POK में शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, सरकार से है नाराजगी: जाने क्या है पूरा मामला-

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना के लगाए गए बड़े-बड़े कंटेनरों को नदी में फेंक दिया। यह कंटेनर पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लगाए थे। इससे पहले सोमवार को हुई हिंसक झड़पों में दो लोग मारे गए और लगभग दो दर्जन लोग घायल हुए थे। पाकिस्तानी सेना और ISI समर्थित मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के हथियारबंद लोगों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई थी।

Massive protests erupt in PoK against the Shahbaz Sharif government sparking outrage

प्रदर्शनकारी अपनी 38 सूत्री मांगों के लिए सड़कों पर हैं और उनका कहना है कि उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया है। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी पुलिसकर्मियों पर पत्थराव भी किया, जिससे उन्हें पीछे हटना पड़ा। इस पूरे क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं। प्रदर्शन के कारण स्थानीय बाजार, दुकानें और कारोबार पूरी तरह ठप्प हैं। पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ नारेबाजी भी हो रही है।

 

पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी: ये जूतों से मनाने वाले हैं, बातों से नहीं

सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सेना के खिलाफ ‘हम तुम्हारी मौत हैं’ जैसे नारे लगाए। आवामी एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा, ये जूतों से मनाने वाले हैं, बातों से नहीं।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि उन मौलिक अधिकारों के लिए है, जो 70 साल से स्थानीय लोगों को नहीं मिले। मीर ने चेतावनी दी कि या तो ये अधिकार दिए जाएं, या जनता के गुस्से का सामना किया जाए। प्रदर्शन मीरपुर, कोटली, रावलकोट, नीलम घाटी, केरन समेत कई जगहों पर लगातार जारी हैं।

 

POK में AAC के साथ विफल वार्ता के बाद विरोध जारी:

पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर (POK) में हालिया विरोध प्रदर्शन Awami Action Committee (AAC) और प्रशासनिक अधिकारियों तथा केंद्रीय मंत्रियों के बीच लंबी बातचीत के विफल होने के बाद शुरू हुए। करीब 13 घंटे की वार्ता के बावजूद AAC ने विशेषाधिकार और शरणार्थी विधानसभा के आरक्षित सीटों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया।

AAC के प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी संस्था या विचारधारा के खिलाफ नहीं है, बल्कि 70 वर्षों से नकारे जा रहे मौलिक अधिकारों की मांग है।

POK में AAC का 38-बिंदु चार्टर: क्या है इनकी मुख्य मांग?

  • 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करने की मांग: सबसे पहले, AAC ने 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करने की मांग की है, जो पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं। उनका तर्क है कि ये सीटें स्थानीय प्रतिनिधित्व को प्रभावित करती हैं और इस्लामाबाद को अनावश्यक राजनीतिक नियंत्रण का मौका देती हैं।
  • जलविद्युत परियोजनाओं पर पुनर्विचार की मांग: इसके अलावा, AAC ने जलविद्युत परियोजनाओं पर पुनर्विचार की मांग की है, ताकि मंगला और नीलम-झेलम बांधों से उत्पन्न बिजली का सीधा लाभ स्थानीय समुदायों को मिले। साथ ही बिजली की कीमतों को स्थानीय उत्पादन लागत से जोड़कर आम नागरिकों के लिए ऊर्जा की लागत कम करने की भी मांग शामिल है।
  • आटा और बिजली बिलों पर सब्सिडी की भी मांग: चार्टर में महंगाई के खिलाफ आटा सब्सिडी और बिजली बिलों पर सब्सिडी की भी मांग की गई है, ताकि रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करना आम नागरिकों के लिए आसान हो सके। AAC का कहना है कि ये उपाय स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार और उनके आर्थिक अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी हैं।
  • न्यायिक और प्रशासनिक सुधार: न्यायपालिका में जवाबदेही बढ़ाने और प्रशासनिक ढांचे में भ्रष्टाचार व राजनीतिक संरक्षण को कम करने के लिए संरचनात्मक बदलाव।
  • कर में राहत: स्थानीय करों में कटौती, विशेष रूप से छोटे व्यापारियों और व्यवसायों के लिए, जो महंगाई के प्रभाव से प्रभावित हैं।
  • सड़क और बुनियादी ढांचा: दूरदराज घाटियों से जोड़ने के लिए लंबित सड़क परियोजनाओं का निर्माण, व्यापार मार्गों में सुधार और बेहतर परिवहन सुविधाएँ।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य: सभी निवासियों के लिए मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ, विशेषकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ स्कूल और अस्पताल कम हैं।
  • रोजगार और नौकरियाँ: शरणार्थियों के लिए आरक्षित नौकरी कोटा समाप्त करना और स्थानीय युवाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।
  • आवास और राहत परियोजनाएँ: प्राकृतिक आपदाओं और संघर्ष के कारण प्रभावित परिवारों के लिए पुनर्वास और मुआवजा।

