स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में लगाम लगाने की तैयारी: सरकार, IRDAI और अस्पताल समूहों के बीच महत्वपूर्ण चर्चा शुरू

बढ़ती मेडिकल लागत, असमान क्लेम सेटलमेंट और तेजी से बढ़ रहे स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम ने सरकार और नियामकों की चिंता बढ़ा दी है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने बीमा विनियामक (IRDAI), बीमा कंपनियों और अस्पताल समूहों के साथ विस्तृत बातचीत शुरू कर दी है, ताकि स्वास्थ्य बीमा बाजार में बढ़ती अव्यवस्था और उपभोक्ता पर बढ़ते बोझ को नियंत्रित किया जा सके।

 

प्रीमियम पर कैप, एजेंट कमीशन सीमित करने और कड़े डिस्क्लोज़र नियमों पर विचार

सरकार स्वास्थ्य बीमा सेक्टर में बड़े सुधारों पर विचार कर रही है। इनमें शामिल हैं:

  • प्रीमियम पर अधिकतम सीमा (कैप)
  • बीमा एजेंटों के कमीशन पर सख्त लिमिट
  • बीमा कंपनियों के लिए कड़े डिस्क्लोज़र मानदंड
  • क्लेम प्रक्रिया का पूर्ण डिजिटलीकरण

कई प्रस्ताव IRDAI को भेज दिए गए हैं, जिन पर अंतिम निर्णय नियामक लेगा।

Preparations to curb health insurance premiums

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (Health insurance premium) क्या हैं?

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का मतलब है -वह राशि जो व्यक्ति या परिवार को अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को सक्रिय (चलती) रखने के लिए नियमित रूप से चुकानी पड़ती है। यह भुगतान मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक रूप से किया जा सकता है। सरल शब्दों में: जैसे मोबाइल रिचार्ज करवाना पड़ता है ताकि फोन चलता रहे, उसी तरह बीमा पॉलिसी को चलाए रखने के लिए जो पैसा देना पड़ता है, उसे स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम कहा जाता है।

 

प्रीमियम किन बातों पर निर्भर करता है?

  • उम्र
  • बीमित राशि (Sum insured)
  • कितने लोग बीमा में शामिल हैं
  • बीमारी का इतिहास
  • अस्पताल नेटवर्क
  • पॉलिसी का प्रकार (individual/ family floater)

 

क्लेम प्रोसेस को डिजिटल और पारदर्शी बनाने पर जोर

सरकार नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज को तेजी से लागू कर रही है, ताकि पूरे क्लेम सिस्टम को डिजिटल, पारदर्शी और तेज बनाया जा सके। इसके साथ ही यह भी मॉनिटर किया जा रहा है कि बीमा कंपनियां हाल में हुई GST कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं या नहीं।

 

GST परिषद ने सितंबर में स्वास्थ्य बीमा पर GST को शून्य (0%) कर दिया था।

 

नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (NHCX) क्या है?

 

परिचय:
यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे भारत में स्वास्थ्य बीमा दावों के प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
यह सभी स्वास्थ्य दावों के लिये एक केंद्रीकृत केंद्र के रूप में कार्य करेगा, अस्पतालों पर प्रशासनिक बोझ को कम करेगा और एक निर्बाध, पेपरलेस और सुरक्षित संविदात्मक ढाँचा प्रदान करेगा। यह प्रणाली भारत की गतिशील और विविध स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को समायोजित करने के लिये डिज़ाइन की गई है, जो कि IRDAI के ‘2047 तक सभी के लिये बीमा’ प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।

 

लाभ:

