बिहार की राजनीति में एक नया इतिहास रच दिया गया है। नीतीश कुमार ने गुरुवार 20 नवम्बर 2025 को गांधी मैदान में आयोजित भव्य समारोह में 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह पहला मौका था जब किसी बिहार के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री स्वयं उपस्थित हुए। पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा और 16 राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल हुए।
शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से गमछा हिलाकर जनसमुदाय का अभिवादन किया, जिससे समारोह की गरिमा और भी बढ़ गई। हरियाणा, असम, गुजरात, मेघालय, उत्तर प्रदेश, नगालैंड, ओडिशा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
नई कैबिनेट में 26 मंत्रियों ने ली शपथ
नीतीश कुमार के साथ दो उप मुख्यमंत्री – सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी शपथ ली। कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की, जिनमें 14 BJP से, 8 JDU से, 2 LJP (रामविलास) से और हम तथा कुशवाहा की पार्टी से 1-1 मंत्री शामिल हैं। इस मंत्रिमंडल में JDU के जमा खान एकमात्र मुस्लिम चेहरे के रूप में फिर से मंत्री बनाए गए हैं।
नए चेहरों को मिला मौका
नीतीश कैबिनेट में इस बार 13 नए चेहरों को जगह मिली है। रामकृपाल यादव और ओलंपिक पदक विजेता श्रेयसी सिंह जैसे नए चेहरे मंत्रिमंडल का हिस्सा बने हैं। चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) से 2 विधायकों को मंत्री बनाया गया, जिनमें संजय सिंह ‘टाइगर’ भी शामिल हैं, जिन्होंने महुआ सीट से लालू यादव के बेटे तेजप्रताप को हराया था।
सांस्कृतिक रंगों से सजा समारोह
कार्यक्रम के दौरान मंच से छठ गीत और भोजपुरी संगीत की धुनें गूंजती रहीं। मनोज तिवारी और पवन सिंह जैसे लोकप्रिय कलाकारों की उपस्थिति ने समारोह में अलग ही उत्साह भर दिया। बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन ने कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। मंच पर चिराग पासवान ने मांझी और जेपी नड्डा के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया, जो परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बना।
शपथ लेने वाले 26 मंत्रियों की सूची
- सम्राट चौधरी (उपमुख्यमंत्री)
- विजय कुमार सिन्हा (उपमुख्यमंत्री)
- विजय कुमार चौधरी
- बिजेंद्र प्रसाद यादव
- श्रवण कुमार
- मंगल पांडेय
- डॉ. दिलीप जायसवाल
- अशोक चौधरी
- लेशी सिंह
- मदन सहनी
- नितिन नवीन
- राम कृपाल यादव
- संतोष कुमार सुमन
- सुनील कुमार
- मो. जमा खान
- संजय सिंह ‘टाइगर’
- अरुण शंकर प्रसाद
- सुरेंद्र मेहता
- नारायण प्रसाद
- रमा निषाद
- लखेन्द्र कुमार रौशन
- श्रेयसी सिंह
- डॉ. प्रमोद कुमार
- संजय कुमार
- संजय कुमार सिंह
- दीपक प्रकाश
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 परिणाम: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने 243 में से 202 सीटें जीतकर ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में JDU ने दमदार वापसी करते हुए 85 सीटें जीतीं, जबकि BJP ने 89 सीटों पर विजय पाई। चिराग पासवान की LJP (आर) ने भी इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए 19 सीटें अपने नाम कीं। पिछली बार की तुलना में तीनों दलों का प्रदर्शन कई गुना बेहतर रहा, जो बताता है कि राजनीतिक रणनीति, सामाजिक समीकरण और विकास योजनाओं के संयुक्त प्रभाव ने एन्टी-इनकम्बेंसी को पूरी तरह बेअसर कर दिया। |
नीतीश कुमार: एक व्यक्ति नहीं, एक युग