POK में 12 आरक्षित विधानसभा सीटें विवाद का केंद्र: जाने पूरा मामला-

पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर (POK) की अधिनियमित विधानसभा में कुल 53 सीटें हैं, जिनमें 45 सीधे चुने जाने वाले सदस्य और 8 आरक्षित सीटें शामिल हैं(महिलाओं, तकनीकी विशेषज्ञों आदि के लिए )।इसके अतिरिक्त  12 सीटें कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं , जो पाकिस्तान में बसे हैं।

स्थानीय नागरिक समाज और Awami Action Committee (AAC) का कहना है कि ये सीटें स्थानीय प्रतिनिधित्व को कमजोर करती हैं और इस्लामाबाद को PoK की राजनीति पर अनावश्यक नियंत्रण का अवसर देती हैं। स्थानीय लोग महसूस करते हैं कि इन सीटों के प्रतिनिधि स्थानीय जरूरतों और मुद्दों से कटे हुए हैं, क्योंकि वे पाकिस्तान में बसे शरणार्थियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 

मंगला डैम बिजली विवाद: स्थानीय समुदायों क्या कर रहा मांग?

Awami Action Committee (AAC) के लिए मंगला डैम एक प्रमुख मुद्दा है। इस डैम से कुल 1400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन इसका लगभग 80% हिस्सा पंजाब और सिंध प्रांतों में भेजा जाता है। इसके विपरीत, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में रहने वाले लोगों को यह बिजली बहुत महंगी दर पर मिलती है और उन्हें मूलभूत सुविधाओं और रोजगार की कमी का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोग और AAC का कहना है कि यह असमान वितरण और महंगी बिजली क्षेत्रीय असंतोष का मुख्य कारण है। AAC की मांग है कि मंगला डैम से उत्पन्न बिजली का अधिकतम लाभ स्थानीय समुदायों को मिले, ताकि ऊर्जा की लागत कम हो और क्षेत्र के विकास और रोजगार के अवसर बढ़ें।

 

मंगला डैम कहा है?

मंगला डैम, पाकिस्तान में झेलम नदी पर स्थित एक बड़ा बहुउद्देश्यीय डैम है। यह अज़ाद कश्मीर के मीरपुर जिले में स्थित है और मुख्य रूप से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने और जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनाया गया।

डैम का निर्माण 1961 में शुरू हुआ और 1967 में पूरा हुआ, और इसे इंडस बेसिन प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में विकसित किया गया, जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए जल संधि के तहत स्थापित हुआ था।

इस डैम की प्राथमिक भूमिकाएँ हैं:

  • सिंचाई के लिए जल भंडारण: विशेष रूप से सूखे मौसम के दौरान कृषि क्षेत्र को पानी उपलब्ध कराना।
  • जलविद्युत ऊर्जा उत्पादन: क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करना और स्थानीय उद्योग एवं आबादी के लिए ऊर्जा प्रदान करना।

मंगला डैम का महत्व न केवल ऊर्जा उत्पादन और कृषि के लिए है, बल्कि यह POK के स्थानीय विकास और आर्थिक स्थिरता में भी अहम योगदान देता है।

 

PoK में विकास और मानवाधिकार का हनन: लोगो मे आक्रोश-

आर्थिक स्थिति और विकास: पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) लंबे समय से विकासहीनता, उच्च गरीबी और पाकिस्तान पर आर्थिक निर्भरता से जूझ रहा है। क्षेत्र में हालिया बुनियादी ढांचा विकास का अधिकांश हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के माध्यम से चीनी निवेश द्वारा संचालित है, जिसमें सड़कें, रेलवे और ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं।

विकास असमानता और संसाधन शोषण: रिपोर्टों के अनुसार PoK में गरीबी दर भारतीय नियंत्रित जम्मू-कश्मीर के मुकाबले काफी अधिक है और बुनियादी ढांचा बेहद सीमित है। क्षेत्र के खनिज संसाधनों के शोषण के आरोप लगते रहे हैं, जहां निजी फर्में सैन्य समर्थन के साथ काम करती हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका न्यूनतम लाभ मिलता है।

मूलभूत जरूरतों की कमी: शिक्षा का स्तर बेहद कम है, मुद्रास्फीति उच्च है और रोजमर्रा की बुनियादी आवश्यकताएं जैसे आटा, बिजली और पानी पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं।

मानवाधिकार स्थिति: अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने PoK में मौलिक स्वतंत्रताओं पर लगातार प्रतिबंधों की रिपोर्ट दी है।

  • संविधानिक स्वतंत्रताओं का दमन, अनियमित अपहरण, और सत्तावादी मीडिया नियंत्रण जैसी समस्याएं मौजूद हैं। रिपोर्टों में बताया गया है कि पत्रकारों पर दबाव है, जिससे वे आत्म-सेंसरशिप करने को मजबूर हैं।

