नेपाल में पहली महिला PM बनीं कार्की: संसद भंग, चुनाव की तारीखों का हुआ ऐलान..

नेपाल में लगातार तीन दिनों तक चले राजनीतिक संकट के बाद अब हालात बदल गए हैं। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात क़रीब 9:30 बजे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह कदम हिंसक प्रदर्शनों और केपी शर्मा ओली सरकार के गिरने के बाद आया है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने कार्की की नियुक्ति के साथ-साथ प्रतिनिधि सभा को भंग करने का ऐलान भी किया।

Karki became the first woman PM in Nepal

अंतरिम सरकार की कमान सुशीला कार्की के हाथों में:

 

नेपाल में संवैधानिक प्रावधानों के तहत सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति नेपाल के संविधान की धारा 61 के आधार पर की गई है।

 

संविधान की धारा 61 और 76 में अंतर: संविधान की धारा 76 के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति संसद सदस्य के तौर पर बहुमत साबित करने पर होती है। लेकिन इस बार संसद भंग होने की स्थिति में धारा 61 का सहारा लिया गया।

  • धारा 61 राष्ट्रपति के कार्य, कर्तव्य और अधिकारों की व्याख्या करती है। उपधारा 2 के अनुसार, राष्ट्रपति अपने कार्य का संपादन करते हैं, वहीं उपधारा 4 में संविधान का पालन और संरक्षण करना उनका प्रमुख कर्तव्य बताया गया है।

 

अंतरिम व्यवस्था का विशेष मामला: चूंकि संसद फिलहाल अस्तित्व में नहीं है, ऐसे में धारा 76 के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति संभव नहीं थी। इसीलिए राष्ट्रपति ने धारा 61 के प्रावधानों का इस्तेमाल कर सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपी है।

 

अगले चुनाव की तारीखों का भी हुआ ऐलान:

नेपाल में नई अंतरिम सरकार के गठन के साथ ही देश में अगले आम चुनाव की तारीख भी घोषित कर दी गई है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में बताया गया कि संसदीय चुनाव 5 मार्च 2026 को कराए जाएंगे। यह निर्णय देश में लंबे समय से जारी अस्थिरता और हालिया उथल-पुथल को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

 

राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने कहा “देश बचाइए, सफल रहिए”:

प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने सुशीला कार्की को खास संदेश देते हुए कहा- “देश बचाइए, सफल रहिए।”

राष्ट्रपति ने कार्की पर देश को स्थिर करने और जनता का विश्वास जीतने की जिम्मेदारी सौंपी है। उनके इस संदेश के जवाब में सुशीला कार्की ने संक्षिप्त रूप से “धन्यवाद” कहकर अपनी प्रतिक्रिया दी।

 

कौन हुआ शपथ ग्रहण समारोह में शामिल:

सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण समारोह में संसद के दोनों सदनों के प्रमुख अनुपस्थित रहे। प्रतिनिधि सभा के स्पीकर देवराज घिमिरे (ओली की पार्टी से) और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल (प्रचण्ड की पार्टी से) कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। हालांकि, समारोह में नेपाल के मुख्य न्यायाधीश, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सुरक्षा प्रमुख और राजनयिक समुदाय के सदस्य मौजूद थे। पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टरई भी कार्यक्रम में पहुंचे और वे अकेले ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री थे जिन्होंने हिस्सा लिया।

 

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख से युवाओ में चर्चित: 

सुशीला कार्की नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) रह चुकी हैं और इस पद तक पहुंचने वाली देश की पहली और अब तक की एकमात्र महिला हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, जिससे वे युवाओं के बीच खास पहचान बना पाईं। करप्शन पर उनके कड़े रुख ने ही उन्हें लोगों के बीच ईमानदार और साहसी छवि दी। पुरानी सरकार से परेशान Gen-Z आंदोलनकारी अब सुशीला कार्की में एक नई उम्मीद और बदलाव का चेहरा देख रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री चुनने के लिए Discord प्लेटफ़ॉर्म का किया इस्तेमाल:

