वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में खोजा दुर्लभ चौगुना तारकीय तंत्र, खगोल विज्ञान में नई दिशा और अभूतपूर्व उपलब्धि

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में एक बेहद दुर्लभ और असामान्य चार तारों (Quadruple Star System) की खोज की है। इसे UPM J1040−3551 AabBab नाम दिया गया है। इस सिस्टम में दो युवा लाल बौना तारे (Red Dwarfs) हैं, जिनके चारों ओर दो ठंडी ब्राउन ड्वार्फ़ परिक्रमा कर रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी संरचना पहली बार देखी गई है।

 

खोज में कई देशों के वैज्ञानिकों का योगदान

यह अध्ययन Monthly Notices of the Royal Astronomical Society के सितंबर अंक में प्रकाशित हुआ है। शोध का नेतृत्व प्रोफेसर ज़ेंगहुआ झांग ने किया, जिसमें ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ हरटफोर्डशायर, ब्राज़ील का नेशनल एस्ट्रोफिज़िक्स लैबोरेटरी, चिली का SOAR टेलीस्कोप (Cerro Tololo Observatory) और स्पेन के सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिक शामिल रहे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज से ब्राउन ड्वार्फ़ की समझ को गहराई मिलेगी, क्योंकि इन्हें अब तक पहचानना और अध्ययन करना बेहद मुश्किल रहा है।

 

संरचना: मिल्की वे में खोजा गया दुर्लभ चौगुना तारा तंत्र

  • इस प्रणाली के केंद्र में दो युवा लाल बौने तारे (M-type Red Dwarfs) हैं, जो आपस में एक युग्म (binary system) बनाते हैं।
  • इनके चारों ओर दो ठंडे T-प्रकार के ब्राउन ड्वार्फ़ (Brown Dwarfs) परिक्रमा कर रहे हैं।
  • ब्राउन ड्वार्फ़ सामान्य तारों की तरह हाइड्रोजन संलयन (fusion) नहीं कर सकते, लेकिन वे ग्रहों से कहीं अधिक बड़े और भारी होते हैं।
  • ये चारों पिंड मिलकर एक श्रृंखलाबद्ध चौगुना तंत्र (Hierarchical Quadruple System) बनाते हैं, ऐसा विन्यास पहले कभी नहीं देखा गया।

 

क्यों है यह अद्वितीय

  • पहली बार देखा गया: यह अब तक का पहला पुष्ट उदाहरण है, जहाँ ब्राउन ड्वार्फ़, लाल बौनों की जोड़ी के चारों ओर परिक्रमा कर रहे हैं।
  • बेहद दुर्लभ: सामान्यतः ब्राउन ड्वार्फ़ अकेले पाए जाते हैं या कभी-कभी एक साथी के साथ। केवल 5% से भी कम ब्राउन ड्वार्फ़ बहु-तारा प्रणालियों का हिस्सा होते हैं।
  • जटिल गतिकी: दो तारों और दो उप-तारकीय पिंडों के बीच का गुरुत्वाकर्षण संबंध इस प्रणाली को अध्ययन के लिए एक असाधारण प्राकृतिक प्रयोगशाला बनाता है।
rare quadruple stellar system in the Milky Way

भूरे बौने (brown dwarfs) तारे क्या हैं?

भूरे बौने तारे रहस्यमय खगोलीय पिंड हैं, जो तारों और ग्रहों की सीमा पर स्थित माने जाते हैं। ये तारों की तरह गैस और धूल के बादलों के संकुचन से बनते हैं, लेकिन इनमें हाइड्रोजन संलयन (Hydrogen Fusion) की निरंतर प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान नहीं होता, वही प्रक्रिया जो तारों को ऊर्जा देती है और उन्हें चमकदार बनाती है। इसी कारण इन्हें अक्सर “विफल तारे” (Failed Stars) कहा जाता है।

इनकी वायुमंडलीय संरचना बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से मिलती-जुलती होती है, जिसमें बादल और जलवाष्प जैसी आणविक संरचनाएँ पाई जाती हैं। हालांकि इनमें ग्रहों जैसी कई विशेषताएँ होती हैं, फिर भी इनका द्रव्यमान बृहस्पति से 70 गुना तक अधिक हो सकता है। इसी वजह से इन्हें “उप-तारकीय पिंडों” (Sub-stellar Objects) की एक विशिष्ट श्रेणी में रखा जाता है।

 

भूरे बौने तारे पहचानना मुश्किल क्यों है?

भूरे बौने तारे बेहद धुंधले और ठंडे होते हैं, जिससे इन्हें सीधे तौर पर पहचानना कठिन हो जाता है। खगोलविद अक्सर इन्हें बहु-तारा प्रणालियों (Multiple Star Systems) में खोजते हैं, जहाँ एक चमकीला तारा इनके अध्ययन में मदद करता है। ऐसे मामलों में, उज्ज्वल तारे की आयु, तापमान और संरचना का अध्ययन करके खगोलविद भूरे बौने तारे के गुणों का अनुमान लगाते हैं, क्योंकि दोनों प्रायः एक ही समय और एक ही सामग्री से बने होते हैं।

  • यही कारण है कि हाल ही में खोजे गए चार तारों वाले (Quadruple) सिस्टम का महत्व और बढ़ जाता है। इस प्रणाली में दो मंद भूरे बौने तारे एक उज्ज्वल लाल बौने तारों की जोड़ी की परिक्रमा कर रहे हैं। भले ही भूरे बौने तारे लगभग कोई दृश्यमान प्रकाश नहीं उत्सर्जित करते, लेकिन उनके उज्ज्वल साथी वैज्ञानिकों को उन्हें गहराई से समझने का अवसर प्रदान करते हैं।

 

वैज्ञानिक भूरे बौने तारों का अध्ययन क्यों करते हैं?

भूरे बौने तारे खगोल विज्ञान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये तारों और ग्रहों के बनने की प्रक्रियाओं को समझने में नई जानकारी देते हैं। इनकी संख्या और वितरण का अध्ययन करके वैज्ञानिक यह जान सकते हैं कि ब्रह्मांड में द्रव्यमान किस प्रकार फैला हुआ है। यह अध्ययन व्यापक ब्रह्मांडीय प्रश्नों से भी जुड़ा है, क्योंकि ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा अब तक अदृश्य है और उसे डार्क मैटर के रूप में जाना जाता है।

 

वैज्ञानिक महत्व:

तारों और ब्राउन ड्वार्फ़ का निर्माण: यह खोज इस बात पर नई रोशनी डालती है कि निम्न द्रव्यमान वाले तारे और उप-तारकीय पिंड जटिल वातावरण में कैसे बनते और विकसित होते हैं।

खगोल भौतिकी का मानक: चूँकि ब्राउन ड्वार्फ़ बहुत मंद और ठंडे होते हैं, इसलिए उनका अध्ययन कठिन है। लेकिन इस तरह की प्रणाली उन्हें समझने के लिए एक मानक मॉडल उपलब्ध कराती है।

आकाशगंगा की जनसंख्या का सुराग: इस तरह की खोजें यह अनुमान लगाने में मदद करती हैं कि हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में ऐसे विचित्र और दुर्लभ तंत्र कितने आम या दुर्लभ हैं।