जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Jio Financial Services) ने जर्मनी की एलियांज (Allianz) के साथ मिलकर भारत में रिफाइनेंस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ‘एलियांज जियो रीइंश्योरेंस लिमिटेड’ (AJRL) की स्थापना की है।
जियो फाइनेंशियल कंपनी AJRL में 50% हिस्सेदारी के लिए 10 रुपये अंकित मूल्य वाले 25,000 इक्विटी शेयरों का शुरुआती सब्सक्रिप्शन करेगी, जिसमें 2.50 लाख रुपये का निवेश किया जाएगा।
इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत के रिइंश्योरेंस कारोबार को विकसित करना है, जो रेगुलेटरी अप्रूवल के अधीन संचालित होगा।

सरकारी मंजूरी और निगमण:
AJRL को भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद निगमित किया गया। इसके अतिरिक्त, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से निगमन प्रमाणपत्र 8 सितंबर, 2025 को प्राप्त हुआ।
दोनों कंपनियों ने 18 जुलाई, 2025 को भारत के तेजी से बढ़ते बीमा बाजार की सेवा के लिए 50:50 पार्टनरशिप के साथ रिइंश्योरेंस कंपनी बनाने का समझौता किया था।
रिइंश्योरेंस क्या है?
रिइंश्योरेंस एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें एक बीमा कंपनी (जिसे सेडेंट कहते हैं) अपनी जोखिम की पूरी या आंशिक जिम्मेदारी दूसरी बीमा कंपनी (reinsurer) को हस्तांतरित करती है।
इसके बदले में रिइंश्योरर को प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। इसे “इंश्योरेंस फॉर इंश्योरर्स” (Insurance for Insurers) भी कहा जाता है।
रिइंश्योरेंस का मुख्य उद्देश्य:
- बड़ी हानियों को प्रबंधित करना
- वित्तीय प्रदर्शन को स्थिर करना
- अधिक पॉलिसियां अंडरराइट करने की क्षमता बढ़ाना
- संभावित दावों के वित्तीय बोझ को साझा कर व्यवसाय का विस्तार करना है।
यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है जब प्राकृतिक आपदाओं या बड़ी घटनाओं से भारी दावे उत्पन्न होते हैं।
रिइंश्योरेंस कैसे काम करता है?
- जोखिम का हस्तांतरण: प्राथमिक बीमाकर्ता जनता को पॉलिसियां बेचता है और फिर इन पॉलिसियों के जोखिम का एक हिस्सा रिइंश्योरर को ट्रांसफर कर देता है।
- प्रीमियम का भुगतान: सेडेंट रिइंश्योरर (Cendant Reinsurer) को उस जोखिम को लेने के लिए प्रीमियम का भुगतान करता है, जैसे कोई व्यक्ति अपनी बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम देता है।
- दावा (Claim) भुगतान: यदि कोई दावा होता है जो रिइंश्योरेंस समझौते की शर्तों के तहत आता है, तो रिइंश्योरर सेडेंट को उस दावे का पूरा या आंशिक भुगतान करता है।
- अनुबंधात्मक समझौता: रिइंश्योरेंस समझौतेमें यह तय होता है कि कितना जोखिम हस्तांतरित होगा और किन शर्तों में रिइंश्योरर दावों के लिए जिम्मेदार होगा।
बजाज को छोड़ने के बाद हुई साझेदारी:
यह घोषणा एलियांज द्वारा बजाज फिनसर्व से अलग होने के बाद की गई। बयान में कहा गया कि यह पुनर्बीमा साझेदारी जियो फाइनेंशियल की मजबूत डिजिटल उपस्थिति को एलियांज की अंडरराइटिंग विशेषज्ञता और वैश्विक पुनर्बीमा क्षमताओं के साथ जोड़ेगी।
बजाज और आलियांज की साझेदारी क्यों टूटी?
