भारत में इस साल दिवाली के दौरान रिकॉर्ड तोड़ बिक्री देखी गई, जिसमें कुल उत्सवीय व्यापार ₹6.05 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इसमें ₹5.40 लाख करोड़ की बिक्री सामान की और ₹65,000 करोड़ की बिक्री सेवाओं की रही, यह जानकारी ऑल इंडिया ट्रेडर्स कॉन्फेडरेशन (CAIT) ने दी। यह आंकड़ा CAIT के “Research Report on Diwali Festival Sales 2025” पर आधारित है, जिसे देशभर के 60 प्रमुख वितरण केंद्रों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें राज्य की राजधानियाँ और टियर-2 व टियर-3 शहर शामिल हैं।
स्वदेशी सामान की बिक्री में 25% बढ़ोतरी:
दिल्ली के चांदनी चौक के सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार, इस दिवाली 87% ग्राहकों ने भारतीय वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं के मुकाबले प्राथमिकता दी। इसका असर चीनी उत्पादों की मांग में तेज गिरावट के रूप में देखने को मिला। उन्होंने बताया कि इस बार स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक रही।
त्योहारी बिक्री में विभिन्न सेक्टर्स की हिस्सेदारी इस प्रकार रही, CAIT के अनुसार:
श्रेणी | हिस्सेदारी (%) |
किराना एवं एफएमसीजी वस्तुएं | 12% |
सोना–चांदी | 10% |
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स | 8% |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स | 7% |
रेडीमेड परिधान | 7% |
गिफ्ट आइटम | 7% |
होम डेकोर | 5% |
फर्निशिंग एवं फर्नीचर | 5% |
मिठाई एवं नमकीन | 5% |
वस्त्र | 4% |
पूजन सामग्री | 3% |
फल एवं मेवे | 3% |
बेकरी एवं कन्फेक्शनरी | 3% |
फुटवियर | 2% |
अन्य विविध वस्तुएं | 19% |
कुल योग | 100% |
सेवा क्षेत्र में भी कारोबार में वृद्धि:
प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस साल दिवाली के अवसर पर सेवा क्षेत्र से जुड़े कारोबार में भी भारी बढ़ोतरी हुई। इस क्षेत्र का कुल कारोबार ₹65,000 करोड़ रहा।
मुख्य क्षेत्र और गतिविधियाँ: पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, टैक्सी सेवाएं, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट एवं सजावट, मैनपावर, डिलीवरी सेवाएँ, इन सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व गतिविधियाँ देखी गईं, जिससे त्योहारी अर्थव्यवस्था का दायरा और भी विस्तारित हुआ।
लॉजिस्टिक्स और पैकेजिंग में रोजगार सृजन:
इस दिवाली के अवसर पर लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्ट और रिटेल सर्विसेज में लगभग 50 लाख टेम्पररी जॉब्स पैदा हुए। नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर, जिसमें 9 करोड़ छोटे व्यवसाय और लाखों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स शामिल हैं, भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन साबित हुआ।
ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स का रिकॉर्ड कॉन्फिडेंस:
इस बार ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स दोनों का कॉन्फिडेंस दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा, जिसमें ट्रेडर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (TCI) 10 में से 8.6 और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) 8.4 दर्ज किया गया। स्थिर कीमतें और अर्थव्यवस्था में भरोसे ने खरीदारी को विशेष रूप से बढ़ावा दिया।
पिछले साल दिवाली 2024 के दौरान कुल बिक्री ₹4.25 लाख करोड़ रही:
दिवाली 2024 के दौरान कुल बिक्री ₹4.25 लाख करोड़ रुपये रही थी। इस साल यह बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। मतलब कि पिछले साल की तुलना में 25% की वृद्धि। बिक्री में बढ़ोतरी मुख्य रूप से गैर-कारपोरेट एवं पारंपरिक बाजारों में रही। इसने कुल व्यापार में 85% का योगदान दिया।
दिवाली पर भारतीय बिक्री में वृद्धि के कारण:
इस साल दिवाली पर भारतीय बिक्री में वृद्धि के कई प्रमुख कारण रहे।
- ‘वोकल फॉर लोकल‘ (स्वदेशी) की मुहिम:
सबसे पहले, ‘वोकल फॉर लोकल’ यानी स्वदेशी की मुहिम ने खरीदारों में जोश भर दिया और देश में बने उत्पादों की मांग को बढ़ाया। सीएआईटी के सचिव जनरल प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार, इस बार की दिवाली पर चीन के सामानों को स्वदेशी अभियान के चलते ₹1 लाख करोड़ से अधिक का झटका लगा।
- जीएसटी दरों में कटौती:
इसके अलावा, हाल में जीएसटी दरों में कटौती और अन्य सुधारों ने भी उपभोक्ता भावना को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- कम कीमतें: दैनिक उपयोग की वस्तुएं, फुटवियर, होम डेकोर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर जीएसटी दरों में कटौती से ये उत्पाद ग्राहकों के लिए अधिक किफायती हुए।
- उपभोक्ता भावना में वृद्धि: कम मुद्रास्फीति और आयकर में राहत जैसे अनुकूल आर्थिक हालात ने विशेष रूप से मध्यवर्गीय परिवारों में खर्च को बढ़ावा दिया।
- स्वदेशी उत्पादों की मांग: ‘वोकल फॉर लोकल’ ट्रेंड के कारण भारतीय उत्पादों की बिक्री में तेज वृद्धि हुई, जिसने कुल खरीद में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी बनाई।
