संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसम्बर 2025 से शुरू हो गया है। यह सत्र 19 दिनों की अवधि में कुल 15 बैठकों तक चलेगा। हालांकि, सत्र के पहले दिन ही विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण लोकसभा को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
लोकसभा में हंगामा और कार्यवाही
लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे पहली बार स्थगन के बाद शुरू हुई, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष मुख्य रूप से मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision) और अन्य मुद्दों पर हंगामा कर रहा था।
नारेबाजी के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए:
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने के लिए लाया गया है। इसका उद्देश्य तंबाकू उत्पादों पर कर व्यवस्था को और मजबूत बनाना है।
- स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025: इस विधेयक के तहत पान मसाला जैसे निर्दिष्ट सामानों के उत्पादन पर उपकर लगाया जाएगा। यह उपकर स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने में मदद करेगा।
- मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक मणिपुर माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया है, जो एक अध्यादेश का स्थान लेगा।
समितियों की रिपोर्ट की समय सीमा बढ़ाई गई
सदन ने दो महत्वपूर्ण विधेयकों पर प्रवर समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा भी बढ़ाई:
- जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 पर प्रवर समिति की रिपोर्ट शीतकालीन सत्र 2025 के दूसरे सप्ताह के अंतिम दिन तक प्रस्तुत की जाएगी।
- दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर प्रवर समिति की रिपोर्ट शीतकालीन सत्र 2025 के अंतिम दिन तक प्रस्तुत की जाएगी।
सुबह की कार्यवाही
सुबह 11 बजे जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो अध्यक्ष ओम बिड़ला ने धर्मेंद्र, कर्नल (सेवानिवृत्त) सोना राम चौधरी, प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा और रवि नाइक के निधन पर शोक व्यक्त किया। अध्यक्ष ने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को याद किया और सदन ने उनकी स्मृति में मौन रखा।
प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों ने मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन सहित विभिन्न मुद्दों पर नारेबाजी शुरू कर दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विरोध प्रदर्शन करने वाले सदस्यों के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही में बाधा डालना उचित नहीं है। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा, जिसके बाद अध्यक्ष ने सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
राज्यसभा में नए सभापति का स्वागत
राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई, जहां जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के गुरविंदर सिंह ओबेरॉय, चौधरी मोहम्मद रमजान और सज्जाद अहमद किचलू ने उच्च सदन में सांसद के रूप में शपथ ली।
सभापति सी पी राधाकृष्णन, जिन्होंने आज पहली बार राज्यसभा की अध्यक्षता की, का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्री राधाकृष्णन का एक साधारण पृष्ठभूमि से उपराष्ट्रपति पद तक का सफर देश की लोकतंत्र की असली ताकत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उनके मार्गदर्शन में सदन महत्वपूर्ण निर्णयों पर चर्चा करेगा और आगे का रास्ता तय करेगा।
उप सभापति हरिवंश ने सभापति का स्वागत करते हुए श्री राधाकृष्णन के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता की बात की। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विश्वास जताया कि श्री राधाकृष्णन निष्पक्ष रहेंगे और विपक्ष और सत्ता पक्ष के साथ समान व्यवहार करेंगे।
सांसदों की प्रतिक्रिया
भाजपा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने आकाशवाणी न्यूज से विशेष बातचीत में कहा कि जो सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित मामलों पर चर्चा करना चाहते हैं, उन्हें प्रश्न पूछने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है।
जेडीयू राज्यसभा सांसद संजय झा ने कहा कि विपक्ष पिछले संसद सत्र की तरह एसआईआर मुद्दे पर इस सत्र को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को वास्तविक जनता के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है।
शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि संसद नाटक करने की जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के पास न कोई दृष्टि है, न कोई मिशन।
