अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों और उसके बाद बढ़ी सीमा पार की शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के चलते भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। हाल ही में पंजाब के कई नेता और सिख समूह केंद्र सरकार से मांग कर रहे थे कि इस साल सिख जत्थों को पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे की यात्रा करने की अनुमति दी जाए। नवंबर में गुरु नानक देव जी की जयंती यानी प्रकाश पर्व मनाया जाता है, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने इस साल इस यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

यह कदम आहत करने वाला: सुखबीर सिंह बादल
शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे “आहत करने वाला” कदम बताया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पुनर्विचार की अपील की। उन्होंने कहा कि सिख श्रद्धालुओं की श्री ननकाना साहिब के दर्शन से गहरी धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं और करतारपुर कॉरिडोर खुलना चाहिए।
SGPC ने भी की इस कदम की निंदा:
SGPC(Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह सिख तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं का अपमान है। उन्होंने केंद्र से पुनर्विचार की अपील की और बताया कि दशकों से सिख जत्थे गुरु नानक जयंती पर पाकिस्तान जाते रहे हैं। यह पहली बार है जब उन्हें रोका गया है।
सुरक्षा कारणों से गृह मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम:
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव द्वारा पंजाब और अन्य पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिव को 12 सितंबर को भेजे गए पत्र में कहा गया है, “पाकिस्तान के साथ मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए, नवंबर 2025 में श्री गुरु नानक देव जी के गुरुपर्व के अवसर पर सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे को पाकिस्तान भेजना संभव नहीं होगा। हम अनुरोध करते हैं कि आपके राज्य के सिख संगठनों को सूचित किया जाए और जत्थे के आवेदनों पर कार्रवाई तुरंत रोक दी जाए।
पहलगाम हमले के बाद यात्रा प्रतिबंध कड़े किये गए:
इस साल अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, केंद्र सरकार ने यात्रा प्रतिबंध कड़े कर दिए थे और भारतीय नागरिकों के अटारी-वाघा सीमा चौकी के ज़रिए पाकिस्तान जाने पर रोक लगा दी थी। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर, भारतीय नागरिकों के लिए सभी सार्क वीज़ा छूट योजना (एसवीईएस) वीज़ा निलंबित कर दिए थे।
नेहरू-लियाकत समझौता:
1950 के नेहरू-लियाकत समझौते के तहत सिख तीर्थयात्रियों को साल में चार खास अवसरों पर पाकिस्तान के पवित्र गुरुद्वारों पर जाने की अनुमति है—बैसाखी (खालसा पंथ की स्थापना), गुरु अर्जन देव का शहीदी दिवस, महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि और गुरु नानक जयंती। पहले भी हज़ारों भारतीय सिख गुरु नानक जयंती मनाने पाकिस्तान जाते रहे हैं।
आमतौर पर कितने यात्रियों को अनुमति दी जाती है?
गुरु नानक देव की जयंती (नवंबर) और वैसाखी (अप्रैल) के लिए लगभग 3,000 तीर्थयात्रियों को, गुरु अर्जन देव के शहीदी दिवस (16 जून) के लिए 1,000 तीर्थयात्रियों को और महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि (27 जून) के लिए 500 तीर्थयात्रियों को आमतौर पर पाकिस्तान जाने की अनुमति दी जाती है।
पाकिस्तान में अन्य महत्वपूर्ण सिख तीर्थस्थल:
पाकिस्तान में सिखों के लिए अन्य महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में ननकाना साहिब और लाहौर शामिल हैं। इसके अलावा गुरुद्वारा पट्टी साहिब, गुरुद्वारा बाल लीला, गुरुद्वारा मल जी साहिब, गुरुद्वारा कियारा साहिब और गुरुद्वारा तंबू साहिब भी हैं, जो प्रथम गुरु के जीवन के विभिन्न चरणों को समर्पित हैं।
सिख जत्थों के अलावा अन्य जत्थे:
सिख जत्थों के अलावा, हिंदू और मुस्लिम जत्थे भी साल में कई बार पाकिस्तान और भारत जाते हैं। हिंदू तीर्थयात्री 50 से 400 लोगों के समूह में पाकिस्तान के शदानी दरबार और श्री कटास राज मंदिर जैसी जगहों पर जाते हैं। 2017 से 2021 तक पाकिस्तान जाने वाले भारतीय हिंदुओं की संख्या 16,831 रही।
इसी तरह, पाकिस्तान से मुस्लिम तीर्थयात्री हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, हज़रत मोइनुद्दीन चिश्ती और अन्य दरगाहों पर जाने के लिए भारत आते हैं। ऐसे तीन-चार मुस्लिम समूह हर साल आते हैं।
हालांकि, सिख जत्थे सबसे बड़े और नियमित रूप से यात्रा करने वाले होते हैं। इस साल वैसाखी पर खालसा साजना दिवस में भाग लेने के लिए 6,500 से ज्यादा सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान पहुँचे, जो भारत से पाकिस्तान जाने वाले सबसे बड़े जत्थों में से एक था।
भारत-पाकिस्तान यात्राओं का प्रबंधन किस तरह किया जाता है?
- शिमला समझौता: इसके तहत, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि “विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा,” हालाँकि यह किसी भी तरह से बाध्यकारी नहीं था।
- 1974 के धार्मिक स्थलों की यात्रा पर हस्ताक्षर: 1974 में भारत और पाकिस्तान ने धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। इसमें तय किया गया कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के ऐतिहासिक और पवित्र स्थलों का सम्मान करेंगे और धर्म या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। इन यात्राओं के लिए विशेष आगंतुक वीज़ा बनाए गए और कई धार्मिक स्थलों की सूची बनाई गई।
- 2019 का समझौता: 2019 में भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत भारतीय तीर्थयात्रियों को करतारपुर गुरुद्वारे तक वीज़ा-मुक्त जाने की सुविधा दी गई। लेकिन इस साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद, गृह मंत्रालय ने 4 किलोमीटर लंबे करतारपुर कॉरिडोर को अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की है।
अब से पहले की गई हैं अस्वीकृत अनुमतियाँ?
फरवरी 2021 में, केंद्र सरकार ने सुरक्षा और कोविड-19 कारणों से एक विशेष सिख जत्थे को आखिरी समय में पाकिस्तान जाने से रोक दिया था। यह जत्था ननकाना साहिब नरसंहार की 100वीं बरसी मनाने जा रहा था। हालाँकि, यह जत्था समझौते के दायरे में नहीं था।
इसी तरह, पाकिस्तान ने भी 2021 में कोविड-19 के कारण समझौते के तहत दो सिख जत्थों को अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
आइये जानते है ननकाना साहिब के बारे में:
ननकाना साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित एक पवित्र शहर है और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान है, जो 1469 में यहाँ पैदा हुए थे। पहले इसे ‘राय-भोई-दी-तलवंडी’ कहा जाता था। यह लाहौर से 80 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। ननकाना साहिब सिखों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ का गुरुद्वारा जन्मस्थान बहुत प्रसिद्ध है और महाराजा रणजीत सिंह ने इसे बनवाया था। यह तीर्थस्थल दुनिया भर के सिखों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक केंद्र माना जाता है।
निष्कर्ष:
सुरक्षा चिंताओं और भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के कारण इस साल सिख तीर्थयात्रियों को ननकाना साहिब जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह निर्णय सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करता है और लंबे समय से चली आ रही परंपराओं पर रोक लगाता है।