गौतम अडानी के नेतृत्व में अडानी समूह अब केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक आधुनिक रोपवे बनाने जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत 4,081 करोड़ रुपये है और यह सोनप्रयाग को केदारनाथ से जोड़ेगी। रोपवे न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ाने और क्षेत्र में पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा। यह परियोजना राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला योजना का हिस्सा है।

गौतम अडानी ने X पर एक पोस्ट में लिखा,
अब केदारनाथ धाम की कठिन चढ़ाई आसान हो जाएगी। अडानी समूह श्रद्धालुओं की यात्रा को सरल और सुरक्षित बनाने के लिए यह रोपवे बना रहा है। उन्होंने आगे कहा, “इस पवित्र काम का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है। महादेव सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें। जय बाबा केदारनाथ!”

जबकि इससे पहले, अडानी समूह के अध्यक्ष ने इस परियोजना को “भक्ति और आधुनिक बुनियादी ढांचे के बीच एक सेतु” कहा था।
हम लाखों लोगों की आस्था का सम्मान करते हैं: गौतम अडानी
गौतम अडानी ने कहा कि इस पवित्र यात्रा को सुरक्षित, तेज और आसान बनाकर हम लाखों लोगों की आस्था का सम्मान करते हैं। उन्होंने बताया कि NHLML और उत्तराखंड सरकार के साथ साझेदारी के जरिए यह परियोजना उत्तराखंड के लोगों के लिए नए अवसर भी पैदा करेगी। यह प्रतिष्ठित परियोजना ऐसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो न केवल देश की सेवा करे बल्कि देशवासियों के विकास में भी योगदान दे।
रोपवे क्या है ?
रोपवे एक तरह का यातायात होता है जिसमें तार या रज्जु का इस्तेमाल किया जाता है। यह रज्जु स्थायी भी हो सकता है, जिस पर वाहन सरकते हैं, या चलित भी, जो वाहन को खींचता है। रोपवे का ज्यादा इस्तेमाल पहाड़ी क्षेत्रों में होता है, जहां यह वाहन को ऊँचाई पर चढ़ने और उतरने में मदद करता है। इसके अलावा, इसे ऐसे स्थानों पर भी इस्तेमाल किया जाता है जहां दो जगहों के बीच रास्ता कठिन या बाधित हो, जैसे घनी आबादी वाले शहर में या किसी चौड़ी नदी के आर-पार।
PM मोदी ने किया था इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास:
पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास 21 नवंबर 2022 को किया था। इसी साल मार्च में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी।
बात करे रोपवे रूट की तो रोपवे रूट पर कुल 22 टावर और पांच स्टेशन होंगे, जो सोनप्रयाग, गौरीकुंड, चिरबासा, लिनचोली और केदारधाम में स्थित होंगे। चिरबासा और लिनचोली तकनीकी स्टेशन होंगे, जिनका इस्तेमाल इमरजेंसी में किया जाएगा। इस आधुनिक रोपवे का निर्माण दो चरणों में होगा। पहले चरण में गौरीकुंड से केदारधाम तक 9.7 किमी लंबा रोपवे बनेगा।
रोपवे के बनने से क्या बदलेगा?
अडानी समूह द्वारा इस रोपवे का काम पूरा होने से केदारनाथ धाम की यात्रा बहुत आसान और सुरक्षित हो जाएगी। अभी सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की पैदल दूरी 21 किलोमीटर है और इसे पूरा करने में 7-8 घंटे लगते हैं। लेकिन रोपवे बनने के बाद यह दूरी 12.9 किलोमीटर रह जाएगी और यात्रा सिर्फ 36 मिनट में पूरी हो जाएगी।
आधुनिक तकनीक से लैस रोपवे के हर गोंडोला (केबिन) में 35 सीट होगी। यह रोपवे प्रति घंटे हर दिशा में 1,800 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे साल भर लाखों तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, इस परियोजना से क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए यात्रा होगा आसान:
रोपवे चालू होने के बाद केदारनाथ यात्रा बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए बहुत आसान हो जाएगी। अभी श्रद्धालुओं को कठिन भूभाग और अचानक बदलते मौसम के बीच ऊँची और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई करनी पड़ती है। केदारनाथ में हर साल लगभग 20 लाख तीर्थयात्री आते हैं, जिन्हें इस रोपवे से यात्रा में काफी सुविधा मिलेगी।
परियोजना को छह वर्षों में पूरा होने की उम्मीद:
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) को इस प्रतिष्ठित रोपवे परियोजना का निर्माण करने के लिए सितंबर में राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स प्रबंधन लिमिटेड (NHLML) से लेटर ऑफ अवार्ड मिला। यह AEL की पहली रोपवे परियोजना है और इसके छह वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है। इसका निर्माण AEL के सड़क, मेट्रो, रेल और जल (RMRW) विभाग द्वारा किया जाएगा। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर विकसित की जा रही है। यह काम मार्च-अप्रैल 2026 में शुरू होगा। निर्माण पूरा होने के बाद रोपवे 2032 तक शुरू हो जाएगा और इसके संचालन का जिम्मा AEL के पास अगले 29 वर्षों तक रहेगा।
राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला योजना के बारे में:
राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला योजना का लक्ष्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के बजाय सुरक्षित और स्थाई रोपवे विकसित करना है। यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया जा रहा है। योजना के तहत 2022-23 में 60 किमी दूरी के लिए 8 रोपवे परियोजनाएं शुरू की गई।
सड़क परिवहन मंत्रालय रोपवे और वैकल्पिक परिवहन तकनीक के विकास, निर्माण और नीति बनाने का काम करेगा। इसका उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ाना और यात्रियों की सुविधा सुधारना है।
रोपवे परियोजनाओं के मुख्य लाभ:
- भूमि की कम आवश्यकता: रोपवे पहाड़ी क्षेत्रों में सीधे रास्ते में बनते हैं, जिससे भूमि की जरूरत कम होती है और लोग या जानवर बाधित नहीं होते।
- संवेदनशील क्षेत्रों के लिए उपयुक्त: यह नदियों, खड्डों, इमारतों और सड़कों को पार करने के लिए आदर्श है।
- लोगों को गतिशीलता: दुर्गम क्षेत्रों के लोग आसानी से घूम-फिर सकेंगे और किसान अपनी उपज बेच सकेंगे।
- निर्माण और रखरखाव में कम खर्च: एक पावर प्लांट और ड्राइव से कई कारें चलती हैं, जिससे लागत कम होती है।
- किफायती परिवहन: पहाड़ों में सड़क या रेल के मुकाबले रोपवे अधिक सस्ता और प्रभावी है।
- तेज़ और द्रुत गति: हवाई मार्ग होने के कारण रोपवे जल्दी यात्रा कराता है और सामान भी ले जा सकता है।
- पर्यावरण के अनुकूल: कम धूल और प्रदूषण उत्पन्न करता है, और 6000-8000 यात्रियों को प्रति घंटे ले जा सकता है।
निष्कर्ष:
अडानी समूह द्वारा केदारनाथ धाम के लिए निर्मित यह आधुनिक रोपवे न केवल तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुरक्षित, आसान और तेज़ बनाएगा, बल्कि क्षेत्र में आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा। राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला योजना के तहत यह परियोजना दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में प्रभावी परिवहन का एक आदर्श उदाहरण साबित होगी।