- डिजिटल भुगतान का विस्तार: यूपीआई और क्रेडिट कार्ड जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों के व्यापक उपयोग ने उत्सवी खरीदारी को बढ़ावा दिया।
- सरलीकृत प्रक्रियाएं: जीएसटी पंजीकरण जैसी प्रक्रियाओं में सरलीकरण ने भी बाजार में सकारात्मक भावना को बढ़ाया।
इन सभी कारकों ने मिलकर दिवाली 2025 की बिक्री को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाया।
ग्रामीण भारत भी बना उत्सव अर्थव्यवस्था का इंजन:
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण और सेमी-अर्बन भारत ने इस बार उत्सव अर्थव्यवस्था को नई गति दी। कुल दिवाली व्यापार का लगभग 28% हिस्सा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से आया। इन इलाकों में बढ़ती क्रय शक्ति और डिजिटल पेमेंट्स के प्रसार ने स्थानीय बाजारों में बड़ी हलचल पैदा की। इसके साथ ही, दिवाली सेल्स ने करीब 50 लाख अस्थायी रोजगार सृजित किए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत प्रोत्साहन मिला।
CAIT की सिफारिशें सरकार के लिए:
- जीएसटी अनुपालन (GST Compliance) को और सरल बनाया जाए।
- छोटे कारोबारियों को सस्ती क्रेडिट एक्सेस (Credit Access) उपलब्ध कराई जाए।
- टियर-2 और टियर-3 शहरों में लॉजिस्टिक्स हब (Logistics Hub) विकसित किए जाएं।
- डिजिटल पेमेंट्स को और बढ़ावा दिया जाए।
- मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाया जाए ताकि छोटे व्यापारों को दीर्घकालिक स्थिरता मिल सके।
चीन के सामान का बहिष्कार, लोगों ने अपनाया स्वदेशी रास्ता:
इस साल त्योहारों के दौरान उपभोक्ताओं में एक स्पष्ट रुझान देखने को मिला, चीन में बने उत्पादों का बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं की ओर झुकाव।
‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान और देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर लोगों ने सजावट, लाइटिंग, खिलौनों, उपहारों और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स तक में भारतीय ब्रांड्स को प्राथमिकता दी।
व्यापारिक संगठनों के अनुसार, उपभोक्ताओं की इस सोच के चलते चीन से आने वाले सामान की बिक्री में भारी गिरावट आई है। बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग पहले से कहीं अधिक बढ़ी है। इससे न केवल देशी उद्योगों और छोटे निर्माताओं को बढ़ावा मिला, बल्कि स्थानीय रोजगार और उत्पादन में भी तेजी आई।
गलवान के बाद बदल गया बाजार का रुख:
साल 2020 में गलवान घाटी में हुए हमले के बाद से ही व्यापारियों और ग्राहकों दोनों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया। इस राष्ट्रवादी भावना का असर अब बाजार में साफ दिखाई दे रहा है। इस दिवाली पर चीनी उत्पाद लगभग पूरी तरह बाजार से गायब हैं।
आयातकों ने भी चीन से दिवाली से जुड़े सजावटी सामान, लाइटिंग, उपहार और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद लाना पूरी तरह बंद कर दिया है। इसका सीधा लाभ भारतीय निर्माताओं और स्वदेशी उद्योगों को मिला है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ता मानसिकता में परिवर्तन को दर्शाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक मजबूत कदम भी साबित हुआ है।
दिवाली 2024 में चीन को ₹1.25 लाख करोड़ का नुकसान
ऑल इंडिया ट्रेडर्स कॉन्फेडरेशन (CAIT) की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली 2024 के दौरान भारत में चीनी उत्पादों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसके चलते चीन के कारोबार को लगभग ₹1.25 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
इस गिरावट का मुख्य कारण रहा भारत सरकार का “वोकल फॉर लोकल” अभियान, जिसने उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को स्वदेशी उत्पादों की खरीद के लिए प्रेरित किया। त्योहारों के मौसम में लोगों ने बड़े पैमाने पर भारतीय निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता दी- चाहे वह सजावटी सामान हो, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, उपहार, या दैनिक उपयोग की वस्तुएं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बदलाव न केवल उपभोक्ता सोच में आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाता है, बल्कि भारतीय उद्योगों और स्थानीय निर्माताओं के लिए नए अवसरों का द्वार भी खोला है।
निष्कर्ष:
‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान ने उपभोक्ताओं की सोच में बड़ा परिवर्तन लाया, जिससे चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम हुई और स्थानीय उद्योगों को नई ऊर्जा मिली। ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी, डिजिटल पेमेंट्स का विस्तार और सेवा क्षेत्र की तेज़ वृद्धि ने इस त्योहारी अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया। कुल मिलाकर, दिवाली 2025 भारत के लिए सिर्फ रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, आर्थिक एकजुटता और घरेलू उत्पादों की शक्ति का उत्सव बनकर सामने आई।
