प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। दोपहर करीब 2:30 बजे प्रधानमंत्री ने इस भव्य स्मारक का लोकार्पण किया और इस अवसर पर आयोजित जनसभा को संबोधित भी किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच से प्रेरित होकर स्वतंत्र भारत की महान विभूतियों की विरासत को सम्मानित करने के उद्देश्य से निर्मित राष्ट्र प्रेरणा स्थल, देश के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक के जीवन, आदर्शों और स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करेगा, जिनके नेतृत्व ने राष्ट्र की लोकतांत्रिक, राजनीतिक और विकास यात्रा पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
230 करोड़ की लागत से निर्मित विशाल परिसर
राष्ट्र प्रेरणा स्थल को स्थायी राष्ट्रीय महत्व के एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारक और प्रेरणादायक परिसर के रूप में विकसित किया गया है। लगभग ₹230 करोड़ की अनुमानित लागत से निर्मित और 65 एकड़ के विस्तृत क्षेत्र में फैला यह परिसर नेतृत्व मूल्यों, राष्ट्रीय सेवा, सांस्कृतिक चेतना और जनता को प्रेरित करने के लिए समर्पित एक स्थायी राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में परिकल्पित किया गया है।
इस परिसर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो भारत के राजनीतिक चिंतन, राष्ट्र-निर्माण और सार्वजनिक जीवन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का प्रतीक हैं।
कमल के आकार का अत्याधुनिक संग्रहालय
परिसर में एक अत्याधुनिक संग्रहालय भी है जो कमल के आकार की संरचना में डिजाइन किया गया है, जो लगभग 98,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है। यह संग्रहालय उन्नत डिजिटल और इमर्सिव तकनीकों के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय यात्रा और इन दूरदर्शी नेताओं के योगदान को प्रदर्शित करता है, जो आगंतुकों को एक आकर्षक और शैक्षिक अनुभव प्रदान करता है।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन निस्वार्थ नेतृत्व और सुशासन के आदर्शों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है, और वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करने की उम्मीद है।
राजनीतिक रणनीति: ब्राह्मण वोटबैंक को साधने का प्रयास
योगी सरकार ने इस प्रेरणा स्थल को जनसंघ के संस्थापक और संस्थापक सदस्य रहे तीन प्रमुख ब्राह्मण नेताओं को समर्पित किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रेरणा स्थल आने वाले कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटबैंक को साधने में सहायक होगा।
बहुजन समाज पार्टी के अंबेडकर और कांशीराम पार्क, समाजवादी पार्टी के लोहिया और जनेश्वर मिश्र पार्क के बाद भाजपा ने भी प्रेरणा स्थल के रूप में राजनीतिक परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
तीन महान व्यक्तित्वों का संक्षिप्त परिचय
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1901-1953)
6 जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्मे डॉ. मुखर्जी स्वतंत्र भारत में प्रथम बार देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बने। वे बंगाल में वित्त मंत्री रहे, बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे और कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। जनसंघ के संस्थापक के रूप में उन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को अखंड भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे। जम्मू-कश्मीर में अलग झंडे का विरोध करते हुए उन्होंने ‘एक राष्ट्र-एक निशान’ का ऐतिहासिक नारा दिया। उनका निधन 23 जून 1953 को हुआ।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (1916-1968)
25 सितंबर 1916 को राजस्थान के धनकिया में जन्मे पंडित उपाध्याय का पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फरह में नगला चंद्रभान था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे और भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य तथा अध्यक्ष रहे।
उनकी स्कूली शिक्षा राजस्थान से हुई। कानपूर के सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। एमए के लिए आगरा के सेंट जोंस कॉलेज में प्रवेश लिया। कानपूर में पढ़ाई के दौरान आरएसएस संस्थापक डॉ. हेडगेवार के संपर्क में आए। 1967 में वे जनसंघ के अध्यक्ष बने। 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वांचल में ब्राह्मणों को सम्मान देने के लिए वर्ष 2017-18 में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया था।
अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018)
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी मथुरा जिले के बटेश्वर के मूल निवासी थे। उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक और कानपूर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानपूर से ही एलएलबी किया। छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे।
1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 1957 में बलरामपुर से जनसंघ प्रत्याशी के रूप में जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1957 से 1977 तक (जनता पार्टी की स्थापना तक) 20 वर्षों तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे।
1980 में जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में सहायता की। 6 अप्रैल 1980 को गठित भाजपा के प्रथम अध्यक्ष बने। 16 मई 1996 को प्रथम बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 13 दिन पीएम रहे। 19 मार्च 1998 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और 13 महीने तक पद पर रहे। तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 को पीएम बने और 2004 तक कार्यरत रहे। 1991 से 2009 तक लखनऊ के सांसद रहे। उनका निधन 16 अगस्त 2018 को दिल्ली में हुआ।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल की अवधारणा कैसे विकसित हुई
उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के अनुसार, राष्ट्र प्रेरणा स्थल की परिकल्पना प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की है। लगभग 6 वर्ष पूर्व हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह विचार किया गया कि लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही है और लखनऊ के लोगों का अटलजी से गहरा जुड़ाव रहा है।
प्रारंभ में केवल अटलजी की प्रतिमा स्थापित करने का विचार था। लेकिन बाद में यह निर्णय लिया गया कि चूंकि भाजपा का उदय जनसंघ से हुआ है, इसलिए जनसंघ के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की भी प्रतिमाएं स्थापित की जाएं।
इसके पश्चात संघ, सरकार और भाजपा ने तय किया कि यहां तीनों राष्ट्रवादी नेताओं की विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी, ताकि यह स्थल युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का केंद्र बन सके।
यूपी में ब्राह्मणों का राजनीतिक महत्व
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय की जनसंख्या लगभग 10 प्रतिशत (करीब 2.5 करोड़) है। इनका प्रभाव 90 से अधिक विधानसभा सीटों और 18 लोकसभा सीटों पर माना जाता है। वर्तमान में 51 विधायक, 10 लोकसभा सांसद और 4 राज्यसभा सांसद इस समुदाय से हैं।
1950 से अब तक उत्तर प्रदेश में 5 ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहे हैं – गोविंद बल्लभ पंत, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी और श्रीपति मिश्र। भाजपा में भी 1980 से अब तक 6 ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं।
अन्य दलों द्वारा निर्मित स्मारक पार्क
बसपा सुप्रीमो मायावती ने गोमतीनगर में गोमती नदी के किनारे 108 एकड़ में अंबेडकर पार्क निर्मित करवाया था, जो शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। इसके अतिरिक्त बसपा संस्थापक कांशीराम की स्मृति में आशियाना में 86 एकड़ में कांशीराम स्मृति उपवन और रमाबाई अंबेडकर की स्मृति में 50 एकड़ में रमाबाई अंबेडकर पार्क भी निर्मित करवाया था।
समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह सरकार में गोमती नगर में 76 एकड़ में डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क और अखिलेश यादव सरकार में 376 एकड़ में जनेश्वर मिश्र पार्क निर्मित किया गया। दोनों पार्क लखनऊ शहर के मध्य स्थित हैं और जनता के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन निस्संदेह एक ऐतिहासिक क्षण है जो राष्ट्र निर्माण में इन महान विभूतियों के योगदान को स्मरण करता है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का माध्यम बनेगा।