आगामी विधेयकों की सूची
इस शीतकालीन सत्र में निम्नलिखित प्रमुख विधेयक पेश किए जाने की संभावना है:
- जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक विभिन्न कानूनों में छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है।
- दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक दिवालियापन और ऋण समाधान प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए संशोधन प्रस्तावित करता है।
- निरसन और संशोधन विधेयक, 2025: यह विधेयक पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को निरस्त करने के लिए लाया जाता है, जिससे कानूनी ढांचा सरल और अद्यतन हो सके।
- राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक, 2025: इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करना है।
- परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025: यह विधेयक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नवीनतम विकास और सुरक्षा मानकों के अनुरूप कानूनी ढांचे को अद्यतन करने के लिए लाया गया है।
- कॉर्पोरेट कानून (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक कंपनी अधिनियम में संशोधन करके कॉर्पोरेट प्रशासन को मजबूत बनाने और व्यवसायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रयास करता है।
- प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक (एसएमसी), 2025: यह एक नया व्यापक विधेयक है जो प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित करने के लिए आधुनिक और समेकित कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।
- बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक बीमा क्षेत्र में सुधार करने, पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करने और उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधन प्रस्तावित करता है।
- मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक विवाद समाधान तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाने और मध्यस्थता प्रक्रिया में सुधार के लिए लाया गया है।
- भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक, 2025: यह विधेयक उच्च शिक्षा के नियमन के लिए एक नया नियामक ढांचा स्थापित करने का प्रयास करता है, जो यूजीसी जैसे मौजूदा निकायों को प्रतिस्थापित या पुनर्गठित कर सकता है।
संसद के सत्र (Parliament Sessions)संविधान के अनुच्छेद 85 में संसद के सत्रों से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
भारत में संसदीय सत्रों का कोई तय वार्षिक कैलेंडर नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से वर्ष में तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं: · बजट सत्र (पहला सत्र) · यह सबसे लंबा सत्र होता है। · आमतौर पर जनवरी के अंत में शुरू होकर अप्रैल के अंत या मई के शुरुआती सप्ताह तक चलता है। · बीच में अवकाश दिया जाता है ताकि संसदीय समितियाँ बजट प्रस्तावों पर विस्तृत अध्ययन कर सकें। · मानसून सत्र (दूसरा सत्र) · लगभग तीन सप्ताह का होता है। · सामान्यतः जुलाई में प्रारंभ होकर अगस्त में समाप्त होता है। · शीतकालीन सत्र (तीसरा सत्र) · यह सत्र नवंबर से दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है। संसद का सम्मन (Summoning of Parliament)· राष्ट्रपति दोनों सदनों को समय-समय पर बैठक के लिए सम्मन (Summon) जारी करते हैं। · संविधान के अनुसार, दो सत्रों के बीच का अंतर छह महीने से अधिक नहीं होना चाहिए। · इसका अर्थ है कि संसद को वर्ष में कम-से-कम दो बार अवश्य मिलना होगा। स्थगन (Adjournment): किसी बैठक को अस्थायी रूप से रोकने को स्थगन कहते हैं।· यह कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए हो सकता है। · स्थगन में केवल उस दिन की बैठक या कार्यवाही रोकी जाती है, सत्र समाप्त नहीं होता। सत्रावसान (Prorogation): सत्रावसान के माध्यम से पूरे सत्र को समाप्त किया जाता है।· यह कार्य राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। · सत्रावसान और अगली बैठक (Reassembly) के बीच की अवधि को अवकाश कहा जाता है। · ध्यान रखने योग्य बात: सत्रावसान का अर्थ सत्र का अंत है, लोकसभा का विघटन नहीं। राज्यसभा कभी भंग नहीं होती। कोरम (Quorum): कोरम वह न्यूनतम संख्या है जो सदन में उपस्थित होनी चाहिए ताकि कामकाज चल सके।· यह कुल सदस्यों का दसवां हिस्सा होता है। o लोकसभा में न्यूनतम 55 सदस्य o राज्यसभा में न्यूनतम 25 सदस्य o पीठासीन अधिकारी भी इस संख्या में शामिल होते हैं। |
