सऊदी अरब ने करीब 70 साल पुराना कफाला सिस्टम आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है। इसके तहत अब देश में काम करने वाले विदेशी मजदूरों के पासपोर्ट नियोक्ता नहीं जब्त कर सकेंगे। सरकार ने मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए नियम भी लागू किए हैं। हालांकि इस बदलाव की घोषणा जून 2025 में की गई थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से अधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
कफाला सिस्टम के समाप्त होने से विदेशी वर्कर्स को स्वतंत्रता मिली है, जिसमें भारत के 25 लाख मजदूर भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम विदेशी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा और बेहतर कार्यस्थल वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
मुख्य सुधार और मजदूरों के नए अधिकार:
- नौकरी बदलने की स्वतंत्रता: अब विदेशी मजदूर अपने प्रारंभिक अनुबंध की समाप्ति के बाद पूर्व नियोक्ता की अनुमति के बिना नई नौकरी चुन सकते हैं।
- यात्रा और निकासी की स्वतंत्रता: मजदूर अब देश छोड़ने के लिए एक्सिट वीज़ा या स्पॉन्सर की सहमति के लिए बाध्य नहीं होंगे।
- कानूनी सुरक्षा में वृद्धि: नए ढांचे में मजदूरों को श्रम न्यायालयों और शिकायत प्रणालियों तक बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे दुरुपयोग की शिकायत आसानी से दर्ज की जा सकेगी।
- कॉन्ट्रैक्ट की पारदर्शिता: सिस्टम को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (जैसे Qiwa और Absher) के माध्यम से मॉनिटर किए जाने वाले संपूर्ण अनुबंध आधारित फ्रेमवर्क से बदल दिया गया है, ताकि नियोक्ताओं के दुरुपयोग को रोका जा सके।
- घरेलू कर्मचारियों को शामिल किया गया: घरेलू मजदूरों के लिए भी यह सुधार लागू होगा, और उनके कॉन्ट्रैक्ट ट्रांसफर की निगरानी अब Musaned e-service प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से होगी।
इस ऐतिहासिक बदलाव से लगभग 1.3 करोड़ (13 मिलियन) विदेशी मजदूरों को लाभ मिलेगा, जिनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और फिलिपींस के बड़े संख्या में मजदूर शामिल हैं। यह कदम सऊदी अरब के श्रम कानूनों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कफाला सिस्टम क्या है?
कफाला सिस्टम मूल रूप से विदेशी श्रमिकों के प्रवास को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था। इसके तहत किसी विदेशी को सऊदी अरब में काम करने के लिए एक “कफील” या स्पॉन्सर की आवश्यकता होती थी, जो कोई व्यक्ति या कंपनी हो सकता था।
इस प्रणाली में स्पॉन्सर के पास मजदूर की नौकरी, निवास स्थान, यात्रा दस्तावेज़ और यहां तक कि देश छोड़ने के फैसले पर पूर्ण नियंत्रण होता था। कई मामलों में स्पॉन्सर मजदूरों के पासपोर्ट जब्त कर लेते और उन्हें नौकरी बदलने या शिकायत दर्ज करने की अनुमति नहीं देते थे।
विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रणाली कई बार आधुनिक दिन का दासता (modern-day slavery) जैसी स्थितियां उत्पन्न करती थी, जिससे मजदूरों की स्वतंत्रता और अधिकार सीमित रहते थे।
कफाला सिस्टम: इतिहास और वर्तमान स्थिति:
कफाला सिस्टम 1950 के दशक में खाड़ी देशों में लागू किया गया था। उस समय तेल उद्योग तेजी से बढ़ रहा था और इन देशों में स्थानीय श्रमिकों की संख्या बहुत कम थी। इसलिए उन्हें काम करने के लिए विदेशी मजदूरों की बड़ी संख्या की जरूरत थी।
विदेशी मजदूरों के आने-जाने और काम करने को नियंत्रित करना भी आवश्यक था, इसी कारण कफाला सिस्टम बनाया गया। इस प्रणाली में कफील (स्पॉन्सर) को अत्यधिक शक्ति दी गई थी, जिससे वह मजदूर की नौकरी, निवास और यात्रा पर पूरी तरह नियंत्रण रखता था।
हालांकि सऊदी अरब ने अब कफाला सिस्टम खत्म कर दिया है, लेकिन खाड़ी और मध्य पूर्व के अन्य देशों जैसे UAE, कुवैत, ओमान, बहरीन, लेबनान और जॉर्डन में यह सिस्टम अभी भी लागू है।
कफाला सिस्टम को ‘अमानवीय’ क्यों कहा गया?
