रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र वाले सोशल मीडिया प्रतिबंध कानून के खिलाफ अदालत में चुनौती दी

हाल ही में रेडिट ने ऑस्ट्रेलिया के हाई कोर्ट में एक नए सोशल मीडिया कानून को चुनौती दी है। यह कानून 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया उपयोग पर रोक लगाता है। कंपनी का कहना है कि यह प्रतिबंध व्यवहारिक रूप से प्रभावी नहीं है। साथ ही, इससे ऑनलाइन होने वाली जरूरी राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे इंटरनेट नियमन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकारों को लेकर वैश्विक स्तर पर नई बहस छिड़ गई है।

Reddit files court challenge against Australia social media ban on under-16s

ऑस्ट्रेलिया का अंडर-16 सोशल मीडिया प्रतिबंध: कानून, उद्देश्य और प्रभाव

 

    • कानून की पृष्ठभूमि: ऑस्ट्रेलिया ने 29 नवंबर 2024 को एक नया और वैश्विक स्तर पर अनोखा कानून पारित किया। इसे ऑनलाइन सेफ्टी अमेंडमेंट (सोशल मीडिया न्यूनतम आयु) अधिनियम 2024 नाम दिया गया। यह कानून पहले से लागू ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट 2021 में संशोधन के रूप में लाया गया। इसका मुख्य लक्ष्य 16 वर्ष से कम आयु के ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट रखने से रोकना है। इस प्रकार का राष्ट्रीय स्तर का पूर्ण प्रतिबंध दुनिया में पहली बार लागू किया गया है।
    • सरकार के उद्देश्य: ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस कानून को बच्चों की सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम मानती है। अधिकारियों का तर्क है कि कम उम्र में सोशल मीडिया से जुड़ाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, एकाग्रता और भावनात्मक संतुलन को नुकसान पहुंचा सकता है। सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया से दूरी बच्चों को वास्तविक दुनिया के सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करेगी। इससे उनमें आत्मविश्वास, धैर्य और मानसिक मजबूती बढ़ेगी। 
    • लागू होने की समयसीमा: यह कानून 2024 के अंत में पारित किया गया, लेकिन इसका वास्तविक क्रियान्वयन 10 दिसंबर 2025 से शुरू हुआ। इस तारीख के बाद सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया गया कि 16 वर्ष से कम आयु के किसी भी उपयोगकर्ता का अकाउंट सक्रिय न रहे। साथ ही, नए अंडर-16 अकाउंट बनाने पर भी रोक लगा दी गई है।

 

इस कानून के मुख्य प्रावधान:

    • प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारियां: नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों पर आयु सत्यापन की जिम्मेदारी डाली गई है। उन्हें “उचित कदम” उठाने होंगे ताकि 16 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ता लॉग-इन करके सेवाओं का उपयोग न कर सकें। कानून में ऐसे सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
    • प्लेटफॉर्म की सूची: इस कानून के दायरे में फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटॉक, एक्स (पूर्व ट्विटर), रेडिट, ट्विच, थ्रेड्स, यूट्यूब और किक जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इन सभी सेवाओं को ऑस्ट्रेलिया में अंडर-16 उपयोगकर्ताओं के अकाउंट रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक कदम उठाने होंगे।
    • जुर्माना और कानूनी दंड: यदि कोई प्लेटफॉर्म नियमों का पालन नहीं करता, तो उस पर भारी नागरिक जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रति उल्लंघन जुर्माने की राशि 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक पहुंच सकती है। अदालतों को अतिरिक्त दंड लगाने का अधिकार भी दिया गया है।
    • विशेष: इस कानून में माता-पिता या नाबालिगों को दंडित नहीं किया गया है। 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपराधी नहीं माना जाएगा। पूरी जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर डाली गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार का फोकस सजा नहीं, बल्कि प्लेटफॉर्म जवाबदेही पर है।

 

अंडर-16 सोशल मीडिया कानून के खिलाफ रेडिट की कानूनी चुनौती: तर्क और संवैधानिक सवाल

 

