रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए दो दिन के दौरे पर भारत पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत करने के लिए प्रोटोकॉल तोड़कर खुद पालम एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को विशेष रूप से तैयार किए गए उपहार भेंट किए, जिनमें भारत की समृद्ध संस्कृति, शिल्पकला और विरासत की झलक दिखाई देती है। ये उपहार न केवल भारत की विविध और समृद्ध सभ्यता को दर्शाते हैं, बल्कि दोनों देशों के ऐतिहासिक और मजबूत संबंधों का भी प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति पुतिन को दिए गए उपहार:
- असम चाय: ब्रह्मपुत्र के मैदानों में उगाई जाने वाली असम ब्लैक टी अपने मजबूत माल्टी स्वाद और पारंपरिक प्रसंस्करण के लिए मशहूर है। इसे 2007 में GI टैग भी मिला है और इसके स्वास्थ्य लाभ भी हैं।
- महाराष्ट्र हस्तशिल्प: महाराष्ट्र का हस्तनिर्मित चाँदी का घोड़ा, जो वीरता और गरिमा का प्रतीक है। यह भारत और रूस की साझा संस्कृति और सम्मान को दर्शाता है।
- कश्मीरी केसर: भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाने वाला यह कीमती केसर अपने रंग, सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसे “लाल सोना” भी कहा जाता है और GI टैग भी मिला है।
- बंगाल का चाय सेट: मुर्शिदाबाद का अलंकृत चाँदी का चाय सेट, जिसमें बारीक नक्काशी है। यह पश्चिम बंगाल की कला और भारत-रूस दोनों देशों में चाय की सांस्कृतिक अहमियत को दर्शाता है।
- रूसी भाषा में गीता: महाभारत का भाग श्रीमद्भगवद्गीता, जो कर्तव्य, आत्मा और आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा देता है, रूस की भाषा में पुतिन को भेंट की गई।
- उत्तर प्रदेश का पत्थर का शतरंज सेट: आगरा का हस्तनिर्मित संगमरमर का शतरंज सेट, जिसमें पत्थर, लकड़ी और अर्ध-कीमती पत्थरों का सुंदर संयोजन है। यह उत्तर भारत की कलात्मक और शिल्पकला विरासत को दर्शाता है।
वैश्विक नेताओं को उपहार देने के मायने:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व नेताओं को दिए जाने वाले ये विशेष, हस्तनिर्मित और सांस्कृतिक उपहार केवल शिष्टाचार भर नहीं हैं। ये भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, शिल्पकला और आध्यात्मिक परंपराओं का संदेश दुनिया तक पहुँचाने का माध्यम भी हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद गीता का रूसी संस्करण भेंट करना, या अन्य वैश्विक नेताओं को अयोध्या के राम मंदिर और महाकुंभ से जुड़े प्रतीकात्मक उपहार देना, हर उपहार भारत की एक अनूठी कहानी और उसके मूल्यों का परिचय देता है।
G20 शिखर सम्मेलन 2023 में भी दिया वैश्विक नेताओं को उपहार:
दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन 2023 में भारत ने विश्व नेताओं को ऐसे उपहार दिए, जिनसे देश की समृद्ध परंपराएँ, विविध संस्कृति और उत्कृष्ट शिल्पकला झलकती है। विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए ये उपहार भारत की पहचान को दर्शाने वाले अनोखे प्रतीक थे। जैसे:
- संदूक (Sandook): सभी उपहारों को सुंदर पीतल की नक्काशी वाले शीशम लकड़ी के हस्तनिर्मित संदूक में पैक किया गया।
- कश्मीर का केसर: दुनिया के सबसे महंगे मसालों में शामिल, सुगंध और औषधीय गुणों से भरपूर।
- दार्जिलिंग व नीलगिरि चाय: दार्जिलिंग चाय—“चाय का शैम्पेन”, बेहद सुगंधित और ऊँचाई वाली पहाड़ियों में उगाई जाती है। वही नीलगिरि चाय—दक्षिण भारत की पर्वत श्रृंखला से आने वाली हल्की और सुगंधित चाय।
- अराकू कॉफ़ी: आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी में उगाई जाने वाली दुनिया की पहली टेरॉयर-मैप्ड, 100% जैविक कॉफी।
- सुंदरबन का शहद: मैंग्रोव वनों से पारंपरिक तरीके से प्राप्त शुद्ध, पोषक तत्वों से भरपूर प्राकृतिक शहद।
- कन्नौज का इत्र: सदियों पुरानी भारतीय इत्र बनाने की परंपरा का सुगंधित उदाहरण।
- कश्मीरी पश्मीना शॉल: 14,000 फीट की ऊँचाई पर मिलने वाली चांगथांगी बकरी के मुलायम ऊन से बना दुर्लभ और कीमती शॉल।
- खादी स्कार्फ: नेताओं को राजघाट पर दिया गया यह दुपट्टा भारतीय स्वतंत्रता और टिकाऊ फैशन का प्रतीक है।
- स्मारक सिक्के और टिकट: G20 अध्यक्षता को दर्शाते विशेष सिक्के और डाक टिकट, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और कमल-प्रेरित डिज़ाइन के साथ।
पुतिन की भारत यात्रा की मुख्य बातें:
पुतिन की भारत यात्रा का केंद्र आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देना रहा। दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, परमाणु सहयोग, मुक्त व्यापार समझौते और कुशल कामगारों की आवाजाही जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा की, जिसमें व्यापार बढ़ाने, रुकावटें कम करने, रणनीतिक खनिजों में सहयोग और रुपया–रूबल व्यापार को आगे बढ़ाने पर खास जोर दिया गया। भारत ने साफ किया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहयोग मजबूत करना है, वहीं दोनों पक्ष FTA पर भी तेजी से काम कर रहे हैं।
रक्षा क्षेत्र में बड़े सौदों की घोषणा नहीं हुई, लेकिन संयुक्त उत्पादन, तकनीक हस्तांतरण और दोस्ताना देशों को निर्यात बढ़ाने पर सहमति बनी। विशेषज्ञों के अनुसार भारत-रूस रक्षा संबंध अब पारंपरिक खरीद-बिक्री से आगे बढ़कर संयुक्त उत्पादन और तकनीकी साझेदारी पर केंद्रित हो रहे हैं, जो बदलते वैश्विक माहौल में दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों को दर्शाता है।
पुतिन की यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है?
रूसी राष्ट्रपति की यह यात्रा कई कारणों से बेहद अहम मानी जा रही है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद और भारत-अमेरिका संबंधों में चल रहे तनाव के बीच यह पुतिन की पहली भारत यात्रा है। यह दौरा उस समय हो रहा है जब जी-20 में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत भूमिका दिखाई है।
गर्मजोशी भरी मुलाकातों और सांस्कृतिक उपहारों के पीछे मुख्य उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को और गहरा करना है। दोनों देशों का ध्यान खासकर आर्थिक सहयोग, निवेश, व्यापार बढ़ाने और भविष्य की साझेदारी को मजबूत करने पर रहा।
निष्कर्ष:
यह यात्रा दर्शाती है कि भारत-रूस संबंध गहरी मित्रता और परस्पर विश्वास पर आधारित हैं। राष्ट्रपति पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत और उन्हें दिए गए सांस्कृतिक उपहार न केवल भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि दोनों देशों की मजबूत और दीर्घकालिक साझेदारी का संकेत भी देते हैं। इस दौरे ने भविष्य में सहयोग को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