मानवाधिकार संगठनों ने कफाला सिस्टम की बार-बार आलोचना की है। इस व्यवस्था में मजदूरों पर अत्याचार, वेतन न मिलने, शारीरिक शोषण और मजबूर श्रम (forced labour) जैसी घटनाएं आम थीं। अगर कोई विदेशी मजदूर अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ शिकायत करना चाहता, तो उसे उसी व्यक्ति की अनुमति लेनी पड़ती थी जो उसका शोषण कर रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार यह सिस्टम उच्च शिक्षित या व्हाइट-कॉलर कर्मचारियों के लिए अपेक्षाकृत आसान था, लेकिन लाखों ब्लू-कॉलर मजदूरों के लिए यह लगभग गुलामी जैसा था।
सऊदी अरब ने क्यों किया इसे खत्म?
सऊदी अरब ने यह कदम अपने महत्वाकांक्षी ‘विजन 2030 (Vision 2030)’ प्रोजेक्ट के तहत उठाया है। यह एक मल्टी-ट्रिलियन डॉलर योजना है जिसका लक्ष्य सऊदी अरब की वैश्विक छवि सुधारना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से हटाकर विविध बनाना है।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जून 2025 में इस सुधार की घोषणा की थी, ताकि आने वाले वर्षों में सऊदी अरब को मॉडर्न, निवेश-हितैषी और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील देश के रूप में पेश किया जा सके।
कफाला सिस्टम की प्रमुख दिक्कतें और आलोचनाएँ:
कफाला सिस्टम (Kafala System) को मानवाधिकार संगठनों द्वारा अक्सर “आधुनिक गुलामी” (modern-day slavery) के रूप में बताया जाता है। इसके प्रमुख कारण और आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं:
- नियोक्ता (Kafeel) पर पूर्ण निर्भरता: प्रवासी श्रमिक की कानूनी स्थिति सीधे उसके नियोक्ता से जुड़ी होती थी। देश में रहने, काम करने या देश छोड़ने के लिए श्रमिक को कफील की लिखित अनुमति लेनी पड़ती थी।
- आज़ादी का हनन: नौकरी बदलने या अपने देश लौटने की स्वतंत्रता सीमित थी। यदि श्रमिक बिना अनुमति नौकरी छोड़ता, तो उसे “फरार” मानकर गिरफ्तार या निर्वासित किया जा सकता था।
- शोषण और दुर्व्यवहार की संभावना: शक्ति के इस असंतुलन के कारण नियोक्ता अक्सर श्रमिकों का शोषण करते थे, जिसमें शामिल हैं:
- पासपोर्ट जब्त करना: श्रमिक की आवाजाही पूरी तरह रोक दी जाती थी।
- वेतन रोकना या न देना: कई बार महीनों तक वेतन नहीं दिया जाता था।
- खराब कामकाजी और रहने की स्थिति: असुरक्षित कार्यस्थल, लंबे घंटे और अपर्याप्त आवास।
- शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार: विशेषकर घरेलू कामगारों के लिए आम।
- कानूनी सुरक्षा की कमी: प्रवासी श्रमिकों को कानूनी सहायता और विवाद निपटान तंत्र तक सीमित पहुंच थी। उन्हें अक्सर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर रखा जाता था।
- ऋण बंधन: कई श्रमिक भारी भर्ती शुल्क के लिए कर्ज लेते थे, जिसे चुकाने के लिए उन्हें शोषणपूर्ण परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
इन सभी कारणों से, मानवाधिकार संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) लंबे समय से कफाला प्रणाली की आलोचना करते रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रणाली जबरन श्रम और मानव तस्करी को बढ़ावा देती थी, जिससे लाखों मजदूरों की स्वतंत्रता और गरिमा प्रभावित होती थी।
नए सिस्टम में क्या बदलेगा:
- सऊदी अरब में कफाला सिस्टम खत्म होने के बाद अब विदेशी कर्मचारियों को अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदलने, यात्रा करने या शिकायत दर्ज कराने की स्वतंत्रता मिलेगी। सरकार ने कहा है कि अब श्रमिकों को अधिक ‘लेबर मोबिलिटी’ (Labour Mobility) मिलेगी, यानी वे अनुबंध की अवधि पूरी होने के बाद किसी दूसरी कंपनी में भी काम कर सकते हैं।
- इसके अलावा, अब पासपोर्ट जब्त करना या धमकी देना कानूनन अपराध माना जाएगा, जिससे विशेषकर निर्माण, सेवा और औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
- नए नियमों में रोजगार कॉन्ट्रैक्ट की व्यवस्था भी स्पष्ट की गई है। अब गैर-सऊदी मजदूरों के लिए काम की अवधि, श्रमिक और कंपनी के अधिकार, वेतन और भत्तों को लिखित रूप में तय करना अनिवार्य होगा। यह कदम श्रमिकों के लिए पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति अधिक सशक्त बनाएगा।
कफाला सिस्टम के तहत काम करने वाले वर्कर्स
सऊदी अरब में 1.34 करोड़ से ज्यादा विदेशी वर्कर्स कफाला सिस्टम के तहत काम कर रहे हैं, जो देश की कुल आबादी का लगभग 42% है। इन वर्कर्स का सबसे बड़ा समूह बांग्लादेश और भारत से है, इसके बाद पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और फिलीपींस के मजदूर आते हैं।
सऊदी अरब में 40 लाख से अधिक विदेशी वर्कर्स घरेलू कामकाज में लगे हैं। इसके अलावा, कंस्ट्रक्शन, हॉस्पिटैलिटी, खेती और घरेलू सेवा जैसी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा विदेशी मजदूर कफाला सिस्टम के अधीन काम कर रहे हैं।
सऊदी का कदम:
सऊदी अरब द्वारा कफाला सिस्टम खत्म करने का कदम कतर के 2022 FIFA World Cup से पहले लागू सुधार के बाद आया है, जिसमें कतर ने भी यह व्यवस्था समाप्त की थी। अब उम्मीद जताई जा रही है कि कुवैत, बहरीन और ओमान जैसे अन्य खाड़ी देश भी इसी दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
भारत ने फैसले का स्वागत किया:
भारत ने सऊदी अरब के इस फैसले का आधिकारिक तौर पर स्वागत किया है और कहा है कि इससे भारतीय प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और इज्ज़त बढ़ेगी। सरकार ने इसे मजदूरों के अधिकारों को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी फैसले का स्वागत किया:
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानवाधिकार संस्थाओं ने भी इस कदम की सराहना की है। ILO पहले ही कह चुका था कि मध्य पूर्व में प्रचलित कफाला व्यवस्था प्रवासी श्रमिकों की स्वतंत्रता को सीमित करती थी और उन्हें ‘फोर्स्ड लेबर’ जैसी स्थिति में डालती थी। अब इस प्रणाली के समाप्त होने से सऊदी अरब में श्रम अधिकारों की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलेगा।
निष्कर्ष:
सऊदी अरब द्वारा कफाला सिस्टम को समाप्त करना एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है। इससे देश में काम करने वाले 1.34 करोड़ से अधिक विदेशी मजदूरों को स्वतंत्रता, सुरक्षा और कानूनी अधिकार मिलेंगे। यह सुधार न केवल मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि सऊदी अरब को एक आधुनिक, निवेश-अनुकूल और मानवाधिकार-संवेदनशील देश के रूप में वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद करेगा।