नीतीश कुमार को बिहार में केवल एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक पूरे दौर के रूप में याद रखा जाएगा। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक सफर की कुछ महत्वपूर्ण बातें:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1 मार्च 1951 को पटना के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता कविराज राम लखन स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेदिक वैद्य थे, जबकि माता परमेश्वरी देवी गृहिणी थीं। घर में उन्हें प्यार से ‘मुन्ना’ बुलाया जाता था।
शिक्षा के क्षेत्र में नीतीश हमेशा प्रतिभाशाली रहे। छोटी कक्षाओं से लेकर हाईस्कूल तक वे सभी विषयों में अव्वल आते थे। उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और 1972 में बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (वर्तमान NIT पटना) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
राजनीति में प्रवेश
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (बीएसईबी) में इंजीनियर के रूप में काम किया। लेकिन नौकरी में उनका मन नहीं लगा और 1974 में वे जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहे JP आंदोलन से जुड़ गए। इस आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की नींव पड़ी।
जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और वी.पी. सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के सानिध्य में नीतीश ने राजनीतिक गुर सीखे।
राजनीतिक उपलब्धियां
- 1985: हरनौत से पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए
- 1989: बाढ़ से पहली बार लोकसभा सांसद बने
- 1990: केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री के रूप में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने
- 1998: केंद्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री बने
जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर उन्होंने समता पार्टी की स्थापना की, जो बाद में JDU में विलय हो गई।
मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश का सफर
पहली बार (2000): सात दिन का कार्यकाल
2000 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण महज सात दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
2005: लालू युग का अंत
2005 में नीतीश कुमार ने इतिहास रच दिया और 15 साल पुरानी लालू सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। NDA के साथ मिलकर वे मुख्यमंत्री बने और 2010 में भी सत्ता में लौटे। इस दौर में बिहार में विकास की नई गाथा लिखी गई।
गठबंधन बदलने का सिलसिला
- 2013: जब नरेंद्र मोदी को BJP ने पीएम उम्मीदवार घोषित किया, तो नीतीश ने NDA छोड़ दिया।
- 2014: संसदीय चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- 2015: महागठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
- 2017: महागठबंधन छोड़कर फिर से BJP के साथ आ गए और सरकार गिराकर नई सरकार बनाई।
- 2020: विधानसभा चुनाव में JDU को सिर्फ 43 और BJP को 74 सीटें मिलीं, फिर भी नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया गया।
- 2022: एक बार फिर BJP छोड़कर आरजेडी-कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया। यह गठबंधन 17 महीने चला।
- 2024: जनवरी में महागठबंधन छोड़कर 9वीं बार BJP के साथ मुख्यमंत्री बने।
- 2025: विधानसभा चुनाव में NDA की जीत के बाद 10वीं बार मुख्यमंत्री बने।
चुनाव न लड़ने का रिकॉर्ड
एक दिलचस्प तथ्य यह है कि नीतीश कुमार ने पिछले तीस वर्षों से चुनाव नहीं लड़ा है, फिर भी वे मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। बिहार में विधान परिषद की सदस्यता मुख्यमंत्री बनने के लिए पर्याप्त मानी जाती है, जिसका लाभ नीतीश ने उठाया है।
व्यक्तिगत जीवन: प्रेम और दुख की कहानी