भारत का बीमा बाजार तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में इसका आकार और भी बड़ा होने की उम्मीद है, जानकारी के अनुसार, बजाज फिनसर्व के पास बजाज आलियांज लाइफ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि आलियांज के पास केवल 26 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। आलियांज अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के इच्छुक थे, लेकिन बजाज समूह इस प्रस्ताव के लिए तैयार नहीं था।
इन मतभेदों के चलते दोनों पक्षों के बीच समझौता संभव नहीं हो सका और परिणामस्वरूप 24 साल के साझेदारी पर विराम लग गया। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दोनों कंपनियों के लिए स्वतंत्र रणनीतियों को अपनाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
एलियांज जियो रीइंश्योरेंस लिमिटेड: लाभ और संरचना:
संयुक्त उद्यम (Joint ventures) भारत में एलियांज के मौजूदा एलियांज री और एलियांज कमर्शियल पोर्टफोलियो का लाभ उठाएगा। इसमें एलियांज के वैश्विक ढांचे की मूल्य निर्धारण, जोखिम चयन और पोर्टफोलियो प्रबंधन विशेषज्ञता का भी फायदा मिलेगा, जिससे भारत में रिइंश्योरेंस व्यवसाय को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
आलियांज ने रिलायंस को क्यों चुना?
बीमा क्षेत्र में कई दिग्गज कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन आलियांज SE ने मुकेश अंबानी की रिलायंस के साथ साझेदारी करने का निर्णय लिया। इसका मुख्य कारण अंबानी की सटीक और प्रभावशाली रणनीति है।
- अंबानी का प्रभाव: रिलायंस को किसी भी उद्योग में बाजार पर दबदबा बनाने की क्षमता है। कुछ समय पहले अंबानी ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के बारे में कहा था कि वह बीमा क्षेत्र में भी प्रवेश करेंगे और लोगों के लिए स्मार्ट जीवन और स्वास्थ्य बीमा जैसे आकर्षक उत्पाद पेश करेंगे।
- बीमा क्षेत्र में अवसर: मौजूदा समय में रिलायंस विभिन्न सेक्टरों में अन्य कंपनियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा पेश कर रही है। बीमा क्षेत्र में भी वह टेलीकॉम जैसी क्रांति ला सकती है। ऐसे में आलियांज के लिए रिलायंस के साथ साझेदारी करना रणनीतिक लाभ वाला कदम माना जा रहा है।
भारत का बीमा उद्योग 2030 तक दोगुना होने का अनुमान:
हाल ही में इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और मैकिन्से एंड कंपनी की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का बीमा उद्योग 2030 तक 123% बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। यह वृद्धि 2024 में ₹11.2 लाख करोड़ के जीडब्ल्यूपी स्तर से होगी।
विकास का कारण:
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तेजी का श्रेय आय में सुधार और बीमा के प्रति बढ़ती जागरूकता को दिया जा सकता है। भारत वर्तमान में विश्व के उभरते बीमा बाजारों में पांचवां सबसे बड़ा जीवन बीमा बाजार है, जो प्रति वर्ष 32-34% की दर से बढ़ रहा है। उद्योग ने हाल के वर्षों में नई और प्रगतिशील उत्पाद पेश कर, प्रतिस्पर्धा के चलते तेजी से विकास किया है।
प्रमुख आँकड़े
- सकल लिखित प्रीमियम (GWP): 2024 में ₹11.2 लाख करोड़, 2020 में ₹7.8 लाख करोड़ से वृद्धि।
- 2030 का अनुमानित GWP: ₹25 लाख करोड़, यानी 123% वृद्धि।
- बीमा का वर्तमान प्रवेश: सकल घरेलू उत्पाद का 7%, वैश्विक औसत 6.8% से कम।
- गैर-जीवन बीमा: 2030 तक ₹2.8 लाख करोड़, मुख्य रूप से एसएमई, कपड़ा, फार्मा और ऑटोमोटिव उद्योगों से।
- खुदरा बीमा: 2030 तक ₹21 लाख करोड़, जिसमें 90% जीवन बीमा क्षेत्र से आएगा।
भारत के बीमा क्षेत्र को नीतिगत और सरकारी समर्थन
