म्यांमार साइबर अपराध छापेमारी: भारत सरकार थाईलैंड से 500 भारतीयों को स्पेशल फ्लाइट से वापस लाएगी, छापा पड़ने के बाद म्यांमार से थाईलैंड भागे थे..

म्यांमार में चीनी माफिया द्वारा संचालित साइबर फ्रॉड हब से भागे करीब 500 भारतीय नागरिक थाईलैंड में फंस गए हैं, जिन्हें अब भारतीय सरकार वतन वापस लाने की तैयारी में है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने बताया कि भारत सरकार अपने नागरिकों को घर लाने के लिए एक विशेष विमान भेजने की तैयारी कर रही है। फिलहाल ये सभी भारतीय पश्चिमी थाईलैंड के माई सोत क्षेत्र में हैं और दोनों देश आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उनकी वापसी सुनिश्चित कर रहे हैं।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा,

थाई अधिकारियों ने कुछ भारतीय नागरिकों को हिरासत में लिया है, जो हाल के दिनों में म्यांमार से थाईलैंड पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि थाईलैंड में भारतीय दूतावास उनकी पहचान की पुष्टि करने और जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें भारत वापस लाने के लिए थाई अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

पूरा मामला क्या है?

पूरा मामला म्यांमार के कुख्यात के.के. पार्क साइबर अपराध केंद्र से जुड़ा है। पिछले हफ्ते म्यांमार की सेना ने इस परिसर पर सैन्य अभियान चलाया, जिसके बाद वहां काम कर रहे कई विदेशी नागरिक भागकर थाईलैंड की सीमा तक पहुंच गए। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, 28 देशों के 1,500 से ज्यादा लोग थाईलैंड में शरण लिए हुए हैं। वही, म्यांमार से थाईलैंड भागे भारतीयों में घोटाला केंद्रों के पीड़ित और उनके संचालन में शामिल व्यक्ति दोनों शामिल हैं। के.के. पार्क और आसपास के इलाके चीनी अपराध गिरोहों द्वारा चलाए जाते हैं, जिन्हें म्यांमार की सेना से जुड़े स्थानीय मिलिशिया समूहों का संरक्षण मिलता है।

 

KK पार्क: एक कुख्यात साइबर फ्रॉड सेंटर:

म्यांमार का के.के. पार्क एक कुख्यात साइबर फ्रॉड केंद्र है, जिसे चीनी माफिया गिरोह चलाते हैं। यहां कई देशों के लोगों को नकली नौकरी का झांसा देकर बुलाया जाता है और फिर उन्हें ऑनलाइन ठगी और धोखाधड़ी के काम में जबरन लगाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद थाईलैंड, म्यांमार, लाओस और कंबोडिया की सीमाओं पर ऐसे सैकड़ों फ्रॉड हब बन गए हैं। इन जगहों पर जबरन काम करवाए जाने और मानव तस्करी के जरिए हर साल अरबों डॉलर की ठगी की जाती है।

 

मामले पर थाई प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने बताया कि भारतीय राजदूत जल्द ही थाई आव्रजन विभाग के प्रमुख से मुलाकात करेंगे, ताकि लगभग 500 भारतीय नागरिकों की पहचान और कानूनी जांच की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत ने थाईलैंड से सहयोग मांगा है और अपने नागरिकों को घर लाने के लिए एक विमान भेजने की योजना बनाई है। यह विमान सीधे थाईलैंड के माई सोत क्षेत्र में उतरेगा।

 

विदेश मंत्री जयशंकर ने भी जताई थी चिंता:

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 27 अक्टूबर को कुआलालंपुर में हुए 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बने साइबर घोटाला केंद्रों ने कई भारतीय नागरिकों को धोखे से फंसा लिया है। जयशंकर ने कहा, “हम इन साइबर फ्रॉड केंद्रों को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इनमें हमारे नागरिक भी फंसे हुए हैं।”

 

भारत सरकार फंसे नागरिकों को बचाने के लिए हमेशा एक्टिव:

