अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर पहुंची, जुलाई में थी 1.61%, जानें किस वजह से बढ़ी?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में अगस्त महीने में खुदरा महंगाई की दर में हल्की बढ़ोतरी हुई है।

जुलाई में यह दर 1.55% थी, जो पिछले आठ सालों में सबसे कम रही थी, लेकिन अगस्त में बढ़कर 2.07% हो गई। महंगाई में यह वृद्धि मुख्य रूप से सब्जियों, मांस और मछली जैसी खाने-पीने की चीजों की कीमतों बढ़ने के कारण हुई है। हालांकि, खुदरा महंगाई अभी भी RBI की 2-6% की सुरक्षित सीमा में है।

Retail inflation rate increased to 2.07% in August

अगस्त में किन वस्तुओ के दाम महंगा और सस्ता हुआ?

 

  • अगस्त में मांस, मछली, तेल, अंडे और पर्सनल केयर सामान की कीमतों में वृद्धि देखी गई। इनकी कीमतें बढ़ने से खाने-पीने और दैनिक उपयोग की चीजों की लागत बढ़ गई है।
  • वहीं, सब्जियों के दाम 15.92% तक गिर गए, दालें 14.53% सस्ती हुईं और मसालों के दाम 3.24% कम हुए। लगातार तीसरे महीने खाने-पीने की कुछ चीजों की कीमतों में यह गिरावट रही।

 

ग्रामीण और शहरी इलाकों में महंगाई दर:

  • अगस्त में ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति बढ़कर 1.69% हो गई, जबकि जुलाई में यह 1.18% थी।
  • शहरी क्षेत्रों में यह बढ़कर 2.47% हो गई, जुलाई में 2.10% थी।

यह बढ़ोतरी आंशिक रूप से “आधार प्रभाव” कम होने के कारण हुई है, यानी अब कीमतों की बढ़ोतरी की तुलना पिछले साल की बहुत ऊंची कीमतों से नहीं की जा रही, जिससे वास्तविक मूल्य वृद्धि साफ दिखाई दे रही है।

 

केरल में सबसे ज्यादा मुद्रास्फीति:

अगस्त में केरल में मुद्रास्फीति 9.04% तक पहुंच गई। यह मुख्य रूप से नारियल तेल जैसी प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण हुआ। राज्य में ग्रामीण मुद्रास्फीति 10.05% रही, जबकि शहरी मुद्रास्फीति 7.19% तक पहुंच गई। 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल केरल और लक्षद्वीप में ही मुद्रास्फीति 6% से अधिक रही, जबकि बाकी 26 राज्यों में यह 4% से कम रही। सबसे कम असम में -0.66% मुद्रास्फीति रही।

 

बढ़ोतरी का मुख्य कारण:

खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का मुख्य कारण यह है कि जुलाई में सब्जियों और दालों के दाम कम थे, लेकिन अगस्त में बारिश के कारण उत्पादन कम होने और सप्लाई में दिक्कतों के चलते इनके दाम बढ़ गए। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से ईंधन महंगा हुआ, जिससे आम चीजों की कीमतों पर असर पड़ा।

 

RBI ने पहले ही दी थी चेतावनी:

RBI ने पहले ही चेतावनी दी थी कि वित्त वर्ष 2025-26 की अंतिम तिमाही में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इसका मुख्य कारण सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव है, जो मौसम और सप्लाई की स्थिति पर निर्भर करते हैं। इस बीच, RBI ने पूरे वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 3.1% रखा है, जो पहले 3.7% था। यह संकेत देता है कि हालांकि महंगाई अभी नियंत्रण में है, लेकिन आने वाले महीनों में कुछ बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है।

 

मुद्रास्फीति पर GST दरों में  हुई कटौती का प्रभाव:

GST दरों में हाल ही में हुई कटौती से मुद्रास्फीति में करीब 1% की कमी हो सकती है। इसका असर 22 सितंबर से दिखना शुरू होगा, जिससे मुद्रास्फीति का स्तर वित्त वर्ष 2025 के अंत तक RBI के 4% लक्ष्य के आसपास रहने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति लगभग 3.3% रहेगी।

 

भारत के GDP पर मुद्रास्फीति का कितना प्रभाव: 

मुद्रास्फीति का भारत के GDP पर सीधा असर पड़ता है। जब महंगाई कम रहती है, तो आम लोगों की खरीदारी क्षमता बढ़ती है और खर्च बढ़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था को तेजी मिलती है। वहीं, बहुत अधिक महंगाई होने पर कीमतें बढ़ जाती हैं और लोग कम खरीदते हैं, जिससे आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है। इसलिए, नियंत्रित मुद्रास्फीति GDP की स्थिर वृद्धि के लिए जरूरी है।

 

खुदरा महंगाई दर क्या है?

खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) यह बताती है कि आम लोगों की रोजमर्रा की चीजों और सेवाओं की कीमतें कितनी बढ़ी हैं। भारत में इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर मापा जाता है। CPI में खाने-पीने की वस्तुएं, ईंधन, कपड़े, घर, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी जरूरी चीजों की कीमतों का बदलाव देखा जाता है। यह आंकड़ा भारत में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) जारी करता है।

 

खुदरा महंगाई का आम आदमी की जेब पर कितना असर:

खुदरा महंगाई का आम आदमी पर सीधा असर पड़ता है क्योंकि इसके बढ़ने से रोजमर्रा की चीजें जैसे खाना, कपड़े और ईंधन महंगे हो जाते हैं। इससे लोगों की खरीदने की क्षमता, यानी क्रय शक्ति, घट जाती है। अगर महंगाई ज्यादा बढ़ती है, तो बचत और निवेश का असली फायदा भी कम हो जाता है, क्योंकि पैसे की कीमत कम हो जाती है।

 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के बारे में:

भारत में NSO डेटा का मानकीकरण, समन्वय और प्रसार सुनिश्चित करता है और सांख्यिकीय विकास के लिए मुख्य एजेंसी के रूप में काम करता है। NSO में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO), डेटा सूचना विज्ञान एवं नवाचार प्रभाग (DIID) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) शामिल हैं।

 

इसके प्रमुख कार्य:

  • NSO औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) संकलित और प्रकाशित करता है।
  • उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) आयोजित करता है।
  • औद्योगिक विकास और आर्थिक रुझानों पर सांख्यिकीय जानकारी प्रदान करता है।

 

निष्कर्ष:

अगस्त में भारत में खुदरा महंगाई दर में हल्की बढ़ोतरी देखी गई, जो मुख्य रूप से मांस, मछली, तेल, अंडे और पर्सनल केयर सामान की कीमतों बढ़ने के कारण हुई। हालांकि, सब्जियां, दालें और मसाले जैसी कुछ प्रमुख खाने-पीने की वस्तुएं लगातार तीसरे महीने सस्ती रही हैं। कुल मिलाकर, महंगाई में यह संतुलित वृद्धि है और यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक की सुरक्षित 2-6% सीमा के भीतर बनी हुई है।