भारतीय बीमा क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और इसके लिए नीतिगत और सरकारी समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। IRDAI का विज़न 2047 सुरक्षा संबंधी कमियों को दूर करने और बीमा तक पहुँच को आसान बनाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ा रहा है।
विधायी और नियामक सुधार
- मुख्य अधिनियम: बीमा अधिनियम (1938), IRDAI अधिनियम (1999) और अन्य संशोधन, जो विदेशी निवेश और परिचालन लचीलेपन की अनुमति देते हैं।
- बीमा विस्तार योजना: जीवन, स्वास्थ्य, दुर्घटना और संपत्ति जोखिमों को कवर करने वाली प्रस्तावित ऑल-इन-वन बंडल पॉलिसी, जो त्वरित भुगतान और उपयोग में आसानी के लिए डिज़ाइन की गई है।
- बीमा सुगम प्लेटफ़ॉर्म: पॉलिसी खरीद और दावों के निपटान के लिए डिजिटल वन-स्टॉप शॉप, जिसमें तेज़ जीवन बीमा निपटान के लिए राज्य मृत्यु रजिस्ट्रियों को जोड़ने की योजना।
सरकारी हस्तक्षेप और प्रोत्साहन:
- एफडीआई उदारीकरण: बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100%, जिससे पूंजी प्रवाह और वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा मिला।
- सामाजिक योजनाएँ: वित्त वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत 44 करोड़ से ज़्यादा लोगों को कवर किया गया।
- पैरामीट्रिक बीमा: नागालैंड जैसे राज्य आपदाओं के लिए जलवायु-आधारित बीमा मॉडल अपना रहे हैं, जिसमें भुगतान मौसम की सीमाओं के अनुसार होता है।
एलियांज एसई के बारे में:
एलियांज एसई एक जर्मन बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी है, जिसका मुख्यालय म्यूनिख, जर्मनी में स्थित है। कंपनी का मुख्य व्यवसाय बीमा और परिसंपत्ति प्रबंधन (Asset Management) है।
वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा:
एलियांज दुनिया की सबसे बड़ी बीमा कंपनी और यूरोप की सबसे बड़ी वित्तीय सेवा कंपनी मानी जाती है। 2023 में, फोर्ब्स ग्लोबल 2000 में इसे 37वां स्थान प्राप्त हुआ। इसके अलावा, एलियांज यूरो स्टॉक्स 50 (Euro Stoxx 50) शेयर बाजार सूचकांक का एक घटक भी है।
भारत में एलियांज की उपस्थिति: एलियांज पिछले 25 वर्षों से भारत में पुनर्बीमा (Reinsurance) सेवाएँ प्रदान कर रही है। इस लंबी अवधि के अनुभव ने कंपनी को भारतीय बीमा क्षेत्र में स्थिर और भरोसेमंद भागीदार के रूप में स्थापित किया है।
जियो फाइनेंशियल के बारे में:
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज भारत की एक वित्तीय सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है, जो पहले रिलायन्स इण्डस्ट्रीज की एक उपकंपनी थी। इसने अपनी पहचान को स्वतंत्र बनाया और अगस्त 2023 में इसे भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत किया गया। यह कंपनी विभिन्न वित्तीय सेवाएं, जैसे कि पेमेंट सोल्यूशन्स और बीमा, प्रदान करती है।
जियो फाइनेंशियल के शेयर में बढ़त
बुधवार के बाजार बंद होने तक जियो फाइनेंशियल का शेयर 0.78% बढ़कर ₹310.35 प्रति शेयर पर बंद हुआ।
जून तिमाही के नतीजे:
- कंपनी की जून तिमाही में शुद्ध लाभ8% बढ़कर ₹324.66 करोड़ रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह ₹312.63 करोड़ था।
- कंपनी का कुल रेवेन्यू6% उछलकर ₹612.46 करोड़ पर पहुँच गया, जो पिछले साल जून तिमाही में ₹417.82 करोड़ था।
- इस दौरान कुल खर्च भी बढ़कर ₹261 करोड़ हो गया, जबकि पिछले साल यह केवल ₹79.35 करोड़ था।
- कंपनी की कुल आय2% बढ़कर ₹619.46 करोड़ पर पहुँच गई।
साथ ही, नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) 52% सालाना बढ़कर ₹264.06 करोड़ हो गई, जो पिछले साल इसी तिमाही में ₹161.74 करोड़ थी।
निष्कर्ष:
यह साझेदारी भारतीय बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी और विशेषज्ञता के प्रवाह को मजबूत करेगी, भारत का बीमा बाज़ार आने वाले वर्षों में वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है।