इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) निर्माता कंपनी ओला इलेक्ट्रिक ने देश की पहली बिना रेयर अर्थ मेटल वाली टू-व्हीलर फेराइट मोटर तैयार की है। इस मोटर को केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी भी मिल गई है।
फेराइट मोटर वह तकनीक है जिसमें रेयर-अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल नहीं होता। आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों में इन मैग्नेट्स का आयात विदेशी बाजारों से किया जाता है, जिससे लागत और निर्भरता दोनों बढ़ जाती हैं। ओला की इस नई मोटर से अब इन महंगे और दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) पर भारत की निर्भरता कम होगी।

ग्लोबल ऑटोमोटिव रिसर्च सेंटर, तमिलनाडु ने किया सर्टिफाई:
सरकारी जांच एजेंसी ग्लोबल ऑटोमोटिव रिसर्च सेंटर (GARC), तमिलनाडु ने इस मोटर को सर्टिफाई किया है। सर्टिफिकेशन से पहले इसे सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा तय मानक AIS 041 के तहत कई कड़े परफॉर्मेंस और पावर टेस्ट से गुज़रना पड़ा। यह उपलब्धि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
ओला जल्द शुरू करेगी नई मोटर का इस्तेमाल:
कंपनी का कहना है कि सर्टिफिकेशन मिलने के बाद अब ओला इलेक्ट्रिक अपनी आने वाली गाड़ियों में इस नई ‘फेराइट मोटर’ का इस्तेमाल शुरू कर देगी। इससे देशभर के लाखों ग्राहकों को लाभ मिलेगा।
ओला इलेक्ट्रिक के अनुसार, यह फेराइट मोटर प्रदर्शन, टिकाऊपन और उपयोगिता के मामले में उन मोटरों जितनी ही प्रभावी है जो दुर्लभ खनिजों से बनती हैं। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे लागत में कमी आएगी और सप्लाई चेन की दिक्कतें भी काफी हद तक दूर हो जाएंगी। कंपनी का मानना है कि यह कदम भारत में ईवी निर्माण को और अधिक स्वदेशी और किफायती बनाने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित होगा।

ओला का ‘संकल्प 2025′ और आत्मनिर्भर भारत का विजन:
ओला इलेक्ट्रिक ने इसी साल अगस्त में अपने ‘संकल्प 2025’ प्रोग्राम के दौरान पहली बार इस फेराइट मोटर की तकनीक को पेश किया था। नई मोटर 7kW और 11kW दोनों मॉडलों में उपलब्ध होगी और प्रदर्शन के मामले में उन मोटरों के बराबर है, जिनमें रेयर अर्थ मेटल का इस्तेमाल होता है।
कंपनी का कहना है कि यह मोटर उतनी ही सक्षम, दमदार और भरोसेमंद है, लेकिन इसकी लागत काफी कम है। साथ ही, इससे सप्लाई चेन में आने वाले उतार-चढ़ाव का जोखिम भी खत्म होगा, जिससे ईवी स्कूटरों का उत्पादन सस्ता और आसान हो जाएगा।

क्या है फेराइट मोटर?:
फेराइट मोटर एक प्रकार की इलेक्ट्रिक मोटर है, जो मैग्नेट के रूप में दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों की बजाय फेराइट मैग्नेट का उपयोग करती है। फेराइट मैग्नेट लोहे के ऑक्साइड और स्ट्रोंटियम या बेरियम जैसे तत्वों से मिलकर बनते हैं। ये रेयर-अर्थ मैग्नेट की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं।
मुख्य लाभ:
- कम लागत: निर्माण की कुल लागत घटती है।
- आपूर्ति स्थिरता: दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों के आयात पर निर्भरता कम होती है।
- बेहतर प्रदर्शन: आधुनिक डिज़ाइन और नियंत्रण तकनीकों के चलते ईवी में रेयर-अर्थ मोटरों जैसा प्रदर्शन।
- जंग प्रतिरोध: फेराइट मैग्नेट जंग से अधिक सुरक्षित होते हैं।
मुख्य उपयोग:
- इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी): विशेष रूप से इलेक्ट्रिक स्कूटरों में, जैसा कि ओला इलेक्ट्रिक ने प्रमाणित किया है।
- घरेलू उपकरण: वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर में।
- छोटे इलेक्ट्रिक मोटर: खिलौनों और छोटे उपकरणों में।
- लाउडस्पीकर: ध्वनि उत्पन्न करने में प्रभावी उपयोग।
फेराइट मोटर देश में ईवी निर्माण को सस्ता, टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गाड़ियों में रेयर अर्थ मेटल्स का इस्तेमाल:
रेयर अर्थ मेटल्स का सबसे ज़्यादा उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में होता है। इनका मुख्य इस्तेमाल परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स में किया जाता है, ताकि मोटर कॉम्पैक्ट, हल्की और उच्च प्रदर्शन वाली बन सके।
- इलेक्ट्रिक मोटर: नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टरबियम जैसे तत्वों से बने मैग्नेट मोटर को अधिक एफिशिएंट बनाते हैं, जिससे ईवी की रेंज और परफॉर्मेंस बेहतर होती है।
- पेट्रोल-डीजल गाड़ियां: इन धातुओं का उपयोग कैटेलिटिक कन्वर्टर्स में भी किया जाता है, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।
- अन्य सिस्टम: सेंसर, डिस्प्ले और गाड़ी के कई इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स में भी रेयर अर्थ मेटल्स का उपयोग होता है, जिससे वाहन की कार्यक्षमता और स्मार्ट फीचर्स बेहतर होते हैं।
रेयर अर्थ पर चीन का दबदबा:
रेयर अर्थ मैग्नेट धरती में पाए जाने वाले दुर्लभ खनिजों से बनाए जाते हैं, जिनका खनन और प्रोसेसिंग बेहद कठिन और महंगा होता है। इस क्षेत्र में चीन का विश्व स्तर पर सबसे बड़ा दबदबा है।
- वैश्विक आपूर्ति में 90% हिस्सा: दुनियाभर में सप्लाई होने वाले कुल रेयर अर्थ मैग्नेट्स में चीन की हिस्सेदारी करीब 90% है, जिससे वह इस बाजार पर लगभग एकाधिकार की स्थिति में है।
- निर्यात प्रतिबंधों का असर: कुछ महीने पहले चीन ने रेयर अर्थ के निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे, जिसके बाद वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग के उत्पादन पर सीधा असर पड़ा।
- आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम: भले ही बाद में चीन ने इन प्रतिबंधों में ढील दी, लेकिन इस कदम ने दुनिया और विशेष रूप से भारत को रेयर अर्थ पर आत्मनिर्भर बनने के लिए मजबूर कर दिया।
यही कारण है कि अब कई देश, जिनमें भारत भी शामिल है, वैकल्पिक तकनीकों और रेयर अर्थ पर निर्भरता घटाने वाले समाधान पर तेजी से काम कर रहे हैं- जैसे ओला इलेक्ट्रिक की नई फेराइट मोटर।