  • NHCX का लक्ष्य नकदी रहित दावा प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना है, जिससे संभावित रूप से प्रतीक्षा समय तथा मरीज़ों की आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में कमी आएगी।
  • NHCX कई पोर्टलों और मैनुअल कागज़ी कार्रवाई की आवश्यकता को समाप्त करके दावा प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करता है, जिससे अस्पतालों के लिये प्रशासनिक बोझ कम हो जाता है।
  • यह प्लेटफॉर्म एक समान डेटा प्रस्तुति और केंद्रीकृत सत्यापन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा मूल्य निर्धारण के लिये अधिक मानकीकृत दृष्टिकोण को जन्म दे सकता है।
  • यह प्रणाली डेटा सत्यापन के माध्यम से धोखाधड़ी वाले दावों का पता लगाने और उन्हें रोकने में मदद कर सकती है।

 

आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE):

आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) वह धनराशि है जो स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने के समय परिवारों द्वारा सीधे भुगतान की जाती है।
इसमें किसी भी सार्वजनिक या निजी बीमा या सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति शामिल नहीं होते।

 

IRDAI के अनुसार भारत में बीमा की स्थिति:

  • भारत में कुल सामान्य बीमा प्रीमियम आय में स्वास्थ्य बीमा का योगदान लगभग 29% है।
  • जीवन बीमा व्यवसाय में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है। वर्ष 2019 में वैश्विक जीवन बीमा बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी 2.73% थी।
  • गैर-जीवन बीमा व्यवसाय में भारत दुनिया में 15वें स्थान पर है। वर्ष 2019 में वैश्विक गैर-जीवन बीमा बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी 0.79% थी।

 

बीमा प्रवेश (Insurance Penetration) और घनत्व (Insurance Density):

ये दो महत्त्वपूर्ण मापदंड हैं जिनसे किसी देश में बीमा क्षेत्र के विकास स्तर का आकलन किया जाता है।

 

बीमा प्रवेश (Penetration):

  • बीमा प्रवेश को GDP में बीमा प्रीमियम के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।
  • बीमा प्रवेश 2001 में 2.71% था, जो बढ़कर 2019 में 3.76% हो गया (जीवन: 2.82%, गैर-जीवन: 0.94%)।

 

बीमा घनत्व (Density):

  • बीमा घनत्व की गणना प्रति व्यक्ति बीमा प्रीमियम (Premium per Capita) के रूप में की जाती है।
  • भारत में बीमा घनत्व 2001 में 11.5 अमेरिकी डॉलर था, जो बढ़कर 2019 में 78 अमेरिकी डॉलर हो गया (जीवन: 58 डॉलर, गैर-जीवन: 20 डॉलर)।

 

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित सरकारी पहल:

  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
  • आयुष्मान भारत: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)
  • बीमा सुगम, बीमा विस्तार, बीमा वाहक जैसी पहलें
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में स्वास्थ्य बीमा को एक महत्त्वपूर्ण गुणवत्ता सेवा के रूप में परिकल्पित किया गया है और जनसंख्या कवरेज बढ़ाने के लिये स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी व्यक्तिगत व्यय (catastrophic expenditure) को कम करने पर ज़ोर दिया गया है।

 

कम क्लेम पेआउट पर IRDAI की चिंता

IRDAI ने कई बार यह मुद्दा उठाया है कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियाँ अपेक्षा से कम क्लेम पेआउट कर रही हैं। IRDAI प्रमुख अजय सेठ ने हाल ही में कहा था कि कई मामलों में बीमा कंपनियाँ क्लेम का उतना भुगतान नहीं कर रहीं, जितना किया जाना चाहिए।

 

इस कारण,

  • क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है
  • कंपनियों की कमीशन प्रणाली की भी समीक्षा की जा सकती है

नियामक पहले ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम बढ़ोतरी को सीमित कर चुका है, क्योंकि कुछ बीमा उत्पादों में अत्यधिक वृद्धि देखी गई थी।

 

एजेंट कमीशन पर भी सख्ती संभव

वर्तमान नियमों के अनुसार:

  • स्टैंड-अलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ अपने कुल प्रीमियम का 35% तक प्रबंधन खर्च (जिसमें कमीशन भी शामिल है) पर खर्च कर सकती हैं।
  • नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर कमीशन 20% तक
  • रिन्यूअल पर कमीशन 10% तक

