नई एनसीईआरटी किताब: मुगलों की एकतरफा महिमा का अंत, अकबर सहिष्णु भी, क्रूर भी; औरंगजेब एक कठोर शासक

एनसीईआरटी ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में बड़े बदलाव किए हैं, जो अब 2025-26 सत्र से लागू होंगे। इस बार इतिहास को केवल घटनाओं की सूची के रूप में नहीं, बल्कि शासन की प्रवृत्तियों और सामाजिक प्रभावों के साथ पेश किया गया है।

नई किताब में मुगल काल और दिल्ली सल्तनत से जुड़े अध्यायों को पूरी तरह से पुनः लिखकर छात्रों के सामने एक नए दृष्टिकोण से रखा गया है। अब छात्रों को यह भी पढ़ाया जाएगा कि मुगलों का शासन केवल स्थापत्य और विस्तार तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें हिंसा, असहिष्णुता और सत्ता की कठोरता भी शामिल थी। बाबर द्वारा युद्ध के बाद किए गए नरसंहार, अकबर की नीतियों में छिपी कठोरता और सहिष्णुता का विरोधाभास, तथा औरंगज़ेब के धार्मिक निर्णयों से जुड़े विवादित फैसलों को अब स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।

नई NCERT पुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल का विवरण

NCERT ने 8वीं कक्षा के लिए सामाजिक विज्ञान की एक नई पुस्तक “Exploring Society: Indian and Beyond” का भाग 1 जारी किया है। यह नई सीरीज़ की पहली पुस्तक है जो छात्रों को दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य, मराठा शक्ति, विजयनगर साम्राज्य और सिखों के उदय जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विषयों से परिचय कराती है।

पूर्व में यह सामग्री कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक में पढ़ाई जाती थी, जिसमें 13वीं से 18वीं शताब्दी के भारतीय इतिहास को शामिल किया गया था। अब यह समस्त कालखंड केवल कक्षा 8 में ही पढ़ाया जाएगा।

 

इतिहास की प्रस्तुति और बदलाव

NCERT ने स्पष्ट किया है कि इतिहास को अब साक्ष्य-आधारित और संतुलित तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। किताब में ‘Note on Some Darker Periods in History’ नामक खंड शामिल किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे कुछ घटनाओं ने भारतीय इतिहास पर अपनी गहरी छाप छोड़ी।

NCERT का कहना है कि ये घटनाएं इतिहास का हिस्सा रही हैं और इन्हें छुपाना नहीं, बल्कि तथ्यों के साथ पेश करना जरूरी है। किताब में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए

दिल्ली सल्तनत और मुगलों के काल पर विशेष जानकारी

किताब के अध्याय ‘Reshaping India’s Political Map’ में 13वीं से 17वीं शताब्दी तक के ऐतिहासिक कालखंड को शामिल किया गया है। इसमें निम्नलिखित विषयों को स्थान दिया गया है: दिल्ली सल्तनत का उदय और पतन, विजयनगर साम्राज्य, मुगल साम्राज्य और उसका प्रतिरोध, सिख समुदाय का उदय आदि ।

इस अध्याय में बताया गया है कि सल्तनत काल राजनीतिक अस्थिरता और लगातार सैन्य अभियानों से भरा था। इन अभियानों के दौरान: गांवों और शहरों को लूटा गया, मंदिरों और शिक्षा केंद्रों को नष्ट किया गया, कुछ शासकों की क्रूरता का वर्णन भी किया गया है ।

 

नई एनसीईआरटी किताब में सल्तनत और मुगलों की विवेचना

एनसीईआरटी की कक्षा 8 की नवीनतम सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को व्यापक रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस अध्याय में बताया गया है कि सल्तनत काल राजनीतिक अस्थिरता और लगातार सैन्य अभियानों से भरा था।

इन अभियानों के दौरान, गांवों और शहरों को लूटा गया, मंदिरों और शिक्षा केंद्रों को नष्ट किया गया, कुछ शासकों की क्रूरता का वर्णन भी किया गया।

इस पाठ्यपुस्तक में छात्रों को भारत के मध्यकालीन इतिहास से परिचित कराने के उद्देश्य से राजनीतिक, धार्मिक, और सामाजिक पहलुओं को तथ्यों के आधार पर शामिल किया गया है।

 

बाबर और औरंगजेब के शासन का चित्रण

पुस्तक में बाबर को एक “बर्बर और निर्मम विजेता” के रूप में वर्णित किया गया है, जिसने युद्धों के दौरान शहरों की आबादी का सामूहिक वध (कत्लेआम) किया। वहीं औरंगजेब को एक सैन्य शासक बताया गया है, जिसने अपने शासनकाल में मंदिरों और गुरुद्वारों के विनाश का आदेश दिया। किताब में उस काल में धार्मिक असहिष्णुता के अनेक उदाहरणों का भी उल्लेख किया गया है।