नेपाल के Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने अपने आंदोलन और नेतृत्व के फैसले के लिए डिस्कॉर्ड का इस्तेमाल किया। Youth Against Corruption नामक सर्वर पर लाखों यूजर्स जुड़े और यहीं पर मतदान करके उन्होंने सुशीला कार्की को नया नेता चुना।

  • यह प्लेटफ़ॉर्म युवाओं के बीच इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि इसमें कंटेंट की भीड़ नहीं होती, बातचीत व्यवस्थित रहती है और बड़े समूह आसानी से अपनी राय साझा कर सकते हैं। प्रदर्शनकारियों ने Discord पर घोषणाएँ, तथ्य-जाँच, अपडेट, हेल्पलाइन और चर्चा चैनल बनाकर आंदोलन को संगठित किया।

 

युवाओं की पहली पसंद नहीं थीं सुशीला कार्की:

युवाओं की पहली पसंद सुशीला कार्की नहीं थीं। आंदोलन की अगुवाई करने वाले काठमांडू के मेयर बालेन शाह को ही युवाओं का सबसे ज्यादा समर्थन मिला था। लेकिन बालेन ने सत्ता संभालने से इनकार कर दिया। इसके बाद ही सुशीला कार्की का नाम सामने आया। बाद में बालेन ने भी सुशीला को समर्थन दे दिया, जिससे नेपाल का सियासी संकट थम सका।

 

Gen Z की इन शर्तों को मानने के बाद PM बनी सुशीला कार्की:

  • 6-12 महीने में चुनाव कराए जाएं
  • संसद भंग करने की मांग
  • नागरिक-सैन्य सरकार बनाने का प्रस्ताव
  • भ्रष्टाचार की जांच के लिए शक्तिशाली न्यायिक आयोग
  • प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच

 

PM Modi ने दी बधाई:

पीएम मोदी ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म X पर लिखा: “मैं माननीय श्रीमती सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री बनने पर शुभकामनाएँ देता हूँ। भारत, नेपाल के लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

नेपाल में Gen Z आंदोलन की अब तक की मुख्य घटनाएँ:

 

  • 8 सितंबर को शुरू हुआ आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक रूप ले बैठा।
  • प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी दफ्तरों और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी की।
  • 9 सितंबर को इसका सबसे बड़ा राजनीतिक असर दिखा, जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, कर्फ्यू और सेना की तैनाती के बावजूद विरोध थमा नहीं और हालात बिगड़ते रहे।
  • अब तक हुई हिंसा में 51 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 3 पुलिसकर्मी, एक भारतीय नागरिक और कई नेपाली नागरिक शामिल हैं।
  • इसी दौरान Gen-Z आंदोलनकारियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे राजनीतिक स्थिरता की दिशा में अहम कदम माना गया।

 

सुशीला कार्की कौन हैं?

सुशीला कार्की (जन्म: 7 जून 1952) नेपाल की न्यायविद, लेखिका और राजनेता हैं। 12 सितंबर 2025 से वह नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

इससे पहले वह 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रहीं और इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला थीं।

 

शिक्षा:

  • उन्होंने 1972 में बिराटनगर के महेंद्र मोरंग कैम्पस से कानून में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
  • 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक (A.) किया।
  • 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की स्नातक उपाधि हासिल की।

 

प्रारंभिक करियर

  • 1985 तक सुशीला कार्की महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत थीं।
  • 1990 में जब नेपाल में पंचायती व्यवस्था के खिलाफ जनआंदोलन (People’s Movement) शुरू हुआ, तो उन्होंने सक्रिय रूप से इसमें भाग लिया। इसी दौरान उन्हें बिराटनगर जेल में कैद किया गया।
  • जेल में बिताए अनुभवों ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और बाद में उन्होंने अपने इन अनुभवों पर आधारित उपन्यास कारा’ लिखा।
  • कानून के क्षेत्र में उनकी पहचान धीरे-धीरे मजबूत होती गई और 2008 में वे नेपाल बार एसोसिएशन की वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं।

