अहमदाबाद विमान हादसे की जांच में प्रगति, AAIB ने सरकार को सौंपी शुरुआती रिपोर्ट

एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अहमदाबाद विमान हादसे के 26 दिन बाद इसकी प्राइमरी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। यह रिपोर्ट शुरुआती सबूतों और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट में क्रैश के कारणों को लेकर प्रारंभिक निष्कर्ष शामिल हैं, जबकि विस्तृत विश्लेषण की प्रक्रिया अभी जारी है।

यह रिपोर्ट शुरुआती साक्ष्यों और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • प्रारंभिक रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य संबंधित एजेंसियों को भेजी गई है।
  • जांच में पायलट कम्युनिकेशन और फ्लाइट डेटा रिकॉर्ड की गहन समीक्षा की गई।
  • यह रिपोर्ट अभी अंतिम नहीं है — दुर्घटना से जुड़े सभी पहलुओं की विस्तृत जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट जारी की जाएगी।

AAIB की यह रिपोर्ट दुर्घटना के पीछे की संभावित वजहों की ओर संकेत करती है, लेकिन फिलहाल कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है। अगली रिपोर्ट में ब्लैक बॉक्स डाटा के डिकोडिंग और अन्य तकनीकी विश्लेषणों के बाद पूरी जानकारी सामने आने की उम्मीद है।

12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट हुई थी दुर्घटनाग्रस्त:

12 जून 2025 को, एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 जो अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन जा रही थी, उड़ान भरने के तुरंत बाद मेघाणीनगर इलाके में स्थित एक हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।

इस भयावह हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी, जबकि ज़मीन पर मौजूद कई लोग भी इसकी चपेट में आ गए। केवल एक यात्री जीवित बचा, जिसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

AAIB ने घटना के बाद मौके से ब्लैक बॉक्स का क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) बरामद किया था। 25 जून को इस मॉड्यूल से डेटा को सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लिया गया, जो अब तकनीकी विश्लेषण का आधार बना।

तीन महीने में सामने आ सकती है हादसे की असली वजह, ब्लैक बॉक्स से जांच जारी

फिलहाल हादसे की असली वजह का पूरी तरह से पता नहीं चल सका है। यह स्पष्ट नहीं है कि दुर्घटना इंजन फेलियर, ईंधन आपूर्ति (फ्यूल सप्लाई) की गड़बड़ी, या फिर किसी अन्य तकनीकी खराबी के कारण हुई।
जांच एजेंसियों ने विमान का ब्लैक बॉक्स रिकवर कर लिया है, जिसमें मौजूद कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) की गहन जांच जारी है।
विस्तृत जांच रिपोर्ट अगले तीन महीनों में आने की संभावना है, जिसके बाद दुर्घटना के वास्तविक कारणों का खुलासा हो सकेगा।

ब्लैक बॉक्स से रिकवर हुआ डेटा, हादसे की वजहों का होगा खुलासा

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, दुर्घटना स्थल से बरामद ब्लैक बॉक्स का क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) सुरक्षित रूप से निकाल लिया गया था। इसके बाद विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की लैब में इसके मेमोरी मॉड्यूल से डेटा को सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लिया गया।

इस डेटा के विश्लेषण के आधार पर, अगले कुछ महीनों में विस्तृत जांच रिपोर्ट आने की उम्मीद है, जो इस भीषण हादसे के पीछे की असली वजहों को सामने लाएगी।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स और कैसे करता है काम? जानिए इसके पीछे की पूरी तकनीक

ब्लैक बॉक्स, विमान में लगा एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण होता है जो किसी भी विमान दुर्घटना के बाद कारणों की जांच में निर्णायक भूमिका निभाता है। यह छोटा-सा यंत्र उड़ान के दौरान विमान की तकनीकी और ऑडियो संबंधी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।

ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य भाग:

  1. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR):
    यह पायलटों के बीच हुई बातचीत, कॉकपिट में आने वाली चेतावनी ध्वनियाँ और एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हुई बातचीत को रिकॉर्ड करता है।
  2. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR):
    यह विमान की तकनीकी जानकारियां जैसे कि गति (Speed), ऊंचाई (Altitude), इंजन प्रदर्शन, और दिशा परिवर्तन जैसी सूचनाएं संकलित करता है।

ब्लैक बॉक्स नाम क्यों पड़ा?

‘ब्लैक बॉक्स’ नाम को लेकर दो प्रमुख धारणाएं हैं: पहले इसके अंदर का हिस्सा काला होता था, जिससे इसका नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ पड़ा। कुछ का मानना है कि दुर्घटना के बाद जब यह जलता है, तो यह काला हो जाता है — इसलिए इसे यह नाम दिया गया।

हालांकि, आजकल इसे आसानी से खोजने के लिए चमकीले नारंगी रंग में बनाया जाता है।

कैसे करता है काम?

ब्लैक बॉक्स को आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है क्योंकि किसी भी दुर्घटना में विमान का यह भाग सबसे अंत में प्रभावित होता है और वहां डेटा सुरक्षित रहने की संभावना अधिक होती है।

यह एक मजबूत टाइटेनियम या स्टील की केसिंग में बंद होता है, जो 1100 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी और अत्यधिक दबाव को झेल सकता है। इसके भीतर एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन’ भी होता है, जो अगर विमान पानी में गिर जाए तो 30 दिनों तक सिग्नल भेजता रहता है

कैसे होती है दुर्घटना की जांच?

ब्लैक बॉक्स से निकाले गए डेटा को विशेषज्ञ जांच लैब में डिकोड किया जाता है। इससे यह पता चलता है:

  • क्या कोई तकनीकी खामी थी?
  • पायलट ने दुर्घटना से पहले क्या निर्णय लिए?
  • मौसम की क्या भूमिका रही?
  • कोई मानवीय गलती तो नहीं हुई?

इस जांच प्रक्रिया में आमतौर पर DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और विमान निर्माता कंपनी दोनों मिलकर कार्य करते हैं।

निष्कर्ष:

हालांकि यह रिपोर्ट अब तक मिले प्रारंभिक डेटा पर आधारित है, लेकिन इससे जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी।
ब्लैक बॉक्स से मिले डेटा और तकनीकी विश्लेषण के ज़रिए अब विशेषज्ञ इस बात की तह तक पहुंच पाएंगे कि हादसे की असली वजह क्या थी — तकनीकी खराबी, मानवीय त्रुटि या कोई अन्य कारण।
आगामी फाइनल रिपोर्ट इस हादसे के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालेगी, जिससे भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

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