दिल्ली-NCR में पटाखों पर प्रतिबंध में ढील देने के संकेत: सुप्रीम कोर्ट ने माना पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं, सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया..

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से कुछ दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन को लेकर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है और अक्सर इसका उल्लंघन होता है। कोर्ट ने दिवाली पर केवल हरित पटाखों (ग्रीन पटाखों) के इस्तेमाल और बिक्री की संभावना पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और संकेत दिया कि दिवाली के दौरान पाँच दिनों के लिए परीक्षण के तौर पर पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दी जा सकती है। प्रतिबंध में ढील देने के पक्ष में देखी जा रही इन टिप्पणियों ने पूरी दिल्ली में राहत और चिंता दोनों पैदा कर दी है।

Signs of easing the ban on firecrackers in Delhi-NCR

न्यायालय की मुख्य चिंताएं:

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या लंबे समय से लगे पटाखों के प्रतिबंध से दिल्ली की हवा सच में साफ हुई है। उन्होंने यह भी पूछा कि ये प्रतिबंध पूरे राज्य में क्यों नहीं हैं और सिर्फ कुछ हिस्सों और NCR तक सीमित हैं। CJI BR गवई की पीठ ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद लोग पटाखे इस्तेमाल करते रहे, जिससे पता चलता है कि कड़े नियम अक्सर काम नहीं करते।

अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह एक संतुलित फैसला चाहती है, जो पर्यावरण और पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका दोनों की रक्षा करे।

 

दिल्ली सरकार ने की छूट की मांग:

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अदालत से दिवाली पर हरित पटाखों के इस्तेमाल की छूट देने की मांग की। उन्होंने कहा कि दिवाली एक सांस्कृतिक त्योहार है और जनता की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि फैसला सभी पक्षों की सलाह के बाद ही लिया जाएगा।

 

केंद्र और NCR राज्यों की ओर से तर्क:

केंद्र और NCR राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नागरिकों, खासकर बच्चों, को दिवाली, गुरुपर्व और क्रिसमस जैसे त्योहार बिना सख्त समय सीमा मनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 2018 से जारी प्रतिबंधों के बावजूद वायु गुणवत्ता लगभग वही बनी हुई है, केवल कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सुधार दिखा।

केंद्र ने अदालत से कहा कि आजीविका के अधिकार और त्योहार मनाने के अधिकार के बीच संतुलन बनाए। इसके लिए प्रस्ताव रखा कि केवल राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान(NEERI) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन(PESO) द्वारा अनुमोदित प्रमाणित हरित पटाखे ही कड़ी निगरानी में बनाए और बेचे जाएँ।

 

SG मेहता ने पटाखे फोड़ने के समय की मांग की:

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुझाव दिया कि पटाखे फोड़ने का समय तय किया जाए। क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर रात 11:55 बजे से 12:30 बजे तक ही अनुमति हो। गुरुपर्व पर सुबह 4 से 5 बजे और रात 9 से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जाए। विवाह और अन्य अवसरों पर हरित पटाखों का उपयोग और बिक्री हो सकती है। नियम तोड़ने वाले पटाखा निर्माण स्थलों को तुरंत सील कर दिया जाएगा।

 

हरित पटाखों की बिक्री को कैसे नियंत्रित किया जाएगा?

केंद्र के प्रस्ताव के अनुसार, हरित पटाखों की बिक्री सिर्फ लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं तक सीमित रहेगी। ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी और केवल वही पटाखे बिकेंगे जिनके पास NEERI और PESO का प्रमाणन होगा। दोनों संगठनों के अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करेंगे और नियम तोड़ने वाले किसी भी निर्माता पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उनकी फैक्ट्री बंद करना भी शामिल है।

ये हरित पटाखे CSIR और NEERI द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। इनके आकार को छोटा किया गया है, कच्चे माल की मात्रा कम की गई है और धूल कम करने वाले पदार्थ मिलाए गए हैं। हर पैकेट पर CSIR-NEERI का हरा लोगो और एन्क्रिप्टेड QR कोड होगा, जिससे इन्हें पहचाना जा सके।

 

प्रतिबन्ध को लेकर न्यायालय का पिछला आदेश:

26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हरित पटाखों के निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन यह शर्त रखी थी कि इन्हें दिल्ली-एनसीआर में नहीं बेचा जाएगा। अब अदालत ने संकेत दिया है कि वह “फिलहाल” पूर्ण प्रतिबंध हटा सकती है, जिससे इस दिवाली दिल्ली में कई सालों में पहली बार वैध पटाखे देखने को मिल सकते हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट के 3 अप्रैल के आदेश का विरोध:

पटाखा निर्माताओं के वरिष्ठ वकील बलवीर सिंह ने कहा कि दीवाली नजदीक है और मामले में जल्दी फैसला होना चाहिए। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट का 3 अप्रैल का आदेश, जिसमें दिल्ली-NCR में पटाखों का निर्माण, भंडारण और बिक्री पूरी तरह बंद है, भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सर्दियों में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना और वाहन प्रदूषण है, पटाखे नहीं, और कोई वैज्ञानिक अध्ययन यह साबित नहीं करता कि पटाखों से प्रदूषण में बड़ा इजाफा होता है।

 

दिल्ली निवासियों और विशेषज्ञों की चिंता  एवं मांग:

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के पर्यावरणविदों और नागरिकों ने इस फैसले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि प्रतिबंध में ढील देने से पहले से ही खराब हवा और भी प्रदूषित हो सकती है। विशेषज्ञों ने बताया कि “ग्रीन” पटाखा मतलब पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं होता। ये पटाखे अभी भी सूक्ष्म कण और गैसें छोड़ते हैं, बस मात्रा थोड़ी कम होती है।

विशेषज्ञ की मांग हैं कि दिल्ली में बिकने वाले पटाखे वास्तव में पर्यावरण के अनुकूल हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए अभी कोई ठोस प्रणाली मौजूद नहीं है। बिना उचित निरीक्षण और प्रमाणन के, नियम का पालन कमज़ोर हो सकता है और बाजार में गैर-अनुपालन वाले पटाखों की बढ़ोतरी हो सकती है।

 

परीक्षण केंद्र को लेकर क्या कहा गया?

अदालत ने कहा कि परीक्षण केंद्र रातोंरात नहीं बनाए जा सकते, लेकिन रैंडम सैंपलिंग की जा सकती है। अदालत ने पटाखा कामगारों की स्थिति पर भी ध्यान दिलाया, जो अक्सर हाशिए पर हैं और उनकी आजीविका खतरे में है।

पटाखा निर्माताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने सुझाव दिया कि थोक और खुदरा विक्रेताओं के लिए विशेष बिक्री केंद्र बनाकर नियमों का पालन जांचा जाए।

 

दिल्ली-NCR में पटाखों पर 2017 से प्रतिबंध:

दिल्ली-NCR में पटाखों पर 2017 से प्रतिबंध है। शुरुआत में केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति थी, लेकिन 2018 में पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया, जो 2024 तक था। सरकारी और अदालत के आंकड़ों से पता चलता है कि हवा साफ नहीं हुई और लोग अक्सर नियम तोड़ते रहे। दिसंबर 2024 में दिल्ली सरकार ने 2025 तक सभी पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने को कहा था।

 

वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है?

वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में ऐसे पदार्थ होना जो इंसानों, जानवरों या पर्यावरण के लिए हानिकारक हों। ये प्रदूषक गैसें (जैसे ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड) या छोटे कण (जैसे धूल, कालिख) हो सकते हैं।

बाहरी वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं:

  • बिजली और परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन का जलना
  • जंगल की आग और ज्वालामुखी विस्फोट
  • औद्योगिक प्रक्रियाएँ और अपशिष्ट प्रबंधन
  • कृषि और विध्वंस गतिविधियाँ

अंदरूनी वायु प्रदूषण अक्सर घर में खाना पकाने या गर्म करने के लिए लकड़ी या कृषि अपशिष्ट जलाने से होता है। कुछ प्रदूषण ग्रीनहाउस गैसें भी छोड़ता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।

 

वायु प्रदूषण के नुकसान:

  • हर साल 70-80 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं।
  • यह स्ट्रोक, हृदय रोग, अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है।
  • ओज़ोन परत में ह्रास से फसलों को नुकसान पहुँचाता है और अम्लीय वर्षा से जंगल प्रभावित होते हैं।
  • विश्व बैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण की वजह से हर साल विश्व अर्थव्यवस्था को 8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है।

 

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह संकेत कि दिवाली पर हरित पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दी जा सकती है, एक संतुलित दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है। यह निर्णय न केवल पर्यावरण की सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण को ध्यान में रखता है, बल्कि त्योहार की सांस्कृतिक भावना और नागरिकों की खुशी को भी महत्व देता है।

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