 

पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के बारे मे:

पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन रियासत का हिस्सा था। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल किया। इसके बावजूद अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना ने PoK पर कबायली हमला कर कब्जा कर लिया। वर्तमान में PoK में तथाकथित आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान शामिल हैं। 1963 में ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट चीन को सौंपा गया, जिसके बदले में चीन ने काराकोरम राजमार्ग निर्माण में सहायता देने का वादा किया।

PoK 1974 के आजाद कश्मीर अंतरिम संविधान अधिनियम के तहत शासित है। क्षेत्र में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और एक परिषद है, लेकिन शासी संरचना पूरी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर है।

 

पाक अधिकृत कश्मीर की भौगोलिक स्थिति:

PoK की सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान, उत्तर में चीन और पूर्व में भारत के जम्मू-कश्मीर से मिलती है।

प्रमुख ग्लेशियल झीलों में चिट्टा काटा, रत्ती गली, शौंटर, साराल, बाग़सर, बांजोसा, गंगा और सुबरी झीलें शामिल हैं। प्रमुख नदियाँ हैं किशनगंगा/नीलम, जेह्लम और पोंछ

PoK का कुल क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किलोमीटर और अनुमानित जनसंख्या 2,580,000 है। गिलगित-बाल्टिस्तान की जनसंख्या 870,347 है। राजधानी मुजफ्फराबाद है, जो आतंकवादियों और लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल हेडक्वार्टर का गढ़ भी रही है। 2008 में मुंबई हमलों के प्रमुख आरोपी इसी क्षेत्र से गिरफ्तार हुए थे।

 

PoK मे चीन का बढ़ता प्रभाव:

PoK चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का अहम हिस्सा है, जो चीन के शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है। चीन PoK में सड़क, रेल और ऊर्जा परियोजनाओं में भारी निवेश कर रहा है, जिससे यह क्षेत्र बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

 

भारत के लिए रणनीतिक महत्व और सुरक्षा चुनौतियाँ

रणनीतिक स्थिति:

PoK का भौगोलिक स्थान इसे बेहद रणनीतिक बनाता है। यह क्षेत्र पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा (पूर्व उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत) से, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से, उत्तर में चीन के शिनजियांग प्रांत से और पूर्व में भारत के जम्मू और कश्मीर से मिलता है। यह स्थिति PoK को सैन्य, व्यापार और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अहम गलियारा बनाती है, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के माध्यम से चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव भी शामिल है।

भारत के लिए चुनौतियाँ:

यह क्षेत्र भारत के लिए कई सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा करता है। PoK के माध्यम से आतंकवादी घुसपैठ की दर काफी उच्च है, और इसे कई आतंकवादी समूह अपने प्रशिक्षण और संचरण मार्ग के रूप में उपयोग करते हैं। पाकिस्तान ने वर्षों में PoK की जनसांख्यिकी बदल दी है, जिससे मूल आबादी का अनुपात घट गया है। इसमें पूर्व सैनिकों, पंजाबी और पठानों को बसाया गया है। जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की निगरानी अपेक्षाकृत आसान है, पूरे PoK क्षेत्र की सुरक्षा संवेदनशील बनी हुई है क्योंकि यह सीमाओं के निकट है और यहाँ सैन्य गतिविधियाँ और विवाद लगातार जारी हैं।

 

राजनाथ सिंह का PoK पर दावा: “भारत बिना किसी आक्रामक कदम के वापस पाएगा PoK”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही मे मोरक्को में भारतीय समुदाय से बातचीत के दौरान कहा कि भारत पाकिस्तान-आधारित कश्मीर (PoK) का नियंत्रण वापस लेगा, लेकिन इसके लिए किसी भी आक्रामक कदम की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बताया कि PoK में लोग वर्तमान प्रशासन से खुश नहीं हैं और वहां स्वतंत्रता की मांगें उठ रही हैं।

सिंह ने कहा, “PoK अपने आप हमारा होगा। वहां मांगें उठनी शुरू हो गई हैं, आपने नारेबाजी के बारे में सुना होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के एक कार्यक्रम के दौरान भी यही बात दोहराई थी।

 

निष्कर्ष:

PoK में विरोध स्थानीय उपेक्षा, संसाधनों के असमान वितरण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी के खिलाफ है। AAC ने आरक्षित सीटों का खात्मा, मंगला डैम से लाभ, आटा और बिजली पर सब्सिडी जैसी मांगें की हैं। पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा तैनाती और इंटरनेट ब्लैकआउट के जरिए प्रदर्शन दबाने की कोशिश की है, जबकि राजनीतिक और संरचनात्मक बदलाव चुनौती बने हुए हैं।

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