नोबेल पुरस्कार 2025 की घोषणा: चिकित्सा और भौतिकी के विजेताओं का ऐलान, जाने किसे किसे मिला पुरस्कार:

वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा सोमवार से शुरू हो गई है। स्टॉकहोम के कारोलिंस्का संस्थान में चिकित्सा के क्षेत्र में पहला पुरस्कार घोषित किया गया। मेडिसिन नोबेल पुरस्कार मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस के क्षेत्र में किए गए उनके रिसर्च के लिए दिया गया।

 

इसके अगले दिन, यानी मंगलवार को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार घोषित किया गया। इस वर्ष यह पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को प्रदान किया गया।

Nobel Prize 2024 announced

वर्ष 2025 नोबेल पुरस्कार विजेताओं का परिचय:

मेडिसिन नोबेल विजेता:

  • मैरी ई. ब्रंकॉ: अमेरिकी वैज्ञानिक, जीन और इम्यून सिस्टम पर रिसर्च के लिए प्रसिद्ध।
  • फ्रेड राम्सडेल: अमेरिकी वैज्ञानिक, इम्यून सिस्टम विशेषज्ञ।
  • शिमोन साकागुची: जापानी वैज्ञानिक, टी-सेल्स की खोज और इम्यूनोलॉजी में योगदान के लिए जाने जाते हैं।

 

भौतिकी नोबेल विजेता:

  • जॉन क्लार्क: अमेरिकी भौतिक विज्ञानी, क्वांटम इलेक्ट्रॉनिक्स में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध।
  • मिशेल एच. डेवोरेट: फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी, येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, क्वांटम कंप्यूटिंग में योगदान।

जॉन एम. मार्टिनिस: अमेरिकी भौतिक विज्ञानी, गूगल की क्वांटम एआई लैब के पूर्व नेतृत्वकर्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका।

मेडिसिन मे नोबेल पुरस्कार 2025 – खोज और महत्व:

मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को यह पुरस्कार पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ (शरीर के बाहरी हिस्सों में इम्यून सिस्टम की सहनशीलता) पर उनके शोध के लिए दिया गया।

इनकी रिसर्च ने यह समझने में मदद की कि शरीर का शक्तिशाली इम्यून सिस्टम कैसे नियंत्रित होता है, ताकि यह गलती से हमारे अपने अंगों पर हमला न करे। इस खोज ने इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली को बेहतर समझने में मदद की और कैंसर तथा ऑटोइम्यून रोगों के उपचार विकसित करने के लिए आधार तैयार किया।

 

इम्यून टॉलरेंस क्या है?

हमारा शरीर हमेशा इम्यून सिस्टम के ज़रिए बाहरी खतरों- जैसे वायरस और बैक्टीरिया  से लड़ता है। लेकिन कभी-कभी यह सिस्टम गलती से अपने ही अंगों पर हमला कर देता है, जिसे ऑटोइम्यून बीमारी कहते हैं। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि इम्यून सेल्स शरीर के भीतर ही ‘सहिष्णु’ (टॉलरेंट) बन जाती हैं, जिसे सेंट्रल इम्यून टॉलरेंस कहते हैं।

नोबेल विजेताओं ने यह दिखाया कि शरीर के बाहरी हिस्सों (पेरिफेरल) में भी एक विशेष तंत्र काम करता है, जो इम्यून सिस्टम को नियंत्रित रखता है और शरीर के अंगों को सुरक्षित रखता है।

उनकी खोज से पता चला कि ‘रेगुलेटरी टी-सेल्स’ (Tregs) नामक कोशिकाएं इम्यून सिस्टम को ब्रेक लगाती हैं। अगर ये कोशिकाएं कमजोर हों, तो शरीर के अंगों पर हमला हो सकता है। यह खोज कैंसर, अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) और एलर्जी के इलाज में भी क्रांतिकारी मदद करेगी।

तीनों वैज्ञानिकों की टीम ने शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली, यानी इम्यून सिस्टम, को नियंत्रित करने वाले महत्वपूर्ण तंत्र की खोज की।

  • शिमोन सकागुची (जापान): सकागुची ने दिखाया कि शरीर के बाहरी हिस्सों में रेगुलेटरी टी-सेल्स (Tregs) एक ब्रेक की तरह काम करती हैं। ये कोशिकाएं इम्यून सिस्टम को नियंत्रित रखती हैं और शरीर के अपने अंगों पर हमला होने से रोकती हैं। उनकी खोज ने ऑटोइम्यून बीमारियों और एलर्जी जैसी समस्याओं को समझने में नई राह खोली।
  • मैरी ई. ब्रंकॉ और फ्रेड राम्सडेल (अमेरिका): ब्रंकॉ और राम्सडेल ने FOXP3 जीन की पहचान की, जो Tregs को सक्रिय रखता है। उन्होंने यह साबित किया कि FOXP3 में गड़बड़ी होने पर बच्चों में IPEX सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं, जिसमें इम्यून सिस्टम गलती से शरीर पर हमला करता है।

 

