मॉरीशस के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा: सात समझौते हुए, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार पर भी हुई बातचीत..

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आमंत्रण पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम 9 से 16 सितंबर 2025 तक भारत की राजकीय यात्रा पर है । अपने कार्यकाल में यह उनकी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है । इस दौरान भारत और मॉरीशस के बीच सात समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर हुए तथा विज्ञान, अंतरिक्ष, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और सुशासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अहम घोषणाएँ की गईं।

Mauritius Prime Minister's visit to India

भारत-मॉरीशस समझौते (MOU):

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: दोनों देशों ने संयुक्त अनुसंधान, नवाचार और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई।
  • महासागर अध्ययन (Oceanography): भारत के राष्ट्रीय समुद्री विज्ञान संस्थान और मॉरीशस ओशनोग्राफी संस्थान ने समुद्री निर्माण और अनुसंधान पर सहयोग का फैसला किया।
  • लोक सेवा सुधार: कर्मयोगी भारत और मॉरीशस लोक सेवा सुधार मंत्रालय ने सुशासन, ई-लर्निंग और सिविल सेवा प्रशिक्षण पर समझौता किया।
  • ऊर्जा और विद्युत क्षेत्र: विद्युत ऊर्जा एकीकरण और ऊर्जा प्रबंधन को लेकर नया सहयोग समझौता हुआ।
  • लघु विकास परियोजनाएँ: भारत ने लघु उद्योगों के लिए अनुदान सहायता देने का वचन दिया।
  • समुद्री सुरक्षा (Astrography Cooperation): हिंद महासागर में नौवहन सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता बढ़ाने के लिए साझेदारी की गई।
  • अंतरिक्ष सहयोग: मॉरीशस में एक खगोल विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिससे भारत के उपग्रह और अंतरिक्ष अनुसंधान मिशनों में सहयोग मिलेगा।

 

मॉरिशस के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा:

भारत ने गुरुवार को मॉरीशस के लिए करीब 680 मिलियन अमेरिकी डॉलर का विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा इस पैकेज के तहत सर शिवसागर रामगुलाम राष्ट्रीय अस्पताल में 500 बिस्तरों की सुविधा, एक पशु चिकित्सा विद्यालय एवं अस्पताल, और एक आयुष उत्कृष्टता केंद्र जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जाएगा।

 

जल्द ही शुरू होगा स्थानीय मुद्राओं में व्यापार:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और मॉरीशस जल्द ही स्थानीय मुद्राओं में व्यापार की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि यह पहल दोनों देशों के बीच वित्तीय और आर्थिक संबंधों को नई मजबूती देगी और व्यापार को और अधिक सरल, तेज़ और लाभकारी बनाएगी।

 

कुछ अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ:

  1. शैक्षणिक सहयोग:
  • मद्रास विश्वविद्यालय और मॉरीशस विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक व अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।
  • भारतीय वृक्षारोपण प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु और मॉरीशस विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन
  1. नवीकरणीय ऊर्जा पहल:
  • भारत मॉरीशस में टैमरिंड फॉल्स पर 17.5 मेगावाट वर्टिकल फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना का समर्थन करेगा।
  • इस परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए NTPC लिमिटेड की टीम मॉरीशस की सेंट्रल इलेक्ट्रिकल बोर्ड (CEB) के साथ मिलकर काम कर रही है।

 

इस यात्रा के क्या मायने है?

यह यात्रा भारत के उस बड़े लक्ष्य से जुड़ी है, जिसके तहत वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना, सतत विकास को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सहयोग तथा क्षमता निर्माण के माध्यम से बाहरी प्रभावों का संतुलन बनाना चाहता है। मॉरीशस, भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी होने के नाते “सागर विज़न” का अहम हिस्सा है। इस साझेदारी से न केवल आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी और भारत एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में और अधिक स्थापित होगा।

 

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत–मॉरीशस सहयोग पर विस्तृत चर्चा:

  1. समुद्री सुरक्षा और सहयोग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और मॉरीशस के बीच समुद्री क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा हिंद महासागर क्षेत्र में पहला प्रतिक्रिया देने वाला और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला देश रहा है। इसी सहयोग के तहत मॉरीशस के तटरक्षक जहाज की मरम्मत भारत में की जा रही है और उनके 120 अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।
  2. हाइड्रोग्राफी में साझेदारी: दोनों देशों ने हाइड्रोग्राफी (समुद्री सर्वेक्षण) के क्षेत्र में समझौता किया है। इसके तहत अगले पाँच वर्षों में भारत और मॉरीशस मिलकर संयुक्त सर्वेक्षण, नेविगेशन चार्ट और EEZ (Exclusive Economic Zone) से संबंधित हाइड्रोग्राफिक डाटा पर कार्य करेंगे।
  3. पड़ोसी पहले’ और ‘महासागर’ दृष्टिकोण: पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति और “महासागर” विजन का अहम हिस्सा है। यह दृष्टिकोण उन्होंने अपनी मार्च की मॉरीशस यात्रा के दौरान प्रस्तुत किया था।
  4. नई पहलें: भारत ने मॉरीशस में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक नया निदेशालय स्थापित करने की घोषणा की है। साथ ही, जल्द ही वहां मिशन कर्मयोगी के प्रशिक्षण मॉड्यूल भी शुरू किए जाएंगे।

 

चागोस समझौते पर पीएम मोदी ने मॉरीशस को दी बधाई, बताया ऐतिहासिक जीत:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता को लेकर हुए ऐतिहासिक समझौते पर मॉरीशस और उसके प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ रामगुलाम को बधाई दी। मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस भले ही दो अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे सपने और नियति एक है।

मीडिया से बातचीत में पीएम मोदी ने इस समझौते को मॉरीशस की संप्रभुता की ऐतिहासिक जीत बताया और कहा कि भारत ने हमेशा उपनिवेशवाद का विरोध किया है तथा इस मुद्दे पर लगातार मॉरीशस का साथ दिया है।

 

ब्रिटेन ने छोड़ा 50 साल पुराना नियंत्रण:

मई 2025 में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक समझौते के तहत चागोस द्वीप समूह, जिसमें डिएगो गार्सिया भी शामिल है, की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने का निर्णय लिया। यह फैसला ब्रिटेन द्वारा इन द्वीपों पर 50 साल से अधिक समय तक अधिकार बनाए रखने के बाद आया है।

हालांकि, समझौते के तहत डिएगो गार्सिया की सुरक्षा की जिम्मेदारी अभी भी ब्रिटेन के पास रहेगी।

 

मॉरीशस की प्रतिक्रिया: प्रधानमंत्री रामगुलाम ने कहा कि यह समझौता भारत-मॉरीशस संबंधों को और मजबूत करेगा और अब दोनों देशों के रिश्ते सक्रिय और भविष्य की दृष्टि वाली दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

 

चागोस द्वीपसमूह के बारे मे:

  • स्थान और भौगोलिक विशेषताएँ: चागोस द्वीपसमूह हिंद महासागर के मध्य भाग में स्थित है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में और मॉरीशस से लगभग 500 किलोमीटर दक्षिण में है। इसमें 60 से अधिक छोटे-बड़े द्वीप शामिल हैं, जो सात एटोल (प्रवाल द्वीपों के समूह) में बंटे हुए हैं।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: यह क्षेत्र पहले ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का हिस्सा था। 1960–70 के दशक में चागोस के मूल निवासी क्रियोल-भाषी चागोसियन लोगों को जबरन उनके घरों से हटाया गया, ताकि डिएगो गार्सिया द्वीप पर अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थापित किया जा सके।
  • संप्रभुता और विवाद: चागोस द्वीपसमूह मूल रूप से मॉरीशस का हिस्सा था, लेकिन ब्रिटेन ने 1965 में इसे मॉरीशस से अलग कर अपने अधीन ले लिया। मॉरीशस लंबे समय से इस क्षेत्र पर संप्रभुता का दावा करता रहा।
  • साल 2025 में एक ऐतिहासिक समझौते के तहत ब्रिटेन ने आखिरकार चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंप दी। यह कदम 211 वर्षों पुराने विवाद का समाधान है। यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की सिफारिशों के अनुरूप लिया गया।
  • भारत की भूमिका: भारत ने हमेशा मॉरीशस की संप्रभुता का समर्थन किया है और इस समझौते का स्वागत किया है। भारत ने मॉरीशस के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जिसमें चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र के विकास में सहयोग भी शामिल है।

 

निष्कर्ष: भारत और मॉरीशस की गहरी होती साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ जन-समृद्धि और ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पूरा करने का आधार बनेगी।