि बुरे काम का अंजाम भयंकर होगा।
इजराइली सेना के एक अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इस कार्रवाई को सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर समय पर अंजाम दिया गया। हमले में हूती विद्रोहियों के कई प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया, जिससे उनके नेतृत्व और संचालन क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ा।