प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी आसियान शिखर सम्मेलन 2025 में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेंगे। हालांकि, वे 26 अक्टूबर से मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में शुरू हो रहे इस सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होंगे। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का यह निर्णय अन्य कार्यक्रमों के व्यस्त शेड्यूल के कारण लिया गया है।
वहीं, भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व करने की संभावना है। आधिकारिक पुष्टि भले ही अभी बाकी हो, लेकिन सूत्रों ने बताया कि भारत ने मलेशियाई सरकार को इसकी जानकारी दे दी है। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भी पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे।

पीएम मोदी और मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम के बीच फोन वार्ता, आसियान-भारत संबंधों पर जोर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के बीच बुधवार शाम फोन पर बातचीत हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए आसियान शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल न होने की जानकारी दी।
वार्ता के प्रमुख बिंदु:
- दोनों नेताओं ने भारत-आसियान संबंधों की मजबूती और रणनीतिक सहयोग पर बल दिया।
- चर्चा में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल रहे।
- पीएम मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को और अधिक सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
- प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मलेशिया के माध्यम से आसियान-भारत साझेदारी को गहरा करने पर सहमति जताई।
- द्विपक्षीय स्तर पर दोनों नेताओं ने व्यापार घाटा कम करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विषयों पर भी चर्चा की।
वर्चुअल उपस्थिति के पीछे कारण:
- घरेलू दायित्व: मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई फोन वार्ता में पुष्टि की कि मोदी देश में चल रहे दिवाली और छठ पर्व के कारण आसियान शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे।
- राजनीतिक कारण: कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह फैसला नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से भी जुड़ा हो सकता है, क्योंकि छठ पर्व बिहार में अत्यंत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार माना जाता है।
प्रधानमंत्री अब तक 12 बार ले चुके आसियान समिट में हिस्सा भाग :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में यह पहला मौका होगा जब वे आसियान शिखर सम्मेलन में शारीरिक रूप से शामिल नहीं होंगे। मोदी अब तक कुल 12 बार आसियान समिट में हिस्सा ले चुके हैं, जिनमें 2020 और 2021 की वर्चुअल बैठकें भी शामिल हैं।
मुख्य जानकारी:
- आसियान समिट 2025 का आयोजन 26 से 28 अक्टूबर तक कुआलालंपुर, मलेशिया में किया जाएगा।
- अब तक भारत की भागीदारी के स्तर पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
- मलेशिया ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित आसियान के कई साझेदार देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है।
ट्रंप और शी जिनपिंग की मौजूदगी, लेकिन पीएम मोदी नहीं होंगे शामिल
आसियान शिखर सम्मेलन 2025 में इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों हिस्सा ले रहे हैं। ट्रंप उम्मीद कर रहे थे कि समिट के दौरान उनकी पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग से मुलाकात हो सकेगी।
हालांकि, अब यह साफ हो गया है कि पीएम मोदी समिट में शारीरिक रूप से शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर कुआलालंपुर में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
आसियान (ASEAN – Association of Southeast Asian Nations) के बारे में:
आसियान (ASEAN – Association of Southeast Asian Nations) दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक में हुई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्र में आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसका मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में स्थित है।
आसियान के 10 सदस्य देश हैं- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया।

आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit):
आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) आसियान का सर्वोच्च नीति-निर्माण निकाय है, जिसमें सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख शामिल होते हैं। यह संगठन के सामूहिक निर्णय और नीतिगत दिशा तय करता है। परंपरागत रूप से, आसियान शिखर सम्मेलन वर्ष में दो बार आयोजित किया जाता है।
पहला आसियान शिखर सम्मेलन 23–24 फरवरी 1976 को इंडोनेशिया के बाली द्वीप में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में आसियान देशों ने क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने, शांति बनाए रखने और आर्थिक विकास को गति देने पर जोर दिया था। तब से यह सम्मेलन दक्षिण-पूर्व एशिया में राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संवाद का प्रमुख मंच बन गया है।
भारत और आसियान संबंध:
भारत और आसियान के बीच संवाद संबंध वर्ष 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी के रूप में शुरू हुए। 1995 में भारत को पूर्ण संवाद साझेदार का दर्जा मिला और 2002 में संबंध शिखर सम्मेलन स्तर की साझेदारी में परिवर्तित हो गए।
वर्ष 2012 में भारत-आसियान संबंधों को रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया, जबकि 2022 में दोनों पक्षों ने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) तक उन्नत किया। भारत और आसियान के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र व्यापार और निवेश, समुद्री सुरक्षा, कनेक्टिविटी (सड़क, समुद्र और डिजिटल), आतंकवाद-रोधी सहयोग तथा सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान हैं।
भारत के लिए आसियान (ASEAN) कई रणनीतिक और आर्थिक अवसर प्रदान करता है। इसके प्रमुख अवसर निम्नलिखित हैं:
- विशाल संभावित बाजार: आसियान विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है, जो भारत को अपने निर्यात क्षमता को बढ़ाने और व्यापार विस्तार का बड़ा अवसर देता है।
- ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और इंडो-पैसिफिक रणनीति से सामंजस्य: आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और ‘इंडो-पैसिफिक’ रणनीति का प्रमुख स्तंभ है। इससे भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी उपस्थिति और सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलता है।
- चीन के प्रभाव का संतुलन: आसियान देशों के साथ संबंध मजबूत करने से भारत को क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
- उत्तर-पूर्व भारत की कनेक्टिविटी और विकास: आसियान देशों के साथ सड़क, रेल और जलमार्ग कनेक्टिविटी परियोजनाएँ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को क्षेत्रीय व्यापार का केंद्र बनाने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक हैं।
- नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा: आसियान क्षेत्र में नियम-आधारित सुरक्षा ढांचे को प्रोत्साहित करता है, जो भारत के लिए क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
भारत और आसियान (ASEAN) के बीच व्यापार और निवेश संबंध:
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA): भारत और आसियान के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- व्यापारिक स्थिति: आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वर्ष 2023–24 में द्विपक्षीय व्यापार 122.67 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो भारत के कुल वैश्विक व्यापार का लगभग 11% है। - सिंगापुर की भूमिका: सिंगापुर आसियान में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा।
इसका भारत के कुल व्यापार में करीब 3% हिस्सा है। साथ ही, सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) स्रोत है, जिसकी राशि 14.94 अरब अमेरिकी डॉलर रही। - FTA के बेहतर उपयोग की आवश्यकता: ASEAN-India FTA (AIFTA) का पूर्ण उपयोग और ASEAN-India Trade in Goods Agreement (AITIGA) को अंतिम रूप देना, व्यापार और निवेश को और तेजी से बढ़ा सकता है।
- व्यापार परिषद: वर्ष 2005 में ASEAN-India Business Council (AIBC) की स्थापना की गई थी, ताकि भारत और आसियान के व्यावसायिक संबंधों को मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष:
आसियान और भारत के बीच व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी के मजबूत संबंध भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं। मुक्त व्यापार समझौते, निवेश प्रवाह और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं के माध्यम से भारत न केवल व्यापारिक अवसर बढ़ा रहा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका और रणनीतिक मौजूदगी भी सुदृढ़ कर रहा है। भविष्य में ASEAN-India FTA और AITIGA का पूरा उपयोग और क्षेत्रीय सहयोग नई आर्थिक संभावनाओं को जन्म देगा और भारत के एक्ट ईस्ट नीति तथा क्षेत्रीय स्थिरता के प्रयासों को मजबूती प्रदान करेगा।