प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और सदस्य देशों के सत्र में भारत का औपचारिक वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वैश्विक समुदाय के सामने आतंकवाद के गंभीर खतरे को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि भारत या कोई भी जिम्मेदार राष्ट्र उग्रवाद, अलगाववाद और आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद की पीड़ा झेल रहा है और पहलगाम जैसी घटनाएं इस चुनौती की भयावहता को उजागर करती हैं।

तियानजिन घोषणा में सदस्य देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर स्पष्ट और ठोस रुख अपनाया। घोषणापत्र में कहा गया कि:
- सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई।
- यह जोर दिया गया कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवादी, अलगाववादी या उग्रवादी संगठनों का निजी स्वार्थों के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि आतंकवाद से लड़ाई में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड स्वीकार्य नहीं होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया गया कि वह सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ संयुक्त रूप से संघर्ष करे।
मोदी बोले: SCO मतलब, सिक्योरिटी, कनेक्टिविटी और अपॉर्चुनिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि इस मंच का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व और खुशी की बात है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत हमेशा SCO में रचनात्मक और सहयोगात्मक भूमिका निभाता आया है। उन्होंने संगठन के प्रति भारत की नीति को तीन आधारभूत स्तंभों पर आधारित बताया: सुरक्षा (Security), संपर्क (Connectivity) और अवसर (Opportunity)।
SCO सम्मेलन में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत:
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भारत को अहम सफलता मिली। सम्मेलन के दूसरे दिन जारी संयुक्त घोषणापत्र में 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले की कठोर निंदा की गई। दस्तावेज़ में साफ कहा गया कि इस हमले के जिम्मेदार आतंकियों, इसके योजनाकारों और सहयोगियों को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है।
- इस घोषणा की खास बात यह रही कि बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की मौजूदगी में पहलगाम हमले का ज़िक्र होना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है।
- गौरतलब है कि जून 2025 में हुई SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक के घोषणापत्र में इस आतंकी हमले का उल्लेख तक नहीं किया गया था। उस समय भारत ने नाराजगी जताते हुए दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था।
जिनपिंग बोले: आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद के खिलाफ
बैठक को संबोधित करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि SCO आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक नीति में किसी भी तरह की धमकाने वाली प्रवृत्ति को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जिनपिंग ने यह भी कहा कि चीन इस संगठन को और आगे ले जाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएगा और सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को मजबूत करेगा।
SCO मेंबर्स को 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट: SCO समिट के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष संगठन के सदस्य देशों को 2 बिलियन युआन यानी लगभग 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ग्रांट दी जाएगी। यह आर्थिक सहायता सदस्य देशों की विकास और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रदान की जाएगी।
SCO अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान की दिशा में सक्रिय: पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के पूर्ण सत्र में कहा कि यह संगठन सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा ही नहीं करता, बल्कि उनके समाधान की दिशा में भी अहम योगदान देता है।
व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं का प्रयोग: उन्होंने बताया कि एससीओ देशों के बीच आपसी व्यापार में अब राष्ट्रीय मुद्राओं का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। यह कदम क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यूक्रेन संकट पर पुतिन का रुख:
यूक्रेन को लेकर पुतिन ने दोहराया कि वहां की स्थिति किसी बाहरी आक्रमण से नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित कीव में हुए तख्तापलट का परिणाम है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का सम्मेलन में हुई सहमति ने शांति प्रक्रिया के लिए रास्ता खोला।
नई सुरक्षा व्यवस्था की ओर संकेत: पुतिन ने कहा कि एससीओ की बातचीत यूरोप-केन्द्रित पुराने सुरक्षा मॉडल को पीछे छोड़ते हुए एक नई यूरेशियन सुरक्षा व्यवस्था के निर्माण की ओर ले जा रही है।
भारत-रूस रिश्तों पर पुतिन का बयान:
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान भारत-रूस संबंधों को लेकर सकारात्मक रुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) आज वैश्विक दक्षिण और पूर्वी देशों को एकजुट करने का महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
पुतिन ने याद दिलाया कि 21 दिसंबर 2025 को भारत और रूस के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की 15वीं वर्षगांठ होगी। उनके अनुसार, यह संबंध बहुआयामी हैं और रक्षा, ऊर्जा, व्यापार से लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तक विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस बैठक से द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा मिलेगी और दोनों देशों के सहयोग में और विस्तार होगा।
यूक्रेन संकट पर मोदी की टिप्पणी: स्थायी समाधान की आवश्यकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता के दौरान यूक्रेन संघर्ष पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत और रूस इस मुद्दे पर लगातार संवाद कर रहे हैं और हाल ही में किए गए शांति प्रयासों का भारत स्वागत करता है।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष को यथाशीघ्र समाप्त कर एक स्थायी और टिकाऊ शांति का मार्ग निकालना आवश्यक है। उनके अनुसार यह केवल किसी एक देश या क्षेत्र का प्रश्न नहीं, बल्कि पूरी मानवता की आकांक्षा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पक्ष आपसी सहयोग और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने SCO-RATS की भूमिका की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (SCO-RATS) की सराहना करते हुए कहा कि यह मंच आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत ने अलकायदा और उससे जुड़े आतंकी नेटवर्क के विरुद्ध एक संयुक्त सूचना अभियान की शुरुआत की है।
क्या है SCO-RATS?
