रेलवे ने किया खानपान नीति में संशोधन: अब स्टेशन पर भी मिलेगा ब्रांडेड फास्ट फूड, जानिए पूरी खबर..

भारतीय रेलवे अब यात्रियों को अपने स्टेशनों पर केएफसी, मैकडॉनल्ड्स, पिज्जा हट, बास्किन रॉबिन्स, हल्दीराम और बीकानेरवाला जैसी लोकप्रिय फ़ूड चेन की सुविधा देने जा रहा है। इसके लिए रेलवे ने अपनी खानपान नीति में संशोधन करते हुए प्रीमियम ब्रांड आउटलेट्स खोलने की अनुमति गुरुवार (13 नवंबर 2025) को दे दी है। यह निर्णय दक्षिण मध्य रेलवे के उस प्रस्ताव के बाद लिया गया है जिसमें स्टेशनों पर प्रसिद्ध फ़ूड चेन को अनुमति देने का सुझाव दिया गया था।

 

ये आउटलेट्स स्टेशनों पर नीलामी प्रक्रिया के जरिए पांच साल की अवधि के लिए स्थापित किए जाएंगे। रेलवे का मकसद यात्रियों को हवाई अड्डों जैसी आधुनिक और बेहतर खानपान सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।

railways amended its catering policy

भारतीय रेलवे खानपान नीति, 2017 में संशोधन:

भारतीय रेलवे खानपान नीति, 2017 में हाल ही में बदलाव किया गया है। इसमें प्रीमियम ब्रांड खानपान आउटलेट नाम की नई श्रेणी जोड़ दी गई है। इससे पहले, स्टेशनों पर केवल तीन प्रकार के स्टॉल थे: चाय, बिस्कुट और स्नैक्स वाले टी स्टॉल; दूध और जूस बेचने वाले मिल्क बार; और हल्के जलपान जैसे स्नैक्स और पेय बेचने वाले अन्य स्टॉल। अब प्रीमियम ब्रांड आउटलेट चौथे प्रकार के स्टॉल के रूप में शामिल किया गया है, जो बेहतर और बड़े ब्रांड वाले खानपान उत्पाद बेच सकते हैं।

 

भारतीय रेलवे खानपान नीति, 2017 क्या है

भारतीय रेलवे खानपान नीति, 2017 रेलवे में भोजन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई एक नई नीति है। इसका मकसद यात्रियों को सुरक्षित, साफ और समय पर भोजन उपलब्ध कराना है। इस नीति के तहत रेलवे ने खानपान सेवाओं में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाई, ई-कैटरिंग को बढ़ावा दिया और आधुनिक रसोईघर बनाने की योजना शुरू की।

भारतीय रेलवे खानपान नीति, 2017 के मुख्य बिंदु:

  • यात्रियों को उनकी सीट पर ही भोजन परोसा जाएगा। इसके लिए वे 1323 पर कॉल करके भोजन बुक कर सकते हैं।
  • IRCTC को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह भोजन बनाने और भोजन परोसने की प्रक्रिया को अलग-अलग संभाले, ताकि गुणवत्ता बनी रहे।
  • ट्रेनों में पुराने गैस स्टोव हटाकर इलेक्ट्रिक ओवन और आधुनिक किचन लगाने की योजना बनाई गई है।
  • नए रसोईघर बनाए जा रहे हैं और पुराने रसोईघरों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है, ताकि भोजन की गुणवत्ता और साफ-सफाई बेहतर हो सके।

 

नई रेलवे खानपान नीति कैसे काम करेगी?

  • जहाँ जरूरत होगी, वहाँ बड़े या एकल-ब्रांड स्टॉल: रेलवे ने कहा है कि जहाँ पर्याप्त माँग होगी, वहाँ बड़े ब्रांडों या एकल-ब्रांड (single-brand) आउटलेट खोले जा सकेंगे। ये स्टॉल स्टेशन के लेआउट में ऐसे लगाए जाएँगे कि SC/ST/OBC, स्वतंत्रता सेनानी, उनकी विधवाओं और विस्थापितों के लिए तय आरक्षण कोटा प्रभावित न हो।
  • स्टॉल का आवंटन नामांकन से नहीं, सिर्फ ई-नीलामी से: कोई भी प्रीमियम ब्रांड सीधे आवेदन देकर स्टॉल नहीं ले सकेगा। उन्हें भी बाकी सबकी तरह एक मानकीकृत ई-नीलामी प्रक्रिया में भाग लेना पड़ेगा।
  • स्टॉल का कार्यकाल और शुल्क: हर आउटलेट का कार्यकाल 5 साल होगा जैसे बाकी खानपान स्टॉलों का होता है। जबकि लाइसेंस शुल्क और अन्य नियम पहले से लागू नीति के मुताबिक ही रहेंगे।