 

निजी जीवन:

सुशीला कार्की ने दुर्गा प्रसाद सुबेदी से विवाह किया, जो नेपाली कांग्रेस के युवा संगठन से जुड़े नेता थे। सुबेदी 1973 के रॉयल नेपाल एयरलाइंस DHC-6 हाईजैकिंग प्रकरण में भी शामिल रहे थे। दोनों की मुलाकात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई थी, जहाँ सुबेदी उनके ट्यूटर थे। उनके कम से कम एक संतान है।

 

नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश:

  • जनवरी 2009 में सुशीला कार्की को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक न्यायाधीश नियुक्त किया गया। अगले ही वर्ष उनकी नियुक्ति स्थायी कर दी गई।
  • अप्रैल 2016 में जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश कल्याण श्रेष्ठ सेवानिवृत्त हुए, तो संवैधानिक परिषद (Constitutional Council) ने सुशीला कार्की को इस पद के लिए अनुशंसित किया।
  • जुलाई 2016 में संसदीय सुनवाई के बाद उनकी औपचारिक नियुक्ति की पुष्टि हुई और वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
  • मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उनकी पहचान एक कठोर और भ्रष्टाचार-विरोधी न्यायविद के रूप में हुई।

 

कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ उल्लेखनीय निर्णय:

  • ओम भक्त राणा बनाम CIAA/नेपाल सरकार (सूडान शांति मिशन घोटाला): कार्की ने इस मामले में भ्रष्टाचार पर सख्त रुख अपनाया और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी।
  • ऑफिस ऑफ नेपाल ट्रस्ट बनाम प्रेरणा राज्यलक्ष्मी राणा (पूर्व शाही राजकुमारी की संपत्ति का मामला): इस फैसले ने पूर्व राजपरिवार की संपत्तियों के निपटान को लेकर मिसाल कायम की।
  • पृथ्वी बहादुर पांडे बनाम काठमांडू जिला न्यायालय (ऑस्ट्रेलिया में पॉलिमर बैंक नोट की छपाई में भ्रष्टाचार): बैंक नोट प्रिंटिंग घोटाले में न्यायिक हस्तक्षेप किया।
  • काठमांडू निजगढ फास्ट ट्रैक केस: देश के बुनियादी ढांचा विकास से जुड़े इस केस में महत्वपूर्ण फैसला दिया।
  • जय प्रकाश गुप्ता की सजा: पूर्व मंत्री जय प्रकाश गुप्ता को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराने का ऐतिहासिक निर्णय।
  • लोकमान सिंह कार्की की नियुक्ति को निरस्त करना (CIAA प्रमुख): उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (CIAA) के प्रमुख लोकमान सिंह कार्की की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।

 

भारत-नेपाल संबंधों पर सुशीला कार्की का दृष्टिकोण:

सुशीला कार्की का मानना है कि भारत और नेपाल के रिश्ते बेहद पुराने और गहरे हैं। उन्होंने कहा था कि भले ही दोनों देशों में सरकारें बदलती रहें, लेकिन जनता के बीच का संबंध हमेशा अटूट और आत्मीय बना रहता है।

उन्होंने भारत को हमेशा नेपाल का सहायक और करीबी मित्र बताया। उनके शब्दों में, दोनों देशों के बीच गहरी आत्मीयता और प्रेम है। सुशीला कार्की ने एक रोचक उदाहरण भी दिया “जैसे रसोई में बर्तन एक साथ हों तो आवाज जरूर होती है, वैसे ही भारत और नेपाल के बीच छोटे-मोटे मतभेद होते रहते हैं, लेकिन इससे संबंधों की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ता।”

 

PM कार्की के सामने नई चुनौतियां:

नेपाल में हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बड़ी हैं। अराजकता के दौरान भागे 12,500 से ज्यादा कैदी अब तक फरार हैं। इसके साथ ही, लंबे समय से जमे भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा नई अंतरिम सरकार की सबसे बड़ी कसौटी साबित होगा।