सितंबर 2025 में शाकाहारी थाली की कीमत 10% कम हुई; और मांसाहारी थाली 6% सस्ती हुई, जाने क्या है कारण ?

नई रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में शाकाहारी थाली की औसत कीमत में 10% की कमी दर्ज की गई है। इसी तरह, नॉन-वेज थाली के दाम करीब 6% घटे हैं।

क्रिसिल द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि शाकाहारी थाली की कीमत में गिरावट सब्जियों और दालों की कीमतों में भारी कमी के कारण हुई। रिपोर्ट से यह संकेत मिलता है कि घरेलू बाजार में सब्जियों और दालों की कीमतों में उतार-चढ़ाव थाली की कीमतों पर सीधा असर डालता है।

 

सितंबर 2025 में शाकाहारी और मांसाहारी थाली के दामों में कमी:

Crisil Market Intelligence & Analytics की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में शाकाहारी थाली का औसत खर्च 26.30 रुपये रहा, जो पिछले साल सितंबर में 29.10 रुपये था। वहीं, मांसाहारी थाली का औसत खर्च 56 रुपये से घटकर 52.60 रुपये हो गया।

यह आंकड़ा उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत के औसत भावों के आधार पर निकाला गया है और इससे घरेलू खाने-पीने के खर्च का अंदाजा लगाया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि: “शाकाहारी थाली की लागत में आई यह कमी मुख्य रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में भारी गिरावट के कारण हुई है।”

price of vegetarian thali decreased by 10% and non-vegetarian thali became cheaper by 6%

आलू, प्याज और टमाटर सस्ते होने से शाकाहारी थाली के दाम घटे:

Crisil की रिपोर्ट के अनुसार, आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में गिरावट के चलते शाकाहारी (वेज) थाली की लागत में कमी आई है।

  • प्याज: कीमतों में 46% की गिरावट, मुख्य कारण रबी की फसल की अच्छी आवक और बाजार में बढ़ती उपलब्धता।
  • आलू: कीमतों में 31% की कमी, क्योंकि कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स से बड़े पैमाने पर स्टॉक जारी किया गया।
  • टमाटर: 8% की गिरावट, बेहतर आपूर्ति के कारण।

रिपोर्ट के अनुसार, वेज थाली की लागत में आलू और टमाटर का हिस्सा लगभग 24% है। इसके अलावा, दालों की कीमत में 16% की गिरावट भी हुई। हालांकि, सालाना आधार पर वेजिटेबल ऑयल की कीमत 21% और LPG सिलेंडर की कीमत 6% बढ़ी, वरना शाकाहारी थाली और भी सस्ती हो सकती थी।

 

भारत में प्याज की कीमतों में गिरावट, बांग्लादेश को निर्यात धीमा होने का असर:

भारत द्वारा बांग्लादेश को प्याज निर्यात धीमा होने से भारतीय उपभोक्ताओं को कीमतों में राहत मिली है।

  • निर्यात धीमा होने के पीछे बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और भारत सरकार द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंध और शुल्क का असर माना जा रहा है।
  • बाद में भारत ने निर्यात शुल्क में कटौती की और कुछ मात्रा में निर्यात की अनुमति भी दी।

इससे प्याज की कीमतों में साल-दर-साल 46% तक की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण रबी की फसल का अच्छा होना और देश में प्याज की बढ़ी हुई उपलब्धता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निर्यात में कमी के कारण कीमतों को काबू में रखने में मदद मिली है, क्योंकि बांग्लादेश भारत से सबसे अधिक प्याज खरीदता है।

 

नॉनवेज थाली की कीमत में गिरावट धीमी:

रिपोर्ट के अनुसार, नॉनवेज थाली की लागत में गिरावट की रफ्तार शाकाहारी थाली की तुलना में धीमी रही।

  • इसका मुख्य कारण ब्रॉयलर यानी चिकन की कीमत में सालाना आधार पर केवल 1% की कमी है।
  • इस साल चिकन के उत्पादन में कमी और आपूर्ति में दिक्कतें रही हैं।
  • नॉनवेज थाली की लागत में ब्रॉयलर का हिस्सा लगभग 50% है।

हालांकि, सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट के कारण नॉनवेज थाली की औसत कीमत सालाना आधार पर 6% कम हुई है।

 

खाद्य कीमतों का रुझान: सितंबर 2025 से सितंबर 2024 तक शाकाहारी और मांसाहारी थाली की दरें:

महीना

वेज थाली (₹)

नॉन वेज थाली (₹)

सितंबर 2025

28.1

56.0

अगस्त 2025

29.1

54.6

जुलाई 2025

28.1

53.5

जून 2025

27.1

54.8

मई 2025

26.2

52.6

अप्रैल 2025

26.3

53.9

मार्च 2025

26.6

54.8

फरवरी 2025

27.2

57.4

जनवरी 2025

28.7

60.6

दिसंबर 2024

31.6

63.3

नवम्बर 2024

32.7

61.5

अक्टूबर 2024

33.3

61.6

सितंबर 2024

31.3

59.3

 

क्रिसिल की गणना पद्धति और रिपोर्ट का समर्थन:

क्रिसिल देश भर में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना करता है। इसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं: अनाज, दालें, ब्रॉयलर (चिकन), सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल, रसोई गैस

क्रिसिल की यह गणना मासिक बदलाव के आधार पर आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दर्शाती है और थाली की लागत में बदलाव के लिए जिम्मेदार कारकों को उजागर करती है।

 

बैंक ऑफ बड़ौदा एसेंशियल कमोडिटीज इंडेक्स द्वारा समर्थन:

बैंक ऑफ बड़ौदा एसेंशियल कमोडिटीज इंडेक्स (BOB ECI) ने भी क्रिसिल के निष्कर्षों की पुष्टि की।

  • सितंबर में सालाना आधार पर 1% की गिरावट
  • अक्टूबर के पहले छह दिनों में 3.8% की तेज गिरावट दर्ज
  • 20 कमोडिटीज में से 9 में मूल्य में गिरावट (डिफ्लेशन), जिनमें टमाटर, प्याज और आलू सबसे तेज कमी वाले रहे
  • बैंक ने सितंबर के लिए CPI मुद्रास्फीति 1.2% का अनुमान लगाया

रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि सब्जियों और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बदलाव सीधे तौर पर घरेलू थाली की लागत और आम आदमी के खर्च पर असर डालता है।

 

भविष्य में प्याज और टमाटर की कीमतों पर दबाव की आशंका:

क्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर-रिसर्च पुषण शर्मा ने चेतावनी दी है कि मध्यम अवधि में प्याज की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:

  • कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में अतिरिक्त वर्षा ने खरीफ प्रत्यारोपण को विलंबित किया।
  • उपज संबंधी चिंताएं बढ़ीं हैं, जिससे भविष्य में कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।

यदि अक्टूबर में भारी वर्षा भंडारित प्याज या खड़ी खरीफ फसल को प्रभावित करती है, तो यह कीमतों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।

 

टमाटर की कीमतों का अनुमान:

त्योहारी मौसम में टमाटर की कीमतें मजबूत रह सकती हैं, क्योंकि कर्नाटक और महाराष्ट्र में अत्यधिक वर्षा से उपज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।