बड़ी एयरलाइंस का दबदबा होगा कम? भारतीय विमानन उद्योग में नई एंट्री, सरकार ने 3 नई कंपनियों को दी उड़ान की मंजूरी

केंद्र सरकार ने भारतीय विमानन उद्योग में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और बड़ी एयरलाइंस पर निर्भरता घटाने के उद्देश्य से तीन नई एयरलाइन कंपनियों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्रदान किया है। ये तीन एयरलाइंस हैं – शंख एयर, अलहिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस।

 

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब हाल ही में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के संचालन में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुए थे, जिसने भारतीय विमानन बाजार की कमजोरियों को उजागर किया था।

government granting permission to three new airlines to fly

इंडिगो संकट ने दिखाई विविधता की जरूरत

दिसंबर 2025 की शुरुआत में, इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड द्वारा संचालित इंडिगो को एक अभूतपूर्व परिचालन संकट का सामना करना पड़ा था। इस संकट ने घरेलू हवाई यात्रा को लगभग ठप कर दिया और हजारों यात्री देशभर के हवाई अड्डों पर फंसे रह गए।

 

इस आपात स्थिति में एक सप्ताह के भीतर 5,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, जिनमें केवल 5 दिसंबर को लगभग 1,600 उड़ानें निरस्त हुईं। यह संकट मुख्य रूप से इंडिगो के उच्च-उपयोग व्यवसाय मॉडल और पायलटों के लिए उड़ानों के बीच पर्याप्त आराम सुनिश्चित करने वाले नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के बीच टकराव से उत्पन्न हुआ था।

 

मूडीज रेटिंग्स के विश्लेषकों निधि ध्रुव और विकास हलन ने 8 दिसंबर के एक नोट में लिखा, “ये व्यवधान नकारात्मक प्रभाव डालने वाले हैं क्योंकि इंडिगो को उड़ान रद्दीकरण, धनवापसी और अन्य मुआवजे के कारण राजस्व की हानि से महत्वपूर्ण वित्तीय क्षति का सामना करना पड़ सकता है।”

 

मंत्री का बयान

नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि मंत्रालय का प्रयास भारत में नई एयरलाइंस को प्रोत्साहित करना रहा है। उन्होंने कहा, “उड़ान जैसी योजनाओं ने स्टार एयर, इंडिया वन एयर, फ्लाई91 जैसी छोटी एयरलाइनों को देश के भीतर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया है, और आगे विकास के लिए और भी अवसर हैं।”

 

NOC के बाद की प्रक्रिया

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त करने का अर्थ है कि सरकार ने इन कंपनियों को एयरलाइन प्रारंभ करने की आगामी प्रक्रियाओं को शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी है। अब अगला महत्वपूर्ण चरण डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) प्राप्त करना होगा।

 

इसके साथ ही इन एयरलाइंस को विमान बेड़े (फ्लीट), प्रशिक्षित पायलट और कर्मचारी, रखरखाव सुविधाएं और मार्ग नेटवर्क से संबंधित समस्त तैयारियां पूर्ण करनी होंगी। यह संपूर्ण प्रक्रिया सामान्यतः कई माह तक जारी रहती है। इस अवधि में यह स्पष्ट होता है कि कोई एयरलाइन आर्थिक दृष्टि से कितनी सुदृढ़ है और उड़ान संचालन के लिए कितनी सुसज्जित है।

 

तीनों एयरलाइंस की विशेषताएं

 

शंख एयर: उत्तर प्रदेश आधारित यह एयरलाइन स्वयं को एक पूर्ण-सेवा एयरलाइन के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रख रही है। कंपनी का मुख्य ध्यान प्रमुख महानगरों और बड़े राज्यों को परस्पर जोड़ने पर केंद्रित होगा। नेटवर्क का विस्तार क्रमिक रूप से किया जाएगा ताकि प्रारंभिक व्यय को नियंत्रित रखा जा सके।

 

योजनानुसार, एयरलाइन 2026 की प्रथम तिमाही में अपने परिचालन की शुरुआत करेगी। आगामी 2 से 3 वर्षों में अपने बेड़े में 20 से 25 विमान सम्मिलित करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है।

 

अलहिंद एयर: केरल के अलहिंद समूह से संबद्ध यह एयरलाइन पूर्व में यात्रा और पर्यटन उद्योग में सक्रिय थी। अब इसका परिचालन मॉडल क्षेत्रीय और कम लागत वाली कनेक्टिविटी प्रदान करने का होगा। कंपनी छोटे आकार के विमानों का उपयोग करके टियर-2 और टियर-3 शहरों को जोड़ने पर विशेष बल देगी।

 

फ्लाई एक्सप्रेस: यह एयरलाइन कार्गो और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से जुड़ी हुई है। देश में माल परिवहन की बढ़ती मांग को देखते हुए, कंपनी यात्री उड़ानों के साथ-साथ कार्गो सेवाएं भी उपलब्ध कराएगी। इससे उसे राजस्व का एक अतिरिक्त और स्थिर स्रोत प्राप्त होगा।

 

बाजार में वर्तमान स्थिति

भारतीय घरेलू विमानन बाजार वर्तमान में अत्यधिक केंद्रीकृत है। इंडिगो और एयर इंडिया समूह – जिसमें एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं – की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 90% से अधिक है। इंडिगो अकेले लगभग 65.6% बाजार हिस्सेदारी रखती है, जबकि एयर इंडिया की 25.7% है।

 

अकासा एयर की बाजार हिस्सेदारी 5.2%, स्पाइसजेट की 2.6% और शेष एयरलाइंस की केवल 0.9% है।

 

DGCA के अनुसार, वर्तमान में भारत में नौ परिचालनरत एयरलाइंस हैं: एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, इंडिगो, अलायंस एयर, अकासा एयर, स्पाइसजेट, स्टार एयर, फ्लाई91 और इंडियावन एयर।

 

चुनौतियां और संभावनाएं

पिछले दशक में गो फर्स्ट और जेट एयरवेज सहित अनेक एयरलाइंस ऋण समस्याओं के कारण संचालन बंद कर चुकी हैं। एयर इंडिया के निजीकरण के बाद उद्योग में कुछ समेकन हुआ है।

 

विमानन उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि नई एयरलाइंस के प्रवेश से भारतीय विमानन क्षेत्र में ताजा प्रतिस्पर्धा प्रारंभ होगी। हालांकि, इन नवीन एयरलाइंस के समक्ष वास्तविक चुनौती अब आरंभ होती है। उन्हें पूंजी संग्रहण, विमान बेड़े की तैयारी और सशक्त नेटवर्क निर्माण जैसे कार्य पूर्ण करने होंगे।

 

यदि ये एयरलाइंस सफल होती हैं, तो इसका प्रत्यक्ष लाभ यात्रियों को प्राप्त होगा। टिकटों के अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे और देश के विभिन्न क्षेत्रों की हवाई कनेक्टिविटी में सुधार होगा।