 

गैर-किराया राजस्व बढ़ाने में सहायक:

नए ब्रांडेड आउटलेट भारतीय रेलवे की गैर-किराया आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे, जो फिलहाल कुल राजस्व का केवल लगभग 3% है, जबकि विकसित देशों में यह हिस्सा करीब 30% तक होता है। नीति आयोग के अनुसार इस क्षेत्र में अभी भी काफी अप्रयुक्त संभावनाएँ मौजूद हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में रेलवे की गैर-किराया आय 588.07 करोड़ रुपये रही, जो 2024-25 में बढ़कर 686.86 करोड़ रुपये हो गई।

यह आय मुख्य रूप से रेलवे ओवरब्रिज और स्टेशनों पर मिलने वाले विज्ञापनों, रेलवे की संपत्तियों की ई-नीलामी और नई, अभिनव गैर-किराया राजस्व योजना (NINFRIS) से आती है। नए आउटलेट्स के जुड़ने से इन स्रोतों में और वृद्धि होगी, जिससे रेलवे की अतिरिक्त कमाई मजबूत होगी।

 

पुनर्विकास के अनुरूप हो रहे प्रीमियम फ़ूड ब्रांड्स की शुरुआत:

भारत के 1,200 से ज़्यादा रेलवे स्टेशनों पर जो बड़े पैमाने पर पुनर्विकास चल रहा है, उसके साथ ही प्रीमियम फ़ूड ब्रांड्स की शुरुआत भी की जा रही है। दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में आधुनिक स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जहाँ ऐसे ब्रांडेड आउटलेट्स के लिए अतिरिक्त व्यावसायिक जगह उपलब्ध हो रही है। कई स्टेशनों पर यात्रियों की बढ़ती संख्या ने स्वादिष्ट और भरोसेमंद ब्रांडेड भोजन की माँग को और बढ़ा दिया है।

इसी वजह से हर रेलवे ज़ोन अपनी ज़रूरत के अनुसार उपलब्ध जगह, माँग और लागू करने के तरीके का आकलन करेगा और उसी आधार पर विशेष शर्तों के साथ अनुबंध तैयार करेगा। प्रमुख स्टेशनों पर आने वाले ये प्रीमियम फ़ूड आउटलेट्स, IRCTC द्वारा रोज़ परोसे जाने वाले 10 लाख से अधिक भोजन के अतिरिक्त यात्रियों को और बेहतर विकल्प देंगे।

 

भारतीय रेलवे के बारे में:

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है और 2014 से 2024 के बीच इसमें बड़े बदलाव हुए हैं। इस दौरान 31,000 किलोमीटर नई पटरियाँ बिछाई गईं, 40,000 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया और सालाना यात्री संख्या बढ़कर 750 करोड़ तक पहुँच गई। सरकार ने 2024-25 के लिए रेलवे को ₹2.52 लाख करोड़ का बजट समर्थन दिया है, जबकि माल ढुलाई से ₹1.8 ट्रिलियन की कमाई होने का अनुमान है। आज भारत में रोज़ लगभग 2.3 करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं।

  • परिचालन क्षमता: भारतीय रेलवे का कुल मार्ग अब 68,000 किलोमीटर हो गया है, जिससे इसकी परिचालन क्षमता लगभग दोगुनी हो चुकी है।
  • तेज़ वृद्धि: 2014 से 2024 के बीच 31,000 किलोमीटर नई पटरियाँ बिछाई गईं, जबकि 2004-2014 के दशक में यह सिर्फ 14,900 किलोमीटर था।
  • मुख्य प्रभाव: क्षमता बढ़ने से भीड़भाड़ कम हुई है, ट्रेनें अब कई मार्गों पर 130 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकती हैं और यात्री व माल ढुलाई दोनों पहले से ज़्यादा सुगम और तेज़ हो गई हैं।

 

निष्कर्ष:

संशोधित खानपान नीति के बाद अब क्षेत्रीय रेलवे स्टेशनों पर उपयुक्त स्थानों की पहचान करके प्रीमियम ब्रांड आउटलेट्स के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू करेंगे। कार्यान्वयन प्रत्येक स्टेशन की मांग, उपलब्ध स्थान और चल रहे पुनर्विकास की समय-सीमा पर निर्भर करेगा।