नीतीश कुमार का विवाह 22 वर्ष की उम्र में मंजू सिन्हा से हुआ था। यह एक अंतर्जातीय विवाह था – मंजू कायस्थ परिवार से थीं जबकि नीतीश ओबीसी समुदाय से हैं। उस समय नीतीश एक आंदोलनकारी छात्र के रूप में यहां-वहां घूमते रहते थे, जिसे देखते हुए उनके पिता ने उनकी शादी करवाने का फैसला लिया।
नीतीश के एक बेटा है – निशांत, जो राजनीति से दूर रहे हैं।
पत्नी की मृत्यु: जीवन का सबसे दुखद पल
नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर में उनकी पत्नी मंजू की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2007 में जब मंजू का निधन हुआ, तो नीतीश दिल्ली में थे और वे उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर पाए। मंजू की आखिरी इच्छा थी कि अंतिम समय में वे अपने पति के साथ रहें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
पत्नी के निधन पर नीतीश फूट-फूट कर रोए थे। अर्थी को चिता तक ले जाने के पूरे सफर में वे रोते रहे। यह घटना उनके जीवन का सबसे दुखद पल था, जिसका मलाल उन्हें आज भी है।
रिकॉर्ड के धनी: नीतीश कुमार
बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार 19 वर्षों से अधिक समय तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं, जो राज्य का रिकॉर्ड है। बिहार के इतिहास में किसी भी मुख्यमंत्री ने इतना लंबा कार्यकाल नहीं पूरा किया है।
बिहार में केवल दो मुख्यमंत्री ऐसे हुए हैं जिनका कार्यकाल 10 वर्ष से अधिक रहा – पहले श्री कृष्ण सिंह (11 वर्ष) और अब नीतीश कुमार (19+ वर्ष)।
देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों में शामिल
देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों की सूची में नीतीश का नाम आठवें स्थान पर है:
- पवन कुमार चामलिंग (सिक्किम): 24 वर्ष (1994-2019)
- नवीन पटनायक (ओडिशा): 24 वर्ष 99 दिन
- ज्योति बसु (पश्चिम बंगाल): 23 वर्ष (1977-2000)
- गेगोंग अपांग (अरुणाचल प्रदेश): विभिन्न कार्यकाल
- लाल थनहवला (मिजोरम): 22 वर्ष
- वीरभद्र सिंह (हिमाचल प्रदेश): 21 वर्ष
- माणिक सरकार (त्रिपुरा): 19+ वर्ष
- नीतीश कुमार (बिहार): 19+ वर्ष
यदि नीतीश 2030 तक मुख्यमंत्री बने रहे, तो वे इस सूची में शीर्ष तीन में शामिल हो जाएंगे।
10 बार शपथ लेने का अनूठा रिकॉर्ड
नीतीश कुमार देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने 10 बार पद की शपथ ली है। यह अपने आप में एक अद्भुत रिकॉर्ड है।
बिहार के अन्य मुख्यमंत्री जिन्होंने एक से अधिक बार शपथ ली
नीतीश कुमार सहित बिहार के कुल सात मुख्यमंत्रियों ने एक से अधिक बार पद की शपथ ली है:
- श्री कृष्ण सिंह: 2 बार (1952, 1957)
- भोला पासवान शास्त्री: 3 बार (लेकिन कुल 1 वर्ष से भी कम समय तक सीएम रहे)
- कर्पूरी ठाकुर (जननायक): 2 बार
- जगन्नाथ मिश्र: 3 बार
- लालू प्रसाद यादव: 2 बार
- राबड़ी देवी: 3 बार (बिहार की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री)
- नीतीश कुमार: 10 बार
विरासत और भविष्य
आज का शपथ ग्रहण समारोह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह बिहार की बदलती राजनीतिक दिशा, नेतृत्व में स्थिरता और भविष्य की नई उम्मीदों का प्रतीक बन गया है। गांधी मैदान में उमड़ी भारी जनता ने स्पष्ट कर दिया कि नीतीश कुमार की यह नई पारी जनता की अपेक्षाओं के साथ शुरू हो रही है।
नीतीश कुमार न केवल एक राजनीतिक नेता हैं, बल्कि वे बिहार के विकास की कहानी के प्रतीक बन गए हैं। उनके कार्यकाल में बिहार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
जहां राजनीति में उन्होंने कई बार गठबंधन बदले, वहीं विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा अटूट रही। नीतीश कुमार का नाम बिहार के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो चुका है और आने वाली पीढ़ियां उन्हें एक कद्दावर नेता और कुशल प्रशासक के रूप में याद रखेंगी।
