केरल बना भारत का पहला 100% डिजिटल साक्षर राज्य: मुख्यमंत्री ने की घोषणा

केरल ने इतिहास रचते हुए देश का पहला ऐसा राज्य बनने का गौरव हासिल किया है, जिसने पूर्ण डिजिटल साक्षरता प्राप्त की है। सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि की घोषणा करते हुए कहा कि यह हर केरलवासी के लिए गर्व का क्षण है। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि पूरे भारत में अभी केवल 38% परिवार ही डिजिटल साक्षर हैं।

 

केरल ने पूर्ण साक्षरता से डिजिटल साक्षरता तक नया इतिहास रचा: सीएम विजयन-

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य की नई उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा कि यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि शुरुआत में डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए केवल 14 से 65 वर्ष की आयु के लोगों को शामिल किया गया था। लेकिन बाद में, जब बड़ी संख्या में अन्य आयु वर्ग के लोगों ने भी सीखने में रुचि दिखाई, तो कार्यक्रम को सबके लिए खोल दिया गया। इसी का परिणाम है कि आज राज्य के हर नागरिक को डिजिटल दुनिया से जोड़ने में सफलता मिली है।

 

प्रेरणादायक उदाहरण: इस पहल की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक एर्नाकुलम जिले के 104 वर्षीय अब्दुल्ला मौलवी की है, जिन्होंने राज्य के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में डिजिटल साक्षरता प्राप्त की। उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने उनसे वीडियो कॉल के माध्यम से संवाद भी किया, जो इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक सफलता का प्रतीक बना।

 

ऐतिहासिक उपलब्धि और योगदान:

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, “हमने 1991 में पूर्ण साक्षरता प्राप्त की थी और उस समय भी राज्य में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सत्ता में था। आज जब हमने पूर्ण डिजिटल साक्षरता हासिल की है, तब भी एलडीएफ सत्ता में है। यह केवल संयोग नहीं, बल्कि जनता के सामूहिक प्रयास और समर्पण का परिणाम है।”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तिरुवनंतपुरम की पुल्लमपरा पंचायत ने सबसे पहले पूर्ण डिजिटल साक्षरता का दर्जा हासिल किया और पूरे राज्य के लिए एक मिसाल कायम की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायतों से लेकर राज्य स्तर तक इस प्रयास ने यह साबित कर दिया है कि केरल सामूहिक इच्छाशक्ति और सहयोग से नई ऊंचाइयों को छू सकता है।

 

केरल ने 100% डिजिटल साक्षरता कैसे हासिल की?

केरल की डिजिटल सफलता किसी एक योजना का नतीजा नहीं, बल्कि शिक्षा, नीतियों और समाज के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। राज्य ने स्कूल से लेकर पंचायत और महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी को डिजिटल दुनिया से जोड़ा।

सफलता के प्रमुख कारण

  • उच्च साक्षरता दर: 96%+ साक्षरता ने डिजिटल शिक्षा की मजबूत नींव रखी।
  • अक्षय केंद्र: 2002 से गाँव-गाँव में डिजिटल ट्रेनिंग।
  • कुडुंबश्री मिशन: महिलाओं को डिजिटल लेन-देन और इंटरनेट साक्षरता।
  • IT@School प्रोजेक्ट: बच्चों को शुरुआती स्तर से ई-लर्निंग।
  • डिजिटल केरल मिशन: 2018 से सभी सरकारी सेवाएँ ऑनलाइन।
  • पंचायत स्तर की पहल: हर पंचायत में डिजिटल केंद्र, आम लोगों तक पहुँच।
  • कोविड-19 का प्रभाव: ऑनलाइन क्लासेस और ई-गवर्नेंस ने रफ्तार बढ़ाई।
  • प्रवासी भारतीयों का असर: विदेशों से जुड़े रहकर डिजिटल संस्कृति को बढ़ावा।

 

केरल को 100% डिजिटल साक्षर बनने से मिले लाभ:

केरल की यह उपलब्धि प्रशासन, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज—चारों स्तरों पर सकारात्मक असर दिखाती है। डिजिटल साक्षरता ने सरकारी कामकाज को सरल बनाने के साथ-साथ आम नागरिकों के जीवन को अधिक सुविधाजनक और आधुनिक बनाया है।