IRDAI भविष्य में इस ढांचे को और सख्त करने पर विचार कर सकता है।

 

अस्पताल और बीमा कंपनियों के बीच बढ़ता टकराव

स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में भारी दबाव की वजहें हैं:

  • तेजी से बढ़ती मेडिकल इन्फ्लेशन
  • अलग-अलग अस्पतालों में बिलिंग पैटर्न की भारी असमानता
  • हाई-टेक उपकरणों और तकनीक की बढ़ती लागत

बीमा कंपनियाँ कहती हैं कि अस्पताल अनियमित बिलिंग करते हैं, जबकि अस्पताल समूहों का कहना है कि बीमा कंपनियों के मुकाबले उनके मुनाफे बहुत कम हैं।

इसी तनाव के बीच वित्त मंत्रालय ने पिछले हफ्ते दोनों पक्षों के साथ बैठक की और उन्हें लागत कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया।

 

भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन तेजी से बढ़ रहा

Aon की ग्लोबल मेडिकल ट्रेंड रेट्स रिपोर्ट 2025 के अनुसार:

  • भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन 2026 में 11.5% तक पहुंच सकता है
  • यह वैश्विक औसत 9.8% से काफी अधिक है

यह ट्रेंड स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को और महंगा बना सकता है, इसलिए सरकार समय रहते हस्तक्षेप करने पर विचार कर रही है।

 

IRDAI क्या है?

 

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) वर्ष 1999 में स्थापित एक नियामक संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य बीमा ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और देश में बीमा उद्योग को विनियमित करना है।

यह IRDAI अधिनियम, 1999 के तहत एक वैधानिक निकाय है और वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।

IRDAI का काम बीमा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी, नियमन, और विकास सुनिश्चित करना है। इसकी शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ IRDAI अधिनियम, 1999 और बीमा अधिनियम, 1938 में स्पष्ट की गई हैं।

 

वर्ष 2047 तक ‘सभी के लिये बीमा’ का लक्ष्य

IRDAI का विज़न है कि वर्ष 2047 तक देश के हर नागरिक के पास

  • समग्र जीवन बीमा,
  • स्वास्थ्य बीमा, और
  • संपत्ति बीमा कवरेज

उपलब्ध हो। साथ ही, छोटे और बड़े उद्यमों को भी उनके जोखिमों के अनुसार उचित बीमा समाधान उपलब्ध कराए जाएँ।

 

बीमा क्षेत्र के 3 मुख्य स्तंभ

1.   बीमा ग्राहक (Policyholders)

2.   बीमा प्रदाता (Insurers)

3.   बीमा वितरक (Intermediaries)

 

IRDAI के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • सही ग्राहकों को सही उत्पाद उपलब्ध कराना
  • मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना
  • बीमा क्षेत्र में कारोबार करने में सुगमता बढ़ाना
  • यह सुनिश्चित करना कि विनियामक ढांचा बाज़ार की बदलती जरूरतों के अनुरूप रहे
  • नवाचार को बढ़ावा देना
  • प्रौद्योगिकी आधारित नियामक व्यवस्था को बढ़ाना
  • बीमा उद्योग में प्रतिस्पर्धा और वितरण दक्षता को मजबूत बनाना

 

सरकारी हस्तक्षेप से क्या बदल सकता है?

अगर सरकार प्रस्तावित कदमों को लागू करती है, तो:

  • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में अनियंत्रित बढ़ोतरी रुक सकती है
  • क्लेम प्रक्रिया तेज और पूरी तरह डिजिटल हो सकती है
  • एजेंट कमीशन सीमित होने से पॉलिसी की लागत घट सकती है
  • ग्राहकों को ज्यादा पारदर्शिता और सुरक्षा मिलेगी
  • अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद कम होंगे

सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है-स्वास्थ्य बीमा को पारदर्शी, सस्ता और भरोसेमंद बनाना।