UPI की लागत पर RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का बड़ा बयान: मुफ्त सेवा लंबे समय तक संभव नहीं

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद नीतिगत फैसलों की घोषणा की। इस बार भी रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया, जिससे यह लगातार चौथी बार स्थिर रखा गया है।

नीति संवाद के दौरान गवर्नर ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को लेकर एक अहम बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूपीआई हमेशा के लिए मुफ्त नहीं रह सकता, क्योंकि प्रत्येक डिजिटल लेनदेन के पीछे एक निश्चित लागत होती है।

गवर्नर की मुख्य बातें:

  • हर UPI ट्रांजैक्शन की एक लागत होती है, जिसे वर्तमान में किसी न किसी माध्यम से वहन किया जा रहा है।
  • उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि इस खर्च की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
  • यूपीआई की लोकप्रियता और सुलभता को ध्यान में रखते हुए यह विचार जरूरी हो गया है कि किस स्तर पर और किस रूप में शुल्क लिया जा सकता है।

 

RBI गवर्नर पहले भी दे चुके चेतावनी: लंबे समय तक मुफ्त UPI सेवा टिकाऊ नहीं

जुलाई 2025 में आयोजित BFSI समिट के दौरान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यूपीआई को हमेशा के लिए मुफ्त रखना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने इसे देश की एक महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना बताते हुए कहा कि इसकी संचालन लागत है, जिसे लंबे समय तक केवल सरकारी सब्सिडी पर निर्भर रख पाना संभव नहीं होगा। सरकार फिलहाल इस सुविधा को निःशुल्क बनाए रखने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है, लेकिन गवर्नर का मानना है कि इसकी आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।

सरकारी सब्सिडी पर आधारित है UPI सिस्टम

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह स्वीकार किया कि वर्तमान में UPI प्रणाली पूरी तरह सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी पर निर्भर है। इस समय बैंकों और अन्य सेवा प्रदाताओं को लेनदेन की वास्तविक लागत वहन नहीं करनी पड़ रही है।

  • उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मौजूदा मॉडल अल्पकालिक रूप से भले ही काम कर रहा हो, लेकिन दीर्घकालिक टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि UPI की संचालन लागत किसी न किसी स्तर पर वहन की जाए
  • इस बयान से संकेत मिलता है कि भविष्य में यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगाए जाने की संभावनाएं प्रबल हो सकती हैं, खासकर जब सरकार की सब्सिडी सीमित हो या हटाई जाए।

बैंकिंग क्षेत्र में शुल्क शुरू करने की पहल?

ईटी वेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ICICI बैंक ने 1 अगस्त 2025 से UPI ट्रांजेक्शन करने वाले कुछ पेमेंट एग्रीगेटर्स पर शुल्क लागू कर दिया है। हालांकि बैंक की ओर से इस विषय में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक जून के अंत में इसकी सूचना दी गई थी

इस घटनाक्रम ने उन आशंकाओं को और बल दिया है कि आने वाले समय में यूपीआई लेनदेन पर उपभोक्ताओं को भी शुल्क देना पड़ सकता है, विशेष रूप से ऐसे ट्रांजेक्शन जिनकी लागत लंबे समय से सरकारी सब्सिडी द्वारा वहन की जा रही है।

 

यूपीआई (UPI) के बारे में-

यूपीआई (Unified Payments Interface) एक रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम है, जिसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने विकसित किया है और यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित है। इसे 11 अप्रैल 2016 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य बिना बैंक विवरण डाले, एक सहज और सुरक्षित इंटर-बैंक ट्रांसफर प्रणाली प्रदान करना है, जो दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (two-click authentication) पर आधारित है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • पारंपरिक तरीकों के विपरीत, UPI केवल मोबाइल नंबर, QR कोड या वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) से लेनदेन की सुविधा देता है  (बैंक खाता संख्या डालने की आवश्यकता नहीं) ।
  • प्रत्येक ट्रांजैक्शन में बार-बार संवेदनशील जानकारी भरने की ज़रूरत नहीं होती।
  • एक साझा UPI पिन सभी ऐप्स में काम करता है, जिससे क्रॉस-इंटरऑपरेबिलिटी और 24×7 लेनदेन संभव होता है।
  • यह एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में कार्य करता है, जो व्यापारियों और ग्राहकों के बीच शून्य लागत पर सहज लेनदेन की सुविधा देता है।
  • IMPS और AEPS जैसी तकनीकों का उपयोग कर यह लेनदेन को त्वरित और सुरक्षित बनाता है।
  • UPI के माध्यम से पेमेंट, रिसीव, ओवर-द-काउंटर, बारकोड स्कैन, और आवर्ती भुगतान (Recurring Payments) जैसे कई प्रकार के लेनदेन किए जा सकते हैं।
  • यह Peer-to-Peer भुगतान अनुरोधों को भी सपोर्ट करता है, जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी सुविधा अनुसार शेड्यूल कर सकते हैं।

UPI बना विश्व का अग्रणी भुगतान माध्यम

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) अब दुनिया का सबसे अग्रणी डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसने लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क Visa को भी पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में भारत में कुल डिजिटल लेनदेन का 85% और वैश्विक स्तर पर लगभग 60% ट्रांजेक्शन UPI के माध्यम से हो रहे हैं।

जून 2025 में UPI ने 18.39 अरब ट्रांजेक्शनों के माध्यम से 24 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32% अधिक है। यह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में यूपीआई की बढ़ती स्वीकार्यता और भूमिका को दर्शाता है।

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