प्रशासनिक फायदे

  • ई-गवर्नेंस आसान: जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, पेंशन और भूमि रिकॉर्ड अब पूरी तरह ऑनलाइन।
  • भ्रष्टाचार और दलाली में कमी; दफ्तरों के चक्कर नहीं।
  • आवेदन का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध; स्थिति खुद ट्रैक कर सकते हैं।
  • छोटे काम अब मिनटों में घर बैठे पूरे।

शिक्षा और युवाओं के लिए फायदे

  • स्कूलों में स्मार्ट क्लास और ई-लर्निंग; छात्र ई-बुक्स और ऑनलाइन लेक्चर का लाभ।
  • कोविड-19 में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हुई, क्योंकि वे पहले से डिजिटल उपकरणों से परिचित थे।
  • युवाओं के लिए नई नौकरियाँ खुलीं—ऐप डेवलपमेंट, फ्रीलांसिंग, डेटा एंट्री, ऑनलाइन ट्यूटरिंग; आईटी सेक्टर मजबूत।

आर्थिक और सामाजिक फायदे

  • गांवों तक डिजिटल पेमेंट सामान्य; छोटे दुकानदार, किसान और कुडुंबश्री समूह डिजिटल लेन-देन कर रहे।
  • नकदी पर निर्भरता कम, लेन-देन सुरक्षित और तेज।
  • पर्यटन को फायदा: होटल बुकिंग, गाइड सर्विस, ऑनलाइन टिकटिंग और मोबाइल ऐप्स से सेवाएँ आसान।

महिलाओं और समाज के अन्य वर्गों के फायदे

  • कुडुंबश्री और अक्षय केंद्रों ने लाखों महिलाओं को डिजिटल लेन-देन सिखाया; वे अब बैंकिंग और छोटे व्यवसाय डिजिटल तरीके से संभाल रही हैं।
  • वरिष्ठ नागरिक और ग्रामीण लोग मोबाइल से पेंशन, इलाज और टिकट बुकिंग जैसी सुविधाएँ आसानी से प्राप्त कर पा रहे हैं।

 

 

भारत में डिजिटल साक्षरता:

डिजिटल साक्षरता का अर्थ है व्यक्तियों और समुदायों की जीवन स्थितियों में सुधार के लिए डिजिटल तकनीकों को समझने और उनका उपयोग करने की क्षमता। केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार, भारत के केवल 38% घर डिजिटल रूप से साक्षर हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों में यह दर 61% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 25%। यह अंतर ग्रामीण-शहरी खाई को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

 

डिजिटल साक्षरता के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास:

भारत सरकार ने इस खाई को पाटने के लिए कई पहलें कीं। राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (NDLM) और डिजिटल साक्षरता अभियान (DISHA) का सामूहिक लक्ष्य 52.50 लाख लोगों को प्रशिक्षित करना था। इन दोनों योजनाओं के तहत 53.67 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 42% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्रों से थे। हालांकि, वर्तमान में दोनों योजनाएँ बंद हो चुकी हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में डिजिटल जागरूकता फैलाना है। मार्च 2024 तक इस योजना के तहत 6.39 करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

 

इंटरनेट का महत्व और प्रभाव:

इंटरनेट ने आधुनिक युग में संचार और सूचना तक पहुँच को पूरी तरह बदल दिया है। यह न केवल तेज़ और सुलभ संचार का साधन बना, बल्कि दूर-दराज़ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शिक्षा के नए अवसर भी उपलब्ध कराए। आज किसी भी प्रकार की जानकारी कुछ ही मिनटों में इंटरनेट से प्राप्त की जा सकती है, जिससे लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

सरकारी दृष्टि से भी इंटरनेट का महत्व बहुत बड़ा है। सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने से लागत में कमी आती है, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है, और योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन संभव होता है। साथ ही, यह नागरिकों की राजनीति और लोकतंत्र में भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक आसान पहुँच ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान दिया है। इसके अलावा, इंटरनेट ने भारतीय समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक लामबंदी को भी मज़बूत किया है।

 

अन्य राज्यों को केरल से प्रेरणा लेनी चाहिए

केरल की सफलता डिजिटल साक्षरता में पूरे देश के लिए प्रेरणास्पद है। राज्य ने शिक्षा, पंचायत स्तर की पहल, महिलाओं और ग्रामीणों तक प्रशिक्षण, स्मार्ट क्लासेस और ऑनलाइन सरकारी सेवाओं के माध्यम से समाज के हर वर्ग को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया। अन्य राज्यों को इसी मॉडल को अपनाकर अपनी डिजिटल साक्षरता बढ़ानी चाहिए।

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