2025 का आर्थिक विज्ञान का नोबेल मेमोरियल पुरस्कार “नवाचार-संचालित आर्थिक विकास की व्याख्या” के लिए तीन प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों- “जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर हॉविट” को दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 13 अक्टूबर को दोपहर 3:15 पर यह घोषणा की।

इसमें से आधा जोएल मोकिर को “तकनीकी प्रगति के माध्यम से सतत विकास की शर्तों की पहचान” के लिए और दूसरा आधा हिस्सा फिलिप अघियन व पीटर हॉविट को “रचनात्मक विनाश के सिद्धांत के माध्यम से सतत विकास की व्याख्या” के लिए संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया। इस घोषणा के साथ ही 2025 के नोबेल सत्र का समापन हो गया है।

नोबेल पुरस्कार संगठन ने एक्स पर कहा,
पिछले दो सौ सालों में इतिहास में पहली बार दुनिया ने लगातार आर्थिक विकास देखा है। इससे करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आए हैं और समृद्धि की नींव पड़ी है।
संस्थान ने आगे कहा कि तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है और हमारे जीवन को बदल रही है। नए उत्पाद और उत्पादन के तरीके लगातार पुराने तरीकों की जगह ले रहे हैं। यही निरंतर आर्थिक विकास का आधार है, जिससे दुनिया भर में जीवन स्तर, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