दुर्लभ-पृथ्वी तत्व के बारे मे:
दुर्लभ-पृथ्वी तत्व कुल 17 धात्विक तत्वों का समूह है- जिनमें 15 लैंथेनाइड्स के साथ स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं। ये तत्व धरती की परत में अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, लेकिन इन्हें निकालना और शुद्ध करना कठिन व महंगा होता है। इनकी खासियत है इनके अनूठे चुंबकीय, ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक गुण, जो इन्हें रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं।

गुण और उपयोग:
- उच्च तकनीकी उपकरण: स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, कैमरा डिस्प्ले, ऑडियो स्पीकर और लेज़र में इनका उपयोग होता है।
- स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी: विंड टर्बाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटर व बैटरी में शक्तिशाली स्थायी मैग्नेट बनाने के लिए इनकी ज़रूरत होती है।
- रक्षा और चिकित्सा: लड़ाकू विमान, गाइडेड मिसाइल, रडार सिस्टम और एमआरआई मशीन जैसे अहम उपकरणों में भी इनका इस्तेमाल होता है।
महत्व
- आधुनिक तकनीक में इन तत्वों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- स्वच्छ ऊर्जा और हाई-टेक उपकरणों की बढ़ती मांग ने इन्हें रणनीतिक संसाधन बना दिया है।
चीन के रेयर अर्थ मिनरल्स पर प्रतिबंध और ओला इलेक्ट्रिक पर असर:
हाल ही में चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर लगाई गई नई पाबंदियों के कारण ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में गिरावट आई है। 2024 के अंत और 2025 के दौरान, चीन ने रेयर अर्थ तत्वों और संबंधित मैग्नेट्स पर नए प्रतिबंध और निर्यात नियंत्रण लागू किए। इससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई।
ओला कंपनी के बारे मे:
ओला भारत की एक प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो दो मुख्य क्षेत्रों में काम करती है: ओला कंज्यूमर (पहले ओला कैब्स के नाम से जानी जाती थी) और ओला इलेक्ट्रिक।
ओला भारत की प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो दो मुख्य क्षेत्रों में सक्रिय है:
- ओला कंज्यूमर: पहले ओला कैब्स के नाम से जानी जाती थी। शहरी परिवहन के लिए राइड-हेलिंग सेवाएँ प्रदान करती है।
- ओला इलेक्ट्रिक: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), विशेषकर ई-स्कूटर और ई-बाइक के निर्माण और बिक्री पर केंद्रित।
- लोकप्रिय मॉडल: S1 और S1 प्रो।
- भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों में शामिल।
इतिहास और संस्थापक:
- स्थापना: 2010 में भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी द्वारा।
- उद्देश्य: मोबाइल तकनीक प्लेटफॉर्म के माध्यम से शहरी परिवहन को एकीकृत करना।
निष्कर्ष:
ओला इलेक्ट्रिक द्वारा बिना रेयर अर्थ मेटल वाली फेराइट मोटर का इस्तेमाल करने से कंपनी की विदेशी खनिजों पर निर्भरता कम होगी, उत्पादन लागत घटेगी और सप्लाई चेन अधिक स्थिर होगी। यह कदम भारत में ईवी उद्योग की आत्मनिर्भरता बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति जोखिम से सुरक्षा देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।