अल्ज़ाइमर के इलाज में नई उम्मीद: वैज्ञानिकों ने खोजे ऐसे माइक्रोग्लिया जो मस्तिष्क की रक्षा करते हैं

वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में पाए जाने वाले विशेष इम्यून सेल्स (Microglia) की ऐसी श्रेणी की पहचान की है जो अल्ज़ाइमर रोग की प्रगति को धीमा कर सकती है। ये माइक्रोग्लिया सूजन को कम करने और मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन के फैलाव को रोकने का काम करते हैं। यह खोज अल्ज़ाइमर के उपचार के लिए एक नई दिशा खोल सकती है।

New hope for Alzheimer treatment

क्या है अल्ज़ाइमर रोग?

 

·     परिचय: अल्ज़ाइमर एक प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार पर असर पड़ता है।

 

·     मुख्य लक्षण:

o  याददाश्त का धीरे-धीरे घटना

o  सोचने और निर्णय लेने में कठिनाई

o  व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव

o  समय और स्थान को लेकर भ्रम

 

·     कारण और जोखिम कारक:

उम्र: 65 वर्ष से अधिक आयु में सबसे अधिक खतरा

आनुवंशिकता: APP, PSEN1, PSEN2 जैसे जीन में बदलाव

प्रोटीन जमाव: एमिलॉइड और टाऊ प्रोटीन का असामान्य जमाव

जीवनशैली: धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह और निष्क्रिय जीवनशैली

 

·     निदान: MRI, PET स्कैन, बायोमार्कर टेस्ट और न्यूरोसाइकोलॉजिकल टेस्ट के ज़रिए किया जाता है।

 

·     इलाज: फिलहाल इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाएँ और थेरेपी लक्षणों को नियंत्रित कर सकती हैं।

 

·     प्रसार: दुनिया भर में लगभग 55 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
भारत में 2030 तक ऐसे मरीजों की संख्या 7.6 मिलियन तक पहुँच सकती है।

 

क्या है डिमेंशिया (Dementia)?

 

·     परिचय: डिमेंशिया एक सामूहिक शब्द (Umbrella Term) है, जो उन लक्षणों के समूह को दर्शाता है जिनमें व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं (Cognitive Abilities) – जैसे सोचने, याद रखने, निर्णय लेने और दैनिक कार्य करने की क्षमता – में धीरे-धीरे गिरावट आती है। यह गिरावट इतनी गंभीर होती है कि व्यक्ति के दैनिक जीवन और स्वतंत्र कार्यक्षमता पर प्रभाव डालती है।

 

·     वैश्विक प्रभाव:

o  डिमेंशिया वर्तमान में दुनिया में मृत्यु के सातवें प्रमुख कारणों में से एक है।

o  यह बुजुर्ग आबादी में विकलांगता और निर्भरता (Disability & Dependency) के सबसे बड़े कारणों में से एक है।

o  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लाखों नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं, और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है क्योंकि दुनिया की आबादी वृद्ध हो रही है।

 

Nature में प्रकाशित शोध

5 नवंबर को Nature जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन माइक्रोग्लिया में PU.1 नामक ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर का स्तर कम और CD28 रिसेप्टर का स्तर अधिक होता है, वे मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मददगार होते हैं।

ये विशेष माइक्रोग्लिया एमिलॉइड प्लाक्स (Amyloid Plaques) और टॉक्सिक टाऊ प्रोटीन (Tau Proteins) के जमाव को भी धीमा करते हैं – जो अल्ज़ाइमर रोग की प्रमुख पहचान माने जाते हैं।

 

PU.1 और CD28 की भूमिका

PU.1 एक प्रोटीन है जो डीएनए से जुड़कर तय करता है कि कौन से जीन सक्रिय या निष्क्रिय होंगे। वहीं CD28 एक रिसेप्टर है जो इम्यून कोशिकाओं (T-Cells) पर पाया जाता है और उनकी सक्रियता में मदद करता है। शोध में यह पाया गया कि जब PU.1 का स्तर घटता है, तो माइक्रोग्लिया लिम्फॉइड कोशिकाओं जैसी इम्यून विशेषताएँ दिखाने लगते हैं – जिससे वे मस्तिष्क में सूजन घटाते और याददाश्त की रक्षा करते हैं।

 

माइक्रोग्लिया: विनाशक नहीं, रक्षक

माइक्रोग्लिया केवल अल्ज़ाइमर के नुकसान पहुंचाने वाले घटक नहीं हैं, बल्कि वे मस्तिष्क के रक्षक बन सकते हैं,” ऐसा कहना है डॉ. ऐन शेफ़र, प्रोफेसर, आइकान स्कूल ऑफ मेडिसिन, न्यूयॉर्क की न्यूरोसाइंस विभाग की सह-अध्यक्ष और इस शोध की वरिष्ठ लेखिका का।

उन्होंने कहा कि यह खोज माइक्रोग्लिया की “प्लास्टिसिटी” (लचीलेपन) को दर्शाती है और यह बताती है कि कैसे ये कोशिकाएँ मस्तिष्क की विभिन्न अवस्थाओं में अलग-अलग भूमिका निभा सकती हैं।

 

वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी

रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. अलेक्जेंडर ताराखोव्स्की ने कहा,
“यह देखना चौंकाने वाला है कि जो अणु (molecules) पहले केवल B और T लिम्फोसाइट्स में जाने जाते थे, वे माइक्रोग्लिया को भी नियंत्रित करते हैं। यह खोज मस्तिष्क के लिए नई इम्यूनोथेरैपी रणनीतियों की नींव रखती है।”

 

आनुवंशिक संकेत: कम PU.1 स्तर से कम जोखिम

अध्ययन ने यह भी दिखाया कि PU.1 उत्पन्न करने वाले SPI1 जीन में आनुवंशिक परिवर्तन अल्ज़ाइमर के जोखिम को घटा सकते हैं। डॉ. एलिसन गोएट के पिछले शोधों ने यह पाया था कि SPI1 जीन के कुछ वैरिएंट्स रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं।
अब यह अध्ययन इस संबंध का जैविक (mechanistic) कारण भी स्पष्ट करता है।

 

इलाज की दिशा में नई संभावनाएँ

इस खोज से यह संभावना मजबूत हुई है कि माइक्रोग्लिया को लक्ष्य बनाकर इम्यूनोथेरैपी (Immunotherapy) विकसित की जा सकती है – जिससे अल्ज़ाइमर की प्रगति को रोका जा सके।

 

निष्कर्ष : अल्ज़ाइमर लंबे समय से चिकित्सा जगत के लिए एक चुनौती रहा है, लेकिन माइक्रोग्लिया पर यह नई खोज इस दिशा में आशा की किरण बनकर आई है।
यदि भविष्य के अध्ययन इसे मनुष्यों में प्रभावी सिद्ध करते हैं, तो यह खोज दुनियाभर में लाखों लोगों के जीवन की दिशा बदल सकती है।