टीम की खोज का महत्व: तीनों ने यह दिखाया कि शरीर में सिर्फ सेंट्रल टॉलरेंस ही नहीं, बल्कि पेरिफेरल टॉलरेंस भी बेहद जरूरी है। उनकी खोजें अब ऑटोइम्यून रोगों, कैंसर और अंग प्रत्यारोपण जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं में इस्तेमाल हो रही हैं। इस तरह, इन वैज्ञानिकों ने इम्यून सिस्टम के काम करने के तरीके को समझने और इलाज के नए रास्ते खोलने में अहम योगदान दिया।

 

भौतिकी मे नोबेल पुरस्कार 2025: खोज और महत्व:

2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी के क्षेत्र में अमेरिका के जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को दिया गया। उन्हें यह सम्मान इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन” की खोज के लिए मिला। स्टॉकहोम के रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इसकी घोषणा की।

खोज: इन वैज्ञानिकों ने पहली बार क्वांटम प्रभावों को बड़े पैमाने (मैक्रोस्कोपिक) पर इलेक्ट्रिकल सर्किट में प्रदर्शित किया। सामान्यतः क्वांटम मैकेनिक्स के नियम बहुत छोटे कणों, जैसे इलेक्ट्रॉन, पर लागू होते हैं। इन छोटे कणों के व्यवहार को माइक्रोस्कोपिक कहा जाता है, क्योंकि ये इतने छोटे होते हैं कि सामान्य माइक्रोस्कोप से भी नहीं दिखते। लेकिन अब इन वैज्ञानिकों ने पहली बार बिजली के सर्किट में “बड़े पैमाने” (मैक्रोस्कोपिक) पर क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के स्तरों की खोज की है।

महत्व: यह खोज क्वांटम तकनीक को व्यावहारिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर है। इससे क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और सुपरकंडक्टिंग डिवाइसेस जैसे क्षेत्रों में नए अवसर खुलेंगे।

उपयोगिता:

  • क्वांटम कंप्यूटिंग: क्यूबिट्स से सुपरकंप्यूटर बनेंगे, जो दवाओं की खोज, मौसम पूर्वानुमान और क्रिप्टोग्राफी में मदद करेंगे।
  • सेंसर और मेडिकल डिवाइसेस: बेहतर MRI मशीनें और अधिक सटीक डिटेक्टर।
  • सुपरकंडक्टर्स: ऊर्जा हानि रहित वायर, जिससे बिजली की बचत होगी।
  • नई सामग्री: यह नई सामग्रियों के गुणों को समझने और मॉडलिंग करने में मदद करता है, जिससे अधिक टिकाऊ और कुशल उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जैसे कि बेहतर कार बैटरियां।
  • एल्गोरिदम में सुधार: क्वांटम एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग का उपयोग करके मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को बढ़ाता है, जिससे अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली एआई मॉडल बनते हैं।

 

भौतिकी का नोबेल पुरस्कार:

  • कुल सम्मानित: 1901 से 2024 तक 118 बार, 226 वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
  • पिछले विजेताओं: पिछले साल जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन को मशीन लर्निंग में फिजिक्स के योगदान के लिए पुरस्कार मिला।
  • अन्य हालिया नोबेल: चिकित्सा क्षेत्र में मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रैमस्डेल और डॉ. शिमोन साकागुची को सम्मानित किया गया।

 

2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा कार्यक्रम:

2025 में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा 6 से 13 अक्टूबर के बीच की जाएगी। श्रेणियों और तारीखों के अनुसार विवरण इस प्रकार है:

  • चिकित्सा: सोमवार, 6 अक्टूबर
  • भौतिकी: मंगलवार, 7 अक्टूबर
  • रसायन विज्ञान: बुधवार, 8 अक्टूबर
  • साहित्य: गुरुवार, 9 अक्टूबर
  • शांति: शुक्रवार, 10 अक्टूबर
  • अर्थशास्त्र: सोमवार, 13 अक्टूबर

 

नोबेल पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को आयोजित:

नोबेल पुरस्कार का सालाना समारोह 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। यह दिन अल्फ्रेड नोबेल की 1896 में हुई मृत्यु की वर्षगांठ पर पड़ता है, जिन्होंने इन पुरस्कारों की स्थापना की थी। प्रत्येक पुरस्कार की प्रतिष्ठा अत्यंत उच्च मानी जाती है और विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 12 लाख अमेरिकी डॉलर) की नकद राशि भी दी जाती है।

 

नोबेल पुरस्कार के बारे मे:

स्वीडिश रसायनज्ञ और आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने 1895 में अपनी वसीयत के माध्यम से नोबेल पुरस्कार की स्थापना की। उन्होंने अपनी संपत्ति को वार्षिक पुरस्कारों के लिए समर्पित किया, जिनका उद्देश्य मानवता के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों या संगठनों को सम्मानित करना है। ये पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में दिए जाते हैं:

  • भौतिकी (Physics)
  • रसायन विज्ञान (Chemistry)
  • शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा (Physiology or Medicine)
  • साहित्य (Literature)
  • शांति (Peace)

