भारत के वैज्ञानिक, तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र में नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं अनुसंधान और विकास (R&D) में सक्रिय निवेश करती हैं, जिससे वे नई तकनीकें, उत्पाद और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनती हैं। भारत में अनुसंधान पर सरकारी निवेश तो होता रहा है, लेकिन निजी क्षेत्र की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है। इससे स्टार्टअप्स, नई टेक्नोलॉजी, और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए नवाचार को ज़रूरी गति नहीं मिल पाई।
वर्तमान में भारत आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat), डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है, जहां नवाचार और प्रौद्योगिकी का बड़ा योगदान है। ऐसे में अनुसंधान और नवाचार में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस नीति और वित्तीय सहायता की दरकार थी।
इसी क्रम में हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान और नवाचार को मजबूती देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की ‘अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना’ को मंजूरी दे दी है।
इस योजना का उद्देश्य है — निजी क्षेत्र के निवेश को अनुसंधान और नवाचार में प्रोत्साहित करना, खासकर आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक उद्देश्य और उभरते क्षेत्रों जैसे क्वांटम टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, क्लीन एनर्जी आदि में।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना के तहत निजी क्षेत्र को कम या शून्य ब्याज दरों पर लंबी अवधि के लिए फंडिंग दी जाएगी। यह वित्तपोषण या पुनर्वित्तपोषण के रूप में होगा, जिससे स्टार्टअप्स और कंपनियों को नवाचार, रिसर्च और उत्पाद विकास के लिए जरूरी पूंजी मिल सके।
सरकार का मानना है कि यह योजना जोखिम पूंजी (risk capital) और विकास पूंजी (growth capital) के अभाव को दूर करेगी, जिससे भारत का नवाचार इकोसिस्टम और मजबूत होगा। इससे भारत वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी अपनाने और प्रतिस्पर्धात्मकता में अग्रणी बन सकेगा।
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना के प्रमुख उद्देश्य:

निजी क्षेत्र को अनुसंधान में प्रोत्साहन: आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक आवश्यकता और उभरती तकनीकों जैसे क्लीन एनर्जी, AI, स्पेस, डिफेंस, आदि क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा देना।
उच्च तकनीकी तैयारी स्तर (TRL) वाले प्रोजेक्ट्स को समर्थन: ऐसे प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सहायता देना जो प्रयोगशाला से निकलकर असल दुनिया में इस्तेमाल के लिए तैयार हैं।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तकनीकों का अधिग्रहण: जिन तकनीकों का राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भरता या रणनीतिक महत्व है, उन्हें खरीदने या विकसित करने के लिए कंपनियों को समर्थन देना।
Deep-Tech फंड ऑफ फंड्स (FoF) की स्थापना: इस विशेष कोष के माध्यम से डीप-टेक स्टार्टअप्स और नवाचार आधारित उद्यमों में निवेश किया जाएगा, जिससे भारत का नवाचार तंत्र और मजबूत हो।
योजना की संस्थागत ढांचा और क्रियान्वयन:
गवर्निंग बोर्ड – अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कार्य करेगा और योजना को रणनीतिक दिशा देगा।
एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ANRF): योजना की गाइडलाइंस को मंजूरी देगा, परियोजनाओं और फंड मैनेजरों की पहचान करेगा।
Empowered Group of Secretaries (EGoS): कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में, योजना की निगरानी करेगा, प्रदर्शन की समीक्षा करेगा और जरूरी बदलावों को मंजूरी देगा।
नोडल विभाग – विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST): योजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्य विभाग के रूप में कार्य करेगा।
दो-स्तरीय फंडिंग मॉडल से मिलेगा निजी निवेश को बल”
RDI योजना के तहत सरकार अनुसंधान और नवाचार को स्थायी गति देने के लिए एक ₹1 लाख करोड़ रुपये का विशेष वित्तीय तंत्र लागू कर रही है, जिसे Anusandhan National Research Foundation (ANRF) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। यह तंत्र दो मुख्य स्तरों में कार्य करता है:
पहला स्तर – विशेष प्रयोजन निधि (Special Purpose Fund – SPF): सरकार ANRF को ₹1 लाख करोड़ रुपये की 50 साल के लिए ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में प्रदान करेगी। इस राशि को Special Purpose Fund (SPF) में रखा जाएगा, जो कि इस योजना के लिए कोष का संरक्षक (custodian) होगा। SPF का कार्य होगा इन निधियों को दूसरे स्तर के फंड मैनेजर्स को सौंपना, जो विशिष्ट R&D परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करेंगे।
दूसरा स्तर – द्वितीयक फंड प्रबंधक (Second-Level Fund Managers): SPF से फंड प्राप्त करने के बाद, ये फंड मैनेजर विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं की पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद चयन करेंगे।
ये परियोजनाओं को निम्नलिखित रूपों में वित्तीय सहायता देंगे:
- दीर्घकालिक रियायती ऋण: मुख्य वित्तीय साधन होगा, विशेष रूप से बड़ी तकनीकी परियोजनाओं के लिए।
- इक्विटी फंडिंग: खासकर deep-tech स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए।
योजना का महत्व:
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना भारत में निजी क्षेत्र की अनुसंधान गतिविधियों से जुड़ी वित्तीय बाधाओं को दूर करने में अहम भूमिका निभाएगी। यह योजना उभरते हुए क्षेत्रों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सेमीकंडक्टर्स, स्वच्छ ऊर्जा और डीप-टेक जैसे क्षेत्रों में नवाचार को नई ऊर्जा प्रदान करेगी। इस योजना के माध्यम से भारत एक मजबूत और स्थायी नवाचार इकोसिस्टम खड़ा करने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा रहा है।
निष्कर्ष:
अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना भारत की आर्थिक और रणनीतिक भविष्य की नींव तैयार करने वाला एक निर्णायक कदम है। इससे न केवल तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा, बल्कि यह भारत के निजी क्षेत्र को भी वैश्विक नवाचार दौड़ में एक नई गति देगा। यह योजना दीर्घकालिक वित्तीय अवसंरचना, पारदर्शी चयन प्रणाली और रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित निवेश के ज़रिए भारत को Deep-Tech और उच्च तकनीकी अनुसंधान में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर कर सकती है।
भारत का यह प्रयास केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘विकसित भारत @2047’ के विज़न की नींव को भी मज़बूत करता है, जहाँ विज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता एक नए युग की दिशा तय करेंगे। अगर इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो RDI योजना भारत को एक वैश्विक नवाचार महाशक्ति में बदलने की सामर्थ्य रखती है।