अकबर का शासन: सहिष्णुता और कठोरता का मिश्रण

किताब में अकबर को एक ऐसा शासक बताया गया है जिसके शासन में धार्मिक सहिष्णुता और कठोरता का मिश्रण देखा गया। इसमें यह भी बताया गया है कि उसके प्रशासन के उच्च पदों पर गैर-मुसलमानों की संख्या सीमित थी।

विशेष रूप से, चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के बाद अकबर द्वारा “लगभग 30,000 नागरिकों के नरसंहार” का आदेश दिए जाने का उल्लेख किया गया है।

‘जज़िया’ कर का सन्दर्भ

पुस्तक में ‘जज़िया’ कर को लेकर स्पष्ट किया गया है कि यह कर गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाता था ताकि उन्हें सैन्य सुरक्षा और कुछ छूटें दी जा सकें। किताब के अनुसार, यह कर सार्वजनिक अपमान का कारण बनता था और इसके माध्यम से इस्लाम धर्म अपनाने के लिए वित्तीय और सामाजिक दबाव बनाया जाता था। यह विवरण कक्षा 7 की पूर्ववर्ती किताब से अलग है, जिसमें जज़िया को एक सामान्य कर के रूप में बताया गया था।

 

सिर्फ नकारात्मक नहीं, प्रतिरोध और योगदान पर भी ज़ोर

जहाँ सल्तनत और मुगलों के शासनों के अंधकारमय पक्षों को रेखांकित किया गया है, वहीं नई पाठ्यपुस्तक में प्रत्युत्तर और प्रतिरोध की धाराओं को भी समुचित स्थान दिया गया है।

मराठों, अहोमों, सिखों और राजपूतों जैसे समुदायों के संघर्ष, योगदान और नेतृत्व को विस्तार से बताया गया है। विशेष रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज, ताराबाई और अहिल्याबाई होल्कर जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।

 

शिवाजी महाराज का आदर्श नेतृत्व

पुस्तक में शिवाजी महाराज को एक कुशल रणनीतिकार और उदार शासक के रूप में चित्रित किया गया है। उन्होंने न केवल हिंदू मूल्यों की रक्षा की, बल्कि अन्य धर्मों के प्रति भी सम्मान दिखाया। शिवाजी द्वारा खंडित मंदिरों के पुनर्निर्माण और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के प्रयासों का उल्लेख प्रमुखता से किया गया है।

 

इतिहास अब साक्ष्यों पर आधारित और संतुलित दृष्टिकोण से प्रस्तुत

एनसीईआरटी की पुरानी कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक में मध्यकालीन भारत के कुछ विवादित पहलुओं का उल्लेख नहीं किया गया था। वहीं नई कक्षा 8 की पुस्तक में इसी ऐतिहासिक कालखंड को साक्ष्य-आधारित और संतुलित ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

एनसीईआरटी ने एक बयान में स्पष्ट किया है कि “ये घटनाएं (और कई अन्य) वास्तव में घटीं और उन्होंने भारतीय इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला।” इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल करने का आधार ‘Note on Some Darker Periods in History’ में विस्तार से बताया गया है।

इस खंड में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इतिहास का उद्देश्य घटनाओं को चमकदार बनाकर प्रस्तुत करना नहीं, बल्कि उन्हें तथ्यों के आधार पर समझाना है।

 

इतिहास के प्रति संतुलित और ईमानदार दृष्टिकोण

NCERT का उद्देश्य यह भी है कि छात्रों को इतिहास पढ़ाते समय कोई पूर्वग्रह नहीं थोपा जाए। नई पुस्तक में एक अध्याय के अंत में एक स्पष्ट चेतावनी भी दी गई है कि आज किसी भी व्यक्ति या समुदाय को अतीत की घटनाओं के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए

इस प्रयास के माध्यम से छात्रों में इतिहास के प्रति एक ईमानदार, विचारशील और संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास किया गया है, जिससे वे भविष्य के लिए जरूरी सबक सीख सकें।

नई शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम रूपरेखा के अनुसार बदलाव

एनसीईआरटी द्वारा स्कूलों के लिए जारी की जा रही नई पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) 2023 के अनुरूप तैयार की गई हैं।

 

निष्कर्ष

नई एनसीईआरटी किताब केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन भर नहीं करती, बल्कि तथ्यात्मक, समग्र और विचारशील अध्ययन को प्रोत्साहित करती है। यह छात्रों को इतिहास के उजाले और अंधेरे दोनों पक्षों से परिचित कराकर एक न्यायसंगत और संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।