संसद में मणिपुर GST(दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 पारित: अक्टूबर में जारी हुआ था अध्यादेश, फिलहाल मणिपुर में लागु है राष्ट्रपति शासन..

संसद ने मंगलवार को मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी। यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि इससे मणिपुर का GST कानून अब केंद्र सरकार द्वारा पहले से लागू सुधारों के अनुरूप हो जाएगा। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में ये सुधार लागू नहीं हो पाए थे, इसलिए अब इस विधेयक के माध्यम से 2017 के GST कानून में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। यह विधेयक हाल ही में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसे 7 अक्टूबर, 2025 को प्रख्यापित किया गया था।

Manipur GST Second Amendment Bill 2025 passed in Parliament

राज्यसभा में चर्चा की मुख्य बातें:

राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए मनोनीत सदस्य हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि सरकार मणिपुर में शांति लौटाने, लोगों का विश्वास वापस लाने और जीवन को सामान्य बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि यह विधेयक राज्य की कर व्यवस्था को मजबूत करेगा और राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा।

 

भाजपा सांसद महाराजा सनाजाओबा लीशेम्बा ने कहा कि यह विधेयक मणिपुर के कर प्रशासन को केंद्र के जीएसटी कानून के साथ पूरी तरह जोड़ देगा। इससे प्रशासनिक स्थिरता बढ़ेगी और यह मणिपुर की वर्तमान परिस्थितियों में शांति का सहारा बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून मणिपुर को मजबूत और भविष्य के विकास के लिए तैयार बनाता है।

 

भाजपा के दिनेश शर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है और यह विधेयक मणिपुर की आर्थिक प्रगति को और तेज़ करेगा। कई अन्य सदस्यों ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया।

 

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के कारण जारी हुआ था अध्यादेश:

मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, क्योंकि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लिया गया था। GST सुधारों के समय संसद का सत्र नहीं चल रहा था और राज्य में हालात ऐसे थे कि मणिपुर के GST कानून को तुरंत केंद्र के GST कानून के अनुरूप बनाना जरूरी था।

 

इसी वजह से राष्ट्रपति ने अक्टूबर 2025 में मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) अध्यादेश, 2025 जारी किया। अब इस अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए संसद में मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया है, ताकि इसे अध्यादेश की जगह एक स्थायी कानून बनाया जा सके।

 

अध्यादेश क्या है ?

अध्यादेश एक अस्थायी कानून होता है जिसे राष्ट्रपति तब जारी करते हैं जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो और तुरंत कानून बनाने की आवश्यकता हो। अनुच्छेद 123 के तहत जारी किया गया अध्यादेश संसद की मंजूरी मिलने तक कानून की तरह प्रभावी रहता है, लेकिन संसद के दोबारा बैठने के छह सप्ताह के भीतर इसे मंजूरी देना जरूरी होता है, वरना यह स्वतः समाप्त हो जाता है। राज्यों में भी राज्यपाल अनुच्छेद 213 के तहत इसी तरह अध्यादेश जारी कर सकते हैं।

 

राष्ट्रपति शासन क्या है ?

राष्ट्रपति शासन वह स्थिति है जब किसी राज्य में चुनी हुई सरकार ठीक से काम नहीं कर पाती और राज्य का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में चला जाता है। इसे संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है, जिसे राज्य आपातकाल भी कहा जाता है। यह तब लगाया जाता है जब राज्यपाल की रिपोर्ट या अन्य सूचनाओं से लगता है कि राज्य सरकार संवैधानिक रूप से काम नहीं कर सकती।

 

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इसे दो महीने के भीतर संसद की मंजूरी लेनी होती है। यह पहले छह महीने के लिए लागू होता है और संसद की अनुमति से अधिकतम तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति चाहें तो इसे किसी भी समय समाप्त भी कर सकते हैं।

 

वर्त्तमान में चल रहा है शीतकालीन सत्र:

वर्तमान में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और सरकार ने इस दौरान विचार के लिए कुल 13 विधेयक पेश करने की योजना बनाई है। इनमें से कई विधेयकों की स्थायी समिति द्वारा समीक्षा अभी नहीं हुई है। इस सत्र में जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है, उनमें जन विश्वास संशोधन विधेयक, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन, राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन, परमाणु ऊर्जा विधेयक, कॉर्पोरेट कानून संशोधन, प्रतिभूति बाजार संहिता (SMC) विधेयक, बीमा कानून संशोधन, मध्यस्थता और सुलह संशोधन तथा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।

 

संसद के सत्र:

संसद के सत्र ऐसे समय होते हैं जब जनप्रतिनिधि देश से जुड़े मुद्दों पर बहस करते हैं, फैसले लेते हैं और कानून बनाते हैं। अनुच्छेद 85 संसद के सत्रों को लेकर नियम तय करता है:

  • अनुच्छेद 85(1): राष्ट्रपति संसद को जब उचित समझें, बैठक के लिए बुलाते हैं। दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता।
  • अनुच्छेद 85(2): राष्ट्रपति संसद को स्थगित कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर लोकसभा को भंग भी कर सकते हैं।

 

संसद के विभिन्न सत्रों के प्रकार:

साल में आम तौर पर संसद के तीन मुख्य सत्र होते हैं। संविधान में दिनों या सत्रों की संख्या तय नहीं है, लेकिन ये सत्र संसद के कामकाज को पूरे साल नियमित रूप से चलाने के लिए जरूरी हैं।

  • बजट सत्र: बजट सत्र फरवरी-मार्च में होता है और राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है। इसमें नए वित्तीय वर्ष का केंद्रीय बजट पेश किया जाता है, जिस पर सांसद चर्चा और समीक्षा करते हैं। यही सत्र सरकार की सालभर की वित्तीय नीतियों और योजनाओं को तय करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • मानसून सत्र: मानसून सत्र जुलाई–अगस्त के बीच होता है और इसका मुख्य फोकस नए कानून पेश करना, उन पर बहस करना और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करना होता है। इस दौरान सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब भी देती है। यह सत्र खास तौर पर विधेयकों (Bills) से जुड़े काम के लिए जाना जाता है।
  • शीतकालीन सत्र: शीतकालीन सत्र नवंबर–दिसंबर में होता है और इसमें सरकार की नीतियों की समीक्षा, लंबित विधेयकों पर चर्चा तथा उन्हें आगे बढ़ाने जैसे काम किए जाते हैं। इस दौरान सवाल-जवाब, बहस और प्रस्तावों के माध्यम से सरकार के कामकाज की जांच भी होती है। यह वर्ष का अंतिम संसदीय सत्र होता है।
  • विशेष सत्र: विशेष सत्र तब बुलाया जाता है जब किसी विशेष या तत्काल राष्ट्रीय मुद्दे पर सामान्य सत्रों से अलग चर्चा की आवश्यकता हो। संविधान में “विशेष सत्र” शब्द नहीं है, लेकिन सरकार जरूरत पड़ने पर संसद को बुला सकती है। अतीत में 1962 के भारत–चीन युद्ध और 1971 के भारत–पाकिस्तान संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण मौकों पर ऐसे सत्र हुए हैं। आम तौर पर यह सत्र किसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विषय या ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित किया जाता है।

 

निष्कर्ष:

मणिपुर GST संशोधन विधेयक, 2025 का पारित होना राज्य की कर व्यवस्था को राष्ट्रीय मानकों से जोड़ने और प्रशासन को स्थिर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे व्यापारिक गतिविधियाँ सुगम होंगी और मणिपुर के आर्थिक सुधार व विकास को आवश्यक गति मिलेगी।