राजस्थान के बालोतरा जिले के डोली गांव से शुरू हुआ जोजरी बचाओ आंदोलन रविवार को पूरे जोश और मजबूती के साथ सड़कों और धरना स्थलों पर जारी रहा। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के संयोजक एवं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक जोजरी नदी में बह रहे प्रदूषित पानी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा, संघर्ष थमने वाला नहीं है। उन्होंने सरकार से लिखित आश्वासन की मांग करते हुए कहा कि अब यह आर-पार की लड़ाई है और यदि मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन और अधिक व्यापक और तीव्र रूप लेगा।
जोजरी नदी बचाओ महारैली से दिखाई राजनीतिक ताकत
रविवार को बालोतरा में आयोजित जोजरी नदी बचाओ महारैली आयोजित की गई। इस रैली में बेनीवाल ने औद्योगिक प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए स्थानीय प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि समस्या का समाधान नहीं किया गया तो इसे दिल्ली तक उठाया जाएगा।
इस प्रदर्शन में हजारों लोगों की भागीदारी ने न केवल उनकी लोकप्रियता को पुनः उजागर किया, बल्कि उनकी संगठन क्षमता को भी रेखांकित किया। बेनीवाल की यह सक्रियता आगामी पंचायत चुनावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जहां वे RLP को तीसरे मोर्चे के रूप में स्थापित करने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं।
जोजरी नदी:
भौगोलिक विवरण:
राजस्थान की कई नदियों में से जोजरी नदी (जाजोरी नदी) महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह नागौर जिले के पुन्दलू गांव की पहाड़ियों से निकलती है, जोधपुर से होते हुए बालोतरा तक दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती है और अंततः मजल धूधाड़ा के पास लूनी नदी में मिलती है। जोजरी, लूनी नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।
इतिहास और महत्व:
पहले यह नदी मरुस्थलीय क्षेत्र में जीवन की धारा मानी जाती थी। आज यह न केवल पर्यावरणीय संकट का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय जीवन और भविष्य के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है।
प्रदूषण के कारण:
जोजरी नदी आज गंभीर प्रदूषण की मार झेल रही है। जोधपुर, पाली और बालोतरा की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले जहरीले रसायन और भारी धातुएं सीधे नदी में छोड़ी जा रही हैं। इसके अलावा आसपास की बस्तियों का प्लास्टिक और घरेलू कचरा, खेतों से बहकर आने वाले कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक, और शहरी क्षेत्रों का अनुपचारित सीवेज नदी की स्थिति और बिगाड़ रहा है।
अब ज़्यादा समस्या इसलिए आ रही है क्योंकि जोधपुर के सीईटीपी (इंडस्ट्रीज़ के पानी का ट्रीटमेंट प्लांट) की कैपेसिटी कम है, जोधपुर में अभी दो सौ एमएलडी क्षमता के सीईटीपी प्लांट की आवश्यकता है. आने वाले समय में यह क्षमता और ज़्यादा बढ़ेगी.”
“पुराने सीईटीपी प्लांट में लगी हुई पाइप भी छोटी हैं, इसलिए वेस्ट से वो पाइप बंद हो जाती हैं. कुछ कंपनियां हो सकता है कि तय सीमा से अधिक पानी छोड़ रही हों. इस कारण यह समस्या उत्पन्न हो रही है.”

जोजरी नदी प्रदूषण : गाँवों में संकट
जोधपुर से लेकर बालोतरा तक क़रीब पचास गाँव जोजरी नदी में छोड़े जा रहे इंडस्ट्रियल केमिकल युक्त पानी से प्रभावित हो रहे हैं। इस दूषित पानी ने खेतों, मवेशियों और ग्रामीणों के जीवन पर गहरा असर डाला है।
गाँवों में काला और बदबूदार पानी भरने से फसलें नष्ट हो रही हैं, पेड़ सूख रहे हैं और ज़मीन बंजर हो रही है। ग्रामीणों में त्वचा रोग, खाँसी और सांस की बीमारियाँ बढ़ रही हैं। कई परिवार मजबूर होकर पलायन कर चुके हैं।
स्कूलों तक में इस प्रदूषण का असर दिख रहा है। दुर्गंध और मच्छरों के कारण बच्चों की संख्या घट गई है और पढ़ाई प्रभावित हुई है।
किसानों का कहना है कि गेहूँ और मूंग जैसी फसलें पूरी तरह चौपट हो चुकी हैं। लगभग दस हज़ार से अधिक रोहिड़ा वृक्ष सूख गए हैं।
स्थानीय लोगों के विरोध और शिकायतों के बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सका है। विशेषज्ञों के अनुसार इस पानी में पाए जाने वाले रसायन न केवल मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर रहे हैं बल्कि मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर ख़तरा बने हुए हैं।
जोजरी नदी प्रदूषण पर बेनीवाल का कड़ा बयान
डोली में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए RLP सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जोधपुर और पाली की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला जहरीला रासायनिक पानी पिछले डेढ़-दो दशकों से डोली, अराबा, कल्याणपुर समेत लगभग 60-70 गांवों में गंभीर तबाही मचा रहा है। उनके अनुसार, खेत बंजर हो चुके हैं, पेयजल दूषित हो गया है और मच्छरों तथा अन्य बीमारियों के कारण आम जनजीवन खतरे में है।
बेनीवाल ने गजेंद्र सिंह शेखावत पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “रिवर फ्रंट जैसे बड़े-बड़े वादे तो खूब किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक प्रदूषण का स्थायी समाधान नहीं होगा, संघर्ष जारी रहेगा।
समाधान की आवश्यकता:
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो नदी पूरी तरह मर सकती है। इसके लिए आवश्यक कदम हैं:
- घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
- औद्योगिक कचरे का अनिवार्य उपचार।
- स्थानीय लोगों को जागरूक करना ताकि वे नदी में कचरा न डालें।
- कड़े कानून और नियम लागू करना और उनका पालन सुनिश्चित करना।
जोजरी बचाओ आंदोलन:
स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन अब नदी को बचाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं। बालोतरा जिले के डोली में यह आंदोलन शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को नदी में जाने से रोकना है। 11 अगस्त 2025 से डोली टोल पर अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण और RLP के कार्यकर्ता शामिल हैं।
कौन हैं हनुमान बेनीवाल?
राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट से सांसद हनुमान बेनीवाल भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं। वे एक किसान परिवार से आते हैं और उनका जन्म 2 मार्च 1972 को राजस्थान के नागौर जिले के बरंगांव गांव में हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की।
बेनीवाल ने 1997 में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में छात्र राजनीति में कदम रखा। शुरुआत में वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े रहे, लेकिन 2013 में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी और अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की स्थापना की। RLP के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्होंने किसानों के अधिकारों की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को अपनी प्राथमिकता बनाया।
बेनीवाल का राजनीतिक सफर
- 2008 में खींवसर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर बेनीवाल ने विधानसभा में प्रवेश किया।
- 2019 में उन्होंने नागौर लोकसभा सीट से जीत हासिल की और संसद पहुंचे।
- 2023 में खींवसर विधानसभा के उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, और उसी साल उनकी पार्टी को राजस्थान विधानसभा में कोई सीट नहीं मिली।
- 2024 में उन्होंने पुनः नागौर लोकसभा सीट जीतकर संसद में प्रवेश किया।