  • रेडिट ने 12 दिसंबर 2025 को ऑस्ट्रेलिया के हाईकोर्ट में एक औपचारिक याचिका दायर की। यह याचिका ऑनलाइन सेफ्टी अमेंडमेंट (सोशल मीडिया न्यूनतम आयु) अधिनियम 2024 के खिलाफ दायर की गई है। 
  • कंपनी ने अदालत से इस कानून की न्यायिक समीक्षा करने और इसे अमान्य घोषित करने की मांग की है। रेडिट का कहना है कि यह कानून मौलिक संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।
  • रेडिट की प्रमुख दलील यह है कि यह कानून ऑस्ट्रेलिया में मान्य “राजनीतिक संवाद की निहित स्वतंत्रता” को सीमित करता है। कंपनी के अनुसार, मतदान आयु के करीब पहुंच रहे किशोर अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को समझने के लिए ऑनलाइन मंचों का सहारा लेते हैं। यदि इन प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच रोकी जाती है, तो यह भविष्य की लोकतांत्रिक सहभागिता को कमजोर कर सकता है।
  • रेडिट की एक अहम दलील यह है कि उसे गलत तरीके से “आयु-प्रतिबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म” की श्रेणी में रखा गया है। कंपनी का कहना है कि उसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक सोशल नेटवर्किंग नहीं है। रेडिट के अनुसार, उसका ढांचा विषय-आधारित चर्चाओं पर केंद्रित है, न कि व्यक्तिगत प्रोफाइल और रियल-टाइम सामाजिक संपर्क पर। इस गलत वर्गीकरण के कारण उस पर अनुपयुक्त और भारी अनुपालन जिम्मेदारियां थोप दी गई हैं। 
  • रेडिट ने यह स्पष्ट किया कि वह बाल सुरक्षा के खिलाफ नहीं है। कंपनी ने अपने मौजूदा मॉडरेशन सिस्टम, कंटेंट फिल्टर और समुदाय-आधारित नियमों का हवाला दिया। उसका कहना है कि इन उपायों से जोखिम को कम किया जा सकता है, बिना पूर्ण आयु प्रतिबंध लगाए।
  • रेडिट ने हाई कोर्ट से दो विकल्पों में से एक की मांग की है। या तो पूरे कानून को अमान्य घोषित किया जाए, या फिर रेडिट को आयु-प्रतिबंधित प्लेटफॉर्म की सूची से बाहर रखा जाए। 

 

युवा उपयोगकर्ताओं के लिए वैश्विक सोशल मीडिया नियम

  • संयुक्त राज्य ब्रितानिया: ब्रिटेन ने 2023 में ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट लागू किया, जिसका उद्देश्य बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बच्चों पर संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करना अनिवार्य है। प्लेटफॉर्म्स को आयु सत्यापन या अनुमान तकनीकों का उपयोग करना होता है ताकि कम उम्र के उपयोगकर्ताओं की पहुंच रोकी जा सके। 
  • यूरोपीय संघ: यूरोपीय संघ ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट लागू किया ताकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सुरक्षा और जवाबदेही बढ़ाई जा सके। कानून के अनुसार, कंपनियों को नाबालिगों के जोखिम को कम करने के उपाय अपनाने होंगे। बच्चों को लक्षित विज्ञापन करने पर प्रतिबंध है। यूरोपीय संघ ने GDPR के तहत बच्चों की सहमति के नियम लागू किए हैं, जिनमें सदस्य देशों में डिफ़ॉल्ट सहमति की उम्र 13 से 16 वर्ष तक निर्धारित है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: संयुक्त राज्य अमेरिका में चिल्ड्रेन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट (COPPA) बच्चों की गोपनीयता की रक्षा करता है। यह कानून 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के डेटा संग्रह के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य करता है। अमेरिकी दृष्टिकोण में सोशल मीडिया पर न्यूनतम आयु प्रतिबंध की बजाय डेटा गोपनीयता और सहमति पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • भारत: भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का नियंत्रण आईटी नियम 2021 और संबंधित दिशा-निर्देशों के तहत किया जाता है। ये नियम मध्यस्थों पर उचित परिश्रम और जवाबदेही तय करते हैं। DPDP एक्ट 2023 बच्चों (18 वर्ष से कम) के डेटा पर कड़ा नियंत्रण लागू करता है। इसके तहत माता-पिता की सत्यापित सहमति अनिवार्य है, हानिकारक डेटा प्रोसेसिंग जैसे लक्षित विज्ञापन या ट्रैकिंग पर रोक है। साथ ही, जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिससे “सत्यापित सुरक्षित” प्लेटफॉर्म या आवश्यक सेवाओं (जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा) के लिए अपवाद संभव हैं।

 

अगला कदम:

रेडिट और डिजिटल अधिकार संगठन डिजिटल फ्रीडम प्रोजेक्ट द्वारा लाए गए मामले की प्रारंभिक सुनवाई फरवरी 2026 में हाई कोर्ट में निर्धारित की गई है। यह सुनवाई मुख्य चुनौती की तारीखें तय करेगी। आने वाले समय में कोर्ट का निर्णय ऑस्ट्रेलिया में बच्चों की ऑनलाइन पहुंच और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने में निर्णायक साबित होगा। यह कदम भविष्य में डिजिटल अधिकारों और सुरक्षा नीतियों को आकार देगा।

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