 

नोबेल पुरस्कार चयन प्रक्रिया:

नोबेल पुरस्कारों का चयन तीन मुख्य चरणों में होता है, हालांकि हर पुरस्कार में नामांकन और चयन के नियम थोड़े अलग हो सकते हैं।

नामांकन की प्रक्रिया:

  • हर साल सितंबर में नोबेल समिति लगभग 3,000 विशेषज्ञों और अकादमिक्स को नामांकन फॉर्म भेजती है।
  • नामांकन के लिए आम तौर पर वे लोग चुने जाते हैं जो संबंधित क्षेत्र में सक्रिय और प्रतिष्ठित हैं।
  • शांति पुरस्कार के लिए सरकारें, पूर्व विजेता और नॉर्वेजियन नोबेल समिति के वर्तमान या पूर्व सदस्य भी संपर्क किए जाते हैं।
  • फॉर्म 31 जनवरी तक वापस जमा करना अनिवार्य है।
  • नामांकन से लगभग 300 संभावित उम्मीदवार चुने जाते हैं।
  • गोपनीयता: नामांकित व्यक्तियों और उनके विचार-विमर्श की जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहती है। पुरस्कार मिलने के 50 साल बाद तक नामांकन रिकॉर्ड सील रहेंगे।

 

चयन प्रक्रिया:

  • नोबेल समिति विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करती है और पुरस्कार देने वाले संस्थानों को भेजती है।
  • पुरस्कार देने वाले चार संस्थान हैं:
  1. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज: भौतिकी, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र
  2. कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट नोबेल असेंबली: मेडिसिन / फिजियोलॉजी
  3. स्वीडिश अकादमी: साहित्य
  4. नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी: शांति
  • संस्थान बहुमत वोट के आधार पर विजेताओं का चयन करते हैं।
  • प्रत्येक पुरस्कार में अधिकतम तीन विजेता और दो अलग-अलग कार्य चुन सकते हैं।
  • पुरस्कार केवल व्यक्तिगत व्यक्तियों को दिया जाता है, सिवाय शांति पुरस्कार के, जो संस्थानों को भी मिल सकता है।
  • विजेताओं की घोषणा अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में की जाती है।

 

पुरस्कार वितरण समारोह:

  • नोबेल पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को आयोजित होता है, जिसे नोबेल डे कहा जाता है क्योंकि यह अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु की वर्षगांठ है।
  • स्टॉकहोम कॉन्सर्ट हॉल में भौतिकी, रसायन विज्ञान, मेडिसिन/फिजियोलॉजी, साहित्य और अर्थशास्त्र के पुरस्कार दिए जाते हैं।
  • शांति पुरस्कार का समारोह ओस्लो, नॉर्वे में होता है और इसे नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी देती है।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता को एक स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और नोबेल फाउंडेशन की ओर से वित्तपोषित एक नकद पुरस्कार मिलता है, जो नोबेल निधि का प्रबंधन करता है। इस वर्ष का पुरस्कार 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर ($1.2 मिलियन) का है। नोबेल पुरस्कार विजेताओं को रातोंरात प्रसिद्धि मिलने का मौका भी देता है।

 

नोबेल पुरस्कार को लेकर आलोचनाएँ:

  1. पीस प्राइज विवाद:
    • पुरस्कार कभी-कभी राजनीतिक प्रेरित या जल्दबाज़ी में दिए जाने के रूप में देखे जाते हैं (जैसे ओबामा 2009, अबी अहमद 2019)।
    • पहले के प्राप्तकर्ता जैसे हेनरी किसिंजर और ले डुक थो को भी आलोचना का सामना करना पड़ा।
  2. राजनीतिक एजेंडा और पक्षपात:
    • कमिटी पर कुछ उम्मीदवारों को शामिल/अलग करने में राजनीतिक एजेंडा होने का आरोप।
    • साहित्य पुरस्कार पर अक्सर यूरोसेंट्रिक दृष्टिकोण की आलोचना।
    • पश्चिमी देशों का पक्षपात: 1901 से अब तक 80% से अधिक विजेता अमेरिका, कनाडा और पश्चिमी यूरोप से; अफ्रीका का प्रतिनिधित्व नगण्य।
  3. उल्लेखनीय उपलब्धियों की अनदेखी:
    • लीज़ मेइटन और C.G. सुदर्शन जैसे वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद पुरस्कार नहीं मिला।
    • महात्मा गांधी को कई बार नामित होने के बावजूद पीस प्राइज नहीं मिला।
  4. मरणोपरांत पुरस्कार नहीं: नोबेल पुरस्कार मृत्यु के बाद नहीं दिया जाता, जिससे देर से मान्यता पाने वाले कार्यों की उपेक्षा होती है।

 

निष्कर्ष:
नोबेल पुरस्कार की घोषणा शुरू हो चुकी है, और आने वाले समय में यह देखना होगा कि किन वैज्ञानिकों और उनके योगदानों को किस श्रेणी में सम्मानित किया गया है।