तीनों प्रोफेसर के रूप में कार्यरत:
नीदरलैंड में जन्मे जोएल मोकिर (जन्म: 26 जुलाई,1946) वर्तमान में अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। फिलिप अघियन (जन्म: 17 अगस्त 1956, फ्रांस) कॉलेज डी फ्रांस, INSEAD (पेरिस) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (यूके) में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं, जबकि पीटर हॉविट (जन्म: 31 मई 1946, कनाडा) अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।
जोएल मोकिर के कार्य:
जोएल मोकिर ने ऐतिहासिक स्रोतों का उपयोग करके यह समझाने की कोशिश की कि लगातार आर्थिक विकास कैसे संभव हुआ। उन्होंने दिखाया कि अगर नए आविष्कार और नवाचार लगातार एक-दूसरे का स्थान लें, तो यह जानना जरूरी है कि चीजें क्यों और कैसे काम करती हैं — सिर्फ इतना जानना काफी नहीं कि वे काम करती हैं।
औद्योगिक क्रांति से पहले वैज्ञानिक कारणों की समझ की कमी के कारण नई खोजों को आगे बढ़ाना मुश्किल था। मोकिर ने यह भी बताया कि समाज में नए विचारों को स्वीकार करना और बदलाव के लिए खुला रहना निरंतर विकास के लिए बहुत जरूरी है।
अघियन और हॉविट के कार्य:
फिलिप अघियन और पीटर हॉविट ने यह समझने की कोशिश की कि लगातार आर्थिक विकास कैसे होता है। 1992 में उन्होंने “रचनात्मक विनाश” नाम का एक गणितीय मॉडल बनाया। इस मॉडल के अनुसार, जब कोई नया और बेहतर उत्पाद बाज़ार में आता है, तो पुराने उत्पाद बेचने वाली कंपनियाँ पीछे रह जाती हैं। यह प्रक्रिया “रचनात्मक” है क्योंकि इसमें नई चीज़ें पैदा होती हैं, लेकिन “विनाशकारी” भी है क्योंकि पुरानी तकनीक और कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा में हार जाती हैं।
स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार के बारे में:
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार का पूरा नाम अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में “स्वेरिगेस रिक्सबैंक पुरस्कार” है। इसे आम तौर पर “अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है। यह पुरस्कार 1968 में स्वीडन के केंद्रीय बैंक स्वेरिगेस रिक्सबैंक ने अपनी 300वीं वर्षगांठ पर अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में शुरू किया था। पहली बार यह पुरस्कार 1969 में डच अर्थशास्त्री जान टिनबर्गेन और नॉर्वेजियन अर्थशास्त्री राग्नार फ्रिस्क को दिया गया।
हालाँकि यह पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में शामिल मूल पाँच नोबेल पुरस्कारों (शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन और शरीर विज्ञान/चिकित्सा) में से एक नहीं है, लेकिन इसे उसी प्रणाली का हिस्सा माना जाता है। इसे नोबेल फाउंडेशन ही संचालित करती है, और इसके विजेताओं की घोषणा तथा सम्मान समारोह भी अन्य नोबेल पुरस्कारों के साथ ही किया जाता है।
- अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 में हुई और इसे 1969 से अब तक 56 बार दिया जा चुका है, जिसमें कुल 96 लोग सम्मानित हुए हैं।
- इस पुरस्कार की सबसे कम उम्र की विजेता एस्थर डुफ्लो (46 वर्ष) हैं, जबकि सबसे बुजुर्ग विजेता लियोनिद हर्विक्ज (90 वर्ष) थे।
नामांकन और चयन प्रक्रिया:
हर साल सितंबर में, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की अर्थशास्त्र पुरस्कार समिति (जिसमें पाँच सदस्य होते हैं) दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और अकादमियों के सदस्यों को आमंत्रण भेजती है ताकि वे अगले वर्ष के लिए नामांकन भेज सकें। अकादमी के सदस्य और पूर्व विजेता भी उम्मीदवारों को नामांकित कर सकते हैं। सभी नामांकन और संबंधित दस्तावेज़ 1 फरवरी तक जमा करने होते हैं।
इसके बाद समिति और विशेषज्ञ सभी प्रस्तावों की समीक्षा करते हैं। सितंबर के अंत तक संभावित विजेताओं की सूची तैयार की जाती है, और बराबरी की स्थिति होने पर समिति के अध्यक्ष का मत निर्णायक माना जाता है।
अक्टूबर के मध्य में, रॉयल स्वीडिश एकेडमी मतदान करके विजेता या विजेताओं का चयन करती है। किसी वर्ष में अधिकतम तीन लोगों को ही यह पुरस्कार दिया जा सकता है, और वे घोषणा के समय जीवित होने चाहिए। नामांकन की जानकारी 50 साल तक गुप्त रखी जाती है।
अन्य नोबेल पुरस्कारों की तरह, अर्थशास्त्र के विजेताओं को भी 10 दिसंबर, अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर, स्टॉकहोम में स्वीडन के राजा से डिप्लोमा, स्वर्ण पदक और पुरस्कार राशि( ₹10.3 करोड़) प्राप्त होती है।
2024 का आर्थिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार विजेता:
2024 का आर्थिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियों “डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए. रॉबिन्सन” को दिया गया। उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि कुछ देश अमीर क्यों बनते हैं जबकि कुछ गरीब रह जाते हैं। उनके शोध के अनुसार, वे देश बेहतर प्रदर्शन करते हैं जहाँ समाज ज्यादा स्वतंत्र, खुले और लोकतांत्रिक होते हैं।
दो भारतीयों को मिल चुका है अर्थशास्त्र का नोबेल:
- अमर्त्य सेन (1998): उन्होंने गरीबी को समझने और मापने का एक नया तरीका बताया। उन्होंने दिखाया कि गरीबी सिर्फ पैसों की कमी नहीं होती, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों की कमी भी गरीबी का हिस्सा है। उन्होंने यह भी अध्ययन किया कि अकाल क्यों होते हैं और लोगों की भलाई कैसे बढ़ाई जा सकती है।
- अभिजीत बनर्जी (2019): उन्होंने गरीबी कम करने के लिए छोटे-छोटे प्रयोग किए, जैसे : स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई कैसे सुधारी जा सकती है। उन्होंने यह भी जांचा कि गरीब बच्चों को मुफ्त किताबें देने से पढ़ाई पर क्या असर पड़ता है। अभिजीत बनर्जी ने यह नोबेल पुरस्कार अपनी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ साझा किया था।
अल्फ्रेड नोबेल: नोबेल पुरस्कार के संस्थापक
अल्फ्रेड नोबेल एक स्वीडिश रसायनज्ञ, अभियंता, आविष्कारक और व्यापारी थे, जिन्हें मुख्य रूप से डायनामाइट के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1833 में हुआ था। नोबेल को कई भाषाओं का ज्ञान था- स्वीडिश, रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन। उन्होंने 20 से अधिक देशों में 90 फैक्ट्रियां खोलीं और उन्हें “यूरोप का सबसे अमीर आवारा” भी कहा गया।
डायनामाइट के गलत इस्तेमाल से दुखी होकर, उन्होंने मानवता के लिए पुरस्कार की स्थापना करने का निर्णय लिया। उनके पास 355 पेटेंट थे, लेकिन वे सबसे ज्यादा डायनामाइट के लिए प्रसिद्ध हुए।
नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। उनकी वसीयत के आधार पर नोबेल पुरस्कार स्थापित किए गए, और अब तक 975 लोगों और संस्थाओं को कुल 609 नोबेल पुरस्कार दिए जा चुके हैं।
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज क्या है?
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज स्वीडन की शाही अकादमियों में से एक है। इसे 2 जून 1739 को स्थापित किया गया था। यह एक स्वतंत्र और गैर-सरकारी वैज्ञानिक संगठन है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक विज्ञान और गणित को बढ़ावा देना और समाज में उनके प्रभाव को मजबूत करना है। साथ ही यह विभिन्न विषयों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है।
अकादमी हर साल कई पुरस्कार देती है, जैसे:
- भौतिकी और रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार
- अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार
- क्राफूर्ड पुरस्कार, शोबर्ग पुरस्कार और अन्य कई पुरस्कार।
निष्कर्ष:
इस प्रकार, यह पुरस्कार तकनीकी प्रगति और रचनात्मक विनाश के माध्यम से सतत विकास के सिद्धांतों को उजागर करता है और आधुनिक अर्थशास्त्र में इन अर्थशास्त्रियों के योगदान को मान्यता देता है।