भारत सरकार लगातार दक्षिण-पूर्व एशिया में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए सक्रिय है। इसी साल मार्च में म्यांमार-थाईलैंड सीमा से 549 भारतीयों को सफलतापूर्वक वापस लाया गया था। विदेश मंत्रालय ने लोगों को चेतावनी दी है कि विदेश में नौकरी के ऑफर स्वीकार करने से पहले एजेंटों और कंपनियों की जांच जरूर करें।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी अप्रैल में बैंकॉक में हुए बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार के सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग से इस मुद्दे पर चर्चा की थी। दोनों देशों ने सीमा पार अपराध, मानव तस्करी और विद्रोही गतिविधियों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने पर सहमति जताई थी। फिलहाल थाईलैंड के माई सोत में मौजूद भारतीयों को अस्थायी शरणस्थलों में रखा गया है, जहां उन्हें भोजन और सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

 

जुलाई 2022 से अब तक 1,600 से अधिक भारतीय वापस लाए गए:

24 अक्टूबर को म्यांमार में भारतीय दूतावास ने जानकारी दी कि जुलाई 2022 से अब तक 1,600 से अधिक भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया जा चुका है। दूतावास ने यह भी बताया कि बाकी मामलों पर भी सक्रिय रूप से काम किया जा रहा है, ताकि सभी फंसे हुए भारतीयों को जल्द से जल्द स्वदेश लौटाया जा सके।

 

म्यांमार कैसे पहुंचे भारतीय?

म्यांमार के इन साइबर घोटाला केंद्रों में फंसे कई लोग फर्जी नौकरी के झांसे में आए थे। ऑनलाइन “वर्क फ्रॉम होम” या “टेक्निकल” नौकरियों का ऑफर देकर उन्हें पहले थाईलैंड बुलाया गया और फिर अवैध रूप से म्यांमार के मिलिशिया-नियंत्रित इलाकों में ले जाया गया। वहां पहुंचते ही उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और उन्हें रोज़ 16 घंटे तक ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया। जो लोग तय लक्ष्य पूरा नहीं कर पाते थे, उन्हें पीटा जाता, भूखा रखा जाता या दूसरे गिरोहों को बेच दिया जाता था।

अब बचाए गए भारतीय अपने देश लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन अभी भी यह चिंता बनी हुई है कि ऐसे घोटाला केंद्रों में कितने लोग अब भी फंसे हुए हैं। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, मेकांग क्षेत्र में हज़ारों विदेशी नागरिक अभी भी ऐसे अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क के शिकार बने हुए हैं।

 

दुनिया में साइबर अपराध से जुड़े आँकड़े:

अगर साइबर अपराध को एक देश माना जाए, तो यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होती – अमेरिका और चीन के बाद। साल 2021 में साइबर अपराध से दुनिया को करीब 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।

साइबरसिक्योरिटी वेंचर्स के अनुसार, अगले पाँच सालों में यह नुकसान हर साल 15% की दर से बढ़ेगा और 2025 तक यह 10.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। यह इतिहास में धन का सबसे बड़ा अवैध हस्तांतरण माना जा रहा है, जो प्राकृतिक आपदाओं और मादक पदार्थों के वैश्विक व्यापार से भी ज्यादा नुकसानदायक है।

साइबर अपराध की लागत में डेटा की चोरी या नष्ट होना, धन की हानि, कामकाज में रुकावट, बौद्धिक संपदा की चोरी, धोखाधड़ी, और कंपनियों की साख को हुआ नुकसान शामिल है।

 

निष्कर्ष:

यह मामला दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते साइबर अपराध और मानव तस्करी की गंभीरता को दिखाता है। भारत सरकार थाईलैंड और म्यांमार के साथ मिलकर अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी पर काम कर रही है। यह हमें सावधान रहने और विदेशी नौकरी के प्रस्तावों की जांच करने की जरूरत की याद दिलाता है।

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