SCO-RATS का अर्थ है Shanghai Cooperation Organisation’s Regional Anti-Terrorist Structure। यह शंघाई सहयोग संगठन का एक स्थायी निकाय है, जिसे आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किया गया है।
- इसका मुख्यालय ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में स्थित है।
- इसके प्रमुख कार्यों में सूचना साझाकरण, संयुक्त अभ्यासों के माध्यम से क्षमता निर्माण, और सदस्य देशों की राष्ट्रीय एंटी-टेरर एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाना शामिल है।
- यह ढांचा SCO सदस्य देशों को आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और अभियानों में एक-दूसरे का समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है।
2025 की SCO समिट भारत के लिए क्यों है विशेष?
- गलवान के बाद मोदी का चीन दौरा: पाँच वर्ष पूर्व गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली चीन यात्रा है। इस कारण से इस समिट पर वैश्विक स्तर पर विशेष निगाहें टिकी हुई हैं।
- अमेरिकी टैरिफ नीतियों की पृष्ठभूमि: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत (50%), चीन (30%) और कज़ाकिस्तान (25%) सहित कई SCO देशों पर ऊँचे टैरिफ लगाए हैं। ऐसे में यह शिखर सम्मेलन उन देशों के लिए सामूहिक मंच बनकर उभर रहा है, जो अमेरिकी आर्थिक दबाव का संतुलन तलाशना चाहते हैं।
- वैश्विक नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक को ऐसे अवसर के रूप में देख रहे हैं, जहाँ SCO अमेरिका-प्रभावित वैश्विक व्यवस्था के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत हो सके। रूस, भारत और ईरान जैसे देशों की सक्रिय भागीदारी इस संदेश को और मज़बूती देती है।
- भारत का एजेंडा, आतंकवाद पर सख़्त रुख: जून 2025 की SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने उस संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया था, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख नहीं था। अब मुख्य बैठक में भारत आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने और व्यापक समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगा। पाकिस्तान की मौजूदगी इस बहस को और संवेदनशील बना सकती है।
- व्यापक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी: इस बार केवल SCO सदस्य ही नहीं, बल्कि प्रेक्षक और साझेदार देशों को मिलाकर 20 से अधिक राष्ट्रों के नेता इस मंच का हिस्सा बने हैं। इससे सम्मेलन का वैश्विक महत्व और बढ़ गया है।
- भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक संकेत: गलवान विवाद के बाद पहली बार द्विपक्षीय संबंधों में नरमी दिख रही है। सीमा व्यापार पर वार्ता, सीधी उड़ानों की बहाली और कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ इस दिशा में अहम कदम माने जा रहे हैं।
आइए जानते है, शंघाई सहयोग संगठन के बारे में:
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization – SCO) एक अंतर-सरकारी राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2001 में हुई। इसका गठन कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने मिलकर किया। पहला शिखर सम्मेलन 2001 में चीन के शंघाई शहर में आयोजित हुआ था।
मुख्य उद्देश्य:
- सदस्य देशों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करना।
- राजनीतिक मामलों, अर्थव्यवस्था और व्यापार, विज्ञान-तकनीक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों सहित ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
- क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा करना।
- एक लोकतांत्रिक और न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक एवं आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करना
शंघाई स्पिरिट: SCO का मूल मूल्य “शंघाई स्पिरिट” है, जो आपसी विश्वास, आपसी लाभ, समानता, परामर्श, सांस्कृतिक विविधता का सम्मान और साझा विकास की दिशा में कार्य करने पर आधारित है।
कार्यकारी भाषा: SCO सचिवालय की आधिकारिक कार्यकारी भाषाएँ रूसी और चीनी हैं।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र: SCO का उद्देश्य केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापार, निवेश, ऊर्जा, परिवहन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का महत्व:
- सहयोग के क्षेत्र: SCO ने मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका फोकस आतंकवाद, जातीय अलगाववाद और धार्मिक उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई पर रहा है। साथ ही संगठन ने क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा दिया है।
- जनसंख्या और विश्व अर्थव्यवस्था में भूमिका: SCO का दायरा अत्यंत व्यापक है। यह दुनिया की लगभग 40% जनसंख्या, 20% वैश्विक GDP और 22% विश्व भूभाग को कवर करता है। इस कारण यह वैश्विक स्तर पर अत्यधिक प्रभावशाली संगठन है।
- रणनीतिक महत्व: SCO एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय एकीकरण को प्रोत्साहित करने और सीमाओं पर स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके प्रयास क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग को भी बढ़ावा देते हैं।
- आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ ढाल: संगठन ने केवल आतंकवाद-रोधी प्रयासों पर ही नहीं, बल्कि मादक पदार्थों की तस्करी, सैन्य सहयोग और आर्थिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर भी विशेष ध्यान दिया है।
- QUAD की तुलना में: SCO ने साझा सैन्य और सुरक्षा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की उल्लेखनीय क्षमता दिखाई है। इसके तहत आयोजित “पीस मिशन” सैन्य अभ्यास में सभी सदस्य देशों की भागीदारी होती है। यह सामूहिक सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग का उदाहरण है, जो अब तक QUAD जैसी व्यवस्थाओं से अधिक प्रभावी साबित हुआ है।