ओला की सेल दूसरी तिमाही में 44% हुई कम: 43% गिरा रेवेन्यू लेकिन घाटे में आई कमी, जानिए पूरी खबर..

भारत की तीसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता ओला इलेक्ट्रिक ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 55,000 गाड़ियां बेचीं, जो सालाना आधार पर 44% और पिछली तिमाही के मुकाबले 19% कम है।

 

साथ ही, इस तिमाही में ओला इलेक्ट्रिक का राजस्व सालाना आधार पर 43% घटकर 690 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1,214 करोड़ रुपये था। यानी कंपनी को इस बार सामान और सेवाएं बेचकर कम पैसा मिला। हालांकि, कंपनी का घाटा भी घटा है — ओला को इस तिमाही में 418 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो पिछले साल के 495 करोड़ रुपये के मुकाबले करीब 15.56% कम है।

ola sales fell 44% in the second quarter

ओला इलेक्ट्रिक

ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड एक भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी है, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसे 2017 में भाविश अग्रवाल ने शुरू किया था। कंपनी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बनाती है, जिनमें ओला S1 एयर, ओला S1X और ओला S1 प्रो जैसे मॉडल शामिल हैं।

 

इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तमिलनाडु के कृष्णागिरी में स्थित है, जहाँ ओला अपने वाहनों के लिए बैटरी सेल भी बनाती है। 2023 तक ओला इलेक्ट्रिक भारत के ई-स्कूटर बाजार में करीब 30% हिस्सेदारी के साथ अग्रणी कंपनी थी। कंपनी 2025 में अपने इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल मॉडल लॉन्च की है।

 

व्यवसाय का EBITDA रहा सकारात्मक:

ओला इलेक्ट्रिक ने बताया कि उसने पहली बार अपने ऑटो कारोबार में EBITDA स्तर पर लाभ कमाया है। कंपनी का सकल मार्जिन 30.7% रहा, जो पिछली तिमाही की तुलना में 5.1% ज्यादा है। इसके साथ ही परिचालन खर्चों में लगभग 52% की कमी आई। तिमाही के दौरान ऑटो कारोबार से कंपनी ने 15 करोड़ रुपये की नकद आय हासिल की, हालांकि त्योहारों से पहले इन्वेंट्री बढ़ाने के कारण कुल नकदी प्रवाह 40 करोड़ रुपये नकारात्मक रहा।

 

ओला का कहना है कि आने वाली तिमाहियों में ऊर्जा उत्पादों के बढ़ते उत्पादन से राजस्व में संतुलन और विविधता आएगी। साथ ही, नई पीढ़ी के उत्पादों, इन-हाउस सेल निर्माण और लागत घटाने के प्रयासों से मार्जिन और बेहतर होने की उम्मीद है।

 

EBITDA से क्या तात्पर्य है?

EBITDA (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation and Amortization) यानी ब्याज, टैक्स, डेप्रीशिएशन और अमोर्टाइजेशन से पहले की कमाई।

सीधे शब्दों में, यह दिखाता है कि कंपनी अपने मुख्य व्यवसाय से कितना मुनाफा कमा रही है, बिना उन अतिरिक्त खर्चों को गिने जो सीधे कारोबार से जुड़े नहीं हैं। इससे निवेशकों को यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी का असली बिजनेस कितना मजबूत है और उसका ऑपरेशन कितनी कुशलता से चल रहा है।

 

EBITDA में बढ़ोतरी की मुख्य वजह:

ओला इलेक्ट्रिक ने बताया कि EBITDA में बढ़ोतरी की मुख्य वजह खर्चों पर नियंत्रण और कारोबार को मज़बूत बनाना है। कंपनी के अनुसार, हाल ही में खत्म हुए फेस्टिव सीजन में बिक्री पिछले साल के समान स्तर पर रही। इस दौरान ओला का ध्यान खर्च घटाने, मुनाफा बढ़ाने, कामकाज को सुचारू बनाने और ऑटो व एनर्जी दोनों कारोबारों में अगली विकास की तैयारी पर केंद्रित रहा।

 

ओला के शेयर में आई गिरावट:

नतीजे जारी होने के बाद 6 नवंबर को ओला इलेक्ट्रिक का शेयर 5% गिरकर 47.57 रुपये पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में शेयर की कीमत 10% घटी है, जबकि पिछले 6 महीनों में इसमें 3.4% की गिरावट आई है। एक साल में ओला के शेयर में कुल 37% की कमी दर्ज की गई है। हालांकि, पिछले 3 महीनों में शेयर ने करीब 16% का रिटर्न दिया है।

 

कंपनी के लिए मौजूदा वित्त वर्ष एक “संक्रमण वर्ष”:

कंपनी के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 उसके लिए एक “संक्रमण वर्ष” है, जिसमें वह ऊर्जा कारोबार को मजबूत करने के साथ-साथ अपने ऑटो बिजनेस को लगातार मुनाफे में लाने पर ध्यान दे रही है। वित्त वर्ष 2027 तक ओला को उम्मीद है कि उसका राजस्व आधार और मार्जिन दोनों बढ़ेंगे, जिससे कंपनी ऑटो और ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में लंबे समय तक विकास के लिए तैयार होगी।

 

ओला का लक्ष्य क्या है?

ओला इलेक्ट्रिक का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में वह करीब 1 लाख गाड़ियां डिलीवर करे। पूरे साल के लिए कंपनी का अनुमानित राजस्व 3,000 से 3,200 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। ओला का ध्यान मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ लाभप्रदता बनाए रखने पर है। कंपनी का लक्ष्य है कि ऑटो सेगमेंट का सकल मार्जिन मार्च 2026 तक 40% तक पहुंचे और सेगमेंट का EBITDA लगभग 5% रहे।

साथ ही, ओला अपने सेल (बैटरी) कारोबार से भी राजस्व कमाना शुरू करेगी, जिसमें ओला शक्ति इकाइयों की बिक्री और आंतरिक आपूर्ति शामिल होगी। इस सेल सेगमेंट का सकल मार्जिन वित्त वर्ष 2027 की शुरुआत तक करीब 30% तक स्थिर होने की उम्मीद है।

 

लक्ष्य पूर्ति के लिए ओला की योजना:

अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ओला इलेक्ट्रिक आने वाले महीनों में बड़े निवेश करने की योजना बना रही है।

कंपनी ने बताया कि ऑटो सेगमेंट के लिए तीसरी और चौथी तिमाही (Q3 और Q4 FY26) में 100 से 150 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया जाएगा। सेल (बैटरी) कारोबार के लिए निवेश 5.9 गीगावॉट घंटे की गीगाफैक्ट्री पूरी करने पर केंद्रित रहेगा, जिसका ज्यादातर फंड भारतीय स्टेट बैंक से मिलने वाले प्रोजेक्ट लोन से आएगा।

 

भारत का इलेक्ट्रिक वाहन(EV) बाजार:

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और अब तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर बढ़ रहा है। 2024 में कुल वाहन बिक्री में EV का हिस्सा 7.5% रहा, जिसमें 60% योगदान इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का था। सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण और ई-बसों की योजना से प्रदूषण घटाने की दिशा में कदम बढ़े हैं। भारत का लक्ष्य 2030 तक दोपहिया और तिपहिया वाहनों में 80%, बसों में 40% और निजी कारों में 30% ईवी अपनाने का है।

 

इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम:

भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 10,900 करोड़ रुपये खर्च कर हरित गतिशीलता को बढ़ाया जाएगा। सरकार देशभर में 72,000 चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना पर काम कर रही है। नई ई-वाहन नीति 2024 के तहत कंपनियों को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये निवेश कर भारत में उत्पादन शुरू करना होगा।

इसके अलावा, FAME-II योजना और PLI स्कीम के जरिए EV और बैटरी निर्माण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कई राज्य भी ई-बस बेड़े का विस्तार कर रहे हैं। इन पहलों का लक्ष्य भारत को स्वच्छ और आत्मनिर्भर परिवहन प्रणाली की ओर ले जाना है।

 

निष्कर्ष:

ओला इलेक्ट्रिक के दूसरी तिमाही के नतीजे बताते हैं कि कंपनी एक बदलाव के दौर से गुजर रही है। राजस्व और बिक्री में गिरावट के बावजूद, लागत नियंत्रण और परिचालन सुधार से घाटा 15% घटकर 418 करोड़ रुपये रह गया। यह कंपनी की वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।