फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजिट मैक्रों ने अमेरिकी अदालत में एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। दरअसल, अमेरिकी पॉडकास्टर और राजनीतिक टिप्पणीकार कैंडेस ओवेन्स ने ब्रिजिट मैक्रों के बारे में दावे किए थे कि वह पुरुष हैं। इन दावों के खिलाफ मैक्रों दंपति न केवल मानहानि का मुकदमा लड़ रहे हैं, बल्कि अब वे अदालत में “फोटोग्राफिक और वैज्ञानिक सबूत” भी पेश करेंगे, जिससे साफ हो सके कि फ्रांस की फर्स्ट लेडी महिला हैं।

कैंडेस ओवेन्स ने क्या आरोप लगाए है?
कैंडेस ओवेन्स ने दावा किया है कि ब्रिजिट मैक्रों जन्म से महिला नहीं बल्कि पुरुष हैं। उनके अनुसार ब्रिजिट का जन्म जीन-मिशेल ट्रोग्नेक्स नाम से हुआ था और वे महिला बनने से पहले किशोर इमैनुएल मैक्रों को ‘तैयार’ किया था। ओवेन्स ने इसके अलावा कई ट्रांसफोबिक और काल्पनिक आरोप लगाए, जैसे कि ब्रिजिट ने किसी और की पहचान चुराई, वे और राष्ट्रपति मैक्रों रक्त संबंधी हैं, और राष्ट्रपति मैक्रों किसी मन-नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चुने गए। उन्होंने ये सब बातें बार-बार प्रचारित की हैं।
सबूत के तौर पर क्या पेश करेंगे मैक्रों?
मैक्रों दंपत्ति अदालत में यह साबित करने के लिए कई तरह के सबूत पेश करेंगे कि ब्रिगिट मैक्रों पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। इनमें वैज्ञानिक विशेषज्ञों की गवाही, ब्रिगिट की गर्भावस्था और बच्चों की परवरिश के समय की तस्वीरें, और अन्य दस्तावेज़ शामिल होंगे। इन सबूतों से यह साफ किया जाएगा कि फ्रांस की प्रथम महिला हैं, न कि पुरुष या ट्रांसजेंडर।
इस घटना का राष्ट्रपति मैक्रों पर हुआ असर:
मैक्रों के वकील टॉम क्लेयर ने कहा कि इस घटना ने राष्ट्रपति मैक्रों को उनके काम से पूरी तरह रोक तो नहीं पाया, लेकिन किसी भी व्यक्ति की तरह उन्हें भी अपने परिवार पर हमले से परेशान होना स्वाभाविक है। इसके कारण मैक्रों पर थोड़ा मानसिक और भावनात्मक असर पड़ा है, क्योंकि वे सिर्फ पति नहीं बल्कि एक देश के राष्ट्रपति भी हैं।
मैक्रों ने दावे वापस लेने का दिया था अवसर:
मैक्रों ने कैंडेस ओवेन्स को कई बार मौका दिया था कि वह अपने झूठे और अपमानजनक दावे वापस ले लें। उन्होंने कोशिश की कि मामला बिना अदालत में जाये सुलझ जाए, लेकिन ओवेन्स ने इन अवसरों को नजरअंदाज किया। इस वजह से, 23 जुलाई को मैक्रों ने अमेरिका के डेलावेयर में औपचारिक रूप से मुकदमा दायर किया और इस अभूतपूर्व कानूनी कदम के माध्यम से अपने और अपनी पत्नी की प्रतिष्ठा की रक्षा करने का फैसला किया।
2021 में उठा था पहली बार मामला:
यह विवाद पहली बार 2021 में शुरू हुआ, जब फ्रांसीसी ब्लॉगर अमांडाइन रॉय और नाटाशा रे ने यूट्यूब वीडियो में आरोप लगाए कि फ्रांस की प्रथम महिला ट्रांसजेंडर हैं। बाद में 2024 में इन दोनों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा मैक्रों ने जीत लिया था, लेकिन 2025 में नई अपील दायर होने के बाद फैसला पलट गया। इसके बाद कैंडेस ओवेन्स ने इस मुद्दे को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उठाया, जहां उनके 6 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
इमैनुएल-ब्रिजिट की शादी की कहानी:
इमैनुएल मैक्रों और ब्रिजिट मैक्रों 2007 से विवाहित हैं। उनकी पहली मुलाकात हाई स्कूल में हुई थी, जब ब्रिजिट वहां पढ़ाती थीं और उनका नाम उस समय ब्रिजिट औज़िरे था। उस समय ब्रिजिट पहले से शादीशुदा थीं और उनके तीन बच्चे थे।
इमैनुएल, जो अब 47 साल के हैं और अपने दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में हैं, ने किशोरावस्था में ही तय कर लिया था कि एक दिन वे ब्रिजिट से शादी करेंगे। ब्रिजिट 72 साल की उम्र में अपने पहले पति से तलाक लेने के बाद पेरिस में इमैनुएल के साथ रहने लगीं और अंत में दोनों ने शादी कर ली।
निष्कर्ष:
इस मुकदमे के माध्यम से मैक्रों दंपति अपनी और फ्रांस की प्रथम महिला की प्रतिष्ठा की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं, और अदालत में पेश किए जाने वाले फोटोग्राफिक और वैज्ञानिक सबूत उनके पक्ष को मजबूत साबित करने में अहम भूमिका निभाएंगे।